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  • सभी के लिए पूर्ण स्वास्थ्य
  • सजग होइए!–1995
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g95 4/8 पेज 12-14

सभी के लिए पूर्ण स्वास्थ्य

व्यवहार, वातावरण, और स्वास्थ्य सेवा की तरह हमारी जैविक रचना भी हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है। यह रचना आनुवंशिकता और उन बीमारियों से प्रभावित होती है जो हमें बाद में हो सकती हैं क्योंकि उनके प्रति हमारी आनुवंशिक प्रवृत्ति है।

“आप जिस जैविक रचना के साथ उत्पन्‍न होते हैं,” एक स्वास्थ्य पेशेवर कहता है, “वह काफ़ी हद तक निर्धारित करता है कि क्या आप अच्छी तरह जीएँगे, लम्बे समय तक जीएँगे, या जीएँगे भी कि नहीं।”

हमने इन्हें चाहे किसी भी तरह पाया हो, सिर दर्द, सख़्त माँसपेशियाँ, थकी हुई नसें, कड़ी हड्डियाँ, क्षय होते हृदय, और अन्य रोग हमें हर दिन याद दिलाते हैं कि हमारा स्वास्थ्य एक विकृत शरीर और मन द्वारा हानिकर रूप से प्रभावित है। इन व्यापक स्वास्थ्य समस्याओं का मूल कारण क्या है?

मूल कारण

सामान्य युग प्रथम शताब्दी में जीवित, लूका नामक एक चिकित्सीय डॉक्टर इस प्रश्‍न का उत्तर एक उत्प्रेरित जीवनी में देता है जो उसने यीशु मसीह के बारे में लिखी। लूका लिखता है कि एक दिन एक लकवा मारे हुए मनुष्य को यीशु के पास इस आशा में लाया गया कि वह चंगा हो जाएगा। यीशु ने उस लकवा मारे हुए मनुष्य से कहा: “तेरे पाप क्षमा हुए।” फिर यह दिखाने के लिए कि वास्तव में उसके पास क्षमा करने की शक्‍ति थी, यीशु ने उस मनुष्य को आज्ञा दी: “उठ और अपनी खाट उठाकर अपने घर चला जा।” उस मनुष्य ने वैसा ही किया! इसके फलस्वरूप, जितनों ने उस चंगाई को देखा वे “सब चकित हुए” और “परमेश्‍वर की बड़ाई करने लगे।”—लूका ५:१७-२६.

यीशु ने किस पाप का उल्लेख किया? इसका उत्तर यह समझने में हमारी मदद करता है कि हम क्यों बीमार पड़ते, बूढ़े होते, और मरते हैं। क्योंकि हम आश्‍वस्त हैं कि “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से रचा गया है,” हम उस उत्तर के लिए बाइबल की ओर देख सकते हैं। (२ तीमुथियुस ३:१६; २ पतरस १:२१) यह हमें बताती है कि प्रथम मनुष्य, आदम को पूर्ण रूप से स्वस्थ रचा गया था। जब तक उसने अपने सृष्टिकर्ता की आज्ञा मानी उसने अच्छे स्वास्थ्य का आनन्द लिया।

लेकिन, आदम ने परमेश्‍वर के नियम को तोड़ने का चुनाव किया। अवज्ञाकारी होने और जानबूझकर अपने सृष्टिकर्ता के विरुद्ध विद्रोह करने के द्वारा वह पाप कर रहा था। इसके फलस्वरूप, वह अपरिपूर्ण, बीमारी के प्रति असुरक्षित हो गया, और कुछ समय बाद वह मर गया। इसलिए, पाप आदम की बीमारी और मृत्यु का कारण था।

जैसे कुछ रोग आनुवंशिकी के नियम की कार्यवाही के रूप में माता-पिता से बच्चों को मिलते हैं, वैसे ही अपरिपूर्णता और उससे परिणित बीमारियाँ आदम से उसकी संतानों, अर्थात्‌ मानवजाति को मिलीं। अतः, सभी रोग आदम के पहले पाप का परिणाम हैं। (उत्पत्ति २:१७; ३:१-१९; रोमियों ५:१२) क्या कोई निकास है?

निकास

पूर्ण स्वास्थ्य से ख़राब स्वास्थ्य का परिवर्तन पाप के कारण हुआ—परमेश्‍वर के नियम के विरुद्ध आदम का विद्रोह। ख़राब स्वास्थ्य से पूर्ण स्वास्थ्य का परिवर्तन केवल पाप के हटाए जाने के द्वारा ही संभव है। (रोमियों ५:१८, १९) कैसे? एक और परिपूर्ण मनुष्य, आदम की परिपूर्णता की दशा में उसके ठीक प्रतिरूप, को छुड़ौती के रूप में अपने जीवन का बलिदान करना होता। परमेश्‍वर का नियम है “प्राण की सन्ती प्राण,” अर्थात्‌ जीवन की सन्ती जीवन।—व्यवस्थाविवरण १९:२१.

लेकिन, आदम का कोई भी पापमय वंशज ऐसी छुड़ौती नहीं प्रदान कर सकता था। अतः, स्वयं यहोवा ने प्रेमपूर्वक अपने पुत्र, यीशु को एक परिपूर्ण मनुष्य के रूप में प्रदान किया कि वह “बहुतों की छुड़ौती के लिये” अपना जीवन दे ताकि “हम उसके द्वारा जीवन पाएं।”—मत्ती २०:२८; १ यूहन्‍ना ४:९; भजन ४९:७.

पृथ्वी पर रहते समय, यीशु ने दिखाया कि उसके पिता, यहोवा ने उसे पाप को मिटाने की शक्‍ति दी थी जब उसने लकवा मारे हुए उस मनुष्य से कहा, “तेरे पाप क्षमा हुए,” और वह चंगा हुआ मनुष्य घर चला गया। यीशु ने परमेश्‍वर से प्राप्त यह शक्‍ति अंधों, बहरों, विभिन्‍न बीमारियों वाले अनेक लोगों को तुरंत चंगा करने के द्वारा बारंबार प्रयोग की।

यीशु द्वारा इन चमत्कारी चंगाइयों के सम्बन्ध में बाइबल कहती है: “और भीड़ पर भीड़ लंगड़ों, अन्धों, गूंगों, टुंडों और बहुत औरों को लेकर उसके पास आए; और उन्हें उसके पांवों पर डाल दिया, और उस ने उन्हें चंगा किया। सो जब लोगों ने देखा, कि गूंगे बोलते और टुण्डे चंगे होते और लंगड़े चलते और अन्धे देखते हैं, तो अचम्भा” किया। (मत्ती १५:३०, ३१) उससे भी अधिक उल्लेखनीय, यीशु मृत लोगों को फिर से जीवित करने में समर्थ था। बाइबल इनमें से कई पुनरुत्थानों के बारे में बताती है।—लूका ७:११-१६; ८:४९-५६; यूहन्‍ना ११:१४, ३८-४४.

ये चमत्कारी चंगाइयाँ हमें आश्‍वस्त करती हैं कि किसी भी बीमारी को ठीक करना यीशु की शक्‍ति के बाहर नहीं है। क्या वह इस परमेश्‍वर-प्रदत्त शक्‍ति को फिर से प्रयोग करेगा? क्या हम लाभ उठा सकते हैं?

पूर्ण स्वास्थ्य निश्‍चित है

बाइबल भविष्यवाणियाँ दिखाती हैं कि यीशु परमेश्‍वर की स्वर्गीय सरकार के राजा के रूप में स्वर्ग में शासन कर रहा है। परमेश्‍वर ने उसे अधिकार दिया है कि अभी विद्यमान सभी मानव सरकारों को हटा दे और पूरी पृथ्वी पर शासन करे। (भजन ११०:१, २; दानिय्येल २:४४) वह प्रार्थना पूरी होगी जो यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखायी: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती ६:१०) उस स्वर्गीय राज्य के शासन में, मानव परिवार के लिए स्वास्थ्य स्थिति को उल्लेखनीय रूप से सुधारना इस पृथ्वी के लिए परमेश्‍वर की इच्छा का भाग होगा।

तब, आक्षरिक और आध्यात्मिक दोनों ही अर्थ में, “अन्धों की आंखें खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।” “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।”—यशायाह ३३:२४; ३५:५, ६.

परमेश्‍वर के स्वर्गीय राज्य के अधीन, पूर्ण स्वास्थ्य का अर्थ होगा कि जैसे लोग अभी मरते हैं तब उन्हें वैसे नहीं मरना पड़ेगा। परमेश्‍वर का वचन प्रतिज्ञा करता है: ‘जो कोई उस पर विश्‍वास करेगा वह अनन्त जीवन पाएगा।’ “परमेश्‍वर का बरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।” (यूहन्‍ना ३:१६; रोमियों ६:२३) जी हाँ, बहुत पहले उत्प्रेरित भजन ने प्रतिज्ञा की: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” (भजन ३७:२९) जैसा यीशु ने पृथ्वी पर रहते समय किया, तब वह मरे हुओं का पुनरुत्थान करेगा और उन्हें पूर्ण स्वास्थ्य से लाभ उठाने का अवसर देगा। बाइबल प्रतिज्ञा करती है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों २४:१५.

राज्य शासन के अधीन स्वयं पृथ्वी फले-फूलेगी जिससे कि भूख फिर कभी नहीं होगी, जो ख़राब स्वास्थ्य में योग देती है। बाइबल भविष्यवाणियाँ हमें बताती हैं: “मैदान के वृक्ष फलेंगे और भूमि अपनी उपज उपजाएगी, और वे अपने देश में निडर रहेंगे।” (यहेजकेल ३४:२७) “भूमि ने अपनी उपज दी है, परमेश्‍वर जो हमारा परमेश्‍वर है, उस ने हमें आशीष दी है।” (भजन ६७:६) “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्‍न होगा।” (भजन ७२:१६) “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी।”—यशायाह ३५:१.

परमेश्‍वर के नए संसार में जो स्थिति विद्यमान होगी उसका सार देते हुए, बाइबल की अन्तिम भविष्यसूचक पुस्तक घोषित करती है: “[परमेश्‍वर] उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी।”—प्रकाशितवाक्य २१:४.

क्या आप कहते हैं, ‘इस पर विश्‍वास करना कठिन है’? तो, इसके बारे में सोचिए। आदम के एक पापी बनने से पहले, उसके पास पूर्ण स्वास्थ्य था। कल्पना कीजिए कि उस समय किसी के लिए यह संभव होता कि उससे बात करे और उसे बताए कि एक दिन पृथ्वी पीड़ित, बीमार, और बूढ़े होते लोगों से भर जाएगी। क्या आप नहीं सोचते कि आदम को इस पर विश्‍वास करना कठिन लगता? फिर भी, यह अभी एक वास्तविकता है।

इसके विपरीत, परमेश्‍वर के राज्य में पूर्ण स्वास्थ्य एक वास्तविकता बन जाएगा। यहोवा का वचन हमें आश्‍वस्त करता है: “ये वचन विश्‍वास के योग्य और सत्य हैं।” (प्रकाशितवाक्य २१:५) जो परमेश्‍वर कहता है कि होगा वह होगा क्योंकि “परमेश्‍वर का झूठा ठहरना अन्होना है।”—इब्रानियों ६:१८.

इन आनेवाली आशिषों का आनन्द लेने के बारे में आश्‍वस्त होने के लिए अभी आप क्या कर सकते हैं? यीशु ने अपने पिता को प्रार्थना में जो कहा उसके द्वारा पूर्ण स्वास्थ्य और अनन्त जीवन का मार्ग स्पष्ट किया गया: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्‍वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”—यूहन्‍ना १७:३.

यहोवा के साक्षियों से आपके घर में एक मुफ़्त बाइबल कोर्स माँगिए। वे आपको परमेश्‍वर की अद्‌भुत प्रतिज्ञाओं के बारे में अधिक सीखने में मदद देने के लिए ख़ुश होंगे। यह पूर्ण स्वास्थ्य के मार्ग पर आपका पहला क़दम होगा!

[पेज 14 पर तसवीर]

परमेश्‍वर के नए संसार में, सभी मनुष्य पूर्ण स्वास्थ्य का आनन्द लेंगे

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