मत्ती
अध्ययन नोट—अध्याय 15
हाथ . . . धोते: यहाँ धर्म गुरु साफ-सफाई को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि परंपरा मानने के खयाल से हाथ धोने की बात कर रहे थे। बाद में बैबिलोनी तलमूद (सोताह 4ख) में बताया गया कि बिना हाथ धोए खाना, वेश्या के साथ संबंध रखने जैसा है। तलमूद यह भी कहता है कि जो लोग हाथ धोने की बात को गंभीरता से नहीं लेते उन्हें “दुनिया से मिटा” दिया जाएगा।
परमेश्वर के लिए रखी गयी भेंट: शास्त्री और फरीसी सिखाते थे कि एक व्यक्ति जब पैसा, ज़मीन-जायदाद या कोई और चीज़ परमेश्वर को अर्पित कर देता है तो वह मंदिर की हो जाती है। फिर भी इस परंपरा के मुताबिक, वह उन चीज़ों को खुद के लिए इस्तेमाल कर सकता था, मगर माँ-बाप की देखभाल के लिए नहीं। इसलिए ज़ाहिर है कि कुछ लोग अपने माँ-बाप की देखभाल करने की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए अपनी संपत्ति परमेश्वर को भेंट कर देते थे।—मत 15:6.
कपटियो: मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।
मिसाल: या “नीति-कथा।”—मत 13:3 का अध्ययन नोट देखें।
व्यभिचार: यूनानी में यहाँ “व्यभिचार” शब्द का बहुवचन (मोइखीया) इस्तेमाल हुआ है। इसका अनुवाद “व्यभिचार के काम” भी किया जा सकता है।—शब्दावली देखें।
नाजायज़ यौन-संबंध: यहाँ यूनानी शब्द पोर्निया का बहुवचन इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब हो सकता है, कई बार नाजायज़ यौन-संबंध रखना।—मत 5:32 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
फीनीके की रहनेवाली: या “कनानी।” यूनानी में खनानाया। यीशु के दिनों में “फीनीके,” “कनान” के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि वहाँ पहले नूह के पोते कनान के वंशज रहते थे।—उत 9:18; 10:6.
दाविद के वंशज: मत 1:1; 15:25 के अध्ययन नोट देखें।
उसे झुककर प्रणाम करके: या “उसे दंडवत करके; उसका सम्मान करके।” जब इस गैर-यहूदी औरत ने यीशु को ‘दाविद का वंशज’ कहा (मत 15:22), तो ज़ाहिर है कि वह मान रही थी कि यीशु वादा किया हुआ मसीहा है। इसलिए उसने यीशु को परमेश्वर का प्रतिनिधि समझकर प्रणाम किया, न कि कोई ईश्वर या देवता मानकर।—मत 2:2; 8:2; 14:33; 18:26 के अध्ययन नोट देखें।
बच्चों . . . पिल्लों: मूसा के कानून के मुताबिक कुत्तों को अशुद्ध माना जाता था, इसलिए बाइबल में अकसर यह शब्द नैतिक तौर से गिरे हुए लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है। (लैव 11:27; मत 7:6; फिल 3:2, फु.; प्रक 22:15) लेकिन मरकुस (7:27) और मत्ती ने जब यीशु की यह बातचीत लिखी तो उन्होंने कुत्तों के लिए अल्पार्थक संज्ञा इस्तेमाल की जिसका मतलब है, “पिल्ला” या “घर का कुत्ता।” इस तरह तुलना करने से किसी को ठेस नहीं पहुँचती। इससे शायद यह ज़ाहिर होता है कि यीशु ने वही शब्द इस्तेमाल किया जिससे गैर-यहूदी अपने पालतू जानवरों को प्यार से बुलाते थे। यीशु इसराएलियों की तुलना “बच्चों” से और गैर-यहूदियों की तुलना “पिल्लों” से करके शायद यह बताना चाहता था कि पहले किन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जब एक घर में बच्चे और कुत्ते दोनों होते हैं तो पहले बच्चों को खाना खिलाया जाता है।
लूले-लँगड़े ठीक हो रहे हैं: कुछ हस्तलिपियों में से ये शब्द निकाल दिए गए हैं, मगर ज़्यादातर प्राचीन और बाद की हस्तलिपियों में ये शब्द पाए जाते हैं।
पर तरस आ रहा है: या “के लिए करुणा महसूस हो रही है।”—मत 9:36 का अध्ययन नोट देखें।
बड़े टोकरे: यहाँ यूनानी शब्द स्फिरिस इस्तेमाल हुआ है। यह शायद दिखाता है कि ये टोकरे उन टोकरियों से बड़े थे, जिनका इस्तेमाल उस वक्त किया गया जब यीशु ने करीब 5,000 आदमियों को खाना खिलाया था। (मत 14:20 का अध्ययन नोट देखें।) दमिश्क में जब पौलुस को एक “बड़े टोकरे” में बिठाकर शहरपनाह में बनी एक खिड़की से नीचे उतारा गया, तो उस ब्यौरे में यही यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है।—प्रेष 9:25 का अध्ययन नोट देखें।
उनके अलावा औरतें और बच्चे भी: इस चमत्कार के बारे में बताते समय सिर्फ मत्ती ने औरतों और बच्चों का ज़िक्र किया। मुमकिन है कि चमत्कार से जिन लोगों को खाना खिलाया गया उनकी गिनती 12,000 से ज़्यादा रही होगी।
मगदन: आज गलील झील के आस-पास मगदन नाम की कोई जगह नहीं है। लेकिन कुछ विद्वान मानते हैं कि मगदन का दूसरा नाम मगदला था। माना जाता है कि मगदला आज खिरबत मजदाल (मिगदल) कहलाता है। यह तिबिरियास से करीब 6 कि.मी. (3.5 मील) दूर उत्तर-पश्चिम में है। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे (मर 8:10) में इस जगह को दलमनूता कहा गया है।—अति. ख10 देखें।