बाइबल का दृष्टिकोण
क्या जादू का अभ्यास करने में ख़तरा है?
‘हवा में जादू की सनसनाहट है। अचानक, एक ढोल की आवाज़ खामोशी को भंग करती है। सभी नज़रें एक जैसी पोशाक पहने दो बंदूकधारी पुरुषों पर जमी हुई हैं। वे अपनी बंदूकों को उठाकर अपने कंधे तक ले आते हैं, और अलंकृत वस्त्र पहने हुए एक चीनी जादूगर पर निशाना बिठाते हैं। वह चीनी मिट्टी की एक प्लेट को अपनी छाती के सामने पकड़े हुए है। बंदूकें आग उगलते हुए गरजीं। जादूगर तुरंत लहुलुहान होकर ज़मीन पर गिर पड़ता है। प्लेट द्वारा गोलियाँ रोकने का आभास एक त्रासदी में परिवर्तित हो गया।’ एक बंदूक में ख़राब यन्त्र-रचना के कारण गोली चल गयी और जादूगर की छाती में घुस गई। इस प्रकार हेनरी गॉर्डनस् वर्ल्ड ऑफ मैजिक (Henry Gordon’s World of Magic) पुस्तक उल्लेख करती है।
ज़िन्दग़ी के तोहफ़े की क्या ही तबाही—यह सब सिर्फ़ उस अनिश्चय, रोमांच, और मनोरंजन की ख़ातिर जो इस प्रकार के जादू के साथ होता है। क्या आपकी प्रतिक्रिया ऐसी है? या क्या आप ऐसा महसूस करते हैं कि ऐसे करतब के प्रदर्शन से जुड़े ख़तरे का यह सिर्फ़ एक हिस्सा है? आपका जवाब चाहे जो भी हो, जब यह आभास असफल हुआ यह घातक रूप से खतरनाक था। यह हमें पूछने के लिए प्रेरित करता है: क्या जादू के अभ्यास के साथ इससे ज़्यादा धूर्त ख़तरा जुड़ा हुआ है? जवाब के लिए, आइए हम इस प्राचीन कला की जड़ों को देखें।
पूरे इतिहास में जादू का प्रभाव
इतिहास के आरम्भ से, जादू के रहस्य ने मानव में जिज्ञासा उत्पन्न की है और उसे नियंत्रित किया है। अँग्रेज़ी शब्द ‘मैजिक,’ “मैजाई” नाम से लिया गया है जो कि पूजा-सम्बन्धी कार्यों के लिए विशिष्ट प्राचीन फ़ारसी याजकीय वर्ग था। इसके सबसे बुनियादी अर्थ में, जादू अलौकिक शक्तियों को मानव की सेवा करने के लिए नियंत्रित करने या बाध्य करने का प्रयास है। सामान्य युग पूर्व १८वीं शताब्दी के मिस्र ने जादू का अभ्यास करनेवाले याजकों का प्रयोग किया। सामान्य युग पूर्व आठवीं शताब्दी में बाबुल के कसदियों के धर्म में भी जादू एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता था। (उत्पत्ति ४१:८, २४, NW; यशायाह ४७:१२-१४; दानिय्येल २:२७; ४:७) यह प्रभाव प्राचीन यूनानी और रोमी लोगों के बाद मध्ययुग में और अब ठीक हमारी बीसवीं शताब्दी में बना हुआ है।
विभिन्न प्रकार के जादू अनेक तरीकों से वर्गीकृत किए जा सकते हैं। रॉबर्ट ए. स्टेबिन्स अपनी पुस्तक द मजिशियन (The Magician) में जादू को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत करता है।
जादू के तीन प्रकार
रहस्यमय जादू “तंत्रविद्या की एक अभिव्यक्ति” है। यह दावा करती है कि “घटनाएँ और प्रक्रियाएँ जो सामान्य-बुद्धि के ज्ञान या वैज्ञानिक ज्ञान के विपरीत हैं, सच्ची और तर्कसंगत” हैं। स्टेबिन्स आगे कहता है कि “रहस्यमय जादू अभिचार, . . . जादू-टोने, कीमिया, और कुछ परिस्थितियों में धर्म का भी साथी है।”
शोषणकारी जादू से, “जादूगर अपने फ़ायदे के लिए देखनेवालों की बोधशक्ति को चालाकी से प्रभावित करते हैं और उसका शोषण करते हैं।” वे जानते हैं कि वे जनता को धोखा दे रहे हैं, लेकिन स्टेबिन्स के अनुसार, “वे चाहते हैं कि जो जादू देखते हैं वे कुछ और विश्वास करें—यह विश्वास करें कि जादूगर के तौर पर, उनके पास अलौकिक शक्तियाँ हैं या उन व्यक्तियों के साथ उनके विशिष्ट सम्पर्क हैं जिनके पास ऐसी शक्तियाँ हैं।”
मनोरंजनात्मक जादू का लक्ष्य विस्मयकारी धोखे से लोगों में आश्चर्य उत्पन्न करना है। यह पाँच बुनियादी और मिलते-जुलते तरीकों में आता है: “मंच पर किया गया जादू, दर्शकगण के क़रीब किया गया जादू, हाथ की सफ़ाई, आभासी जादू, और मानसवाद।”
क्या मसीहियों के लिए ख़तरा है?
आइए पहले हम रहस्यमय जादू का परीक्षण करें। रहस्यमय जादू विभिन्न तरीकों से किया जाता है। उदाहरण के लिए, पैशाचिक वृत्ति के लोग दोनों “काले” और “श्वेत” जादू का अभ्यास करते हैं। “काले जादू” में मंत्र डालना, विशिष्ट श्राप देना, और अपने शत्रुओं को हानि पहुँचाने के लिए कुदृष्टि का उपयोग करना शामिल है। दूसरी ओर, “श्वेत” जादू, मंत्रों को तोड़ने और श्रापों को रद्द करने के अच्छे परिणाम लाने के लिए निर्दिष्ट किया जाता है। लेकिन दोनों ही तंत्रविद्या और रहस्यमय जादू की अभिव्यक्तियाँ हैं। अकसर रहस्यमय जादू को अच्छी फ़सल काटने का प्रयास करने और खेल-कूद प्रतियोगिता में जीतने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। फिर भी, इस प्रकार के प्रेतात्मवाद जादू के बारे में बाइबल स्पष्ट रूप से बोलती है: “तुम . . . न टोना करना, और न शुभ वा अशुभ मुहूर्तों को मानना।”—लैव्यव्यवस्था १९:२६; व्यवस्थाविवरण १८:९-१४; प्रेरितों १९:१८, १९.
शोषणकारी जादू में ख़तरा कहाँ छिपा होता है? हाथ की रेखाएँ पढ़नेवाले, ज्योतिषी, और आस्था चिकित्सक, वे कुछ लोग हैं जो अपने ही हितों को बढ़ावा देने के लिए शोषणकारी जादू का प्रयोग करते हैं। क्या वे अपने व्यवसाय द्वारा एक झूठ की ज़िन्दग़ी नहीं जी रहे हैं? परमेश्वर का वचन कहता है: “तुम . . . एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।”—लैव्यव्यवस्था १९:११.
द एनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना कहती है: “कुछ अवसरों में, जादुई कार्य प्रेतात्माओं को उकसा सकते हैं।” क्या हम ऐसे कार्यक्षेत्र में सिर्फ़ अप्रत्यक्ष रूप से भी शामिल होकर दुष्ट आत्माओं से मुसीबत मोल लेना चाहते हैं? मौका मिलने पर दुष्टात्माएँ हमारा फायदा उठा सकते हैं और उठाएँगे भी। वे ‘उपयुक्त समय’ का इंतज़ार करते हैं और वे अपने कार्यों में निर्दयी होते हैं।—लूका ४:१३, NW; याकूब १:१४.
धोखेबाज़ी और भ्रामकता की कला में उस्ताद शैतान इब्लीस के सिवाय और कोई नहीं। अदन बाग़ में एक मानव के सामने पहला प्रदर्शन करने के बाद से वह इस कला का अभ्यास करता आया है। (उत्पत्ति ३:१-१९) कौन मसीही उसकी तरह होना चाहेगा? इसके बजाय, मसीहियों को ‘परमेश्वर के सदृश्य बनने’ की तथा ‘परमेश्वर के अधीन होने; और शैतान का सामना करने’ की सलाह दी गई है।—इफिसियों ५:१; याकूब ४:७.
फिर भी, कई लोग, “जादू” शब्द को मनोरंजन के साथ जोड़ते हैं। एक व्यक्ति इस बात को ध्यान में रखते हुए कि आँख की देखने की गति से ज़्यादा तेज़ हाथ चल सकता है, अपने हाथों से भ्रम (हाथ की सफ़ाई) पैदा कर सकता है। इसमें शायद कोई बाइबलीय आपत्ति न हो। तथापि, यदि तंत्रविद्या का ढोंग रचा जाता है, तो क्या एक मसीही कभी अलौकिक, समझ में न आनेवाली शक्ति रखने का प्रभाव देना चाहेगा? या यदि एक “जादुई” प्रदर्शन के द्वारा अन्य लोगों पर ग़लत प्रभाव पड़ता है, तो क्या एक मसीही दूसरों के लिए ठोकर का कारण नहीं बनने के लिए ऐसे मनोरंजन को छोड़ना नहीं चाहेगा? (१ कुरिन्थियों १०:२९, ३१-३३) इसके अतिरिक्त, यह संभावित ख़तरा है कि एक व्यक्ति और गंभीर जादुई कलाओं में पड़ने के लिए प्रलोभित होगा।
इसलिए, जब ऐसे जादू की बात आती है जो स्पष्ट रूप से प्रेतात्मवाद से जुड़ा है, सच्चे मसीही बुद्धिमानी से इसका अभ्यास करने से दूर रहते हैं। इसके अतिरिक्त, मसीही जीवन के सभी पहलुओं में—चाहे इसमें रोज़गार, मनबहलाव, या मनोरंजन शामिल हो—वह ‘शुद्ध विवेक रखना’ चाहेगा, ऐसा विवेक जो परमेश्वर और मानव के विरुद्ध अपराध की अनुमति नहीं देता है।—१ पतरस ३:१६; प्रेरितों २४:१६.
[Picture Credit Line on page 28]
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