अध्ययन लेख 8
जलन पर काबू पाइए, शांति बनाए रखिए
“आओ हम उन बातों में लगे रहें जिनसे शांति कायम होती है और एक-दूसरे का हौसला मज़बूत होता है।”—रोमि. 14:19.
गीत 113 शांति, हमारी अमानत!
लेख की एक झलकa
1. जलन की वजह से यूसुफ के परिवार में क्या हुआ?
याकूब अपने सभी बेटों से प्यार करता था, मगर उसे यूसुफ से खास लगाव था जो 17 साल का था। यूसुफ के भाई इस बात से जलते थे कि उनका पिता उनसे ज़्यादा यूसुफ से प्यार करता है। यह जलन इतनी बढ़ गयी कि वे यूसुफ से नफरत करने लगे, जबकि यूसुफ ने उनका कुछ बुरा नहीं किया था। उसके भाइयों ने उसे गुलामी करने के लिए बेच दिया और अपने पिता से झूठ बोला कि एक जंगली जानवर ने उसके सबसे प्यारे बेटे को मार डाला। यूसुफ के भाइयों की जलन की वजह से उनके परिवार की शांति भंग हो गयी और उनके पिता को गहरा दुख पहुँचा।—उत्प. 37:3, 4, 27-34.
2. गलातियों 5:19-21 के मुताबिक जलन से क्या नुकसान हो सकता है?
2 बाइबल कहती है कि जलन या ईर्ष्याb ‘शरीर के कामों’ में से एक है जो एक इंसान को नाश की तरफ ले जा सकते हैं। (गलातियों 5:19-21 पढ़िए।) जलन रखनेवाला इंसान परमेश्वर के राज में दाखिल नहीं हो पाएगा। दूसरों से जलने से हममें और भी कई बुराइयाँ पैदा हो सकती हैं। जैसे दुश्मनी, तकरार और गुस्सा।
3. इस लेख में हम किस बारे में बात करेंगे?
3 यूसुफ के भाइयों का किस्सा दिखाता है कि जलन होने से आपसी रिश्ते बिगड़ सकते हैं और परिवार में शांति नहीं रहेगी। हम शायद ऐसा काम कभी न करें जो यूसुफ के भाइयों ने किया था। लेकिन हम सब पापी इंसान हैं और हमारा दिल धोखेबाज़ है। (यिर्म. 17:9) इसलिए हम भी कभी-कभी दूसरों से जल सकते हैं। तो आइए हम बाइबल में बताए कुछ लोगों के बारे में बात करें जिन्होंने बुरी मिसाल कायम की है। इससे हम जान पाएँगे कि हमारे अंदर जलन क्यों पैदा हो सकती है। इसके बाद हम देखेंगे कि जलन को मन से निकालने और शांति बनाए रखने के लिए हम क्या-क्या कर सकते हैं।
जलन के कारण
4. पलिश्ती लोग इसहाक से क्यों जलने लगे?
4 धन-दौलत। इसहाक एक अमीर आदमी था। मगर उसे फलता-फूलता देखकर पलिश्ती लोग उससे जलने लगे। (उत्प. 26:12-14) इसलिए उन्होंने इसहाक के कुँए मिट्टी से भर दिए जो उसने अपने जानवरों को पानी देने के लिए खुदवाए थे। (उत्प. 26:15, 16, 27) पलिश्तियों की तरह आज भी कुछ लोग ऐसे लोगों से जलते हैं जो उनसे ज़्यादा अमीर हैं। वे चाहते हैं कि उनके पास भी दूसरों के जितनी दौलत हो और यह भी कोशिश करते हैं कि दूसरों की दौलत उनसे छिन जाए।
5. धर्म-गुरु यीशु से क्यों जलते थे?
5 तारीफ। यहूदी धर्म-गुरु यीशु से जलते थे क्योंकि ज़्यादातर लोग यीशु को बहुत पसंद करते थे। (मत्ती 7:28, 29) यीशु को परमेश्वर ने भेजा था और वह लोगों को सच्चाई सिखाता था। फिर भी धर्म-गुरुओं ने यीशु के बारे में बुरी-बुरी बातें फैला दीं और उसे बदनाम करने की कोशिश की। (मर. 15:10; यूह. 11:47, 48; 12:12, 13, 19) क्या उन धर्म-गुरुओं के जैसा रवैया हममें भी पैदा हो सकता है? जब हम देखते हैं कि मंडली के कुछ भाई-बहनों के अच्छे गुणों की वजह से सब उन्हें पसंद करते हैं, तो हमें उनसे जलन हो सकती है। मगर हमें इस बुरी भावना को मन से निकाल देना चाहिए और उन भाई-बहनों के जैसे अच्छे गुण बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।—1 कुरिं. 11:1; 3 यूह. 11.
6. दियुत्रिफेस ने जलन की वजह से क्या किया?
6 मंडली में ज़िम्मेदारियाँ। पहली सदी की एक मंडली में दियुत्रिफेस उन भाइयों से जलता था जिन्हें अगुवाई करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी। वह मंडली के लोगों में “सबसे बड़ा बनना चाहता” था। इसलिए उसने प्रेषित यूहन्ना के बारे में और ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले दूसरे भाइयों के बारे में बुरी बातें फैला दीं ताकि दूसरों की नज़र में उनकी इज़्ज़त घट जाए। (3 यूह. 9, 10) हम शायद दियुत्रिफेस के जितनी बड़ी गलती न करें। लेकिन जब किसी भाई या बहन को मंडली में कोई ज़िम्मेदारी या खास काम सौंपा जाए, तो हमें उससे जलन हो सकती है। हमें शायद लगे कि हम भी उस भाई या बहन जितने काबिल हैं, इसलिए वह ज़िम्मेदारी हमें मिलनी चाहिए।
हमारा दिल मिट्टी जैसा है और हमारे अच्छे गुण सुंदर फूलों जैसे हैं। लेकिन जलन एक ज़हरीला पौधा है। जलन हमारे अंदर प्यार, करुणा और कृपा जैसे गुणों को बढ़ने से रोक सकती है (पैराग्राफ 7 देखें)
7. जलन होने से क्या हो सकता है?
7 जलन एक ज़हरीले पौधे जैसी होती है। एक बार अगर इसका बीज हमारे दिल में जड़ पकड़ ले, तो इसे उखाड़ना बहुत मुश्किल होगा। अगर हमारे अंदर पहले से घमंड और स्वार्थ जैसे बुरे गुण हों, तो जलन और भी बढ़ सकती है। जलन हमारे अंदर प्यार, करुणा और कृपा जैसे अच्छे गुणों को बढ़ने से रोक सकती है। इसलिए जैसे ही हमें एहसास हो कि हममें जलन पैदा हो रही है, हमें उसे जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए। हम यह कैसे कर सकते हैं?
नम्रता और संतोष की भावना बढ़ाइए
हम जलन को कैसे निकाल फेंक सकते हैं? पवित्र शक्ति की मदद से हम उसे जड़ से उखाड़ सकते हैं और उसकी जगह नम्रता और संतुष्टि के बीज बो सकते हैं (पैराग्राफ 8-9 देखें)
8. कौन-से गुण होने से हम जलन को मन से निकाल पाएँगे?
8 नम्रता और संतोष की भावना बढ़ाने से हम मन से जलन को निकाल फेंक सकेंगे। अगर हमारा दिल अच्छे गुणों से भरा हो, तो उसमें जलन के लिए कोई जगह नहीं होगी। नम्र होने से हम खुद को बहुत बड़ा नहीं समझेंगे। एक नम्र इंसान कभी यह नहीं सोचेगा कि दूसरों को जो मिला है, उससे ज़्यादा उसे मिलना चाहिए। (गला. 6:3, 4) एक संतुष्ट इंसान उसके पास जो है उससे खुश रहता है और कभी दूसरों से खुद की तुलना नहीं करता। (1 तीमु. 6:7, 8) जब एक नम्र और संतुष्ट इंसान देखता है कि दूसरों को कुछ मिल रहा है, तो वह खुश होता है, न कि जलता है।
9. गलातियों 5:16 और फिलिप्पियों 2:3, 4 के मुताबिक पवित्र शक्ति की मदद से हम क्या कर सकते हैं?
9 जलन को निकाल फेंकने और उसकी जगह नम्रता और संतोष की भावना बढ़ाने के लिए हमें पवित्र शक्ति की मदद चाहिए। (गलातियों 5:16; फिलिप्पियों 2:3, 4 पढ़िए।) यहोवा की पवित्र शक्ति खुद को जाँचने में हमारी मदद कर सकती है कि हमारे दिल के इरादे क्या हैं और हम मन में कैसी बातें सोचते हैं। परमेश्वर की मदद से हम मन से बुरे विचारों और बुरी भावनाओं को निकाल सकते हैं और उनकी जगह अच्छी भावनाएँ पैदा कर सकते हैं। (भज. 26:2; 51:10) आइए मूसा और पौलुस के उदाहरण पर ध्यान दें जिन्होंने अपने दिल में जलन को पनपने नहीं दिया।
एक जवान इसराएली भागकर मूसा और यहोशू के पास आता है और उन्हें बताता है कि छावनी में दो आदमी भविष्यवक्ताओं जैसा व्यवहार कर रहे हैं। यहोशू मूसा से कहता है कि वह उन दोनों आदमियों को रोके। मगर मूसा ऐसा नहीं करता। इसके बजाय, वह यहोशू से कहता है कि वह बहुत खुश है कि यहोवा ने उन दोनों आदमियों को भी अपनी पवित्र शक्ति दी है। (पैराग्राफ 10 पढ़ें)
10. मूसा क्यों दूसरों से जल सकता था? (बाहर दी तसवीर देखें।)
10 मूसा को परमेश्वर के लोगों पर काफी अधिकार सौंपा गया था। मगर उसने कभी यह नहीं सोचा कि उसके जैसा अधिकार किसी और को नहीं मिलना चाहिए। एक घटना पर गौर कीजिए। एक बार यहोवा ने मूसा के पास से थोड़ी पवित्र शक्ति लेकर कुछ इसराएली मुखियाओं को दी जो भेंट के तंबू के पास खड़े थे। कुछ समय बाद मूसा को पता चला कि ऐसे दो और मुखियाओं को भी पवित्र शक्ति मिली है जो तंबू के पास नहीं आए थे और वे भी भविष्यवक्ताओं जैसा व्यवहार कर रहे हैं। तब यहोशू ने मूसा से कहा कि वह उन दोनों को रोक दे। मगर मूसा ने क्या किया? वह यह देखकर नहीं जला कि यहोवा ने दोनों आदमियों को भी एक खास ज़िम्मेदारी दी है। इसके बजाय, वह खुश हुआ कि उन्हें भी यह आशीष मिली है क्योंकि वह एक नम्र इंसान था। (गिन. 11:24-29) मूसा से हम कौन-सी अच्छी बात सीखते हैं?
मसीही प्राचीन कैसे मूसा की तरह नम्र हो सकते हैं? (पैराग्राफ 11-12 देखें)c
11. प्राचीन, मूसा की तरह कैसे बन सकते हैं?
11 मान लीजिए आप एक प्राचीन हैं। आपसे कहा जाता है कि आप एक भाई को मंडली का कोई ऐसा काम करना सिखाएँ जो फिलहाल आप कर रहे हैं। आपको शायद वह काम बहुत पसंद हो। जैसे प्रहरीदुर्ग अध्ययन चलाना। मूसा की तरह नम्र होने से आप यह नहीं सोचेंगे कि आपकी ज़िम्मेदारी दूसरे भाई को मिल जाए तो मंडली में आपकी अहमियत घट जाएगी। इसके बजाय, आप खुशी-खुशी अपने भाई की मदद करेंगे।
12. आज कई भाई-बहन कैसे नम्र और संतुष्ट रहकर सेवा कर रहे हैं?
12 एक और हालात पर गौर कीजिए। कुछ भाई बरसों से प्राचीनों के निकाय के संयोजक रहे थे, मगर जब वे 80 के हो गए, तो उनकी ज़िम्मेदारी दूसरों को दे दी गयी। इन बुज़ुर्ग भाइयों ने इस बदलाव को खुशी-खुशी स्वीकार किया। जो सर्किट निगरान 70 के हो गए, उन्हें भी जब कोई और काम सौंपा गया, तो उन्होंने नम्रता से उसे स्वीकार किया। इतना ही नहीं, बीते कुछ सालों में बेथेल में सेवा करनेवाले कई भाई-बहनों को कुछ और ज़िम्मेदारियाँ देकर बेथेल से भेजा गया। ये वफादार भाई-बहन उन लोगों से नहीं जलते जिन्हें बेथेल में उनकी जगह चुना गया है।
13. पौलुस को क्यों 12 प्रेषितों से जलन हो सकती थी?
13 प्रेषित पौलुस ने भी नम्र और संतुष्ट रहकर सेवा करने में अच्छी मिसाल रखी। उसने अपने दिल में जलन को पनपने नहीं दिया। उसने प्रचार काम में बहुत मेहनत की थी, फिर भी उसने नम्रता से कहा, “मैं प्रेषितों में सबसे छोटा हूँ, यहाँ तक कि प्रेषित कहलाने के भी लायक नहीं हूँ।” (1 कुरिं. 15:9, 10) यीशु के 12 प्रेषितों ने उसके साथ मिलकर सेवा की थी, मगर पौलुस को यह मौका नहीं मिला था क्योंकि यीशु की मौत और उसके दोबारा ज़िंदा होने के बाद ही वह मसीही बना था। और बाद में पौलुस को भले ही “गैर-यहूदी राष्ट्रों के लिए प्रेषित” चुना गया, फिर भी उसे 12 प्रेषितों में से एक होने का खास सम्मान नहीं मिला। (रोमि. 11:13; प्रेषि. 1:21-26) मगर इस वजह से पौलुस उन 12 आदमियों से नहीं जला, न ही वह इस वजह से जला कि उन्हें यीशु को करीब से जानने का मौका मिला था। पौलुस को जो भी आशीषें मिली थीं, उनसे वह खुश था।
14. संतुष्ट और नम्र होने से हम क्या करेंगे?
14 पौलुस की तरह संतुष्ट और नम्र होने से हम उन भाइयों का आदर करेंगे जिन्हें यहोवा ने अधिकार सौंपा है। (प्रेषि. 21:20-26) यहोवा ने मंडली को चलाने के लिए प्राचीनों को ठहराया है। हालाँकि उनमें भी कमियाँ होती हैं, फिर भी यहोवा की नज़र में वे “आदमियों के रूप में तोहफे” हैं। (इफि. 4:8, 11) इन भाइयों का आदर करने और नम्रता से उनके निर्देशों को मानने से हम यहोवा के करीब रहेंगे और भाई-बहनों के साथ शांति से रह पाएँगे।
“उन बातों में लगे रहें जिनसे शांति कायम होती है”
15. हमें किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
15 अगर हम दूसरों से जलेंगे, तो उनके और हमारे बीच शांति नहीं होगी। हमें अपने दिल से जलन को उखाड़ फेंकना चाहिए और दूसरों में जलन के बीज नहीं बोने चाहिए यानी ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे दूसरे हमसे जलें। यह बहुत ज़रूरी है। तभी हम यहोवा की इस आज्ञा को मान सकेंगे: ‘उन बातों में लगे रहो जिनसे शांति कायम होती है और एक-दूसरे का हौसला मज़बूत होता है।’ (रोमि. 14:19) अपने दिल से जलन को निकाल फेंकने और शांति बनाए रखने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
16. हम किस बात का ध्यान रख सकते हैं ताकि दूसरे हमसे न जलें?
16 हमारे रवैए और व्यवहार से दूसरों में जलन पैदा हो सकती है। दुनिया चाहती है कि हम दूसरों के सामने “अपनी चीज़ों का दिखावा” करें। (1 यूह. 2:16) लेकिन इस तरह का रवैया होने से हम दूसरों में जलन पैदा कर रहे होंगे। अगर हम हर वक्त दूसरों से इस बारे में बात करें कि हमारे पास कितना कुछ है या हम क्या-क्या खरीदने की सोच रहे हैं, तो वे हमसे जल सकते हैं। अगर हमें मंडली में कुछ ज़िम्मेदारियाँ मिली हैं और हम बार-बार दूसरों का ध्यान उनकी तरफ खींचे, तो उनमें जलन पैदा हो सकती है। वहीं अगर हम दूसरों में सच्ची दिलचस्पी लें और वे जो अच्छे काम करते हैं, उनकी तारीफ करें तो उनके पास जो है उससे वे संतुष्ट रहेंगे। इससे मंडली की एकता मज़बूत होगी और शांति बढ़ेगी।
17. यूसुफ के भाई क्या करने में कामयाब हुए? और क्यों?
17 जलन को मन से निकाल फेंकने में हम ज़रूर कामयाब हो सकते हैं! यूसुफ के भाइयों ने ऐसा ही किया था। याद कीजिए कि जब सालों बाद मिस्र में उनकी मुलाकात यूसुफ से हुई तो क्या हुआ। यूसुफ उन्हें अपनी पहचान बताने से पहले जानना चाहता था कि वे बदले हैं या नहीं। इसलिए उसने उन्हें खाने पर बुलाया और सबसे छोटे भाई बिन्यामीन को बाकी भाइयों से ज़्यादा खाना दिया। (उत्प. 43:33, 34) मगर उस वक्त उसके भाई बिन्यामीन से नहीं जले। इसके बजाय, उनके व्यवहार से पता चला कि उन्हें अपने भाई और पिता के लिए सच्चा प्यार है। (उत्प. 44:30-34) यूसुफ के भाइयों ने अपने दिल से जलन को निकाल फेंका, इसीलिए वे अपने परिवार में दोबारा शांति कायम कर पाए। (उत्प. 45:4, 15) अगर हम भी जलन को दिल से निकाल फेंकें, तो हमारे परिवार में और मंडली में शांति बनी रहेगी।
18. याकूब 3:17, 18 के मुताबिक शांति को बढ़ावा देने से क्या होगा?
18 यहोवा चाहता है कि हम जलन को दिल से निकाल फेंकें और शांति को बढ़ावा दें। इसके लिए हमें बहुत संघर्ष करना होगा। जैसे हमने इस लेख में देखा, दूसरों से जलने की कमज़ोरी हममें होती है। (याकू. 4:5) और हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जो हमें दूसरों से जलने के लिए उकसाती है। लेकिन अगर हम नम्र और संतुष्ट रहना सीखेंगे और दूसरों की तारीफ करेंगे, तो अपने दिल में जलन को पनपने नहीं देंगे। इसके बजाय, हम शांति को बढ़ावा देंगे और अपने अंदर कई और अच्छे गुण बढ़ा पाएँगे।—याकूब 3:17, 18 पढ़िए।
गीत 130 माफ करना सीखें
a यहोवा का संगठन शांति से काम करनेवाला संगठन है। लेकिन यह शांति भंग न हो, इसके लिए हमें ध्यान रखना है कि हम अपने दिल में जलन को बढ़ने न दें। इस लेख में हम देखेंगे कि कौन-सी बातें जलन पैदा करती हैं। हम यह भी देखेंगे कि हम कैसे जलन पर काबू पा सकते हैं और शांति बनाए रख सकते हैं।
b इसका क्या मतलब है: इस लेख में ऐसे जलन या ईर्ष्या की बात की गयी है जो एक इंसान में नफरत पैदा कर सकती है। बाइबल के मुताबिक इस तरह की जलन होने से एक इंसान दूसरों के पास जो है उसे पाना चाहेगा और यह भी कोशिश करेगा कि वह सब उनसे छिन जाए।
c तसवीर के बारे में: प्राचीनों की बैठक में एक बुज़ुर्ग प्राचीन से कहा जा रहा है कि वह एक जवान प्राचीन को प्रहरीदुर्ग अध्ययन चलाना सिखाए। अब तक वह बुज़ुर्ग भाई उस अध्ययन को चलाता था और उसे वह काम बहुत पसंद है। फिर भी वह खुशी से प्राचीनों का फैसला मानता है और जवान भाई को अच्छे सुझाव देता है और दिल से उसकी तारीफ करता है।