1
2
सुलैमान के कामों पर एक नज़र (1-11)
इंसान की बुद्धि की एक सीमा है (12-16)
कड़ी मेहनत व्यर्थ होती है (17-23)
खाओ-पीओ और मेहनत करो (24-26)
3
हर चीज़ का एक समय होता है (1-8)
खुशहाल ज़िंदगी परमेश्वर की देन (9-15)
परमेश्वर सच्चाई से न्याय करता है (16, 17)
आखिर में इंसान और जानवर, दोनों मर जाते हैं (18-22)
4
ज़ुल्म मौत से बदतर है (1-3)
काम के बारे में सही नज़रिया (4-6)
दोस्त की अहमियत (7-12)
शासक की ज़िंदगी भी व्यर्थ है (13-16)
5
परमेश्वर का डर मानकर उसके पास जा (1-7)
निचले अधिकारियों पर ऊँचे अधिकारी की नज़र (8, 9)
धन-दौलत व्यर्थ है (10-20)
6
7
अच्छा नाम और मौत का दिन (1-4)
बुद्धिमान की फटकार (5-7)
शुरूआत से अंत अच्छा (8-10)
बुद्धि के फायदे (11, 12)
अच्छे और बुरे दिन (13-15)
हद-से-ज़्यादा कुछ मत कर (16-22)
उपदेशक नतीजे पर पहुँचता है (23-29)
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9
सबका एक ही अंजाम होता है (1-3)
जब तक ज़िंदगी है, उसका मज़ा लो (4-12)
मरे हुए कुछ नहीं जानते (5)
कब्र में कोई काम नहीं (10)
मुसीबत की घड़ी और हादसा (11)
हमेशा बुद्धि की कदर नहीं की जाती (13-18)
10
ज़रा-सी बेवकूफी से समझदार का नाम खराब (1)
काम न जानना खतरनाक है (2-11)
मूर्ख की दुर्दशा (12-15)
शासकों की मूर्खता (16-20)
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