जॉर्जिया
सच्चा मसीही प्यार कभी नहीं मिटता
ईगोर: हम दोनों आबखाज़ीया के कसबे तक्वारखेली में रहनेवाले साक्षियों के एक समूह से थे। जो मंडली हमारे समूह की निगरानी करती थी वह हमारे यहाँ से करीब 85 किलोमीटर दूर ज्वारी में थी। मैं महीने में एक बार हमारे समूह के लिए बाइबल के प्रकाशन लाने ज्वारी जाता था। आबखाज़ीया प्रांत की अपनी सरकार थी, इसलिए सोवियत संघ के बिखरने के फौरन बाद 1992 में आबखाज़ीया प्रांत ने अपना एक अलग देश बनाने की कोशिश की। अलगाववादियों और जॉर्जिया की सेना के बीच युद्ध छिड़ गया जिससे लोगों को कई तकलीफें झेलनी पड़ीं।
गीज़ो नारमानिया और ईगोर ओचीगावा
इन दोनों भाइयों ने आबखाज़ीया में युद्ध के दौरान साथ मिलकर अपने मसीही भाई-बहनों की बहुत मदद की।
गीज़ो: मेरा बपतिस्मा 21 साल की उम्र में हुआ था। उसके बस एक साल बाद युद्ध छिड़ गया। तब हमारे भाई कुछ वक्त के लिए डर गए और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि प्रचार कैसे करें। मगर ईगोर ने, जो हमेशा से अच्छा चरवाहा था, हमारा हौसला बढ़ाते हुए कहा, “यही वक्त है जब लोगों को दिलासे की ज़रूरत है। हमें प्रचार करते रहना है तभी यहोवा के साथ हमारा रिश्ता मज़बूत बना रहेगा।” इसलिए हम एहतियात बरतते हुए हर दिन अपने पड़ोसियों को परमेश्वर का संदेश सुनाकर दिलासा देते रहे।
ईगोर: पहले हम जिस रास्ते से ज्वारी से प्रकाशन लाया करते थे, अब युद्ध की वजह से उस रास्ते से आना-जाना मुश्किल था। मैं उसी इलाके में पला-बढ़ा था, इसलिए मैंने चाय के बागानों और पहाड़ों से आने-जाने का एक सुरक्षित रास्ता ढूँढ़ निकाला। फिर भी रास्ते में हथियारबंद आदमियों से सामना होने या बारूदी सुरंग पर पैर रखने का खतरा था। मैं भाइयों की जान जोखिम में नहीं डालना चाहता था, इसलिए मैं अकेला ही महीने में एक बार चला जाता था। यहोवा की मदद से मैं हमेशा किसी तरह समय पर प्रकाशन ले आता था जिस वजह से हम सब सच्चाई में मज़बूत बने रहे।
हमारे कसबे तक्वारखेली में कोई लड़ाई नहीं हो रही थी, फिर भी कुछ समय बाद वहाँ नाकाबंदी हो गयी। इसलिए हमें भी वही मुश्किलें सहनी पड़ीं जो दूसरे इलाकों के लोग युद्ध की वजह से सह रहे थे। सर्दियाँ शुरू होनेवाली थीं और खाने की चीज़ें खत्म हो रही थीं, इसलिए हम सब चिंता में पड़ गए कि आगे गुज़ारा कैसे होगा। मगर जब हमें पता चला कि ज्वारी के भाइयों ने हम तक राहत की चीज़ें पहुँचाने का इंतज़ाम किया है तो हम बहुत खुश हुए!
गीज़ो: एक दिन ईगोर ने मेरे परिवार से पूछा कि क्या हम अपना घर दे सकते हैं ताकि वहाँ भाइयों का भेजा हुआ खाने का सामान रखा जाए और वहीं से बाँटा जाए। ईगोर, ज्वारी से चीज़ें लाने की सोच रहा था। हमें उसकी जान की चिंता होने लगी क्योंकि उसे कई सारी चौकियों से गुज़रना पड़ता और रास्ते में शायद हथियारबंद आदमियों और चोरों का सामना करना पड़ता।—यूह. 15:13.
कुछ दिन बाद ईगो सही सलामत लौट आया और अपने साथ गाड़ी में खाने की इतनी सारी चीज़ें ले आया कि हमें सर्दियों में कोई कमी नहीं होती। हम सब बहुत खुश हुए! उस मुश्किल दौर में हमने खुद अनुभव किया कि सच्चा मसीही प्यार कभी नहीं मिटता।—1 कुरिं. 13:8.