एक अभियान जिसके अच्छे नतीजे मिलते हैं
पिछले कुछ सालों की तरह, इस साल भी हम अधिवेशन से तीन हफ्ते पहले, न्यौता बाँटने के अभियान में हिस्सा लेंगे। मंडलियाँ अपने प्रचार इलाके में यह न्यौता बाँटेंगी। हर साल होनेवाले इस अभियान का एक खास मकसद है। अकसर देखा गया है कि जो हमारा न्यौता लेते हैं और अधिवेशन में हाज़िर होते हैं, उनके मन पर यहाँ होनेवाली हर बात गहरी छाप छोड़ जाती है। जैसे, अधिवेशन में दिए जानेवाले शास्त्र पर आधारित भाषण, व्यवस्थित तरीके से अलग-अलग विभाग में काम करनेवाले स्वयंसेवक। इसके अलावा, हमारा अच्छा चालचलन और एकता देखकर भी वे बहुत खुश होते हैं। (भज. 110:3; 133:1; यशा. 65:13, 14) लेकिन कई बार अधिवेशन में हाज़िर होने के लिए दिलचस्पी दिखानेवाले लोग दूर-दूर के इलाकों से आते हैं। क्या ऐसे इलाकों में भी अभियान के अच्छे नतीजे निकलते हैं?
सन् 2011 के ज़िला अधिवेशन के बाद, एक औरत ने शाखा दफ्तर को एक खत लिखा, जिसे अपने घर के दरवाज़े पर अधिवेशन का न्यौता मिला था। अकसर जब यहोवा के साक्षी उसका दरवाज़ा खटखटाते थे, तो वह छिप जाती थी। उसने लिखा: “मेरे पास सबकुछ था, एक सुंदर घर, अच्छा पति और वह सबकुछ जिससे मुझे खुशी मिल सकती थी। फिर भी मैं पूरी तरह खुश नहीं थी, और मेरी ज़िंदगी का कोई मकसद नहीं था। इसलिए न्यौता पढ़ने के बाद मैंने 320 किलोमीटर की दूरी तय करके शनिवार के कार्यक्रम में हाज़िर होने का फैसला किया।” उसे अधिवेशन का कार्यक्रम इतना अच्छा लगा कि उसने अपने पति से फोन पर कहा कि वह वहीं रुकेगी और अगले दिन रविवार के कार्यक्रम में भी हाज़िर होगी। वह कहती है: “मैंने अधिवेशन के सारे भाषण सुने, कई यहोवा के साक्षियों से मिली और मैं नहीं चाहती थी कि यह अच्छा समय कभी खत्म हो।” घर लौटने के बाद उसने बाइबल अध्ययन शुरू किया और चार महीने बाद वह बपतिस्मा-रहित प्रचारक बन गयी। बहन आगे कहती है: “मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे दरवाज़े पर यह न्यौता मिला! अब वाकई मेरी ज़िंदगी का एक मकसद है।”
जिन लोगों को न्यौता मिला है, उनमें से कुछ लोग ज़रूर हाज़िर होंगे। इसलिए इस अभियान में ज़ोर-शोर से हिस्सा लीजिए। अगर कुछ न्यौते बच जाएँ तो उन्हें सफर के दौरान अपने साथ रखें। और जिस शहर में अधिवेशन होनेवाला है, वहाँ मौका ढूँढ़कर गवाही देते वक्त इनका इस्तेमाल करें।
[पेज २ पर तसवीर]
लोगों को न्यौता कैसे दें?
न्यौता पूरे इलाके में देना है, इसलिए हम कम शब्दों में अपनी बात कहेंगे। हम कुछ ऐसा कह सकते हैं: “नमस्ते। हम पूरी दुनिया में यह न्यौता बाँट रहे हैं और यह आपके लिए है। ज़्यादा जानकारी इस परचे में दी गयी है।” जोश के साथ इसे पेश कीजिए। शनिवार-रविवार को अभियान में हिस्सा लेते वक्त, मुनासिब हो तो आप पत्रिकाएँ भी दे सकते हैं।