परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
25 जून, 2012 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर स्कूल में चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. तंगी के समय में यिर्मयाह को यहोवा ने जिस तरह सँभाला, इससे हम क्या सीख सकते हैं? (यिर्म. 37:21) [7 मई, प्रहरीदुर्ग 97 9/15 पेज 3 पैरा. 4–पेज 4 पैरा. 1]
2. बारूक किस तरह अपनी “बड़ाई” खोजने लगा और उसने यहोवा की सलाह को जिस तरह लिया, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (यिर्म. 45:2-5) [21 मई, प्रहरीदुर्ग 08 10/15 पेज 8 पैरा. 7; प्रहरीदुर्ग 08 4/15 पेज 15 पैरा. 16]
3. मिस्र की आहट को साँप के समान क्यों बताया गया है? (यिर्म. 46:22) [21 मई, प्रहरीदुर्ग 07 4/1 पेज 11 पैरा. 5]
4. बाबुल की बंधुआई में पड़े यहूदियों को यिर्मयाह ने जो संदेश दिया उससे हम क्या सीख सकते हैं? (यिर्म. 51:6, 45, 50) [4 जून, प्रहरीदुर्ग 08 6/15 पेज 8, 9 पैरा. 9, 10]
5. यहोवा ने किस तरह “[यहूदा] की कुमारी पुत्री को” मानो “रसकुण्ड में रौंद डाला”? (विला. 1:15, बुल्के बाइबल) [11 जून, प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 8 पैरा. 6]
6. किस मायने में “इसराएल की शोभा को आकाश से धरती पर पटक दिया” गया? (विला. 2:1) [11 जून, प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 9 पैरा. 1]
7. यहोवा के “पांवों की चौकी” और “मण्डप” क्या हैं? (विला. 2:1, 6) [11 जून, प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 9 पैरा. 2]
8. जवानी में तकलीफों का जुआ उठाना सीखना, एक इंसान के लिए क्यों फायदेमंद हो सकता है? (विला. 3:27) [18 जून, प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 11 पैरा. 3]
9. क्या यहोवा लोगों को उनके पुरखाओं के पापों के लिए जवाबदेह ठहराता है? (विला. 5:7) [18 जून, प्रहरीदुर्ग 07 6/1 पेज 10 पैरा. 5]
10. लोगों की बेरुखी के बावजूद, प्रचार में निडर होकर बोलने में यहेजकेल की मिसाल कैसे हमारी मदद कर सकती है? (यहे. 3:8, 9) [25 जून, प्रहरीदुर्ग 08 7/15 पेज 8 पैरा. 6, 7]