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“सहनशीलता का सबक सीखना”

जैसे जैसे हम २०वीं सदी के अन्त की ओर पहुँचते हैं, क्या सामान्यतः मानवजाति ने १९१४ से अपने हिंसात्मक इतिहास से कोई सबक सीखा है? युनेस्को (संयुक्‍त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) का महानिदेशक, फेडेरीको मेयर बहुत आशापूर्ण नहीं था जब उसने दी युनेस्को कुरिअर (The Unesco Courier) के लिए एक लेख में लिखा। “जिस संसार को हम उभरते हुए देख सकते हैं . . . वह हार्दिक उत्साह नहीं जगाता। धार्मिक रूढ़िवाद, राष्ट्रीयता, प्रजातीय और नृजातीय पूर्वधारणा, सामी-विरोध: स्वतंत्रता की हवा ने घृणा के अंगारों को लौ दे दी है। . . . पुरानी व्यवस्था के ढह जाने से हर क़िस्म के नए उपक्रमणों के लिए मैदान खुल गया है, उनमें से कुछ अत्यधिक अव्यवस्थित हैं—और खाली जगह पर हिंसा बढ़ती है।”

हिंसा क्यों बढ़ती है? लोग सिर्फ़ धर्म या नृजातीय पृष्ठभूमि भिन्‍न होने के कारण क्यों दूसरों से घृणा करते और उनकी हत्या करते हैं? चाहे भूतपूर्व युगोस्लाविया में, भारत में, उत्तरी आयरलैंड में, अमरीका में, या संसार के किसी भी दूसरे भाग में क्यों न हो, पथभ्रष्ट शिक्षा एक मूल कारण प्रतीत होता है। आपसी सहनशीलता और आदर सीखने के बजाय, लोगों ने अपने माता-पिता, अपने स्कूलों, और सामान्यतः समाज से अविश्‍वास और घृणा सीखी है।

फेडेरीको मेयर आगे कहता है: “आइए उस संदेही सहनशीलता को त्याग दें जो हमें असहनीय बातों को—ग़रीबी, भूख, और लाखों लोगों के दुःख—सहन करने की अनुमति देती है। यदि हम करते हैं, तो हमें सहानुभूति और भाईचारे की धूप की गरमाहट मिलेगी।” ये उच्च विचार हैं। लेकिन कौनसा व्यावहारिक तरीक़ा अस्तित्व में है जो हमारे तथाकथित प्रबुद्ध संसार के पीछे छिपी अंधकारपूर्ण आत्मा को बदल सकता है?

दो हज़ार पाँच सौ साल से भी पहले, यशायाह ने यहोवा के इन शब्दों को लेखबद्ध किया: “तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।” (यशायाह ५४:१३) क्योंकि “परमेश्‍वर प्रेम है,” इसका यह अर्थ हुआ कि जो लोग सचमुच उसके सिद्धान्तों के अनुसार जीते हैं शान्ति सीखेंगे, युद्ध नहीं; प्रेम सीखेंगे, घृणा नहीं; सहनशीलता सीखेंगे, असहनशीलता नहीं।—१ यूहन्‍ना ४:८.

कौन इस शिक्षा को बढ़ावा दे रहे हैं जो शान्ति और प्रेम और सहनशीलता की ओर ले जाती है? वे कौन हैं जो राष्ट्रीय उद्‌गम भिन्‍न होने के बावजूद भी एकता में रहते हैं? किन लोगों ने ऐसी बाइबल शिक्षा पायी है जिसने उनके पूरे दृष्टिकोण को घृणा से प्रेम में बदल दिया है? हम आपको सलाह देते हैं कि आप यह पता लगाने के लिए कि यहोवा के गवाहों में सचमुच एक विश्‍वव्यापी एकता क्यों है, उनकी शिक्षाओं और अभ्यासों की जाँच कीजिए।—यूहन्‍ना १३:३४, ३५; १ कुरिन्थियों १३:४-८.

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