अध्ययन लेख 32
गीत 38 वह तुम्हें मज़बूत करेगा
यहोवा धीरज धरने में कैसे हमारी मदद करता है?
“परमेश्वर जो हर तरह की महा-कृपा करता है . . . तुम्हें मज़बूत करेगा, शक्तिशाली बनाएगा और मज़बूती से खड़ा करेगा।”—1 पत. 5:10.
क्या सीखेंगे?
हम जानेंगे कि यहोवा ने हमारे लिए कौन-से इंतज़ाम किए हैं ताकि हम धीरज धर सकें और हम कैसे उन इंतज़ामों से पूरा-पूरा फायदा पा सकते हैं?
1. हमें धीरज धरने की ज़रूरत क्यों है और ऐसा करने में कौन हमारी मदद कर सकता है? (1 पतरस 5:10)
इन आखिरी दिनों में यहोवा के सेवकों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कभी-कभी उनके लिए धीरज धरना आसान नहीं होता। कुछ भाई-बहन गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और कुछ अपनों को खोने का गम सह रहे हैं। कुछ भाई-बहन ऐसे भी हैं जो परिवारवालों या सरकारी अधिकारियों की तरफ से जुल्मों या विरोध का सामना कर रहे हैं। (मत्ती 10:18, 36, 37) आप चाहे जिस किसी मुश्किल का सामना कर रहे हों, आप पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपको धीरज धरने की ताकत दे सकता है।—1 पतरस 5:10 पढ़िए।
2. हम मसीही क्यों धीरज धर पाते हैं?
2 धीरज धरने का मतलब है, मुश्किलें आने पर, ज़ुल्म होने पर या पाप करने के लिए लुभाए जाने पर यहोवा के वफादार बने रहना, खुशी-खुशी उसकी सेवा करना और एक अच्छे कल की आशा रखना। लेकिन हम अपने बल पर धीरज नहीं धर सकते, सिर्फ यहोवा की मदद से ही हम ऐसा कर सकते हैं। वह हमें ऐसी “ताकत” दे सकता है “जो आम इंसानों की ताकत से कहीं बढ़कर है।” (2 कुरिं. 4:7) इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा ने ऐसे कौन से चार इंतज़ाम किए हैं जिनकी मदद से हम धीरज धर सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि हम कैसे उन इंतज़ामों से पूरा-पूरा फायदा पा सकते हैं।
प्रार्थना
3. हम क्यों कह सकते हैं कि प्रार्थना करने का इंतज़ाम किसी चमत्कार से कम नहीं?
3 हम धीरज धर सकें, इसके लिए यहोवा ने एक बहुत ही लाजवाब इंतज़ाम किया है। वह यह कि हम पापी इंसान उससे प्रार्थना में बात कर सकते हैं। (इब्रा. 4:16) ज़रा सोचिए, हम यहोवा से कभी-भी प्रार्थना कर सकते हैं और किसी भी विषय के बारे में उसे बता सकते हैं। यही नहीं, हम किसी भी भाषा में और कहीं से भी उससे प्रार्थना करें, वह हमारी सुन सकता है, फिर चाहे हम अकेले हों या जेल में कैद हों। (योना 2:1, 2; प्रेषि. 16:25, 26) जब चिंताएँ हम पर हावी हो जाती हैं और हमें समझ नहीं आता कि हम प्रार्थना में यहोवा से क्या कहें, तब भी वह हमारे दिल की बात समझ लेता है। (रोमि. 8:26, 27) सच में, यहोवा से बात करने का यह इंतज़ाम किसी चमत्कार से कम नहीं!
4. हम क्यों कह सकते हैं कि जब हम धीरज धरने के लिए यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो वो हमारी सुनता है?
4 यहोवा अपने वचन बाइबल के ज़रिए हमें यकीन दिलाता है कि “हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।” (1 यूह. 5:14) क्या हम धीरज धरने के लिए उससे मदद माँग सकते हैं? जी हाँ। ऐसा करना उसकी मरज़ी के मुताबिक है। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि जब हम मुश्किलों में धीरज धरते हैं, तो यहोवा शैतान को जवाब दे पाता है जो उस पर ताने कसता है। (नीति. 27:11) यही नहीं, बाइबल में लिखा है कि यहोवा “उन लोगों की खातिर अपनी ताकत” दिखाने के लिए बेताब है, “जिनका दिल उस पर पूरी तरह लगा रहता है।” (2 इति. 16:9) तो फिर हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा धीरज धरने में हमारी मदद करेगा, क्योंकि वह ऐसा करने की ताकत रखता है और हमारी मदद भी करना चाहता है।—यशा. 30:18; 41:10; लूका 11:13.
5. प्रार्थना करने से हमें मन की शांति कैसे मिलती है? (यशायाह 26:3)
5 जब हम प्रार्थना में अपनी चिंताएँ यहोवा को बताते हैं तब वह क्या करता है? बाइबल में बताया है, ‘तब परमेश्वर की वह शांति जो समझ से परे है, हमारे दिल की और हमारे दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करती है।’ (फिलि. 4:7) ज़रा ध्यान दीजिए कि इसका क्या मतलब है? दुनिया के लोगों पर जब मुश्किलें आती हैं, तो वे मन की शांति पाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। जैसे कुछ लोग एक खास किस्म का मनन करते हैं जिसमें वे अपने दिमाग को पूरी तरह खाली कर लेते हैं, अपनी चिंताओं पर सोचना पूरी तरह बंद कर देते हैं। लेकिन ऐसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है। (मत्ती 12:43-45 से तुलना करें।) वहीं दूसरी तरफ यहोवा हमें सच्ची शांति देता है, वह शांति जो दुनियावी तरीके से मनन करने से नहीं मिल सकती। जब हम यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम पूरी तरह उस पर निर्भर हैं और वह हमें ‘हर पल शांति’ देता है। (यशायाह 26:3 पढ़िए।) इसके लिए कई बार यहोवा हमें ऐसी सच्चाइयाँ याद दिलाता है जो हमने उसके वचन से सीखी थीं। इन सच्चाइयाँ से हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हमारी मदद करना चाहता है। तब हमारा दिल और दिमाग एकदम शांत हो जाता है।—भज. 62:1, 2.
6. आप प्रार्थना के इंतज़ाम से कैसे पूरा फायदा पा सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)
6 आप क्या कर सकते हैं? जब आप किसी मुश्किल का सामना करते हैं, तो यहोवा को बताइए कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। ‘अपना सारा बोझ उस पर डाल दीजिए’ और प्रार्थना में उसकी शांति माँगिए। (भज. 55:22) यही नहीं, अपनी मुश्किल का सामना करने के लिए उससे बुद्धि भी माँगिए। (नीति. 2:10, 11) मिन्नतें करने के साथ-साथ उसे धन्यवाद देना मत भूलिए। (फिलि. 4:6) सोचिए कि धीरज धरने में यहोवा हर दिन किस तरह आपकी मदद कर रहा है और उस बात के लिए उसका धन्यवाद कीजिए। यह सच है कि आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, पर अपनी मुश्किलों में इतना मत उलझ जाइए कि आप उन आशीषों को देख ही ना पाएँ, जो आपको मिल रही हैं।—भज. 16:5, 6.
प्रार्थना में आप यहोवा से बात करते हैं और बाइबल पढ़ते वक्त यहोवा आपसे बात करता है (पैराग्राफ 6)b
परमेश्वर का वचन
7. बाइबल पढ़ने से हम कैसे धीरज धर पाते हैं?
7 धीरज धरने के लिए यहोवा ने हमें अपना वचन भी दिया है। बाइबल में ऐसी बहुत-सी आयतें हैं जिन्हें पढ़कर हमें यकीन मिलता है कि यहोवा हमेशा हमारे साथ है। इसकी एक मिसाल पर ध्यान दीजिए। मत्ती 6:8 में लिखा है, “तुम्हारा पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है कि तुम्हें किन चीज़ों की ज़रूरत है।” यह बात यीशु ने कही थी और यहोवा को उससे बेहतर कौन जानता है। इसलिए हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि जब हम मुश्किलों में होते हैं, तो यहोवा हमारी ज़रूरतें जानता है और वह हमारी मदद ज़रूर करेगा। बाइबल में ऐसी और भी आयतें हैं जिनसे हमें मुश्किलों में धीरज धरने की ताकत मिल सकती है।—भज. 94:19.
8. (क) उदाहरण देकर समझाइए कि बाइबल की सलाह कैसे धीरज धरने में हमारी मदद कर सकती है। (ख) बाइबल के सिद्धांत हमें तुरंत याद आ सकें, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं?
8 बाइबल में ऐसे बढ़िया सिद्धांत या सलाह दी गयी है जिससे हम मुश्किलों में धीरज धर सकते हैं। इन्हें मानकर हम बुद्धिमानी से काम ले सकते हैं और सही फैसले कर सकते हैं। (नीति. 2:6, 7) जैसे, बाइबल में हमें बढ़ावा दिया गया है कि हम बेवजह यह चिंता ना करें कि कल क्या होगा। इसके बजाय आज के बारे में ही सोचें। (मत्ती 6:34) अगर हम रोज़ बाइबल पढ़ें और उस पर मनन करें, तो जब हम मुश्किलों में होंगे या हमें कोई फैसला लेना होगा, तो हम बाइबल की सलाह को तुरंत याद कर पाएँगे।
9. बाइबल में दी जीवन कहानियाँ पढ़कर कैसे हमारा भरोसा बढ़ता है कि यहोवा हमारी मदद करेगा?
9 बाइबल में ऐसे लोगों की जीवन कहानियाँ भी हैं जिन्होंने यहोवा पर भरोसा रखा और यहोवा ने उनकी मदद की। (इब्रा. 11:32-34; याकू. 5:17) जब हम इन किस्सों को पढ़ते हैं, तो हमारा भरोसा बढ़ता है कि “परमेश्वर हमारी पनाह और ताकत है, बुरे वक्त में आसानी से मिलनेवाली मदद है।” (भज. 46:1) जब हम मनन करते हैं कि यहोवा के उन सेवकों ने किस तरह अपना विश्वास बनाए रखा और मुश्किलों में भी उसकी सेवा करते रहे, तो हमें भी ऐसा करने का बढ़ावा मिलता है।—याकू. 5:10, 11.
10. आप परमेश्वर के वचन से पूरा फायदा कैसे पा सकते हैं?
10 आप क्या कर सकते हैं? रोज़ बाइबल पढ़िए और उन आयतों को लिखकर रखिए जिनसे आपको मदद मिली है। कई भाई-बहनों ने पाया है कि हर दिन सुबह रोज़ाना वचन पढ़ना बहुत फायदेमंद होता है। इससे वे पूरा दिन उस बारे में सोच पाते हैं। मरियाa के उदाहरण पर गौर कीजिए। जब उसे पता चला कि उसके मम्मी-पापा को कैंसर है, तो किस बात से उसे मदद मिली? उनकी मौत से पहले जब वह उनकी देखभाल कर रही थी, तो उन दिनों के बारे में वह बताती है, “मैं हर दिन सुबह रोज़ाना बाइबल वचन पढ़ती थी और उस पर मनन करती थी। ऐसा करने से मैं अपनी परेशानियों और तकलीफों के बारे में सोचते रहने के बजाय यहोवा पर और बाइबल में लिखी बढ़िया बातों पर ध्यान लगा पायी।”—भज. 61:2.
मसीही भाई-बहन
11. यह जानकर हमें क्यों दिलासा मिलता है कि हमारे भाई-बहन हमारे जैसी तकलीफें झेल रहे हैं?
11 यहोवा ने हमें मसीही भाई-बहन दिए हैं, जिनकी मदद से हम धीरज धर पाते हैं। यह जानकर हमें दिलासा मिलता है कि ‘दुनिया-भर में फैली हमारे भाइयों की पूरी बिरादरी ऐसी ही दुख-तकलीफें झेल रही है’ जैसी हम झेलते हैं। (1 पत. 5:9) इसलिए हम पर चाहे कैसी भी मुश्किल आए, हम उसे सह सकते हैं। हम याद रख सकते हैं कि हमारे भाई-बहन भी मुश्किलों में धीरज धर रहे हैं और हम भी ऐसा कर सकते हैं।—प्रेषि. 14:22.
12. हमारे भाई-बहन कैसे हमारी मदद करते हैं और हम उनके लिए क्या कर सकते हैं? (2 कुरिंथियों 1:3, 4)
12 मुश्किलों के दौरान हमारे भाई-बहन हमारा हौसला बढ़ा सकते हैं। ध्यान दीजिए कि प्रेषित पौलुस के साथ क्या हुआ था। जब वह एक घर में कैद था, तो कुछ भाइयों ने उसे दिलासा दिया, उसकी हिम्मत बँधायी और उसकी ज़रूरतें पूरी कीं। पौलुस उन भाइयों का बहुत एहसानमंद था और उसने अपनी चिट्ठियों में उनका नाम लेकर उनका धन्यवाद भी किया। (फिलि. 2:25, 29, 30; कुलु. 4:10, 11) आज हम भी जब मुश्किलों से गुज़रते हैं, तो हमारे भाई-बहन हमें दिलासा देते हैं और हमारी मदद करते हैं। और जब वे मुश्किल में होते हैं, तो हम भी उनका पूरा-पूरा साथ दे सकते हैं।—2 कुरिंथियों 1:3, 4 पढ़िए।
13. बहन माया को धीरज धरने में किस बात से मदद मिली?
13 रूस में रहनेवाली हमारी बहन माया को भाई-बहनों से बहुत हौसला मिला है। 2020 की बात है। एक दिन अचानक पुलिसवाले उसके घर में घुस आए और घर की तलाशी लेने लगे। फिर बाद में बहन पर मुकदमा भी चलाया गया। क्यों? क्योंकि वह अपने विश्वास के बारे में दूसरों को बताती थी। बहन कहती है, “उस दौरान में पूरी तरह पस्त हो चुकी थी। पर भाई-बहनों ने मुझे चिट्ठी लिखी, फोन किया और मैसेज भेजे और बताया कि वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं जानती तो थी कि सच्चाई में हमारा एक बड़ा परिवार है जो हमसे बहुत प्यार करता है। लेकिन 2020 में जाकर मैंने महसूस किया कि हमारी यह बिरादरी कितनी अनोखी है।”
14. अगर हम चाहते हैं कि भाई-बहन मुश्किलों में हमारी मदद करें, तो हमें क्या करना होगा? (तसवीर भी देखें।)
14 आप क्या कर सकते हैं? मुश्किलों के दौरान भाई-बहनों के करीब बने रहिए। प्राचीनों से मदद लेने से मत हिचकिचाइए। हमारे प्राचीन ‘आँधी से छिपने की जगह हैं, तेज़ बारिश में मिलनेवाली पनाह हैं।’ (यशा. 32:2) याद रखिए कि हमारे भाई-बहन भी हमारी तरह मुश्किलें झेल रहे हैं। इसलिए अगर आप किसी ज़रूरतमंद भाई-बहन की मदद करेंगे, तो इससे आपको खुशी मिलेगी और आप खुद भी अपनी मुश्किलें झेल पाएँगे।—प्रेषि. 20:35.
मसीही भाई-बहनों के करीब बने रहिए (पैराग्राफ 14)c
भविष्य के लिए आशा
15. भविष्य के लिए एक आशा होने से यीशु क्या कर पाया और एक आशा होने से हम क्या कर पाते हैं? (इब्रानियों 12:2)
15 यहोवा ने हमें भविष्य के लिए एक पक्की आशा दी है जिस वजह से हम धीरज धर पाते हैं। (रोमि. 15:13) ज़रा याद कीजिए कि अपनी मौत के दिन यीशु ने कितनी तकलीफें झेलीं। लेकिन उसके पास एक आशा थी जिस वजह से वह उन तकलीफों को सह पाया। (इब्रानियों 12:2 पढ़िए।) वह जानता था कि अगर वह वफादार रहेगा, तो उसके पिता यहोवा का नाम पवित्र होगा और उस पर लगे इलज़ाम झूठे साबित होंगे। उसे आशा थी कि वह दोबारा अपने पिता के पास स्वर्ग जाएगा और वक्त आने पर अपने भाइयों के साथ मिलकर राज करेगा। उसी तरह हमारे पास भी आशा है कि हम नयी दुनिया में हमेशा-हमेशा के लिए जीएँगे। अपनी इस आशा के बारे में सोचने से हम शैतान की इस दुनिया में आनेवाली किसी भी मुश्किल को सह पाते हैं।
16. भविष्य के लिए आशा होने की वजह से एक बहन कैसे धीरज धर पायी और उसकी बातों से हम क्या सीख सकते हैं?
16 ज़रा ध्यान दीजिए कि नयी दुनिया की आशा से रूस में रहनेवाली बहन आला को कैसे मदद मिली। बहन के पति को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके मुकदमे की सुनवाई तक उन्हें हिरासत में रखा गया। जब यह सब चल रहा था, तो बहन ने कहा, “मैं भविष्य की अपनी आशा के बारे में प्रार्थना करती रही और उस पर मनन करती रही। इस वजह से मैं ज़्यादा निराश नहीं हुई। मैं जानती थी कि मेरी मुश्किलें हमेशा नहीं रहेंगी। आखिर में जीत यहोवा की ही होगी और वह अपने सेवकों को इनाम देगा।”
17. हम कैसे दिखा सकते हैं कि यहोवा ने हमें जो आशा दी है, हम उसकी बहुत कदर करते हैं? (तसवीर भी देखें)
17 आप क्या कर सकते हैं? परमेश्वर ने जिस शानदार भविष्य का वादा किया है, उस बारे में सोचिए। सोचिए कि आप नयी दुनिया में अपने दोस्तों और परिवारवालों के साथ हैं और हर कोई वहाँ बहुत खुश है। जब आप इस तरह सोचेंगे, तो आपको एहसास होगा कि आपकी तकलीफें “पल-भर के लिए और हलकी हैं।” (2 कुरिं. 4:17) इसके अलावा, आप दूसरों को भी परमेश्वर के वादों के बारे में बता सकते हैं। सोचिए कि शैतान की इस दुनिया में लोग कितनी मुश्किलें झेल रहे हैं और वे इस बात से भी अनजान हैं कि परमेश्वर ने उनके लिए कितना अच्छा भविष्य सोच रखा है। तो क्यों ना लोगों को अपनी आशा के बारे में कुछ बताएँ? क्या पता वे और भी जानना चाहें!
वक्त निकालकर सोचिए कि यहोवा ने हमारे लिए क्या ही शानदार भविष्य सोच रखा है (पैराग्राफ 17)d
18. हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने वादे ज़रूर पूरे करेगा?
18 अय्यूब ने कई तकलीफें झेली थीं, पर फिर भी वह यहोवा का वफादार बना रहा। उसने यहोवा से कहा, “अब मैं जान गया हूँ कि तू सबकुछ कर सकता है, ऐसा कोई काम नहीं जो तूने सोचा हो और उसे पूरा न कर सके।” (अय्यू. 42:2) अय्यूब समझ गया था कि कोई भी बात यहोवा को अपना मकसद पूरा करने से नहीं रोक सकती। इस बात को याद रखने से हमें भी मुश्किलें सहने की हिम्मत मिल सकती है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक औरत है जो बहुत बीमार है। उसने कई डॉक्टरों से इलाज करवाया है, लेकिन उसकी बीमारी ठीक नहीं हुई और इस वजह से वह बहुत निराश है। फिर उसे एक बहुत ही अच्छा डॉक्टर मिलता है जिसे कई सालों का अनुभव है। वह तुरंत भाँप लेता है कि बीमारी की क्या वजह है और उस औरत को समझाता है कि वह उसका इलाज कैसे करेगा। यह सुनकर वह राहत की साँस लेती है और उसमें हिम्मत आ जाती है। भले ही उसकी बीमारी को ठीक होने में अभी-भी कुछ वक्त लगेगा, लेकिन उसे उम्मीद है कि एक दिन वह ज़रूर ठीक हो जाएगी। इसलिए अब वह अपनी तकलीफ आसानी से सह सकती है। उसी तरह हमें आशा है कि यहोवा फिरदौस लाने का अपना वादा ज़रूर पूरा करेगा, इसलिए आज हम अपनी तकलीफें सह पाते हैं।
19. धीरज धरने के लिए हमें क्या करना होगा?
19 इस लेख में हमने चार इंतज़ामों पर गौर किया जिनकी मदद से हम मुश्किलें सह सकते हैं। यहोवा के किए ये इंतज़ाम हैं: प्रार्थना, उसका वचन बाइबल, मसीही भाई-बहन और भविष्य के लिए एक बढ़िया आशा। अगर हम इन इंतज़ामों का पूरा फायदा उठाएँ, तो हमें हिम्मत मिलेगी और हम शैतान की दुनिया का अंत होने तक हर मुश्किल का सामना कर पाएँगे।—फिलि. 4:13.
गीत 33 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे!
a इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
b तसवीर के बारे में: अलग-अलग मौसम आए और चले गए, लेकिन यहाँ दिखाया गया बुज़ुर्ग भाई धीरज धरे हुए है और वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहा है।
c तसवीर के बारे में: अलग-अलग मौसम आए और चले गए, लेकिन यहाँ दिखाया गया बुज़ुर्ग भाई धीरज धरे हुए है और वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहा है।
d तसवीर के बारे में: अलग-अलग मौसम आए और चले गए, लेकिन यहाँ दिखाया गया बुज़ुर्ग भाई धीरज धरे हुए है और वफादारी से यहोवा की सेवा कर रहा है।