उन्होंने बलात्कारियों का विरोध किया
साधारणतः बलात्कारी लोग स्त्री को किसी सुनसान जगह में ले जाने की कोशिश करते हैं जहाँ लोग आस-पास नहीं हैं। बहुधा उनके पास एक हथियार होता है और वे इसे काम में लाने की धमकी देते हैं यदि स्त्री उनके साथ सहयोग नहीं देती। क्या एक मसीही को चुपचाप उनके अधीन हो जाना चाहिए?
नहीं, परिस्थिति उसके समान नहीं है जबकि एक व्यक्ति पैसे अथवा दुसरी भौतिक चीज़ों को माँगता है। एक स्त्री बुद्धिमानी से इन चीज़ों को दे देगी। पर बलात्कारी व्यभिचार करने के द्वारा एक व्यक्ति को परमेश्वर के नियम को तोड़ने के लिए कहता है। ऐसी परिस्थितियों में एक मसीही का कर्तव्य है कि विरोध करें।—१ कुरिन्थियों ६:१८.
‘क्या विरोध करना खतरनाक नहीं हो सकता है?’, कोई ऐसा पूछ सकता है। हाँ, हो सकता है। किन्तु विरोध नहीं करना और भी खतरनाक हो सकता हैं, जैसा कि बलात्कार से आत्मरक्षा की शिक्षक ने कहा: “जब उसका काम हो जाएगा वह आपको मार डालेगा ताकि बाद में आप उसे नहीं पहचान सकें।”
बलात्कार पर एक प्रमुख स्त्री के टीका ध्यान देने योग्य हैं। उसने कहा: “पुरुष उपद्रव के प्रचलित कल्पित कथाओं और अधीन हो जाने में सुरक्षा के दावों के बावजूद, यह कभी नहीं प्रदर्शित किया गया है कि बलात्कार के शिकार, बचने की कोशिश करने के लिए जो विरोध करती है, बलात्कारी को हत्या करने के लिए भड़काता है।” निम्नलिखित अनुभव इसका उदाहरण देता है।
दो युवा स्त्री एक धुलाई-घर में थे जब एक पुरुष बन्दूक लेकर अन्दर आया और उन्हें मकान के पीछे के एक कमरे में ले गया। उसने उन्हें कपड़े उतारने के लिए आज्ञा दिया। उन्होंने इन्कार कर दिया, जोरों से यहोवा को सहायता के लिए प्रार्थना करने लगे। अन्त में, उन्होंने उस उलझन में पड़े बन्दुक-धारी को बताया कि वे यहोवा के साक्षी हैं और वह जो कुछ उनसे माँग रहा है उसे करना उनके धार्मिक विश्वास के विरुद्ध था; गोली मार देने पर भी वे ऐसा नहीं करेंगे। परिणाम? निराश बन्दूक-धारी भाग गया।
उनसे आदर पूर्वक व्यवहार कीजिए
भावी शिकार को यह याद करना चाहिए कि बलात्कारी एक मनुष्य है। निःसन्देह, जीवन के परिस्थितियों ने उसके व्यवहार को प्रेरित किया है। इसलिए जब कि स्त्री को डर से नहीं काँपना चाहिए और बलात्कारी को डाँटने के लिए अनुमति नहीं देना चाहिए, इसके साथ उसे समझदारी से, एक संगी मानव जैसे व्यवहार करना चाहिए। एक स्त्री जो न्यू यॉर्क शहर के गृह-योजना में रहती है लिखती है:
“साधारणतः जब मैं लिफ्ट के अन्दर जाती हूँ मैं सावधान रहती हूँ। हमेशा की तरह, मैं ने इसमें भी जाने से पहले देख लिया, सब कुछ ठीक था। किन्तु, दरवाजा पूरी रीति से बन्द होने से ठीक पहले, एक लम्बा-चौड़ा पुरुष ने दरवाजा पकड़ लिया और खोलकर लिफ्ट के अन्दर मेरे साथ आ गया। जैसे ही उसने प्रवेश किया उसने बीयर के छः डिब्बों का पार्सल को मेरे ऊपर फेंका, और मैं ने पकड़ लिया। उसने मुझे आश्चर्य में डाल दिया।
“जैसे ही दरवाजा बन्द हो गया, मेरी ओर पीठ करके अपने पतलून के साथ कुछ करने लगा। तब वह घूमा और मेरा सामना किया। मैंने नीचे उसके पतलून की ओर नहीं देखी, पर उसकी आँखों को देखती रही। मैंने उसके बीयर के छ: डिब्बों का पार्सल को उसकी ओर फेंका और कहा ‘यह है आप का बियर।’
“इस क्षण, इससे पहले कि वह कुछ करे, मैंने बात करना शुरु किया। मैंने कहा कि मैं एक यहोवा की साक्षी हूँ और तेरहवीं मंजिल पर एक परिवार के साथ बाइबल अध्ययन करने जा रही हूँ जो मेरी इंतजार कर रहे हैं। मैं बात करती रही और उसे हमारे बाइबल सम्बन्धी शैक्षिक काम के बारे में बताया। इस समय हम तेरहवी मंजिल तक के प्रवास के बीचोबीच थे, और बातें लगातार करते हुए मैंने कुछ भी डर नहीं दिखाया उसे उसके आँखों में सीधे देखती रही। तब एक अजीब घटना हुई। उसने कहना आरम्भ किया कि वह बाइबल से प्रेम रखता है और वह दक्षिन देश का था और उसका परिवार भी परमेश्वर से प्रेम रखते है।
“इस बीच, हमलोग तेरहवी मंजिल पहुँच गए, उसने मुझे बाहर जाने के लिए दरवाजा खोला। उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसका हाथ मिलाने के द्वारा उसे आदर दूँगी। मैंने हाथ मिलाया, उसने मेरा हाथ छोड़ना चाहा। तब उसने कहा कि वह मुझे धन्यवाद कहना चाहता है क्योंकि मैं पहली गोरी स्त्री थी जिसने उसकी ओर घृणा-भरी आँखों से नहीं देखा, और मैं उसके साथ बात करने में ईमानदार थी। तब उसने विदाई ली और मेरे बाइबल अध्ययन के बारे में शुभकामना चाहा।”
अपने घर में विरोध करना
बलात्कार जो एक व्यक्ति के अपने घर में होते है वह विशेषकर अभिघातन होती है, क्योंकि आस-पास की चीज़ें उस घटना को लगातार याद दिलाती रहती हैं। इसलिए, विरोध करना कितना अच्छा है! एक माँ जो डेट्रोइट नामक शहर, मिशिगन, में अपने घर में बलात्कार से बच निकलने में समर्थ हो सकी, बतलाती है कि कैसे उसने किया:
“सुबह के साढ़े पाँच बजे, किसी के चलने की आहट से मैं जाग गयी। शुरु में मैं निश्चित नहीं थी कि वे किस दिशा से आ रहे थे। मैं ने अपनी घड़ी देखी और देखा कि यह मेरी सबसे बड़ी बेटी का स्कूल के लिए तैयार होने का समय नहीं था। मेरे पति यात्रा करने वाले संगीतज्ञ है और वे बाहर चले गए थे। मैं नीचे के कमरे में सोई हुई थी। ऊपर के कमरे में कोई नहीं था यह मैं जानती थी इसलिए मैं ने निर्णय किया कि आवाज सामने के बरामदा से आ रहा था। इसलिए मैंने बरामदा की बत्ती जला दी। तुरन्त मैं ने सीदीओं से दौड़कर उतरने की आवाज सुनी, और जब मैं घूमी, वहाँ एक अपरिचित आदमी खड़ा था।
“उस आदमी ने अपने हाथ कोट के अन्दर डाला था, मानो कि उसके पास एक बन्दुक है, इसलिए मैं ने कहा ‘आप मेरा हत्या करने जा रहे हैं, कर लो।’ उसने कहा कि उसके पास बन्दूक है और यदि मैं उसकी आज्ञा के अनुसार नहीं करूँगी तो वह मुझे गोली मार देगा। उसने सब बत्तियों को बुझा कर पलंग पर बैठने को कहा। मैंने बत्तियों बुझा दी पर पलंग पर बैठने से इन्कार कर दिया। उसने कहा कि यदि मैं उसे बलात्कार करने नहीं दूँगी तो वह मुझे मार डालेगा। तब उसने मुझे पलंग की ओर ढ़केलना शुरु किया, इसलिए मैंने मत्ती १६:२६ को उद्धृत किया जहाँ कहता है: “यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?”
“उस आदमी ने मुझे ढ़केलना बन्द कर दिया और पूछा उस शास्त्र पद का अर्थ क्या है। इसलिए मैंने स्पष्ट किया कि यदि मैं उसका विरोध करूँगी और अपने पति और अपने परमेश्वर के प्रति सच्ची बनी रहूँगी, और इस विश्वस्तता के लिए मारी जाऊँगी, मुझे प्रमोदवन पृथ्वी पर पुनरुत्थान और अनन्त जीवन की आशा होगी। पर यदि मैं हार मान लेती हूँ और वह मुझे बलात्कार करता है तो अन्त में मैं मर जाऊँगी और मुझे पुनरुत्थान की कोई आशा नहीं होगी।
“घुसपैठिया ने जान लिया कि वह मेरा बलात्कार करने के लिए बातों से नहीं मना सकता है, इसलिए उसने मेरे कपड़ों को खींचना आरम्भ किया। मैंने व्यवस्थाविवरण अध्याय २२ के पद को स्मरण किया जहाँ कहता है कि यदि आप नगर में आक्रमण किए जाते और नहीं चिल्लाते तो यह सहमति देने के समान समझा जाता है। तब मैं बहुत जोर से कहने लगी “कृपया! रुको! नहीं! ऐसा मत कीजिए! महोदय, कृपया मेरे घर से चले जाइये!”
“मैं जानती थी कि यह यहोवा को केवल प्रसन्न ही नहीं करेगा पर मेरे बच्चों को सचेत करा देगा कि यह कोई टेलीविजन का संवाद नहीं हो रहा है पर एक पुरुष उनकी माँ पर आक्रमण कर रहा है। मैं ने उसे महोदय कहकर पुकारा ताकि वे जान लें कि मैं उसे नहीं जानती हूँ। उस पुरुष ने मुझे चुप रहने को कहा, पर मैं ने कहा जब-जब वह मुझ पर आक्रमण करेगा मैं चिल्लाऊँगी।
“वह पुरुष फिर से मेरे ऊपर झपटा और मैं जोर-जोर से प्रार्थना करने लगी, ‘हे यहोवा, कृपया मेरी सहायता कर!’ वह रुक गया और पूछने लगा कि यह कौन है जिससे मैं बात कर रही थी। तब मैं ने समझाया कि यहोवा परमेश्वर का नाम है, परमेश्वर का एक नाम है जैसा उसका भी एक नाम है।
“मुझे सचमुच डराने के लिए उस पुरुष ने पूछा कि क्या मैंने कभी पढ़ा है, कि पूरा का पूरा परिवार मार डाला गया और बाद में पाया गया। उसने कहा कि ऐसा ही वह मेरे और मेरे बच्चों के साथ करने जा रहा है यदि मैं उसे कम से कम अपने शरीर के अंगों को चूमने नहीं देती। पर मैं ने इसके लिए भी सहमति नहीं दी। वह पुरुष मुझे धमकी देता रहा, और जब हर एक बार मैं सोच रही थी, ‘हे यहोवा, मैं क्या करुँ?’ सही शास्त्र-पद और कार्य याद आ जाता।
“करीब २० से ३० मिनट के बाद, उस पुरुष ने देखा कि वह मुझे बलात्कार नहीं कर सकता। तब उसने कहा: ‘तुम्हारे बच्चों की उम्र क्या हैं?’ मैंने उत्तर दिया, ‘१४, १२, ८, ५ और ४.’
“उसने कहा: ‘मैं तुम्हारी १४ साल की बेटी का बलात्कार करूँगा यदि तुम मुझे तुम्हारा बलात्कार करने नहीं देगी।”
“मैं आश्चर्यचकित रह गयी कि कैसे उसने जाना कि १४ साल की एक लड़की है। मैंने उत्तर दिया, ‘वह भी एक मसीही है, और वह भी आपको बलात्कार करने नहीं देगी।’ उसने कहा वह हम सभों को मार डालेगा और मेरे बच्चों के शयन कक्ष की ओर बढ़ा। फिर मैं आश्चर्यचकित रह गयी कि कैसे वह जानता था कि शयन कक्ष किस ओर है। काफी साहस बटोर कर उसके पीछे चलने से पहले, वह बैठक की ओर चेहरे पर एक अजीब भाव के साथ लौटा। वह मेरे पास से होकर गया और आज्ञा दिया, ‘दरवाजा का ताला खोल दो।’
“‘यदि तुम दस्ता घूमाएँगे तो वह खुल जाएगा’ मैंने कहा। उसने बाहर कदम रखा, तब मैंने दरवाजा बंद कर दिया और उस पर जंजीर लगा दी।
“तुरन्त मैं अपने बच्चों के शयन कक्ष में गई और समझ गई कि क्यों वह पुरुष दरवाजे से चला गया। वे चले गए थे। एक सप्ताह पहले, मैंने टी.वी पर एक खास कार्यक्रम देखा यह बताते हुए कि किस प्रकार आप अपने बच्चों को घर के संकट मार्ग से निकल भागने के लिए सिखाना चाहिए। मैंने अपने बच्चों से बात किया और बताया कि घर छोडने का सबसे सुरक्षित और उत्तम मार्ग उत्तर शयन कक्ष के खिड़कियों से है ताकि वे बगल के घर पर जा सके और सहायता के लिए किसी को पुकारे। मेरे बच्चों ने उसी तरह किया, वे बगल के घर में सुरक्षित थे।
“जल्द ही पुलिस की दो गाड़ियाँ पहुँच गई, एक मेरे फोन पर बुलाने से, दुसरे पड़ोसी के बुलाने से। पुलिस ने कहा कि वह इस सुबह बलात्कार के इस बुलावे के लिए अचम्भित नहीं थे। उन्होंने स्पष्ट किया, कई महीनों से इस पड़ोस में करीब इस समय बहुत बलात्कार हुए हैं। उन्होंने बलात्कारी को ‘हमारा लड़का’ कहा।
“पुलिस आश्चर्यचकित हुए जब मैंने उनसे कहा कि मैं बलात्कार का शिकार नहीं हुई न लूटी गई। उन्होंने कहा उनमें से कोई मेरे साथ सम्पर्क रखेगा। बाद में उस दिन मुझे बलात्कारी के पहचान के लिए पुलिस-स्टेशन में आने को कहा गया। यह बहुत निराशाजनक थी क्योंकि उनके हिरासत में वह आदमी नहीं था।
“दूसरे दिन मुझे काम की जगह पर फोन पर बुलाया गया, बलात्कारी की पहचान करने के लिए फिर आने को कहा गया। इस बार, जिस वक्त मैंने कमरे में प्रवेश किया और उसे देखा मैं ज़मीन पर गिरते-गिरते बची . . . मैंने जाना कि जेलखाने से निकलने के आठ महिनों में, उसने मेरे अड़ोस-पड़ोस में कम से कम १३ स्त्रियों का बलात्कार किया था, उस में से एक सशस्त्र महिला सिपाही भी शिकार हुई थी। पुलिस ने कहा कि मेरा विश्वास जो भी हो, उसी ने मुझे सहायता किया कि मैं क्रमांक चौदह न होऊँ।”
बाहर विरोध करना
सचमुच, बलात्कार की इच्छा लिए हुए मनुष्य का सामना करना एक भयानक परीक्षा है। जब उस पुरुष के पास कोई हथियार होता है और वहाँ आस-पास कोई नहीं होते हैं तब स्थिति बहुत डरावनी होती है। पर तब भी धमकियों से हारकर अधीन हो जाने के बदले, उचित शास्त्रीय तरीका है विरोध करना। और बारम्बार ऐसा करना और भी अच्छा प्रमाणित हुआ है। एक यहोवा की साक्षी जो अर्धदेहाती क्षेत्र में रहती है बतलाती है: “पत्र इत्यादि लेकर वापस आने के समय, नकाब पहने हुए एक पुरुष चाकू लेकर दौड़ते हुए मेरे पीछे आया। उसने मुझे पकड़ लिया और जंगल की ओर मुझे ले जाने की कोशिश करने लगा। उसने मुझे ज़मीन पर खींच कर गिरा दिया। मुझे नीचे गिराने से पहले, मैं चीखी। उसने मेरे मुँह को बंद कर दिया, पर मैंने फिर भी यहोवा को पुकारा, शक्ति के लिए उससे प्रार्थना की। उस पुरुष ने मुझे चाकू दिखाया और कहा यदि मैं चुप नहीं रहूँगी तो वह मेरी हानि करेगा। मैंने चाकू पकड़ लिया और ढकेल दिया। उसने छूरा को अलग रख दिया और मुझे खींचने लगा। मैंने उसकी उँगली को काट दिया, और उसने मेरे सिर पर घूसा मारा।
“उसने मुझे कहा यदि मैं शांति रखूँगी तो वह मुझे चोट नहीं पहुँचाएगा। मैं चिल्लाई, ‘नहीं’। मैंने निश्चय कर लिया कि मैं भाग निकलूँ अथवा सड़क पर मर जाऊँ पर जंगल में नहीं। इसलिए मैंने उसके चेहरे पर घूसा मारा। इससे वह चौंक गया और उसने मेरे गालों पर फिर घूसा मारा। उसने मुझे जमीन पर गिरा दिया पर मैंने पैर से बहुत तेजी से लात मारी ताकि वह मेरे पास नहीं आए।
“मैं अपने पैरों पर खड़ी हो सकी, और उस सड़क पर दौड़ी जो दूसरे घरों की ओर ले जाती है। मैं ने पीछे मुड़के देखा और देखा कि वह जंगलो से हो कर मेरे घर जाने के दिशा में जा रहा था। मैं नज़दीक के घर की ओर दौड़ी। पुलिस को बुला लिया गया। वे काफी संख्या में आ गए, उस क्षेत्र को घेर लिया और बलात्कारी को पकड़ लिया। उसने सारी बातें मान ली, इसलिए मुझे उसे पहचानने की ज़रूरत नहीं पड़ी।”
विरोध करने के लिए तैयार होना
एक स्त्री के लिए, बलात्कार से अधिक डरावना और छिन्न-भिन्न करने वाला शायद और कोई घटना नहीं है। वह इस बात के बारे में कभी भी सोचना नहीं चाहेगी। फिर भी बलात्कार जीवन की एक सच्चाई है। बाइबल भी बलात्कार और कोशिश किए गए बलात्कारों के बारे में कहती है जो हज़ारों वर्ष पहले हुए थे।—उत्पत्ति १९:४-११; ३४:१-७; न्यायियों १९:२२-२७; २ शमुएल १३:१-१४.
इस कठिन समयों में, किन्तु, बलात्कार बहुत शहरों और नगरों में प्रति दिन का घटना हो गयी हैं। वास्तव में, अमेरिकन मेडिकल न्यूज़, फरवरी ४, १९८३, ने यह मान लिया: “शायद छः स्त्रियों में एक स्त्री इस देश में बलात्कार की शिकार होगी, जो कि राष्ट्र में सबसे तेजी से बढ़ने वाली हिंसात्मक अपराध कही गयी है।”
इसलिए बलात्कार किए जानेवाले प्रयास की सम्भावना को उपेक्षा करने के बदले, एक स्त्री के लिए बुद्धिमानी की बात होगी अगर वह पहले से सोचें कि एक बलात्कारी से कभी भी धमकी दिए जाने पर वह क्या करेगी। उसके अपनी ओर से विरोध करने के लिए, एक वास्तविक तैयारी रहना चाहिए। “एक स्त्री जो विरोध करती है वह और भी चोट लग जाने अथवा मार डाले जाने के लिए बढ़ावा देती है, यह दृष्टिकोण बूढ़ी स्त्रियों की कहानी है,” इस प्रकार डेट्रियोट पुलिस कार्यकारिणी के उप-अध्यक्ष जेम्स बेनॉन ने कहा। “इसे समर्थन देने के लिए एक भी प्रमाण नहीं है।”
प्राचीन इस्राएल में, परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार एक स्त्री को बलात्कारी का सामना करते समय चिल्लाना था, इस प्रकार बहुत तीव्रता से विरोध करना था। (व्यवस्थाविवरण २२:२३-२७) यह एक बुद्धिमानी की बात है। वेस्ट यॉर्कशर के अपराध निवारण ब्यूरो, इंगलैंड, के चीफ इन्सपेक्टर कीथ किलब्राइड के अनुसार, “अगर एक स्त्री पर आक्रमण होता है, तो सबसे उत्तम हथियार अभी भी उसकी फेफड़े हैं।”
बलात्कार की बढ़नेवाली धमकी का सामना करने में और अधिक सहायता के लिए, आप कुछ सूचना पढ़ना चाहेंगे जो अवेक! अंग्रेजी संस्करण के जुलाई ८, १९८० और वॉचटावर, अंग्रेजी संस्करण के अक्तूबर १५, १९८० अंकों में निकला था। वे लेख बलात्कार को रोकने के सहायता के लिए बनायी गयी थी। एक स्त्री अपने पति से, पिता से अथवा एक भरोसेमन्द मित्र से बात कर सकती है ताकि अपने आपको बचाने के तरीकों के बारे में सलाह ले सके। और एक लड़का अपने माता-पिता से बात कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यहाँ जो अनुभव दिए गए हैं, यदि आपको इस प्रकार की धमकी का सामना करना पड़े तो, आपको सफलतापूर्वक बलात्कार का विरोध करने के लिए सहायता कर सकते है।
[पेज 27 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“अगर एक स्त्री पर आक्रमण होता है, तो सबसे उत्तम हथियार अभी भी उसकी फेफड़े हैं।”