लूका
अध्ययन नोट—अध्याय 7
कफरनहूम: मत 4:13 का अध्ययन नोट देखें।
सेना-अफसर: या “शतपति।” एक रोमी शतपति के अधीन करीब 100 सैनिक होते थे।
उसने यहूदियों के मुखियाओं को . . . भेजा: इससे मिलते-जुलते ब्यौरे मत 8:5 में बताया है कि “एक सेना-अफसर उसके [यीशु के] पास” आया। सिर्फ लूका के ब्यौरे में बताया है कि यीशु के पास यहूदी मुखिया आए थे। ऐसा मालूम होता है कि वे सेना-अफसर की तरफ से यीशु से बिनती करने आए थे।
कुछ ही समय बाद: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में लिखा है, “अगले दिन।” लेकिन यहाँ जो लिखा है, उसका और भी ठोस आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है।
नाईन: गलील प्रदेश का एक शहर। यह कफरनहूम से करीब 35 कि.मी. (22 मील) दूर दक्षिण-पश्चिम में था और ज़ाहिर है कि यीशु वहीं से आ रहा था। (लूक 7:1-10) मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहाँ पर नाईन का ज़िक्र आया है। माना जाता है कि आज जहाँ नेईन नाम का गाँव है वहीं नाईन शहर हुआ करता था। नेईन गाँव, मोरे पहाड़ी के उत्तर-पश्चिम में और नासरत से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर दक्षिण-पूरब में है। आज यह गाँव बहुत छोटा है, मगर आस-पास के खंडहरों से पता चलता है कि बीती सदियों में यह काफी बड़ा था। नाईन के सामने यिजरेल का मैदान था और चारों तरफ का नज़ारा बहुत खूबसूरत था। इसी बढ़िया जगह पर यीशु ने पहली बार एक मरे हुए व्यक्ति को ज़िंदा किया था। बाकी दो मरे हुओं को यीशु ने कफरनहूम और बैतनियाह में ज़िंदा किया था। (लूक 8:49-56; यूह 11:1-44) इस घटना के करीब 900 साल पहले, पास के शूनेम नगर में भविष्यवक्ता एलीशा ने एक शूनेमी औरत के बेटे को ज़िंदा किया था।—2रा 4:8-37.
शहर के फाटक: यूनानी शब्द पॉलिस (“शहर”) नाईन के लिए तीन बार इस्तेमाल हुआ है। इस शब्द का आम तौर पर मतलब होता है, किलेबंद शहर। लेकिन नाईन के चारों तरफ शहरपनाह थी या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। अगर शहरपनाह नहीं थी तो शायद “फाटक” का मतलब है, वह जगह जहाँ से रास्ता नाईन के अंदर जाता था। लेकिन कुछ पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि नाईन के चारों तरफ शहरपनाह थी। जो भी हो, यीशु और उसके चेले, लाश को ले जानेवाली भीड़ से उस फाटक पर मिले होंगे जो नाईन के पूरब में था। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि आज के नेईन गाँव के दक्षिण-पूरब में एक पहाड़ी है जहाँ कब्रें होती थीं।
अकेला: यूनानी शब्द मोनोजीनेस का अनुवाद आम तौर पर “इकलौता” किया गया है और इसका मतलब है, “उसके जैसा और कोई नहीं; एक अकेला; किसी वर्ग या जाति का एकमात्र या अकेला सदस्य; अनोखा।” यह शब्द बेटे या बेटी का माता-पिता के साथ रिश्ता समझाने के लिए इस्तेमाल होता है। इस संदर्भ में इस शब्द का मतलब है, इकलौता बच्चा। यही यूनानी शब्द याइर की “इकलौती” बेटी और उस लड़के के लिए इस्तेमाल हुआ जिसके बारे में कहा गया है कि वह अपने पिता का “एक ही” बेटा था और जिसे यीशु ने ठीक किया था। (लूक 8:41, 42; 9:38) यूनानी सेप्टुआजेंट में शब्द मोनोजीनेस यिप्तह की बेटी के लिए इस्तेमाल हुआ है, जिसके बारे में लिखा है, “वह उसकी इकलौती औलाद थी, उसके सिवा यिप्तह के न तो कोई बेटा था न बेटी।” (न्या 11:34) प्रेषित यूहन्ना की किताबों में मोनोजीनेस पाँच बार यीशु के लिए इस्तेमाल हुआ है।—यीशु के सिलसिले में इस शब्द का मतलब जानने के लिए यूह 1:14; 3:16 के अध्ययन नोट देखें।
तड़प उठा: या “करुणा महसूस की।” इन शब्दों के लिए यूनानी क्रिया स्प्लैगख्नी-ज़ोमे इस्तेमाल हुई है, जो यूनानी शब्द स्प्लैगख्ना (मतलब “अंतड़ियों”) से संबंधित है। इसका मतलब एक ऐसी भावना है जो दिल की गहराइयों से उठती है। यूनानी में यह शब्द गहरी और कोमल करुणा के लिए इस्तेमाल होता है।
अपने दो चेलों: इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 11:2, 3 में बस यह लिखा है कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने “अपने चेलों” को भेजा। मगर लूका ने यह बताया कि उसने कितने चेलों को भेजा।
कोढ़ी: मत 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
बपतिस्मा: यूनानी शब्द बापतिस्मा का मतलब है, “डुबकी।”—मत 3:11; मर 1:4 के अध्ययन नोट देखें।
न रोटी खाता, न दाख-मदिरा पीता: मत 11:18 का अध्ययन नोट देखें।
कर-वसूलनेवालों: मत 5:46 का अध्ययन नोट देखें।
अपने सारे नतीजों: शा., “अपने सारे बच्चों।” मूल यूनानी पाठ में बुद्धि को ऐसे बताया गया है मानो वह एक व्यक्ति हो और उसके बच्चे हैं। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 11:19 में बुद्धि के “कामों” का ज़िक्र किया गया है। बुद्धि के बच्चे या काम, वे सबूत हैं जो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु ने दिए थे और जिनसे उन पर लगाए गए इलज़ाम झूठे साबित हुए। एक तरह से यीशु कह रहा था, ‘मेरे नेक काम और मेरा चालचलन देखो, तो तुम जान जाओगे कि ये इलज़ाम झूठे हैं।’
फरीसी . . . यीशु उसके घर गया: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों में से सिर्फ लूका ने बताया कि यीशु को अलग-अलग फरीसियों ने खाने पर बुलाया और वह उनके घर गया। ऐसे दूसरे वाकये लूक 11:37; 14:1 में दर्ज़ हैं।
एक बदनाम औरत थी, जिसके बारे में सब जानते थे कि वह एक पापिन है: बाइबल बताती है कि सभी इंसान पापी हैं। (2इत 6:36; रोम 3:23; 5:12) इसलिए यहाँ “पापिन” शब्द का एक खास मतलब है। ज़ाहिर है कि पापिन या पापी शब्द ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो पाप करने के लिए जाने जाते थे। वे शायद नैतिक उसूल तोड़ते थे या अपराध करते थे। (लूक 19:7, 8) इस औरत से जुड़ी घटना के बारे में सिर्फ लूका ने लिखा। यह औरत शायद वेश्या थी और इसने यीशु के पैरों पर तेल उँडेला था। जिन यूनानी शब्दों का अनुवाद “जिसके बारे में सब जानते थे” किया गया है, उनका शाब्दिक अनुवाद है “जो।” लेकिन यहाँ संदर्भ से पता चलता है कि उन शब्दों का शायद मतलब है, एक इंसान का कोई खास गुण या अवगुण, या उसका स्वभाव, या फिर वह किस वर्ग या समूह का है।
दो आदमी . . . कर्ज़दार थे: पहली सदी के यहूदी जानते थे कि देनदारों और कर्ज़दारों के बीच कैसा नाता होता है। यीशु ने कभी-कभी अपनी मिसालों में इस बात का ज़िक्र किया। (मत 18:23-35; लूक 16:1-8) दो कर्ज़दारों की यह मिसाल सिर्फ लूका ने दर्ज़ की। इस मिसाल में एक पर दूसरे से दस गुना ज़्यादा कर्ज़ था। यीशु ने यह मिसाल अपने मेज़बान शमौन का रवैया देखकर दी। शमौन ने उस औरत के प्रति सही रवैया नहीं दिखाया जिसने उसके घर आकर यीशु के पैरों पर तेल उँडेला था। (लूक 7:36-40) यीशु ने पाप की तुलना उस बड़े कर्ज़ से की जिसे चुकाया नहीं जा सकता था और यह सिद्धांत सिखाया: “जिसके कम पाप माफ किए गए, वह कम प्यार करता है।”—लूक 7:47; कृपया मत 6:12; 18:27; लूक 11:4 के अध्ययन नोट देखें।
दीनार: चाँदी का रोमी सिक्का जिसका वज़न करीब 3.85 ग्रा. था। इसके एक तरफ कैसर की सूरत बनी होती थी। जैसे मत 20:2 से पता चलता है, यीशु के ज़माने में खेतों में काम करनेवाले मज़दूरों को दिन के 12 घंटे काम करने के लिए एक दीनार दिया जाता था।—शब्दावली और अति. ख14 देखें।
पैर धोने के लिए पानी: जैसा आज कई जगहों में होता है, पुराने ज़माने में भी एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोग आम तौर पर पैदल चलते थे। कुछ साधारण लोग नंगे पैर ही जाते थे, जबकि ज़्यादातर लोग ऐसी जूतियाँ पहनते थे जिनमें सिर्फ एक तला और चमड़े के फीते होते थे। जब भी लोग किसी के घर जाते थे तो सबसे पहले अपनी जूतियाँ उतारते थे। माना जाता था कि मेहमानों का अच्छी तरह स्वागत करने के लिए उनके पैर धोने चाहिए। यह काम या तो एक मेज़बान खुद करता था या फिर घर का एक नौकर। पैर धोने के लिए कम-से-कम पानी ज़रूर दिया जाता था।—उत 18:4; 24:32; 1शम 25:41; लूक 7:37, 38.
तूने मुझे नहीं चूमा: बाइबल के ज़माने में किसी को चूमना प्यार और आदर की निशानी समझी जाती थी। ऐसा करने के लिए लोग आम तौर पर एक-दूसरे के होंठ चूमते थे (नीत 24:26, फु.), या फिर गालों को। लेकिन कभी-कभार लोग दूसरों के पैर भी चूमते थे। (लूक 7:37, 38) रिश्तेदारों में ना सिर्फ आदमी और औरतों का एक-दूसरे को चूमना आम बात थी (उत 29:11; 31:28) बल्कि आदमी भी एक-दूसरे को चूमते थे (उत 27:26, 27; 45:15; निर्ग 18:7; 2शम 14:33)। इसी तरह, जिगरी दोस्त भी एक-दूसरे को चूमकर अपना प्यार जताते थे।—1शम 20:41, 42; 2शम 19:39.