परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
30 दिसंबर, 2013 से शुरू होनेवाले हफ्ते में, परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर सवाल के आगे वह तारीख दी गयी है जिस हफ्ते में उस सवाल पर चर्चा की जाएगी। इससे हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त, उस सवाल पर खोजबीन करने में मदद मिलेगी।
1. अधिकारियों से पेश आते वक्त कोमलता दिखाने में क्या बात हमारी मदद करेगी? (तीतु. 3:2) [4 नवं., प्रहरीदुर्ग 03 4/1 पेज 24 पैरा. 18-19]
2. फिलेमोन 4, 5, 7 में दर्ज़ शब्द, जो पौलुस ने फिलेमोन को लिखे थे उनसे हम क्या सीखते हैं? [4 नवं., प्रहरीदुर्ग 08 10/15 पेज 31 पैरा. 1, 2]
3. हम परमेश्वर के विश्राम दिन में प्रवेश कैसे कर सकते हैं? (इब्रा. 4:9-11) [11 नवं., प्रहरीदुर्ग 11 7/15 पेज 28 पैरा. 16, 17]
4. शमूएल, वफादार न्यायियों और भविष्यवक्ताओं की मिसाल से हम क्या सीखते हैं, जिन्होंने “परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक नेक काम किए”? (इब्रा. 11:32, 33) [18 नवं., प्रहरीदुर्ग 11 7/1 पेज 17 पैरा. 5, 6]
5. याकूब ने यह क्यों लिखा कि “जो बुद्धि स्वर्ग से मिलती है, वह सबसे पहले तो पवित्र, फिर शांति कायम करनेवाली” होती है? (याकू. 3:17) [25 नवं., प्रहरीदुर्ग 11 8/15 पेज 30-31 पैरा. 15]
6. वे ‘मरे हुए’ कौन हैं, जिन्हें ‘सुसमाचार सुनाया गया’? (1 पत. 4:6) [2 दिसं., प्रहरीदुर्ग 08 11/15 पेज 21 पैरा. 8]
7. पहला यूहन्ना 2:7, 8 के मुताबिक, वह कौन-सी आज्ञा है, जिसे यूहन्ना ने “नई” और “पुरानी” कहा? [9 दिसं., प्रहरीदुर्ग 08 12/15 पेज 27 पैरा. 6]
8. “अल्फा और ओमिगा”, “प्रथम और अन्तिम” ये उपाधियाँ किन पर लागू होती हैं? (प्रका. 1:8, 17) [16 दिसं., प्रहरीदुर्ग 09 1/15 पेज 30 पैरा. 6]
9. प्रका. 12:15, 16 किस तरह हमारा विश्वास मज़बूत करता है? [23 दिसं., प्रहरीदुर्ग 09 1/15 पेज 32 पैरा. 6]
10. ‘जीवन के जल की नदी’ किस बात को दर्शाती है? [30 दिसं., प्रहरीदुर्ग 09 2/15 पेज 5 पैरा. 6]