विश्व-दर्शन
साक्षरता और स्वास्थ्य
युनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक, और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा दिए गए आँकड़ों के अनुसार, साक्षरता का एक उच्चतर स्तर ज़्यादा लम्बी अनुमानित आयु में योग दे सकता है। “जिन लोगों ने पढ़ना-लिखना सीखा है,” पत्रिका युनेस्को स्रोत (अंग्रेज़ी) कहती है, “वे स्वास्थ्य-विज्ञान और स्वास्थ्य सेवा के प्रति अधिक ध्यान देते हैं; वे कम भाग्यवादी होने की ओर प्रवृत्त होते हैं और उनके बीमार होने पर एक डॉक्टर के पास जाने की संभावना अधिक होती है।” लेकिन, साक्षरता अनुमानित आयु को प्रभावित करनेवाले तत्वों में से केवल एक तत्व है। “चिकित्सीय उपचार की सुलभता, परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक वातावरण” भी महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं।
खोखला शिखर-सम्मेलन
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित एक सम्मेलन में उपस्थित होने के लिए मार्च ६-१२, १९९५ में संसार-भर से लगभग २०,००० प्रतिनिधि कोपनहेगन, डॆनमार्क में मिले। सम्मेलन का विषय था: “सामाजिक विकास के लिए विश्व शिखर-सम्मेलन।” मिलने का उनका उद्देश्य? विकासशील देशों में ग़रीबी, बेरोज़गारी, और अलगाव का अन्त करने के तरीक़ों पर चर्चा करना। लेकिन, एक प्रमुख बाधा की पहचान करने में ज़्यादा समय नहीं लगा—निधि की कमी। ऐसा प्रतीत होता है कि अनेक ग़रीबी-ग्रस्त देश धनी राष्ट्रों के कर्ज़ में इतनी बुरी तरह से डूबे हुए हैं कि वे अपने ब्याज की भुगतान भी करने में समर्थ नहीं हैं। मेज़बान राष्ट्र, डॆनमार्क ने प्रस्ताव रखा कि धनी राष्ट्र उसके उदाहरण पर चलें और सबसे ग़रीब राष्ट्रों के कर्ज़ माफ़ कर दें। लेकिन, एक समस्या है। अनेक ज़्यादा ग़रीब राष्ट्र शस्त्र अर्जित करने के कारण कर्ज़ में पड़े हैं। इसलिए, जैसे एक यूएन सलाहकार ने समझाया, यदि कर्ज़ माफ़ कर दिया जाए, तो वे अवसर का लाभ मात्र और बन्दूकें ख़रीदने के लिए उठाएँगे।
समानुभूति सीखना
जो अनुसंधायक बच्चों में समानुभूति का अध्ययन करते हैं उन्होंने प्रस्ताव रखा है कि दूसरों की भावनाओं को समझने की योग्यता सीखी जाती है। “यह दिखाया गया है कि जिन बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है वे दूसरे बच्चों में व्यथा के प्रति समानुभूति से प्रतिक्रिया नहीं दिखाते,” मैनहैटन में कैनसस राज्य विश्वविद्यालय का एक प्रोफ़ॆसर, डॉ. मार्क ए. बारनॆट कहता है, जिसे द न्यू यॉर्क टाइमस् में उद्धृत किया गया। “वे शायद एक व्यथित बच्चे की ओर देखें और कुछ भी न करें, या वे पास जाकर चिल्लाते हैं और बच्चे को धक्का दे देते हैं।” दूसरी ओर, वह आगे कहता है कि “एक बच्चा जिसकी भावात्मक ज़रूरतों को अच्छी तरह पूरा किया जाता है वह दूसरों की भावनाओं के प्रति ज़्यादा अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाता है।” लेकिन, भावात्मक सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ, माता-पिताओं को अपने बच्चों को यह दिखाने की ज़रूरत है कि समानुभूतिशील कैसे बनें। जैसे डॉ. बारनॆट कहता है, समानुभूतिशील माता-पिता सामान्यतः समानुभूतिशील बच्चों को बड़ा करते हैं।
घोंघे आक्रमण पर हैं
छः साल पहले जब जीवित दक्षिण अमरीकी सुनहरे घोंघे एक खाद्य पदार्थ के रूप में वियतनाम में आयात किए गए, उससे पहले वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि यदि घोंघे कभी छूट गए तो बड़ा नुक़सान करते। ऐसा प्रतीत होता है कि समय ने वैज्ञानिकों को सही साबित किया है। कुछ घोंघे वास्तव में छूट गए और जल्द ही धान खाने में रुचि दिखायी। तब सरकार ने घोंघों पर प्रतिबन्ध लगा दिया, लेकिन अनेक छोटे संस्थानों ने फिर भी उनको पालना और भोजन के लिए बेचना जारी रखा। दी एसोसिएटॆड प्रॆस रिपोर्ट करती है कि सरकारी वियतनाम न्यूज़ के अनुसार, इन छोटे प्राणियों में से मात्र आठ प्राणी एक दिन में ११ वर्ग फुट धान का खेत नष्ट कर सकते हैं! रिपोर्ट किया जाता है कि घोंघे ७७,००० एकड़ धान नष्ट कर चुके हैं और देश के सबसे उत्पादक धान-उपजाऊ क्षेत्र में फैल गए हैं। एक अकेली मादा घोंघा एक साल में कुछ चार करोड़ अण्डे दे सकती है।
चीन की जनसंख्या १.२ अरब हो गयी
इस साल के शुरू में चीन की जनसंख्या १.२ अरब हो गयी, चाइना टुडे ने रिपोर्ट किया। दशक १९७० में चलाए गए राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के बिना नौ साल पहले जनसंख्या इतनी हो चुकी होती। फिर भी, वर्तमान वृद्धि-दर पर, चीन की जनसंख्या अगली शताब्दी के शुरूआत में १.३ अरब हो जाएगी। जबकि यह भौगोलिक रूप से संसार के सबसे विशाल देशों में से है, चीन का प्रति व्यक्ति अनाज, माँस, और अण्डों का उत्पादन अधिक विकसित देशों के उत्पादन से कम है। इसके अलावा, जनसंख्या और ज़्यादा घने भूमि अधिभोग के कारण कुल कृषि-भूमि कम होती जा रही है, चाइना टुडे ने कहा।
युवा भविष्य के बारे में निराशावादी
ऑस्ट्रेलिया को “भाग्यशाली देश” कहा जाता था, लेकिन आज बढ़ती संख्या में ऑस्ट्रेलियाई युवा लोग उस विचार से शायद सहमत न हों। १५ और १९ साल के युवा लोगों के एक अध्ययन पर रिपोर्ट करते हुए, समाचार-पत्र दी ऑस्ट्रेलियन ने पाया कि उन्हें “ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक भविष्य के बारे में एक ‘भयंकर’ दूरदृष्टि है।” सरकारी, कैथोलिक, और प्राइवेट स्कूलों के ९वीं, १०वीं, और ११वीं कक्षा के छात्रों का इंटरव्यू लिया गया। “रिपोर्ट के अनुसार, खोज ‘बिलकुल स्पष्ट रूप से’ दिखाती है कि १५ और १६-साल के युवाओं की वर्तमान पीढ़ी ‘भविष्य को गले लगाने के लिए नहीं दौड़ रही’ है—क्योंकि वे मानते हैं कि समाज ज़्यादा हिंसक हो रहा है और बेरोज़गारी अधिक ही रहेगी,” समाचार-पत्र ने कहा। यह पूछे जाने पर कि उनके विचार से आज से दस साल बाद उनका जीवन कैसा होगा, “अधिकांश उत्तर देनेवालों ने एक पतित होती अर्थ-व्यवस्था और एक ऐसे समाज का उल्लेख किया जिसमें व्यक्तियों को अपने आर्थिक भविष्य पर कम नियंत्रण होता।”
पौधे जिनमें “स्मरण-शक्ति” है
आक्रमण होने पर, अनेक पौधे अपने आक्रमणकर्ताओं को भगाने के लिए रसायन उत्पन्न करते हैं। न्यू साइन्टिस्ट पत्रिका रिपोर्ट करती है कि कुछ तो आक्रमण को “स्मरण” भी कर लेते हैं, जो दुबारा आक्रमण होने पर उनको ज़्यादा जल्दी विकर्षक विष उत्पन्न करने में मदद देता है। तम्बाकू के पत्ते पर बैठी सूँडी जैस्मॉनिक अम्ल का उत्पादन शुरू करती है, जो जड़ों तक पहुँचता है। यह निकोटीन के उत्पादन को शुरू करता है, जो पत्तियों तक वापस आता है और उन्हें खानेवाले के लिए अरुचिकर बनाता है। ऐसे पौधों ने जिनकी जड़ों पर पहले अम्ल का प्रभाव हो चुका था आक्रमण होने पर ज़्यादा जल्दी प्रतिक्रिया दिखायी। “यह सुझाता है कि सचमुच पौधों के पास स्मरण-शक्ति होती है,” बफलो में न्यू यॉर्क राज्य विश्वविद्यालय का ईअन बॉल्डवन कहता है।
पीठ-दर्द से निपटना
कनाडा के दी मॆडिकल पोस्ट के अनुसार, संसार-भर में ९० प्रतिशत लोगों को उनके जीवन में कभी-न-कभी होनेवाला, निचला पीठ-दर्द “मनुष्यों को प्रभावित करनेवाली सबसे प्रायिक अवस्था” है। लेकिन, अधिकांश मामलों में, शायद महँगे चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता न पड़े। एक विकृतांगचिकित्सक, डॉ. गार्थ रसल कहता है कि “एकाएक या अतिपाती प्रदाहक पीठ-दर्द (प्रायः शारीरिक गतिविधि के बाद) के किस्सों में से ९०% में केवल पीठ का तीव्र पेशी आकुंचन सम्मिलित होता है, और दो-तीन दिन के शैय्या-विश्राम से ठीक हो जाएगा।” उसके बाद, डॉ. रसल सलाह देता है, “हलका व्यायाम शुरू कीजिए और अपनी दैनिक गतिविधियों में फिर से लग जाइए।”
कष्टदायी वाइरस
यू.एस. न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट में एक लेख के अनुसार, “नयी महामारियाँ साथ ही पुरानी बीमारियाँ बुरी तरह फैल रही हैं।” क्यों? अनेक तत्वों ने बीमारियों के प्रति मानव भेद्यता को बढ़ा दिया है, स्वीडन का समाचार-पत्र नॉइ ज़ूरकर ज़ाइटुंग समझाता है। तत्वों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा में वृद्धि सम्मिलित है, जिसके कारण ऐसे जनसमूहों में बीमारियों का प्रवेश होता है जिनके पास कोई प्रतिरक्षा नहीं है। इसके अलावा, अटलान्टा, जॉर्जिया के सी.डी.सी. (रोग नियंत्रण केंद्र) में लोगों को सामान्य रोगाणु डराते हैं, यू.एस. न्यूज़ नोट करता है, “ऐसा समय था जब ये ऐन्टीबायोटिक द्वारा आसानी से मार दिए जाते थे, अब इन्होंने सबसे नयी और अति प्रभावशाली दवाओं को भी बेअसर करना शुरू कर दिया है।”
नयी जातियाँ
पौधों की नयी जातियों की खोज में ब्रिटेन और ब्राज़िल के वनस्पतिज्ञ उत्तरपूर्वी ब्राज़िल के एक पहाड़ पर २० वर्ष से अधिक समय से खोज कर रहे हैं। अब तक उन्हें विस्मयजनक १३१ जातियाँ मिली हैं जो पहले अज्ञात थीं, सभी केवल १७१ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में उग रही हैं। यह “अदन की वाटिका,” जैसे समाचार-पत्र फ़ॉलया डी साउ पाउलो इस स्थल को पुकारता है, ब्राज़िल के बाहिया राज्य में १,९६० मीटर-ऊँचे पीको डास आल्मास पर है। यह निश्चित करने के लिए कि ये सभी पौधे सचमुच नयी खोज थे, वनस्पतिज्ञों ने कुछ ३,५०० वनस्पति संग्रहालयों में जाँच की—और वे नयी खोज थे। इंग्लैंड के राजकीय वनस्पति उद्यान के साइमन मायो ने समाचार-पत्र को बताया: “बीसवीं शताब्दी के अन्त में इतने सारे पौधों को खोजना प्रभावशाली है।”