अध्ययन लेख 14
गीत 8 यहोवा हमारा गढ़ है
“चुन लो कि तुम किसकी सेवा करोगे”
“मैंने और मेरे घराने ने ठान लिया है कि हम यहोवा की सेवा करेंगे।”—यहो. 24:15.
क्या सीखेंगे?
हम उन बातों पर ध्यान देंगे जिनकी वजह से हमने यहोवा की सेवा करने का फैसला किया है।
1. अगर हम सच में खुश रहना चाहते हैं, तो हमें क्या करना होगा और क्यों? (यशायाह 48:17, 18)
स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमसे बहुत प्यार करता है। वह चाहता है कि हम अपनी ज़िंदगी में खुश रहें, आज भी और भविष्य में भी। (सभो. 3:12, 13) उसने हमें गज़ब की काबिलीयतें दी हैं। लेकिन उसने हमें इस तरह नहीं बनाया है कि हम एक-दूसरे पर राज करें या तय करें कि हमारे लिए क्या सही है और क्या गलत। (सभो. 8:9; यिर्म. 10:23) यहोवा जानता है कि अगर हम उसके स्तरों के हिसाब से जीएँगे और उसकी सेवा करेंगे, तभी हम सच में खुश रह सकेंगे।—यशायाह 48:17, 18 पढ़िए।
2. शैतान ने क्या दावा किया और यहोवा ने उसे झूठा साबित करने के लिए क्या किया?
2 शैतान ने दावा किया है कि हम इंसान यहोवा के बिना खुश रह सकते हैं और एक-दूसरे पर अच्छी तरह राज कर सकते हैं। (उत्प. 3:4, 5) उसके इस दावे को झूठा साबित करने के लिए यहोवा ने कुछ समय के लिए इंसानों को धरती पर राज करने दिया है। और आज हम देख सकते हैं कि इसके कितने बुरे अंजाम हुए हैं। लेकिन बाइबल में ऐसे कई आदमियों और औरतों की मिसाल दी है जिन्होंने यहोवा की सेवा करने का फैसला किया और वे अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश थे। उनमें सबसे बढ़िया मिसाल यीशु मसीह की है। आइए जानें कि यीशु ने यहोवा की सेवा करने का फैसला क्यों किया। फिर हम जानेंगे कि यहोवा हमारी उपासना पाने का हकदार क्यों है। और आखिर में हम देखेंगे कि हमने किन वजहों से यहोवा की सेवा करने का फैसला किया है।
यीशु ने यहोवा की सेवा करने का फैसला क्यों किया?
3. शैतान ने यीशु से क्या कहा, लेकिन यीशु ने क्या करने का फैसला किया?
3 जब यीशु धरती पर था, तो उसे फैसला करना था कि वह किसकी सेवा करेगा। जैसे उसके बपतिस्मे के कुछ ही समय बाद शैतान ने उसे दुनिया के सारे राज्य दिखाए और उससे कहा कि अगर वह बस एक बार उसकी उपासना करे, तो वह बदले में यह सबकुछ उसे दे देगा। तब यीशु ने उससे कहा, “दूर हो जा शैतान! क्योंकि लिखा है, ‘तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर और उसी की पवित्र सेवा कर।’” (मत्ती 4:8-10) यीशु ने यहोवा की सेवा करने का फैसला क्यों किया? आइए कुछ वजहों पर ध्यान दें।
4-5. यीशु ने किन वजहों से यहोवा की सेवा करने का फैसला किया?
4 यहोवा की सेवा करने की सबसे पहली और बड़ी वजह यह थी कि यीशु यहोवा से बेइंतिहा प्यार करता था और उससे गहरा लगाव रखता था। (यूह. 14:31) इसके अलावा उसने इसलिए भी यहोवा की सेवा की क्योंकि सिर्फ यहोवा को ही उपासना पाने का हकदार है। (यूह. 8:28, 29; प्रका. 4:11) उसी ने सबको जीवन दिया है और वह एक भरोसेमंद और दरियादिल परमेश्वर है। (भज. 33:4; 36:9; याकू. 1:17) यही नहीं, यहोवा ने हमेशा यीशु से सच्ची बातें कहीं। और यीशु जानता था कि उसके पास जो कुछ है, वह उसी का दिया हुआ है। (यूह. 1:14) यीशु शैतान को भी अच्छी तरह जानता था। उसे मालूम था कि उसी की वजह से मौत आयी। वह झूठा और लालची है और सिर्फ अपने फायदे की सोचता है। (यूह. 8:44) इसलिए वह किसी भी हाल में शैतान की तरह नहीं बनना चाहता था और यहोवा के खिलाफ नहीं जाना चाहता था।—फिलि. 2:5-8.
5 यीशु ने एक और वजह से यहोवा की सेवा करने का फैसला किया था। वह जानता था कि अगर वह यहोवा का वफादार रहेगा, तो इसके कितने बढ़िया नतीजे होंगे। (इब्रा. 12:2) वह अपने पिता का नाम पवित्र कर पाएगा और शैतान की वजह से जो पाप और मौत आयी है, उससे हमें छुड़ा पाएगा।
यहोवा क्यों हमारी उपासना पाने का हकदार है?
6-7. (क) आज कई लोग यहोवा की सेवा क्यों नहीं करते? (ख) यहोवा क्यों हमारी उपासना पाने का हकदार है?
6 आज कई लोग यहोवा की सेवा नहीं करते, क्योंकि वे उसे नहीं जानते। उन्हें नहीं पता कि यहोवा कितना अच्छा परमेश्वर है और उसमें कितनी खूबियाँ हैं। वे इस बात से भी अनजान हैं कि यहोवा ने उनकी खातिर कितना कुछ किया है। ये लोग वैसे ही हैं जैसे एथेन्स के लोग थे जिन्हें पौलुस ने प्रचार किया था।—प्रेषि. 17:19, 20, 30, 34.
7 पौलुस ने एथेन्स के लोगों से कहा कि सच्चा परमेश्वर ‘सबको जीवन और साँसें और सबकुछ देता है। उसी से हमारी ज़िंदगी है और हम चलते-फिरते हैं और वजूद में हैं।’ उसने बताया कि परमेश्वर हमारा सृष्टिकर्ता है, “उसने एक ही इंसान से सारे राष्ट्र बनाए।” इसलिए उपासना पाने का हक सिर्फ उसी को है।—प्रेषि. 17:25, 26, 28.
8. यहोवा क्या नहीं करता? समझाइए।
8 यहोवा हमारा सृष्टिकर्ता है और सारे जहान का मालिक है। वह चाहे तो हम इंसानों से ज़बरदस्ती अपनी उपासना करवा सकता है, लेकिन वह ऐसा नहीं करता और ना ही कभी करेगा। इसके बजाय वह चाहता है कि हम दिल से उसकी सेवा करें। इसके लिए उसने क्या किया है? उसने इस बात के ढेरों सबूत दिए हैं कि वह सचमुच में है और हर इंसान से बहुत प्यार करता है। और वह चाहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग उसके दोस्त बनें और उसकी सेवा करें। (1 तीमु. 2:3, 4) इसलिए वह हमें ट्रेनिंग देता है ताकि हम लोगों को खुशखबरी सुनाएँ और उन्हें बताएँ कि यहोवा इंसानों के लिए आगे क्या करनेवाला है। (मत्ती 10:11-13; 28:19, 20) उसने मंडलियों का भी इंतज़ाम किया है ताकि हम मिलकर उसकी उपासना करें और उसने प्राचीनों को ठहराया है जो प्यार से हमारी देखभाल करते हैं।—प्रेषि. 20:28.
9. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा सभी इंसानों से बहुत प्यार करता है?
9 यहोवा उन लोगों से भी प्यार करता है जो नहीं मानते कि कोई ईश्वर है। ज़रा सोचिए, शुरू से लेकर अब तक ऐसे लाखों-करोड़ों लोग रहे हैं जिन्होंने अपने हिसाब से ज़िंदगी जी और खुद तय किया कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। फिर भी यहोवा ने उनका जीवन कायम रखा और उन्हें हर वह चीज़ दी जिससे वे खुश रह सकें। (मत्ती 5:44, 45; प्रेषि. 14:16, 17) यही नहीं, यहोवा की बदौलत ही वे लोग दोस्त बना सकते हैं, शादी करके बच्चे पैदा कर सकते हैं और अपने काम से खुशी पा सकते हैं। (भज. 127:3; सभो. 2:24) इन बातों से पता चलता है कि वह सब इंसानों से बहुत प्यार करता है। (निर्ग. 34:6) अब आइए कुछ वजहों पर ध्यान दें कि हमने क्यों यहोवा की सेवा करने का फैसला किया है और वह हमें क्या आशीषें देता है।
हमने यहोवा की सेवा करने का फैसला क्यों किया है?
10. (क) हम यहोवा की सेवा क्यों करते हैं? (मत्ती 22:37) (ख) यहोवा ने आपके साथ कैसे सब्र रखा है? (भजन 103:13, 14)
10 यीशु की तरह हम भी यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और उससे गहरा लगाव रखते हैं, इसलिए उसकी सेवा करते हैं। (मत्ती 22:37 पढ़िए।) हमने सीखा है कि यहोवा कितना अच्छा परमेश्वर है और उसमें बहुत-सी खूबियाँ हैं, इसलिए हम उसकी तरफ खिंचे चले आते हैं। जैसे, वह इंसानों के साथ बहुत सब्र रखता है। जब इसराएलियों ने बार-बार उसकी आज्ञा तोड़ी तो यहोवा ने उनसे गुज़ारिश की, “मेहरबानी करके अपने बुरे रास्ते से पलटकर लौट आओ।” (यिर्म. 18:11) यहोवा उनके साथ सब्र से पेश आया। वह याद रखता है कि हम बस मिट्टी ही हैं और कई बार हमसे गलतियाँ हो जाती हैं। (भजन 103:13, 14 पढ़िए।) जब आप यहोवा के सब्र और उसकी दूसरी खूबियों के बारे में सोचते हैं, तो क्या आपका मन नहीं करता कि आप हमेशा उसकी सेवा करें?
11. हमने और किन वजहों से यहोवा की सेवा करने का फैसला किया है?
11 हम इसलिए भी यहोवा की सेवा करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि सिर्फ वही उपासना पाने का हकदार है। (मत्ती 4:10) इसके अलावा हम जानते हैं कि अगर हम यहोवा के वफादार रहें, तो इसके कितने बढ़िया नतीजे होंगे। हम परमेश्वर का नाम पवित्र कर पाएँगे, शैतान को झूठा साबित कर पाएँगे और अपने पिता का दिल खुश कर पाएँगे। यही नहीं, अगर आज हम यहोवा की सेवा करने का फैसला करें, तो हम हमेशा-हमेशा तक उसकी सेवा कर पाएँगे।—यूह. 17:3.
12-13. हम जेन और पैम के अनुभव से क्या सीख सकते हैं?
12 छोटी उम्र से ही हम यहोवा से प्यार करना सीख सकते हैं। फिर जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, यहोवा के लिए हम अपना प्यार और भी बढ़ा सकते हैं। जेन और पैम नाम की दो सगी बहनों के अनुभव पर ध्यान दीजिए।a जब जेन 11 साल की थी और पैम 10 साल की, तब उन्होंने बाइबल अध्ययन करना शुरू किया। उनके माता-पिता साक्षियों के साथ अध्ययन नहीं करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने जेन और पैम को अध्ययन करने की इजाज़त दे दी। पर उनकी एक शर्त थी, जेन और पैम को हर हफ्ते चर्च भी आना था। जेन कहती है, “साक्षियों के साथ अध्ययन करने से मुझे बहुत मदद मिली। जब स्कूल के बच्चों ने मुझे ड्रग्स लेने या अनैतिक काम करने के लिए कहा, तो मैं उन्हें साफ मना कर पायी।”
13 जब वे दोनों थोड़ी बड़ी हो गयीं, तो वे प्रचारक बन गयीं। फिर कुछ समय बाद वे पायनियर सेवा करने लगीं। और जब उनके माता-पिता बुज़ुर्ग हो गए, तो वे उनकी देखभाल भी करने लगीं। यहोवा ने उनके लिए जो कुछ किया उस बारे में जेन कहती है, “मैंने अपनी ज़िंदगी में खुद महसूस किया कि यहोवा किस तरह अपने दोस्तों का खयाल रखता है। और जैसा 2 तीमुथियुस 2:19 में लिखा है, ‘यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं।’” सच में, जो यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी सेवा करने का फैसला करते हैं, यहोवा हमेशा उनका खयाल रखता है!
14. हम अपनी बातों और कामों से यहोवा के नाम पर लगा कलंक कैसे मिटा सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)
14 हम यहोवा के नाम पर लगा कलंक मिटाना चाहते हैं, इसलिए लोगों को उसके बारे में सच्चाई बताते हैं। मान लीजिए, आपका एक जिगरी दोस्त है जो सबके साथ प्यार से पेश आता है, सबकी मदद करता है और कुछ होने पर जल्दी से माफ कर देता है। फिर एक दिन आपको पता चलता है कि किसी ने उस पर झूठा इलज़ाम लगाया है कि वह बहुत बुरा इंसान है और बेईमानी करता है। ऐसे में आप क्या करेंगे? आप सबको बताएँगे कि आपका दोस्त ऐसा नहीं है। उसी तरह शैतान और उसका साथ देनेवाले यहोवा के बारे में झूठी बातें फैलाते हैं और उसे बदनाम करते हैं। इसलिए हम लोगों को यहोवा के बारे में सच्चाई बताते हैं और उसके नाम पर लगा कलंक मिटाते हैं। (भज. 34:1; यशा. 43:10) इस तरह हम अपनी बातों और कामों से दिखाते हैं कि हम यहोवा से प्यार करते हैं और तन-मन से उसकी सेवा करना चाहते हैं।
क्या आप यहोवा के नाम पर लगा कलंक मिटाएँगे? (पैराग्राफ 14)b
15. पौलुस ने अपनी ज़िंदगी में जो बदलाव किए, उस वजह से उसे क्या आशीषें मिलीं? (फिलिप्पियों 3:7, 8)
15 हम बढ़-चढ़कर यहोवा की सेवा करना चाहते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं, इसलिए हम अपनी ज़िंदगी में बदलाव करने को तैयार रहते हैं। प्रेषित पौलुस ने ऐसा ही किया था। अपनी बिरादरी में उसका बड़ा नाम और रुतबा था। लेकिन मसीह का चेला बनने के लिए और यहोवा की सेवा करने के लिए उसने वह सब छोड़ दिया। (गला. 1:14) इस वजह से उसे ढेरों आशीषें मिलीं और स्वर्ग में यीशु के साथ राज करने का मौका भी मिला। यहोवा की सेवा करने के अपने फैसले पर उसे कभी अफसोस नहीं हुआ और हमें भी नहीं होगा।—फिलिप्पियों 3:7, 8 पढ़िए।
16. हम जूलिया के अनुभव से क्या सीख सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)
16 अगर हम यहोवा की सेवा को ज़िंदगी में पहली जगह दें, तो हमें आज भी ढेरों आशीषें मिलेंगी और भविष्य में भी। ज़रा जूलिया के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब वह छोटी थी, तो वह चर्च में गाना गाया करती थी। उसका गाना सुनकर एक ओपेरा गायक ने भाँप लिया कि वह एक अच्छी गायिका बन सकती है, इसलिए उसने उसे ट्रेनिंग दी। कुछ ही समय में जूलिया का बड़ा नाम हो गया और वह मशहूर-से-मशहूर जगहों पर जाकर गाने लगी। फिर वह एक जाने-माने संगीत कला केन्द्र में जाने लगी। वहाँ एक लड़के ने उससे परमेश्वर के बारे में बात की और उसे बताया कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। फिर क्या था! जूलिया हफ्ते में दो बार बाइबल अध्ययन करने लगी। कुछ समय बाद उसने फैसला किया कि वह संगीत का करियर छोड़ देगी और यहोवा की सेवा करेगी। यह फैसला लेना उसके लिए बिलकुल भी आसान नहीं था। वह कहती है, “कई लोगों ने मुझसे कहा कि मैं अपना हुनर बरबाद कर रही हूँ। लेकिन मैं अपनी ज़िंदगी यहोवा की सेवा में लगा देना चाहती थी।” यहोवा की सेवा करते हुए जूलिया को 30 से भी ज़्यादा साल हो चुके हैं। वह अपने इस फैसले के बारे में आज कैसा महसूस करती है? वह कहती है, “मुझे यह सोचकर बहुत सुकून मिलता है कि मैंने सही फैसला लिया। और मुझे पूरा भरोसा है कि भविष्य में यहोवा मेरे दिल की सारी मुरादें पूरी करेगा।”—भज. 145:16.
जब हम यहोवा की सेवा को ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं, तो हमारी ज़िंदगी खुशियों से भर जाती है (पैराग्राफ 16)c
यहोवा की सेवा करते रहिए
17. (क) जिन्होंने अब तक यहोवा की सेवा करने का फैसला नहीं किया है, उन्हें क्या करना चाहिए और क्यों? (ख) जो लोग यहोवा की सेवा कर रहे हैं, वे क्या याद रख सकते हैं?
17 इस दुनिया का अंत बहुत ही करीब आ गया है। प्रेषित पौलुस ने लिखा, “बस अब ‘थोड़ा ही वक्त’ बाकी रह गया है और ‘जो आनेवाला है वह आएगा और देर नहीं करेगा।’” (इब्रा. 10:37) तो फिर इंसानों को क्या करना है? जिन्होंने अब तक यहोवा की सेवा करने का फैसला नहीं किया है, उन्हें जल्द-से-जल्द तय करना है कि वे क्या करेंगे, क्योंकि वक्त बहुत कम रह गया है। (1 कुरिं. 7:29) और जो यहोवा की सेवा कर रहे हैं, वे याद रख सकते हैं कि उन्हें जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, वे बस ‘थोड़े ही वक्त’ के लिए हैं।
18. यीशु और यहोवा हमसे क्या चाहते हैं?
18 यीशु ने अपने चेलों से सिर्फ यह नहीं कहा कि मेरे पीछे आओ, बल्कि उसने कहा कि मेरे पीछे चलते रहो। (मत्ती 16:24) अगर आप सालों से यहोवा की सेवा कर रहे हैं, तो ठान लीजिए कि आप आगे भी ऐसा करते रहेंगे। यहोवा चाहता है कि आपने उसकी सेवा करने का जो फैसला किया है, आप उस पर बने रहने के लिए मेहनत करें। ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन अगर हम उसकी सेवा में लगे रहें, तो हमें आज और आनेवाले समय में ढेरों आशीषें मिलेंगी और सच्ची खुशी भी मिलेगी।—भज. 35:27.
19. हम जीन के अनुभव से क्या सीख सकते हैं?
19 कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे यहोवा की सेवा करें, तो उन्हें बहुत-से त्याग करने पड़ेंगे। अगर आप एक नौजवान हैं, तो क्या आपको भी लगता है कि यहोवा की सेवा करने से आप ज़िंदगी का मज़ा नहीं ले पाएँगे? जीन नाम का एक नौजवान भाई कहता है, “मुझे लगता था कि यहोवा का साक्षी होने की वजह से मैं कोई मज़े नहीं कर पाता। दूसरे बच्चे जब देखो पार्टियाँ करते रहते हैं, लड़कियों के साथ घूमते हैं और मार-धाड़वाले वीडियो गेम खेलते हैं। लेकिन मैं बस सभाओं और प्रचार में जाता हूँ।” इस तरह की सोच का जीन पर क्या असर हुआ? वह बताता है, “कुछ वक्त तक मैं दूसरे बच्चों की तरह मज़े करने लगा। मैं मंडली में कुछ और था और बाहर कुछ और। लेकिन मैं अंदर से खुश नहीं था। फिर मैं बाइबल की उन बातों के बारे में गहराई से सोचने लगा जिन्हें मैं नहीं मान रहा था और मैंने ठान लिया कि मैं पूरे दिल से यहोवा की सेवा करूँगा। तब से लेकर आज तक मैंने देखा है कि यहोवा ने मेरी हर प्रार्थना का जवाब दिया है।”
20. हमें क्या ठान लेना चाहिए?
20 भजन 65 के लिखनेवाले ने अपने गीत में यहोवा से कहा, “सुखी है वह जिसे तू चुनता और अपने पास लाता है कि वह तेरे आँगनों में निवास करे।” (भज. 65:4) तो आइए हम पक्का इरादा कर लें कि हम यहोवा की सेवा करते रहेंगे। और यहोशू की तरह कहें, “मैंने और मेरे घराने ने ठान लिया है कि हम यहोवा की सेवा करेंगे।”—यहो. 24:15.
गीत 28 कौन है यहोवा का दोस्त?
a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
b तसवीर के बारे में: कुछ विरोधी अधिवेशन की जगह के बाहर खड़े हमारे खिलाफ बातें कह रहे हैं। एक औरत वहाँ से गुज़रते हुए उन्हें देख रही है। फिर वह पास ही में लगे हमारे कार्ट के पास जाती है और साक्षी उसे बाइबल से सच्चाई बताते हैं।
c तसवीर के बारे में: यहाँ दिखाया गया है कि यहोवा की सेवा करने के लिए जूलिया ने अपनी ज़िंदगी में क्या बदलाव किया। तसवीर में दिखायी गयी औरत जूलिया नहीं है।