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शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की (1-11)
यीशु ने गलील में प्रचार शुरू किया (12-17)
शुरूआती चेले बुलाए गए (18-22)
यीशु ने प्रचार किया, सिखाया, बीमारों को ठीक किया (23-25)
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पहाड़ी उपदेश (1-34)
नेकी का ढोंग मत करो (1-4)
कैसे प्रार्थना करें (5-15)
उपवास (16-18)
पृथ्वी और स्वर्ग में धन (19-24)
चिंता करना छोड़ दो (25-34)
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कोढ़ी को ठीक किया (1-4)
सेना-अफसर का विश्वास (5-13)
यीशु कफरनहूम में कई लोगों को ठीक करता है (14-17)
यीशु के पीछे चलने के लिए क्या करना होगा (18-22)
यीशु आँधी को शांत करता है (23-27)
वह दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों में भेजता है (28-34)
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यीशु, लकवे के मारे हुए को ठीक करता है (1-8)
मत्ती को बुलाता है (9-13)
उपवास के बारे में सवाल (14-17)
याइर की बेटी; एक औरत यीशु का कपड़ा छूती है (18-26)
यीशु दो अंधों को और गूँगे आदमी को ठीक करता है (27-34)
फसल बहुत पर मज़दूर थोड़े (35-38)
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12 प्रेषित (1-4)
प्रचार की हिदायतें (5-15)
चेले सताए जाएँगे (16-25)
परमेश्वर से डरो, इंसान से नहीं (26-31)
शांति लाने नहीं, तलवार चलाने (32-39)
यीशु के चेलों को स्वीकार करना (40-42)
11
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की तारीफ (1-15)
उस पीढ़ी को धिक्कारा गया जिसने पश्चाताप नहीं किया (16-24)
पिता की तारीफ की जिसने नम्र लोगों पर कृपा की (25-27)
यीशु का जुआ ताज़गी देता है (28-30)
12
यीशु “सब्त के दिन का प्रभु” (1-8)
सूखे हाथवाले आदमी को ठीक किया (9-14)
परमेश्वर का प्यारा सेवक (15-21)
दुष्ट स्वर्गदूत, पवित्र शक्ति की मदद से निकाले गए (22-30)
ऐसा पाप जिसकी कोई माफी नहीं (31, 32)
पेड़ अपने फलों से पहचाना जाता है (33-37)
योना का चिन्ह (38-42)
जब दुष्ट स्वर्गदूत लौटता है (43-45)
यीशु की माँ और उसके भाई (46-50)
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यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर काट दिया गया (1-12)
यीशु ने 5,000 को खिलाया (13-21)
यीशु पानी पर चलता है (22-33)
गन्नेसरत में चंगा करता है (34-36)
15
इंसानी परंपराओं का परदाफाश किया (1-9)
दिल से निकलनेवाली बातें ही दूषित करती हैं (10-20)
फीनीके की औरत का विश्वास बहुत बड़ा था (21-28)
यीशु कई बीमारियाँ ठीक करता है (29-31)
यीशु 4,000 को खिलाता है (32-39)
16
चिन्ह दिखाने के लिए कहा (1-4)
फरीसियों और सदूकियों का खमीर (5-12)
राज की चाबियाँ (13-20)
यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (21-23)
सच्चा चेला कौन है (24-28)
17
यीशु का रूप बदला (1-13)
राई के दाने के बराबर विश्वास (14-21)
यीशु फिर से अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (22, 23)
मछली के मुँह से मिले सिक्के से कर अदा किया (24-27)
18
राज में कौन सबसे बड़ा (1-6)
विश्वास की राह में बाधाएँ डालना (7-11)
खोयी हुई भेड़ की मिसाल (12-14)
भाई को पा लेना (15-20)
माफ न करनेवाले दास की मिसाल (21-35)
19
शादी और तलाक (1-9)
अविवाहित रहने का तोहफा (10-12)
यीशु बच्चों को आशीष देता है (13-15)
एक अमीर नौजवान का सवाल (16-24)
राज के लिए त्याग (25-30)
20
अंगूरों के बाग के मज़दूर; बराबर मज़दूरी (1-16)
यीशु फिर से अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (17-19)
राज में खास पदवी के लिए गुज़ारिश (20-28)
दो अंधे आदमियों को ठीक करता है (29-34)
21
यीशु राजा की हैसियत से दाखिल होता है (1-11)
यीशु मंदिर को शुद्ध करता है (12-17)
अंजीर के पेड़ को शाप देता है (18-22)
यीशु के अधिकार पर सवाल उठाया गया (23-27)
दो बेटों की मिसाल (28-32)
खून करनेवाले बागबानों की मिसाल (33-46)
22
शादी की दावत की मिसाल (1-14)
परमेश्वर और सम्राट (15-22)
मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में सवाल (23-33)
दो सबसे बड़ी आज्ञाएँ (34-40)
क्या मसीह दाविद का वंशज है? (41-46)
23
शास्त्रियों और फरीसियों जैसे मत बनो (1-12)
शास्त्रियों और फरीसियों को धिक्कारा गया (13-36)
यरूशलेम के लिए यीशु का दुख (37-39)
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याजक, यीशु को मार डालने की साज़िश करते हैं (1-5)
यीशु के सिर पर तेल उँडेला गया (6-13)
आखिरी फसह और यीशु के साथ विश्वासघात (14-25)
प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत (26-30)
यीशु ने बताया, पतरस उसका इनकार करेगा (31-35)
यीशु गतसमनी में प्रार्थना करता है (36-46)
यीशु की गिरफ्तारी (47-56)
महासभा के सामने मुकदमा (57-68)
पतरस, यीशु को जानने से इनकार करता है (69-75)
27
यीशु, पीलातुस के हवाले किया गया (1, 2)
यहूदा फाँसी लगा लेता है (3-10)
यीशु, पीलातुस के सामने (11-26)
सबके सामने मज़ाक उड़ाया गया (27-31)
गुलगुता में काठ पर ठोंक दिया गया (32-44)
यीशु की मौत (45-56)
यीशु को दफनाया गया (57-61)
कब्र पर सख्त पहरा बिठाया गया (62-66)
28
यीशु को मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया (1-10)
सैनिकों को रिश्वत दी गयी (11-15)
चेले बनाने की आज्ञा (16-20)