“प्रचार के घंटे कैसे गिनूँ?”
क्या आपने कभी यह सवाल पूछा है? इस बारे में जानकारी संगठित किताब के पेज 86-87 पर दी गयी है। इसके अलावा, समय-समय पर और भी जानकारी छपती रही है, जैसे आप सितंबर 2008 की हमारी राज-सेवा का प्रश्न बक्स देख सकते हैं। हालात अलग-अलग होते हैं इसलिए हमने नियमों की लंबी सूची नहीं दी है। इसलिए साहित्य में दिए गए निर्देशों के अलावा प्राचीनों या किसी और को अपने निर्देश नहीं देने चाहिए।
अगर कभी ऐसा सवाल उठता है जिसके बारे में जानकारी नहीं छापी गयी है, तो हर प्रचारक खुद से यह पूछ सकता है: “क्या मैंने वह वक्त प्रचार सेवा में बिताया था? या किसी और काम में?” हर महीने हम अपनी प्रचार की रिपोर्ट में जो लिखते हैं, उससे हमें खुशी मिलनी चाहिए, ना कि हमारा विवेक हमें कचोटना चाहिए। (प्रेषि. 23:1) बेशक हमारी सबसे बड़ी चिंता यह नहीं होनी चाहिए कि हम कितने घंटे रिपोर्ट करें बल्कि यह कि मेहनत के साथ प्रचार करके समय का अच्छा उपयोग करें।—इब्रा. 6:11.