तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना—कितनी जानकारी पर चर्चा करें, यह तय करना
यीशु सिखाते वक्त अपने चेलों की सीमाओं का खयाल रखता था। इसलिए उसने उन्हें उतना ही सिखाया “जितना वे समझ सकते थे।” (मर. 4:33; यूह. 16:12) आज उसी तरह परमेश्वर के वचन के सिखानेवालों को तय करने की ज़रूरत है कि बाइबल अध्ययन चलाते वक्त, एक समय के अंदर कितनी जानकारी पर चर्चा करना सही होगा। यह अध्ययन चलानेवाले शिक्षक और बाइबल विद्यार्थी, दोनों की काबिलीयत और हालात के हिसाब से तय किया जा सकता है।
2 मज़बूत विश्वास पैदा कीजिए: कुछ विद्यार्थी शायद जानकारी को एक ही बार में समझ जाएँ, जबकि दूसरों को ज़्यादा समय लगे। ढेर सारी जानकारी को जल्द-से-जल्द पूरा करने से ज़्यादा ज़रूरी यह देखना है कि विद्यार्थी को जानकारी साफ-साफ समझ में आयी है या नहीं। हर विद्यार्थी को एक मज़बूत नींव की ज़रूरत है, ताकि उस पर वह परमेश्वर के वचन के लिए अपने नए विश्वास को और बढ़ा सके।—नीति. 4:7; रोमि. 12:2.
3 आपका विद्यार्थी परमेश्वर के वचन से जो भी बातें सीख रहा है, उन्हें समझने और उन पर चलने में उसे मदद देने के लिए, हर हफ्ते जितना ज़रूरी हो उतना समय बिताइए। हड़बड़ी में जानकारी पर चर्चा करने से दूर रहिए, क्योंकि इस तरह विद्यार्थी सिखायी जा रही सच्चाइयों से पूरा फायदा नहीं उठा पाएगा। अध्ययन के दौरान काफी समय दीजिए ताकि वह मुख्य मुद्दों पर ठीक से ध्यान दे सके, साथ ही बाइबल से उन खास आयतों की जाँच कर सके जो हमारी शिक्षाओं की बुनियाद हैं।—2 तीमु. 3:16, 17.
4 विषय से मत भटकिए: अध्ययन के दौरान हम न तो कम समय में ढेर सारी जानकारी पूरी करना चाहते हैं, ना ही विषय से भटकना चाहते हैं। अगर विद्यार्थी को निजी मामलों के बारे में लंबी-चौड़ी बातें करने की आदत है, तो हम उससे कह सकते हैं कि ये बातें हम अध्ययन के बाद करेंगे।—सभो. 3:1.
5 दूसरी तरफ, यह भी हो सकता है कि हममें सच्चाई के लिए इतना जोश है कि हम अपने विद्यार्थी को बहुत कुछ बताना चाहते हैं। ऐसे में अध्ययन के दौरान ज़्यादा बात न करना हमारे लिए एक चुनौती हो सकती है। (भज. 145:6, 7) माना कि कभी-कभार कोई मुद्दा या अनुभव बताना फायदेमंद हो सकता है, मगर हम नहीं चाहते कि ये मुद्दे या अनुभव इतने लंबे या ढेर सारे हों कि विद्यार्थी, बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं का सही ज्ञान लेने से ही चूक जाए।
6 हर अध्ययन के दौरान जितनी जानकारी पर चर्चा की जा सकती है, उतनी जानकारी पर चर्चा करने से हम अपने बाइबल विद्यार्थियों को ‘यहोवा के प्रकाश में चलने’ में मदद दे रहे होंगे।—यशा. 2:5.