‘परमेश्वर का नाम पवित्र किया जाए’
1. सन् 2012 सेवा साल के सर्किट सम्मेलन का विषय किस पर आधारित है?
इस दुनिया जहान के मालिक यहोवा के नाम को धारण करना, क्या ही सम्मान की बात है! खुद परमेश्वर ने हमें यह नाम दिया है। और खासकर सन् 1931 से हम यहोवा के अनोखे नाम, यानी यहोवा के साक्षी के नाम से जाने जाते हैं। (यशा. 43:10) परमेश्वर के इकलौते बेटे यीशु ने परमेश्वर के नाम की सबसे ज़्यादा महिमा की और उसे आदर्श प्रार्थना में सबसे पहली जगह दी। (मत्ती 6:9) सन् 2012 सेवा साल के सर्किट सम्मेलन का विषय है, ‘परमेश्वर का नाम पवित्र किया जाए’ जो यीशु की आदर्श प्रार्थना में कहे शब्दों पर आधारित है।
2. हम सम्मेलन में क्या-क्या सीखेंगे?
2 हम क्या सुनेंगे: शनिवार को एक भाषण दिया जाएगा, जिसका शीर्षक होगा, “पूरे समय के सेवक के तौर पर परमेश्वर के नाम का ऐलान कीजिए।” इसमें बताया जाएगा कि पूरे समय की सेवा करने से आशीषें क्यों मिलती हैं। हम यह परिचर्चा भी सुनेंगे: “यहोवा के नाम पर कलंक लगने मत दीजिए।” इसमें ऐसे चार फँदों से हमें आगाह किया जाएगा जिनमें हम फँस सकते हैं। जब लोग हमारे संदेश में दिलचस्पी नहीं दिखाते तब क्या बात हमें जोश के साथ प्रचार करने में मदद देगी? हम असरदार तरीके से कैसे सेवा कर सकते हैं? इन सवालों के जवाब हमें एक भाषण से मिलेगा जिसका विषय है “परमेश्वर का नाम क्यों पवित्र किया जाना चाहिए।” रविवार को हम चार भागोंवाली परिचर्चा का आनंद उठाएँगे जो बताएगी कि कैसे हम अपने विचारों, बोली, फैसलों और चालचलन से परमेश्वर का नाम पवित्र कर सकते हैं। नए लोग खास तौर पर जन-भाषण को पसंद करेंगे, जिसका शीर्षक होगा, “हर-मगिदोन में यहोवा अपने महान नाम को पवित्र करेगा।”
3. हमें क्या सम्मान मिला है और इस सम्मेलन से हमें कैसे मदद मिलेगी?
3 जल्द ही यहोवा अपने नाम को पवित्र करने के लिए कदम उठाएगा। (यहे. 36:23) लेकिन तब तक हमारे पास एक बहुत बड़ा सम्मान है कि हम हर तरह से यहोवा के नाम की पवित्रता को बनाए रखें। हमें परमेश्वर के नाम को धारण करने की गंभीर ज़िम्मेदारी दी गयी है। हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यह सर्किट सम्मेलन हमें यह ज़िम्मेदारी निभाने में मदद देगा।