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नींद लेख “आपके शरीर को नींद की ज़रूरत क्यों है,” (जून ८, १९९५, अंग्रेज़ी) के लिए शुक्रिया। मुझे कहना होगा कि इसने मेरी आँखें खोल दीं। एक चिकित्सीय विद्यार्थी के तौर पर, मैं अपने अध्ययनों में पीछे न रह जाने की कोशिश में नींद के अनेक मूल्यवान घंटे खोती हूँ। लेख में ज़िक्र किए गए कुछ प्रभावों से मैं पीड़ित हो चुकी हूँ। मैं नींद के बेहतर नमूने विकसित करने की कोशिश करूँगी।

एल. एच., ट्रिनेडाड

दादा-दादी मेरी आँखों से ख़ुशी के आँसू छलके जब मैंने “क्या आप बुज़ुर्ग रिश्‍तेदारों की क़दर करते हैं?” (जुलाई-सितम्बर, १९९५) श्रंखला पढ़ी। मैं अपने ससुरालवालों की ओर से कठिन समय से गुज़र रही थी, सो आपका लेख इससे बेहतर समय में नहीं आ सकता था। इसने मुझे एहसास दिलाया कि मैं उनके साथ उनके योग्य उचित आदर से व्यवहार नहीं कर रही थी। मैंने आवश्‍यक परिवर्तन करने शुरू किए, और हम सब ज़्यादा ख़ुश हैं।

ए. टी., कनाडा

जब हमें अपने पिता को उपचार्य-गृह में डालना पड़ा, तो हमने उन्हें सप्ताह में तीन बार भेंट देने का संकल्प किया। हमने दो साल से उस प्रतिज्ञा को पूरा किया है। घर के छोटे-मोटे दैनिक समाचार उनके लिए कितना महत्त्वपूर्ण है! इसे बनाए रखने के लिए दृढ़-संकल्प की ज़रूरत है, लेकिन नाती-पोते साथ ही साथ दादा-दादी भी लाभ प्राप्त करते हैं।

पी. एल., अमरीका

एक कैथोलिक के तौर पर, मैं इस तथ्य से प्रभावित हुई कि लेख धर्ममत या धर्म पर केन्द्रित नहीं थे बल्कि निष्पक्ष थे। आपने एक ऐसी ज़रूरत को साहसपूर्वक सम्बोधित किया है जिसकी लगभग पूरी तरह से उपेक्षा की गयी है।

ए. बी., कोस्टा रीका

साँस की बदबू मुझे आपके ज्ञानप्रद लेख “साँस की बदबू के बारे में आप क्या कर सकते हैं?” (जुलाई-सितम्बर, १९९५) के लिए शुक्रिया अदा करना है। यह मेरी समस्या थी! यह सच है कि साँस की बदबू होना आपको हताश महसूस करवाता है। मैंने दन्तचिकित्सक से दो बार मुलाक़ात की, लेकिन फिर भी गंध बनी रही। लेख में दिए गए सुझावों को मैंने लागू किया, और वे कार्य कर रहे हैं। कृपया संसार-भर में लोगों की मदद करना जारी रखिए।

आर. ओ. आई., नाइजीरिया

भारत की स्त्रियाँ मैंने लेख “भारत की स्त्रियाँ—२१वीं सदी की और बढ़ती हुईं” (जुलाई २२, १९९५, अंग्रेज़ी) का मूल्यांकन किया! मैंने हमेशा भारत को मोहक पाया है, क्योंकि उसकी ऐसी संस्कृति है जो मेरी संस्कृति से बहुत भिन्‍न है। आपके लेख ने दिखाया कि भारतीय स्त्रियों को असल स्वतंत्रता केवल परमेश्‍वर के राज्य के अधीन ही मिलेगी। मैं उस समय की उत्सुकता से प्रत्याशा करती हूँ जब सभी स्त्रियों को वास्तव में ऐसे पतियों द्वारा प्रेम किया और संजोया जाएगा, जिनका वे आदर करती हैं।

डब्ल्यू. एस., ब्रिटिश कोलम्बिया

रजोनिवृत्ति हम एक औषधीय कम्पनी को संभालते हैं जो विशेष रूप से स्त्री-रोग सम्बन्धी दवाइयाँ बनाती है। हमने रजोनिवृत्ति के बारे में लेख को, जिसका शीर्षक “एक बेहतर समझ पाना” (फरवरी २२, १९९५, अंग्रेज़ी) है, बहुत ही रोचक पाया, और हम प्रसन्‍न हैं कि आपने इस विषय पर एक लेख लिखा। लेकिन, बक्स “मदकाल प्रतिस्थापन चिकित्सा के बारे में क्या?” कहता है कि “हार्मोन प्रतिस्थापन पथ्यापथ्य-नियम में प्रोजेस्टेरॉन को जोड़ना . . . हृदय रोग पर मदकाल के लाभकारी प्रभाव का प्रतिकार करता है।” यह हमेशा सच नहीं होता है, विशेषकर प्राकृतिक प्रोजेस्टिन्स्‌ के सम्बन्ध में।

डॉ. टी. डब्ल्यू. और जे. के., जर्मनी

हमें दिनाप्त करने के लिए शुक्रिया। जबकि पुराने स्रोतों ने सूचित किया कि प्रोजेस्टिन्स्‌ एचडीएल, या “अच्छे” कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटा सकते हैं, और इस प्रकार हृदय रोग के जोख़िम को बढ़ाते हैं, और भी हाल के अधिकांश शोध कुछ और ही सूचित करते हैं। “जामा” के जनवरी १८, १९९५ के अंक में रिपोर्ट किए गए हाल के एक अध्ययन ने दावा किया कि “केवल मदकाल या एक प्रोजेस्टिन के संयोग के साथ मदकाल, [“अच्छे” कोलेस्ट्रॉल के स्तर] को उन्‍नत करता है।” निःसंदेह हार्मोन उपचारों के सभी दीर्घकालिक प्रभावों को पूरी तरह से समझने से पहले अधिक शोध किया जाना है।—संपादक।

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