तर्क करने में घर-मालिक की मदद कीजिए
1. प्रचार में कौन-सा तरीका अपनाना ज़्यादा असरदार होता है?
प्रचार में कौन-सा तरीका ज़्यादा असरदार होता है? घर-मालिक से कोई बात दावे के साथ कहना या फिर उसे तर्क करने और खुद सही नतीजे पर पहुँचने में मदद देना? प्रेषित पौलुस ने थिस्सलुनीके के यहूदियों से बात करते वक्त दूसरा तरीका अपनाया था जिसका “नतीजा यह हुआ कि उनमें से कुछ विश्वासी बन गए।” (प्रेषि. 17:2-4) दूसरों के साथ तर्क करने में क्या बात शामिल है?
2. हम खुशखबरी सुनाने में पौलुस की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?
2 दूसरों की भावनाएँ और उनकी संस्कृति को ध्यान में रखिए: अगर हम दूसरों के साथ सही तर्क करना चाहते हैं तो यह समझना ज़रूरी है कि वे किसी मामले के बारे में कैसा महसूस करते हैं। पौलुस ने अरियुपगुस में अविश्वासी यूनानियों को जो भाषण दिया, उसकी शुरूआत उसने ऐसी बातों से की जिनसे वे शायद अच्छी तरह वाकिफ थे और सहमत भी। (प्रेषि. 17:22-31) इसलिए जब आप प्रचार में बातचीत करने के लिए तैयारी करते हैं, तो अपने इलाके के लोगों के विश्वास और उनकी सोच को ध्यान में रखिए। (1 कुरिं. 9:19-22) अगर घर-मालिक किसी बात पर कोई आपत्ति उठाए, तो कोई ऐसा मुद्दा ढूँढ़ने की कोशिश कीजिए जिस पर आप दोनों के विचार मिलते हों और उसी पर बातचीत आगे बढ़ाइए।
3. असरदार तरीके से तर्क करने के लिए कुशलता से सवाल पूछना क्यों ज़रूरी है?
3 कुशलता से सवालों का इस्तेमाल कीजिए: हम किसी मुसाफिर को उसकी मंज़िल तक पहुँचने में तब तक मदद नहीं कर सकते जब तक कि हम यह न जानते हों कि वह किस मोड़ पर है। ठीक उसी तरह, हम घर-मालिक को सही नतीजे पर पहुँचने में तब तक मदद नहीं दे सकते, जब तक हम यह न जानते हों कि उसकी सोच क्या है। किसी के साथ तर्क करने से पहले यीशु अकसर उस व्यक्ति की सोच जानने के लिए सवाल पूछता था। उदाहरण के लिए, एक बार किसी ने यीशु से पूछा: “हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मुझे क्या काम करना चाहिए?” उसके सवाल का जवाब देने से पहले यीशु ने उसका नज़रिया जानने की कोशिश की। (लूका 10:25-28) एक और मौके पर जब पतरस ने एक गलत जवाब दिया, तब यीशु ने उसकी सोच को सुधारने के लिए कुशलता से कुछ सवाल पूछे। (मत्ती 17:24-26) इसलिए अगर घर-मालिक कोई सवाल पूछता है या कोई गलत राय देता है, तो हम सवालों का इस्तेमाल करके उसके साथ तर्क कर सकते हैं।
4. हमें घर-मालिक को तर्क करने में क्यों मदद देनी चाहिए?
4 जब हम घर-मालिक को तर्क करने में मदद देते हैं तो हम महान शिक्षक यीशु और पहले सदी के दूसरे कुशल प्रचारकों की मिसाल पर चल रहे होते हैं और ऐसा करके हम घर-मालिक को इज़्ज़त दे रहे होते हैं। (1 पत. 3:15) इसका नतीजा शायद यह हो कि वह हमसे दोबारा मिलने के लिए राज़ी हो जाए।