परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
30 अप्रैल, 2012 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. बाइबल में दी यिर्मयाह की किताब हमारे लिए क्यों फायदेमंद है? [5 मार्च, प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 8 पैरा. 2]
2. आज यहोवा हमें ज़ुल्मों से कैसे छुड़ा सकता है? (यिर्म. 1:8) [5 मार्च, प्रहरीदुर्ग 05 12/15 पेज 23 पैरा. 18]
3. अभिषिक्त मसीही कब और किस तरह ‘प्राचीनकाल के अच्छे मार्ग’ पर लौट आए? (यिर्म. 6:16) [12 मार्च, प्रहरीदुर्ग 05 11/1 पेज 24 पैरा. 12]
4. यह क्यों कहा जा सकता है कि आज भी ‘गिलाद देश में बलसान’ है? (यिर्म. 8:22) [19 मार्च, प्रहरीदुर्ग 10 10/1 पेज 26 पैरा. 2–पेज 27 पैरा. 3]
5. इसका क्या मतलब है कि यहोवा ने “बहुत से मछुओं को” और ‘बहुत से शिकारियों को भेजा’? (यिर्म. 16:16, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) [26 मार्च, प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 9 पैरा. 5]
6. यहोवा ने कैसे यिर्मयाह को धोखा दिया और इससे हम क्या सबक सीख सकते हैं? (यिर्म. 20:7) [2 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 9 पैरा. 6]
7. क्या यिर्मयाह 22:30 में दी आज्ञा ने यीशु मसीह के हक को रद्द कर दिया कि वह दाविद के सिंहासन पर राज करेगा? [9 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 11 पैरा. 1]
8. परमेश्वर की व्यवस्था हृदय पर कैसे लिखी गयी है? (यिर्म. 31:33) [23 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 11 पैरा. 2]
9. एक ही समझौते के दो दस्तावेज़ बनाने का क्या मकसद था? (यिर्म. 32:10-15) [30 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 11 पैरा. 3]
10. यिर्मयाह 33:23, 24 में बताए “दो कुल” कौन हैं? [30 अप्रै., प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 11 पैरा. 4]