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हमारी राज-सेवा—2013
राज-सेवा 8/13 पेज 3

परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा

26 अगस्त, 2013 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्‍वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्‍त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।

1. हेरोदेस ने बेझिझक उस प्रशंसा और महिमा को कबूल किया जिसका वह हकदार नहीं था, इससे हम क्या ज़रूरी सबक सीख सकते हैं? (प्रेषि. 12:21-23) [जुला. 1, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 32 पैरा. 7]

2. मसीही जवानों को तीमुथियुस की मिसाल पर गौर करने और उस पर चलने से क्या फायदा होगा? (प्रेषि. 16:1, 2) [जुला. 8, प्रहरीदुर्ग 08 5/15 पेज 32 पैरा. 10]

3. इफिसुस के सभा-घर में अप्पुलोस को “बेधड़क होकर” प्रचार करते सुनने के बाद, अक्विला और प्रिस्किल्ला ने कैसे उसकी मदद की? (प्रेषि. 18:24-26) [जुला. 15, प्रहरीदुर्ग 10 6/15 पेज 11 पैरा. 4]

4. यहोवा के साक्षियों को अदालत के ज़रिए, खुशखबरी सुनाने के अपने हक की हिफाज़त करने का बाइबल में क्या आधार दिया गया है? (प्रेषि. 25:10-12) [जुला. 22, प्रहरीदुर्ग 03 10/1 पेज 15 पर दिया बक्स]

5. रोम में कैद होने के बावजूद, प्रेषित पौलुस ने गवाही देने के मौके कैसे ढूँढ़े, और आज यहोवा के सेवक उसकी मिसाल पर कैसे चल रहे हैं? (प्रेषि. 28:17, 23, 30, 31) [जुला. 29, प्रहरीदुर्ग 12 1/15 पेज 12, 13 पैरा. 18, 21]

6. बाइबल समलैंगिकता को क्यों अस्वाभाविक और अश्‍लील कहती है? (रोमि. 1:26, 27) [अग. 5, सजग होइए! 4/12 पेज 28 पैरा. 7]

7. यीशु मसीह ने ईसवी सन्‌ 33 में फिरौती की जो कीमत अदा की, उसके बिना पर ‘बीते ज़माने के दौरान [फिरौती देने से पहले] लोगों को पापों की माफी’ कैसे मिली? (रोमि. 3:24, 25) [अग. 5, प्रहरीदुर्ग 08 6/15 पेज 29 पैरा. 6]

8. कभी-कभी हम पर ऐसी मुसीबतें आती है कि हम समझ नहीं पाते कि प्रार्थना में क्या कहें। ऐसे में यहोवा का कौन-सा प्यार भरा इंतज़ाम हमारी मदद करता है? (रोमि. 8:26, 27) [अग. 12, प्रहरीदुर्ग 08 6/15 पेज 30 पैरा. 10]

9. “मेहमान-नवाज़ी दिखाने की आदत डालो”, इस हिदायत का क्या मतलब है? (रोमि. 12:13) [अग. 19, प्रहरीदुर्ग 09 10/15 पेज 5-6 पैरा. 12-13]

10. “प्रभु यीशु मसीह को पहन लो”, प्रेषित पौलुस की इस सलाह पर हम कैसे चलते है? (रोमि. 13:14) [अग. 26, प्रहरीदुर्ग 05 1/1 पेज 11-12 पैरा. 20-22]

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