पेशकश के नमूनों का कैसे इस्तेमाल करें
1. पेशकश के सुझावों के बारे में हमें क्या नज़रिया रखना चाहिए?
हमारी राज-सेवा में लगातार, पत्रिकाएँ और दूसरे साहित्य पेश करने के सुझाव दिए जाते हैं। मगर हमें प्रचार में इन सुझावों को हू-ब-हू दोहराने की ज़रूरत नहीं। ये सिर्फ मोटे तौर पर बताते हैं कि हम क्या कह सकते हैं। आम तौर पर देखा गया है कि अगर हम इन सुझावों को अपने शब्दों में कहें, तो ज़्यादा अच्छे नतीजे मिलते हैं। जब हम सहजता से बात करते हैं तो घर-मालिक की घबराहट दूर होती है, साथ ही यह ज़ाहिर होता है कि हम जो कुछ कह रहे हैं, वह दिल से है और उस पर हमें पूरा यकीन है।—2 कुरिं. 2:17; 1 थिस्स. 1:5.
2. पेशकश की तैयारी करते वक्त, हमें क्यों इलाके के दस्तूर को ध्यान में रखना चाहिए?
2 अपनी पेशकश को हालात के मुताबिक ढालिए: हम किस तरह खुशखबरी पेश करेंगे, यह काफी हद तक इलाके के दस्तूर पर निर्भर करता है। क्या आपके इलाके का दस्तूर ऐसा है कि आप पहले घर-मालिक को दुआ-सलाम करें और फिर बातचीत के दौरान उसे अपना संदेश दें? या फिर क्या वे चाहते हैं कि आप सीधे मुद्दे पर आएँ? यह बात जगह-जगह के हालात और कभी-कभी तो हर इंसान पर निर्भर करती है। इसके अलावा, हमें घर-मालिक से सोच-समझकर सवाल पूछने चाहिए। जिन सवालों को पूछने में कुछ इलाकों में कोई हर्ज़ नहीं, वे शायद दूसरी जगह के लिए सही न हों और लोग शायद उनका जवाब देने से हिचकिचाएँ। इसलिए हमें सूझ-बूझ से काम लेना चाहिए और अपनी पेशकश को इस तरह ढालना चाहिए, जिससे इलाके के लोगों को कोई एतराज़ न हो।
3. हमें क्यों लोगों की संस्कृति और उनकी सोच का ध्यान रखना चाहिए?
3 प्रचार की तैयारी करते समय हमें अपने इलाके के रहनेवालों की संस्कृति और उनकी सोच का भी ध्यान रखना चाहिए। मिसाल के लिए, एक कट्टर कैथोलिक के साथ आप मत्ती 6:9, 10 पर जैसी चर्चा करेंगे, ज़ाहिर है कि वैसी चर्चा आप एक ऐसे शख्स के साथ नहीं करेंगे, जो “प्रभु की प्रार्थना” नहीं जानता। अगर हम अपनी पेशकश के बारे में पहले से सोचकर रखें, तो प्रचार में मिलनेवाले अलग-अलग लोगों के मुताबिक इसे ढालने में आसानी होगी और यह लोगों को ज़्यादा पसंद आएगी।—1 कुरिं. 9:20-23.
4. अच्छी तैयारी करना क्यों बेहद ज़रूरी है?
4 चाहे हम पेशकश को वैसे इस्तेमाल करने की क्यों न सोचें जैसे वह दी गयी है, फिर भी अपनी तरफ से अच्छी तैयारी करना बेहद ज़रूरी है। हम घर-मालिक को पत्रिका या किताब में से जो लेख या अध्याय दिखाने की सोच रहे हैं, उसे पहले हमें खुद ध्यान से पढ़ना चाहिए। साथ ही, ऐसे मुद्दे ढूँढ़ने चाहिए जिनसे उसकी दिलचस्पी जागे। फिर इन मुद्दों को अपनी पेशकश में शामिल कीजिए। हम अपने साहित्य तभी जोश के साथ पेश कर पाएँगे, जब हम उसमें दी गयी बढ़िया जानकारी से अच्छी तरह वाकिफ होंगे।
5. कभी-कभी हमें क्यों अलग-सी पेशकश तैयार करनी चाहिए? यह हम कैसे कर सकते हैं?
5 दूसरी पेशकश: पेशकश के जो सुझाव दिए जाते हैं, क्या हमें सिर्फ उन्हीं का इस्तेमाल करना चाहिए? जी नहीं। अगर आपको कोई और पेशकश या आयत बताना आसान लगता है, तो आप बेशक उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। खासकर पत्रिकाओं के मामले में, शुरूआती लेखों के अलावा दूसरे लेख दिखाने के मौके ढूँढ़िए जिनमें आपके इलाके के लोगों को खास दिलचस्पी हो। सेवा सभा में पत्रिका या साहित्य पेशकश के प्रदर्शन में, एक ऐसी पेशकश इस्तेमाल करने का इंतज़ाम किया जा सकता है जो मंडली के इलाके के लिए कारगर हो। इस तरह सभी को असरदार तरीके से खुशखबरी की गवाही देने में मदद मिल सकती है।