मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
4-10 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 यूहन्ना 1-5
“तुम न तो दुनिया से प्यार करो, न ही दुनिया की चीज़ों से”
यीशु के दिखाए नमूने पर चलते रहिए
13 कुछ लोग शायद सोचें कि संसार की हर चीज़ तो बुरी नहीं है। हालाँकि यह बात सच है, मगर यह संसार और इसकी लुभावनी चीज़ें यहोवा की सेवा से हमारा ध्यान बड़ी आसानी से भटका सकती हैं। संसार में एक भी चीज़ ऐसी नहीं है जो हमें यहोवा के करीब लाने के लिए तैयार की गयी हो। इसलिए अगर हम संसार की चीज़ों से प्रेम करने लगें, यहाँ तक कि ऐसी चीज़ों से जो अपने आप में बुरी नहीं हैं, तो आगे चलकर हम खतरे में पड़ जाएँगे। (1 तीमुथियुस 6:9, 10) देखा जाए तो, दुनिया की ज़्यादातर बातें बुरी हैं और हमें भ्रष्ट कर सकती हैं। अगर हम ऐसी फिल्में या टी.वी. कार्यक्रम देखते हैं जिनमें हिंसा, धन-दौलत के मोह या बदचलनी को बढ़ावा दिया जाता है, तो कुछ समय बाद हमें इन बातों में कोई बुराई नज़र नहीं आएगी और बाद में हम उनकी तरफ लुभाए जाएँगे। अगर हम ऐसे लोगों से मेल-जोल रखते हैं जिनकी ज़िंदगी का खास मकसद अपने रहन-सहन का स्तर ऊँचा करना या बिज़नेस में तरक्की के मौके तलाशना है, तो यही बातें हमारी ज़िंदगी का भी मकसद बन जाएँगी।—मत्ती 6:24; 1 कुरिन्थियों 15:33.
सोचिए कि आपको किस तरह का इंसान होना चाहिए
18 “दुनिया की चीज़ों” से दूर रहने में एक और बात हमारी मदद कर सकती है, और वह यह कि हम यूहन्ना के ये शब्द याद रखें: “यह दुनिया मिटती जा रही है और इसके साथ इसकी ख्वाहिशें भी मिट जाएँगी, मगर जो परमेश्वर की मरज़ी पूरी करता है वह हमेशा तक कायम रहेगा।” (1 यूह. 2:17) कभी-कभी ऐसा लगता है कि शैतान की व्यवस्था हमेशा बनी रहेगी। मगर एक दिन आएगा जब वह खाक में मिल जाएगी। शैतान की इस दुनिया की कोई भी चीज़ कायम नहीं रहनेवाली। इस हकीकत को ध्यान में रखने से हमें मदद मिलेगी कि हम शैतान के बहकावे में न आएँ।
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यहोवा की चितौनियाँ विश्वासयोग्य हैं
14 मसीही यूनानी शास्त्र में हमें कई बार याद दिलाया गया है कि हमें एक-दूसरे के लिए प्यार दिखाना चाहिए। यीशु ने कहा कि दूसरी सबसे बड़ी आज्ञा है ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे हम खुद से करते हैं।’ (मत्ती 22:39) उसी तरह, यीशु के सौतेले भाई याकूब ने प्यार को “शाही नियम” कहा। (याकू. 2:8) और प्रेषित यूहन्ना ने लिखा: “मेरे प्यारो, मैं तुम्हें कोई नयी आज्ञा नहीं बल्कि एक पुरानी आज्ञा लिख रहा हूँ जो तुम्हें पहले से मिली हुई है।” (1 यूह. 2:7, 8) जब यूहन्ना ने “पुरानी आज्ञा” का ज़िक्र किया, तो वह किस बारे में बात कर रहा था? वह प्यार करने की आज्ञा के बारे में बात कर रहा था। यह आज्ञा इस मायने में “पुरानी” थी कि यीशु ने दशकों “पहले से” उन्हें यह आज्ञा दी थी। मगर यह आज्ञा “नयी” भी थी, क्योंकि आगे चलकर चेलों को नए हालात में ऐसा प्यार दिखाना था, जो दूसरों की खातिर त्याग करने के लिए तैयार रहता है। मसीह के चेले होने के नाते, हम उन चेतावनियों की कितनी कदर करते हैं जो हमें इस दुनिया के ज़्यादातर लोगों की तरह स्वार्थी बनने से खबरदार करती हैं। इसके बजाय, हम ऐसा प्यार दिखाते हैं, जो दूसरों की खातिर त्याग करने के लिए तैयार रहता है।
इंसाइट-1 पेज 862 पै 5
माफी
दूसरों के लिए और पूरी मंडली के लिए यहोवा से माफी माँगना सही है। जैसे, मूसा ने इसराएल राष्ट्र के गुनाहों के लिए यहोवा से माफी माँगी और यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी। (गि 14:19, 20) सुलैमान ने मंदिर के समर्पण के वक्त यहोवा से प्रार्थना की कि अगर उसके लोग पाप करें लेकिन फिर गलत काम छोड़ दें, तो वह उन्हें माफ कर दे। (1रा 8:30, 33-40, 46-52) एज्रा ने यहूदियों की तरफ से यहोवा से प्रार्थना की और उनके पापों के लिए माफी माँगी। उसकी दिल से की गयी प्रार्थना का कई लोगों पर इतना ज़बरदस्त असर हुआ कि उन्होंने यहोवा से माफी पाने के लिए तुरंत कदम उठाया। (एज 9:13–10:4, 10-19, 44) यहोवा के साथ जिस व्यक्ति का रिश्ता कमज़ोर पड़ गया था, उसे याकूब ने बढ़ावा दिया कि वह मंडली के प्राचीनों को बुलाए ताकि वे उसके लिए प्रार्थना करें। “अगर उसने पाप किए हों तो उसे माफ कर दिया जाएगा।” (याकू 5:14-16) मगर “ऐसा पाप भी है जिसका अंजाम मौत है” और वह है पवित्र शक्ति के खिलाफ पाप करना। यह जानबूझकर किया गया पाप है जिसे माफ नहीं किया जा सकता। एक मसीही को ऐसे लोगों के लिए प्रार्थना नहीं करनी चाहिए जो इस तरह का पाप करते हैं।—1यूह 5:16; मत 12:31; इब्र 10:26, 27.
11-17 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 यूहन्ना 1–यहूदा
“सच्चाई में बने रहने के लिए हमें लड़ना होगा”
‘प्रभु में बलवन्त बनो’
8 हम शैतान की युक्तियों से अनजान नहीं हैं क्योंकि बाइबल हमें बताती है कि वह ज़्यादातर कैसी चालें चलता है। (2 कुरिन्थियों 2:11) धर्मी इंसान अय्यूब की खराई तोड़ने के लिए, शैतान ने उसकी सारी धन-दौलत छीन ली, उसके प्यारे बच्चों को मार डाला, पत्नी ने उसे बुरा-भला कहा, वह शरीर से लाचार हो गया और झूठे दोस्तों ने उस पर बेबुनियाद इलज़ाम लगाए। अय्यूब पूरी तरह टूट गया और उसे लगा कि परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है। (अय्यूब 10:1, 2) हालाँकि शैतान आज खुद ऐसी समस्याएँ शायद पैदा न करे, मगर बहुत-से मसीहियों पर ये तकलीफें आती हैं और शैतान इन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
9 अंत के इस समय में, हमारी आध्यात्मिकता के लिए खतरे बहुत बढ़ गए हैं। हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहाँ लोग आध्यात्मिक लक्ष्यों के बजाय धन-दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भाग रहे हैं। मीडिया हमेशा यही दिखाता है कि नाजायज़ संबंधों से खुशी मिलती है, मगर इसकी वजह से कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं यह नहीं बताया जाता। और ज़्यादातर लोग “परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले” हो गए हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5) अगर हम “विश्वास के लिए यत्नपूर्वक संघर्ष” न करें, तो ऐसी सोच से हम आध्यात्मिक मायने में लड़खड़ाकर गिर सकते हैं।—यहूदा 3, NHT.
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इंसाइट-2 पेज 279
प्यार की दावतें
बाइबल में यह नहीं बताया गया है कि प्यार की दावतें कैसी होती थीं और ये कितनी बार रखी जाती थीं। (यहू 12, फु.) प्रभु यीशु मसीह या उसके प्रेषितों ने इन्हें रखने की आज्ञा नहीं दी थी और ऐसा लगता है कि इन्हें रखना ज़रूरी नहीं था न ही ये हमेशा के लिए रखी जानी थीं। कुछ लोगों का मानना है कि ऐसी दावतें अमीर भाई-बहन रखते थे और इनमें गरीब मसीहियों को बुलाया जाता था। अनाथ, विधवा, अमीर-गरीब सब खाने का मज़ा उठाते थे और उनके बीच प्यार और एकता साफ नज़र आती थी।
इंसाइट-2 पेज 816
चट्टान
यूनानी शब्द स्पीलास का मतलब पानी के नीचे छिपे पत्थर या चट्टान हो सकते हैं। यहूदा ने यह शब्द उन आदमियों के लिए इस्तेमाल किया, जिनके इरादे गलत थे और जो मसीही मंडलियों में दबे पाँव घुस आए थे। जैसे पानी के नीचे छिपे चट्टान जहाज़ों के लिए एक बड़ा खतरा होते थे, वैसे ही ये आदमी मंडली के भाई-बहनों के लिए खतरा थे। यहूदा ने ऐसे आदमियों के बारे में कहा, “वे तुम्हारे साथ दावतों में खाते-पीते हैं मगर पानी में छिपी चट्टानों जैसे हैं।”—यहू 12.
“उसने परमेश्वर को खुश किया”
हनोक ने क्या भविष्यवाणी की थी? उसने कहा, “देखो! यहोवा अपने लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आया है ताकि उन सबको सज़ा दे और उन सब भक्तिहीन लोगों को उन भक्तिहीन कामों के लिए दोषी ठहराए जो उन्होंने परमेश्वर के खिलाफ जाकर किए थे और उन सभी घिनौनी बातों के लिए जो उन पापियों ने उसके खिलाफ कही थीं, उन्हें सज़ा दे।” (यहूदा 14, 15) जिस तरह हनोक ने यह बात कही, उससे लगता है मानो यहोवा ने वह काम शुरू कर दिया है जिसकी भविष्यवाणी की जा रही है। वह इसलिए कि जो बात कही जा रही है उसका पूरा होना इतना पक्का है कि उसे ऐसे बताया गया है मानो वह पूरी होने लगी है।—यशायाह 46:10.
“उसने परमेश्वर को खुश किया”
हनोक को परमेश्वर पर जो विश्वास था, उससे हम क्या सीख सकते हैं? हम खुद से पूछ सकते हैं कि क्या हम भी इस दुनिया को उसी नज़र से देखते हैं, जैसे परमेश्वर देखता है। हनोक ने जिस न्याय का ऐलान किया था, वैसा ही न्याय आज भी होनेवाला है। हनोक ने हिम्मत से लोगों को बताया था कि परमेश्वर उस वक्त की दुष्ट दुनिया का नाश करेगा और ठीक वही हुआ। यहोवा ने नूह के समय में जलप्रलय लाकर भक्तिहीन लोगों को नाश किया। यह नाश आगे होनेवाले उससे भी बड़े विनाश का एक नमूना था। (मत्ती 24:38, 39; 2 पतरस 2:4-6) बीते ज़माने की तरह हमारे समय में भी यहोवा अपने लाखों पवित्र स्वर्गदूतों के साथ भक्तिहीन लोगों का नाश करेगा। हममें से हरेक को हनोक की चेतावनी पर ध्यान देना चाहिए और लोगों को इस बारे में बताना चाहिए। हो सकता है हमारे परिवार के सदस्यों और दोस्तों की सोच हमारी तरह न हो। शायद हमें कई बार लगे कि हम अकेले हैं। ऐसे में हम याद रख सकते हैं कि यहोवा ने हनोक का साथ कभी नहीं छोड़ा और न ही वह आज अपने वफादार सेवकों का साथ छोड़ेगा!
18-24 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 1-3
‘मैं तेरे काम जानता हूँ’
आप कैसा रवैया दिखाते हैं?
8 इस तरह के रवैए से बचने के लिए हमें याद रखना चाहिए कि बाइबल में यीशु को अपने “दाएँ हाथ में सात तारे” लिए बताया गया है। ये “तारे” अभिषिक्त प्राचीनों को दर्शाते हैं। लेकिन यह बात मंडलियों के सभी प्राचीनों पर भी लागू की जा सकती है। यीशु अपने हाथ के ‘तारों’ को ऐसा कुछ भी करने का निर्देश दे सकता है, जो उसे सही लगता है। (प्रका. 1:16, 20) इसका मतलब मसीही मंडली का मुखिया होने के नाते यीशु जानता है कि प्राचीन क्या कर रहे हैं। उसकी “आँखें आग की ज्वाला जैसी” हैं और वह सबकुछ देख रहा है। इसलिए अगर किसी प्राचीन को सुधारे जाने की ज़रूरत है, तो यीशु इस बात का ध्यान रखेगा कि उसे सही वक्त पर, सही तरीके से सुधारा जाए। (प्रका. 1:14) लेकिन तब तक हमें उनको आदर देते रहना चाहिए, जिन्हें पवित्र शक्ति के ज़रिए नियुक्त किया गया है। क्योंकि पौलुस ने कहा, “तुम्हारे बीच जो अगुवाई करते हैं उनकी आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो, क्योंकि वे यह जानते हुए तुम्हारी निगरानी करते हैं कि उन्हें इसका हिसाब देना होगा, ताकि वे यह काम खुशी से करें न कि आहें भरते हुए, क्योंकि ऐसे में तुम्हारा ही नुकसान होगा।”—इब्रा. 13:17.
यहोवा, उद्धार के लिए हमारी हिफाज़त करता है
11 प्रकाशितवाक्य अध्याय 2 और 3 में बताए दर्शन में महिमा पाया यीशु मसीह, एशिया माइनर की सात मंडलियों का मुआयना करता है। इस दर्शन में यीशु ने मंडलियों का ऊपरी तौर पर जायज़ा नहीं लिया। इसके बजाय, उसने साफ-साफ बताया कि मंडलियों में क्या हो रहा है, यहाँ तक कि उसने कुछ लोगों के नाम का भी ज़िक्र किया। उसने मंडलियों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक शाबाशी दी और सलाह भी। हमारे लिए इस दर्शन के क्या मायने हैं? इस दर्शन में बतायी सात मंडलियाँ, 1914 के बाद के अभिषिक्त मसीहियों को दर्शाती है। हालाँकि मसीह यीशु की दी सलाह खासकर अभिषिक्त मसीहियों के लिए थी, लेकिन आज दुनिया-भर में सारी मसीही मंडलियों के लिए यह फायदेमंद है। इसलिए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि आज यहोवा अपने बेटे के ज़रिए अपने लोगों की अगुवाई कर रहा है और उन्हें मार्गदर्शन दे रहा है। हम इस मार्गदर्शन से कैसे फायदा उठा सकते हैं?
यहोवा के संगठन के साथ कदम-से-कदम मिलाते हुए चलिए
20 यहोवा के आगे बढ़ते संगठन के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलने के लिए हमें यह कबूल करना ज़रूरी है कि परमेश्वर ने यीशु मसीह को “कलीसिया का सिर” नियुक्त किया है। (इफिसियों 5:22, 23) यशायाह 55:4 की बात भी गौर करनेलायक है। वहाँ हमसे कहा गया है: “सुनो, मैं [यहोवा] ने उसको राज्य राज्य के लोगों के लिये साक्षी और प्रधान और आज्ञा देनेवाला ठहराया है।” बेशक यीशु अच्छी तरह जानता है कि अगुवाई कैसे लेनी चाहिए। वह जानता है कि उसकी भेड़ें कौन हैं और वे क्या कर रही हैं। जब उसने एशिया माइनर की सात कलीसियाओं का मुआयना किया था, तब उसने पाँच बार यह बात दोहराई थी: ‘मैं तेरे कामों को जानता हूँ।’ (प्रकाशितवाक्य 2:2, 19; 3:1, 8, 15) अपने पिता यहोवा की तरह, यीशु यह भी जानता है कि हमारी ज़रूरतें क्या हैं। आदर्श प्रार्थना सिखाने से पहले यीशु ने कहा था: “तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यकता है।”—मत्ती 6:8-13.
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परमेश्वर का राज अपने दुश्मनों को मिटा देगा
10 फैसला सुनाया जाएगा: तब परमेश्वर के राज के सभी दुश्मनों को मजबूरन एक ऐसी घटना देखनी पड़ेगी जिससे उनकी पीड़ा और बढ़ जाएगी। यीशु ने कहा था, “वे इंसान के बेटे को पूरी शक्ति और महिमा के साथ बादलों में आता देखेंगे।” (मर. 13:26) यीशु की शक्ति का यह अनोखा नज़ारा इस बात की निशानी होगा कि यीशु फैसला सुनाने आ गया है। यीशु ने आखिरी दिनों की उसी भविष्यवाणी में बताया था कि जब वह फैसला सुनाएगा तो उस वक्त क्या-क्या होगा। हम इस बारे में भेड़ों और बकरियों की मिसाल में पढ़ सकते हैं। (मत्ती 25:31-33, 46 पढ़िए।) परमेश्वर के राज का साथ देनेवाले वफादार लोगों के बारे में यह फैसला किया जाएगा कि वे ‘भेड़ें’ हैं। वे “सिर उठाकर सीधे खड़े” होंगे क्योंकि वे समझ जाएँगे कि उनके “छुटकारे का वक्त पास आ” गया है। (लूका 21:28) मगर राज का विरोध करनेवालों के बारे में यह फैसला किया जाएगा कि वे ‘बकरियाँ’ हैं। वे ‘दुख के मारे छाती पीटेंगे’ क्योंकि वे समझ जाएँगे कि वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।”—मत्ती 24:30; प्रका. 1:7.
प्र09 1/15 पेज 31 पै 1, अँग्रेज़ी
प्रकाशितवाक्य की किताब की झलकियाँ—I
2:7—‘परमेश्वर का फिरदौस’ क्या है? ये शब्द अभिषिक्त मसीहियों से कही गयी थीं, इसलिए यह फिरदौस स्वर्ग ही हो सकता है, जहाँ खुद परमेश्वर की मौजूदगी है। वहाँ वफादार अभिषिक्त मसीही “जीवन के पेड़” से खा सकेंगे यानी उन्हें अमर जीवन का इनाम मिलेगा।—1 कुरिं. 15:53.
25 नवंबर–1 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 4-6
“चार घुड़सवारों की दौड़”
चार घुड़सवार—ये कौन हैं?
सफेद घोड़े का सवार कौन है? उसकी पहचान प्रकाशितवाक्य किताब में ही दी गयी है। इस किताब में स्वर्ग में घुड़सवारी करनेवाले इस सवार को “परमेश्वर का वचन” कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 19:11-13) ‘वचन’ की उपाधि यीशु मसीह को दी गयी है, क्योंकि वही परमेश्वर की तरफ से बोलता है। (यूहन्ना 1:1, 14) इसके अलावा उसे “विश्वासयोग्य और सच्चा” और “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” भी कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 19:16) इससे पता चलता है कि वह एक योद्धा और राजा है और वह अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल नहीं करता, वह भ्रष्ट नहीं है। फिर भी कुछ सवाल खड़े होते हैं।
जन17 अंक3 पेज 4 पै 5
चार घुड़सवार—ये कौन हैं?
इन घुड़सवारों की सवारी या दौड़ कब शुरू हुई? गौर कीजिए कि पहले घुड़सवार यीशु ने अपनी दौड़ तब शुरू की, जब उसे स्वर्ग में ताज दिया गया यानी वह राजा बना। (प्रकाशितवाक्य 6:2) लेकिन वह राजा उस वक्त नहीं बना, जब वह धरती से स्वर्ग लौटा था। बाइबल बताती है कि तब तो उसके इंतज़ार का समय शुरू हुआ था। (इब्रानियों 10:12, 13) यीशु के इंतज़ार का समय कब खत्म होगा और वह कब स्वर्ग में राज करना शुरू करेगा, इसे समझने के लिए उसने अपने शिष्यों को एक निशानी दी थी। उसने कहा कि उस वक्त दुनिया के हालात बहुत बुरे हो जाएँगे। जगह-जगह युद्ध होंगे, खाने की कमी होगी और महामारियाँ होंगी। (मत्ती 24:3, 7; लूका 21:10, 11) सन् 1914 में पहला विश्व युद्ध शुरू होते ही पता चल गया कि इंसान उस युग में कदम रख चुका है, जब धरती पर मुश्किलों का दौर शुरू होगा। इसे बाइबल ‘आखिरी दिन’ कहती है।—2 तीमुथियुस 3:1-5.
चार घुड़सवार—ये कौन हैं?
यह घुड़सवार युद्ध को दर्शाता है। ध्यान दीजिए कि वह सिर्फ कुछ देशों की शांति नहीं, बल्कि पूरी धरती की शांति उठा लेता है। सन् 1914 में इतिहास में पहली बार विश्व के करीब-करीब हर देश ने युद्ध में भाग लिया। फिर दूसरा विश्व युद्ध हुआ, जिसमें पहले से भी ज़्यादा तबाही हुई। कुछ आँकड़े बताते हैं कि 1914 से अलग-अलग देशों के बीच या एक ही देश में हुए युद्धों में 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों की जान चली गयी। साथ ही अनगिनत लोग बुरी तरह घायल हुए।
जन17 अंक3 पेज 5 पै 4-5
चार घुड़सवार—ये कौन हैं?
“देखो मैंने क्या देखा! एक काला घोड़ा और उसके सवार के हाथ में एक तराज़ू था। और उन चार जीवित प्राणियों के बीच से मुझे कुछ ऐसा सुनायी पड़ा जो आवाज़ जैसा लग रहा था, ‘एक किलो गेहूँ एक दीनार में और तीन किलो जौ एक दीनार में। और जैतून के तेल और दाख-मदिरा को बरबाद मत करना।’”—प्रकाशितवाक्य 6:5, 6.
यह घुड़सवार अकाल को दर्शाता है। इस दृश्य से पता चलता है कि खाने की बहुत कमी होगी। एक दीनार में बस एक किलो गेहूँ मिलेगा या तीन किलो जौ, जो गेहूँ से कम दर्जे का अनाज माना जाता है। पहली सदी में एक दिनार पूरे दिन की मज़दूरी होती थी। (मत्ती 20:2) सोचिए इस महँगाई में एक बड़े परिवार का पेट पालना कितना मुश्किल होगा! लोगों से यह भी कहा जाता है कि वे जैतून का तेल और दाख-मदिरा को बरबाद न करें यानी हर रोज़ इस्तेमाल की जानेवाली खाने-पीने की चीज़ों में भी कटौती करें।
जन17 अंक3 पेज 5 पै 8-10
चार घुड़सवार—ये कौन हैं?
चौथा घुड़सवार महामारी और दूसरे कारणों से होनेवाली मौत को दर्शाता है। सन् 1914 के कुछ ही समय बाद स्पैनिश फ्लू से करोड़ों लोगों की मौत हो गयी। करीब 50 करोड़ लोग यानी उस समय दुनिया की करीब 33 प्रतिशत आबादी इस बीमारी की चपेट में आ गयी थी।
लेकिन स्पैनिश फ्लू तो बस बीमारियों की शुरूआत थी। जानकारों ने अनुमान लगाया है कि बीसवीं सदी के दौरान 30 करोड़ से ज़्यादा लोगों की चेचक से मौत हो गयी। आज चिकित्सा क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है, फिर भी एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से लाखों लोगों की वक्त से पहले ही मौत हो जाती है।
चाहे युद्ध हो, अकाल या महामारी, सब मौत का कहर ढाती हैं। मरे हुओं को कब्र निगलती जा रही है। उससे किसी को कोई आशा नहीं है।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
रेवलेशन पेज 76-77 पै 8
स्वर्ग में यहोवा की राजगद्दी की शान
8 यूहन्ना जानता था कि प्राचीन समय में पवित्र डेरे में सेवा करने के लिए याजक नियुक्त किए जाते थे। इसलिए आगे उसने जो लिखा उससे पता चलता है कि उसने जो देखा था उससे वह बहुत हैरान हुआ। उसने लिखा, “उस राजगद्दी के चारों तरफ 24 राजगद्दियाँ थीं और उन राजगद्दियों पर मैंने 24 प्राचीन बैठे देखे, जो सफेद पोशाक पहने हुए थे और उनके सिर पर सोने के ताज थे।” (प्रकाशितवाक्य 4:4) जी हाँ, यूहन्ना ने देखा कि याजकों के बदले 24 प्राचीन, राजाओं की तरह ताज पहने अपनी-अपनी राजगद्दी पर बैठे हैं। ये प्राचीन कौन हैं? ये मसीही मंडली के अभिषिक्त जन हैं, जिन्हें दोबारा ज़िंदा किया गया है और जो स्वर्ग में राज कर रहे हैं ठीक जैसे यहोवा ने वादा किया था। हम यह कैसे जानते हैं?
रेवलेशन पेज 80 पै 19
स्वर्ग में यहोवा की राजगद्दी की शान
19 ये जीवित प्राणी किसे दर्शाते हैं? जवाब के लिए एक और भविष्यवक्ता यहेजकेल के दर्शन पर ध्यान दीजिए। यहेजकेल ने देखा कि यहोवा स्वर्ग में एक रथ पर सवार है और उसके साथ जीवित प्राणी भी थे जो यूहन्ना के दर्शन में बताए प्राणी के जैसे थे। (यहेजकेल 1:5-11, 22-28) बाद में, यहेजकेल ने एक बार फिर उसी रथ को देखा और उस रथ के साथ जीवित प्राणी भी थे। लेकिन इस बार उसने बताया कि ये जीवित प्राणी करूब हैं। (यहेजकेल 10:9-15) यूहन्ना ने जो चार जीवित प्राणी देखे वे ज़रूर यहोवा के करूबों को दर्शाते हैं और स्वर्ग में उनका ऊँचा दर्जा है। यूहन्ना इस बात से हैरान नहीं था कि ये करूब यहोवा के इतने नज़दीक खड़े हैं क्योंकि प्राचीन समय में पवित्र डेरे में संदूक के ढकने पर सोने के दो करूब होते थे, जो यहोवा की राजगद्दी को दर्शाते हैं। इन्हीं दो करूबों के बीच से यहोवा की आवाज़ सुनायी देती थी और वह इसराएलियों को आज्ञाएँ देता था।—निर्गमन 25:22; भजन 80:1.
“देख! यह यहूदा के गोत्र का . . . शेर है”
5 शेर को अकसर साहस का प्रतीक माना जाता है। क्या आपका कभी किसी शेर से आमना-सामना हुआ है? अगर हुआ भी होगा तो शायद चिड़ियाघर में, जहाँ वह पिंजरे में बंद होता है। फिर भी, जब आपने इस विशाल और ताकतवर जानवर को देखा और उसने भी आपको घूरकर देखा, तो ज़रूर आपके रोंगटे खड़े हो गए होंगे। आप सोच भी नहीं सकते कि इस जानवर को किसी बात का डर हो सकता है। बाइबल बताती है कि “सिंह . . . सब पशुओं में पराक्रमी है, और किसी के डर से नहीं हटता।” (नीतिवचन 30:30) मसीह में ऐसा ही साहस और हिम्मत है।
6 आइए अब हम चर्चा करें कि कैसे यीशु ने इन तीन तरीकों में शेर जैसा साहस दिखाया: सच्चाई की पैरवी करने, न्याय का साथ देने और विरोध का सामना करने में। हम यह भी देखेंगे कि हम यीशु की तरह हिम्मत कैसे दिखा सकते हैं, फिर चाहे हम स्वभाव से साहसी हों या न हों।