परमेश्वर की सेवा स्कूल में सीखी बातों पर चर्चा
28 दिसंबर, 2015 से शुरू होनेवाले हफ्ते में परमेश्वर की सेवा स्कूल में नीचे दिए सवालों पर चर्चा होगी। हर मुद्दे पर कब चर्चा की जानी है, उसकी तारीख दी गयी है, ताकि हर हफ्ते स्कूल की तैयारी करते वक्त उस पर खोजबीन की जा सके।
पहला इतिहास 20:3 पढ़कर कुछ लोगों को लगता है कि दाविद अपने बंदियों के साथ बेरहमी से पेश आया। क्या दाविद ने वाकई ऐसा किया था? [2 नवं., प्रहरीदुर्ग 05 2/15 पेज 27]
किस बात ने दाविद को दिल खोलकर दान देने के लिए उभारा और क्या बात हमें ऐसा करने के लिए उभारेगी? (1 इति. 22:5) [9 नवं., प्रहरीदुर्ग 05 10/1 पेज 11 पैरा. 6]
जब दाविद ने सुलैमान से कहा कि “तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख,” तो वह उसके कहने का क्या मतलब था? (1 इति. 28:9) [16 नवं., प्रहरीदुर्ग 11 4/1 पेज 26 पैरा. 3, 7]
दूसरा इतिहास 1:10 में सुलैमान ने जो गुज़ारिश की उससे सुलैमान के बारे में क्या पता चलता है और हमें यहोवा से की अपनी प्रार्थनाओं पर ध्यान देने से अपने बारे में क्या पता चल सकता है? (2 इति. 1:11, 12) [23 नवं., प्रहरीदुर्ग 05 12/1 पेज 19 पैरा. 6]
दूसरा इतिहास 6:29, 30 के मुताबिक यहोवा के पास क्या अनोखी काबिलीयत है और हमें उससे दिल खोलकर प्रार्थना क्यों करनी चाहिए? (भज. 55:22) [30 नवं., प्रहरीदुर्ग 11 4/1 पेज 19 पैरा. 7]
आसा ने एक बड़ी सेना पर जीत हासिल करने के लिए क्यों प्रार्थना की और आज हम परमेश्वर के सेवक जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उस बारे में हम किस बात का यकीन रख सकते हैं? (2 इति. 14:11) [7 दिसं., प्रहरीदुर्ग 12 8/15 पेज 8 पैरा. 6-पेज 9 पैरा.1]
यहोशापात ने गलत फैसला लिया, फिर भी जिस तरह यहोवा उसके साथ पेश आया उससे हमें यहोवा के प्यार के बारे में क्या पता चलता है? और इससे हमें दूसरों के बारे में कैसा नज़रिया रखने का बढ़ावा मिलता है? (2 इति. 19:3) [14 दिसं., प्रहरीदुर्ग 03 7/1 पेज 17 पैरा. 13; यहोवा के करीब पेज 244 पैरा. 12]
आज हमें क्यों और कैसे “ठहरे रहना” है और “खड़े रहना” है? (2 इति. 20:17) [21 दिसं., प्रहरीदुर्ग 05 12/1 पेज 21 पैरा. 1; प्रहरीदुर्ग 03 6/1 पेज 21 पैरा. 15-16]
दूसरा इतिहास 21:20 में यहोराम की मौत से जुड़ी जो बात लिखी है, उससे हमें क्या चेतावनी मिलती है? [21 दिसं., प्रहरीदुर्ग 98 11/15 पेज 32 पैरा. 4]
पूरे दिल से यहोवा की सेवा करने में क्या शामिल है? [28 दिसं., प्रहरीदुर्ग 12 4/15 पेज 16 पैरा. 13]