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  • सीखने की असमर्थता के साथ जीना
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g97 3/8 पेज 3-5

सीखने की असमर्थता के साथ जीना

छः-वर्षीय डॆविड के लिए दिन का मनपसन्द भाग है कहानी का समय। जब उसकी मम्मी उसे पढ़कर सुनाती है तो उसे बहुत अच्छा लगता है, और जो वह सुनता है उसे याद रखने में उसे कोई दिक़्क़त नहीं होती। लेकिन डॆविड को एक समस्या है। वह अपने-आप पढ़ नहीं सकता। दरअसल, दृष्टि-क्षमता की माँग करनेवाला कोई भी काम उसे कुंठित कर देता है।

सारा तीसरी क्लास में है, फिर भी उसका लेखन असाधारण रूप से गंदा है। उसके शब्द ठीक से लिखे हुए नहीं होते, और उनमें से कुछ उलटे लिखे हुए होते हैं। उसके माता-पिता को और भी चिन्ता इस बात से है कि उसे ख़ुद अपना नाम लिखने में दिक़्क़त होती है।

एक नव-किशोर, जॉश स्कूल में गणित को छोड़ सारे ही विषयों में बहुत अच्छा है। संख्यात्मक मूल्यों की धारणा ही उसे पूरी तरह चकरा देती है। संख्या पर केवल नज़र पड़ने से जॉश का दिमाग़ गरम हो जाता है, और जब वह अपना गणित का गृहकार्य करने बैठता है, तो बहुत जल्दी उसका मूड ख़राब हो जाता है।

डॆविड, सारा, और जॉश को क्या हुआ है? क्या वे केवल सुस्त, अड़ियल, शायद मन्दबुद्धि हैं? हरगिज़ नहीं। इनमें से हरेक बच्चा सामान्य से अच्छी बुद्धि रखता है। फिर भी, हरेक सीखने की किसी असमर्थता से बाधित भी है। डॆविड अपपठन से पीड़ित है। यह एक ऐसा शब्द है जिसे अनेक पठन समस्याओं के लिए लागू किया जाता है। लेखन को लेकर सारा की अत्यन्त कठिनाई को लेखनदोष कहा जाता है। और गणित की मूल धारणाओं को समझने में जॉश की असमर्थता को परिकलनदोष कहा जाता है। ये सीखने की असमर्थताओं में से केवल तीन हैं। और भी अनेक हैं, और कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगाते हैं कि कुल मिलाकर ये अमरीका में कम-से-कम १० प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करती हैं।

सीखने की असमर्थताओं को परिभाषित करना

माना कि कभी-कभी अधिकांश युवाओं के लिए सीखना एक चुनौती होती है। लेकिन, आम तौर पर यह सीखने की किसी असमर्थता को सूचित नहीं करता। इसके बजाय, यह केवल इस बात को दिखाता है कि सभी बच्चों में सीखने की विभिन्‍न क्षमताएँ होती हैं। कुछ बच्चों में सुनने का गुण प्रबल होता है; वे जानकारी को सुनने के द्वारा अच्छी तरह हासिल कर सकते हैं। दूसरे लोग ज़्यादा दृष्टि-निर्देशित होते हैं; वे लोग पढ़ने के द्वारा बेहतर सीखते हैं। लेकिन, स्कूल में विद्यार्थी एक क्लास-रूम में भरे हुए होते हैं और सभी से सीखने की अपेक्षा की जाती है, चाहे इस्तेमाल की गयी शिक्षा-प्रणाली जो भी हो। अतः, यह तो अटल है कि कुछ बच्चों को सीखने की समस्याएँ होंगी।

लेकिन, कुछ अधिकारियों के मुताबिक़, साधारण सीखने की समस्याओं और सीखने की असमर्थताओं में फ़र्क़ है। यह समझाया जाता है कि सीखने की समस्याओं पर धैर्य और यत्न के साथ क़ाबू पाया जा सकता है। इसकी विषमता में, कहा जाता है कि सीखने की असमर्थताएँ अधिक गहरी होती हैं। डॉ. पॉल और एस्तॆर वॆन्डर लिखते हैं, “ऐसा लगता है कि सीखने में असमर्थ बच्चे का मस्तिष्क कुछ ख़ास तरह के मानसिक कार्यों को एक ग़लत ढंग से समझता, सोचता, या याद रखता है।”a

फिर भी, यह ज़रूरी नहीं है कि सीखने की किसी असमर्थता का मतलब यह हो कि कोई बच्चा मानसिक रूप से विकलांग है। इसे समझाने के लिए, वॆन्डर दम्पत्ति तान-बधिर लोगों से इसकी समानता करते हैं, जो संगीत की तान में फ़र्क़ नहीं बता सकते। “तान-बधिर लोगों के मस्तिष्क में ख़राबी नहीं हैं और ना ही उनके सुनने में कोई ख़राबी है,” वॆन्डर दम्पत्ति लिखते हैं। “कोई भी यह नहीं सुझाएगा कि तान-बधिरता सुस्ती, ख़राब शिक्षा, या अपर्याप्त प्रेरणा के कारण होती है।” वे कहते हैं कि जो सीखने में असमर्थ हैं उनके साथ भी ऐसा ही है। अकसर, कठिनाई सीखने के एक विशिष्ट पहलू पर केन्द्रित होती है।

यह समझाता है कि क्यों सीखने की असमर्थता से पीड़ित अनेक बच्चों की बुद्धि औसत और उससे बढ़कर होती है; वाक़ई, कुछ तो बहुत ही अक़लमंद होते हैं। यही वह अन्तर्विरोध है जो डॉक्टरों को किसी सीखने की असमर्थता की संभावित मौजूदगी के बारे में अवगत कराता है। पुस्तक मेरे बच्चे को स्कूल में समस्या क्यों हो रही है? (अंग्रेज़ी) समझाती है: “सीखने की किसी असमर्थता से पीड़ित बच्चा उसकी उम्र के लिए अपेक्षित स्तर और उसके आँके गए बौद्धिक स्तर से दो या ज़्यादा साल पीछे काम कर रहा है।” दूसरे शब्दों में, समस्या बस इतनी नहीं है कि बच्चे को अपने समकक्षों के साथ क़दम-से-क़दम मिलाने में दिक़्क़त होती है। इसके बजाय, उसका काम उसकी अपनी क्षमता के बराबर नहीं है।

ज़रूरी मदद प्रदान करना

सीखने की असमर्थता के भावात्मक प्रभाव अकसर समस्या में योग देते हैं। जब सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चे स्कूल में उतना अच्छा नहीं करते, तो उन्हें उनके शिक्षकों और समकक्षों द्वारा, शायद उनके अपने परिवार द्वारा भी विफल समझा जाए। अफ़सोस, ऐसे अनेक बच्चे एक नकारात्मक आत्म-छवि बना लेते हैं जो बड़े होते वक़्त भी बनी रहती है। यह एक वैध चिन्ता है, क्योंकि आम तौर पर सीखने की असमर्थताएँ निकल नहीं जातीं।b “सीखने की असमर्थताएँ ज़िन्दगी-भर की असमर्थताएँ होती हैं,” डॉ. लैरी बी. सिल्वर लिखता है। “वही असमर्थताएँ जो पढ़ने, लिखने, और गणित में दख़ल देती हैं वे खेल-कूद और अन्य गतिविधियों, पारिवारिक जीवन, और दोस्तों के साथ निभने में भी दख़ल देंगी।”

अतः, यह आवश्‍यक है कि सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चों को जनकीय सहारा मिले। “उन बच्चों के पास सूक्षमता और स्वाभिमान का भाव विकसित करने का एक आधार होता है, जो जानते हैं कि उनके माता-पिता उनके प्रबल समर्थक हैं,” पुस्तक सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चे की परवरिश करना (अंग्रेज़ी) कहती है।

लेकिन समर्थक होने के लिए, पहले माता-पिता को स्वयं अपनी भावनाओं की जाँच करनी होगी। कुछ माता-पिता दोषी महसूस करते हैं, मानो उनके बच्चे की हालत के लिए वे ही किसी तरह क़सूरवार हैं। दूसरे लोग हक्का-बक्का हो जाते हैं, और उनके सामने रखी हुई चुनौतियों से अभिभूत महसूस करते हैं। ये दोनों ही प्रतिक्रियाएँ सहायक नहीं हैं। ये माता-पिता को निश्‍चल कर देती हैं और बच्चे को वह मदद प्राप्त करने से रोकती हैं जिसकी उसे ज़रूरत है।

सो अगर एक कुशल विशेषज्ञ कहता है कि आपके बच्चे को कोई सीखने की असमर्थता है, तो निराश मत हो जाइए। याद रखिए कि सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चों को किसी विशिष्ट शिक्षा क्षमता में केवल अतिरिक्‍त सहारे की ज़रूरत है। सीखने की असमर्थतावाले बच्चों के लिए आपके क्षेत्र में जो भी कार्यक्रम उपलब्ध हों उनसे परिचित होने के लिए समय निकालिए। अनेक स्कूल अब ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर रूप से सज्जित हैं जैसे वे सालों पहले नहीं थे।

विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि आपको अपने बच्चे की किसी भी उपलब्धी के लिए पीठ थपथपानी चाहिए, चाहे वह कितनी भी छोटी क्यों न हों। सराहना देने में उदार होइए। साथ ही, अनुशासन को नज़रअंदाज़ मत कीजिए। बच्चों को व्यवस्था की ज़रूरत है, और यह सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चों के बारे में और भी सच है। अपने बच्चे को यह जानने दीजिए कि आप क्या अपेक्षा करते हैं, और जो स्तर आप बनाते हैं उन्हें थामे रहिए।

अन्ततः, अपनी स्थिति को वास्तविक रूप से देखना सीखिए। पुस्तक सीखने की असमर्थता से पीड़ित बच्चे की परवरिश करना (अंग्रेज़ी) इसे इस प्रकार सचित्रित करती है: “फ़र्ज़ कीजिए कि आप अपने मनपसन्द रेस्तराँ जाते हैं और तंदूरी चिकन का आर्डर देते हैं। जब वेटर आपके सामने प्लेट रखता है तो आप पाते हैं कि वह क़ीमा है। ये दोनों ही ज़ायकेदार व्यंजन हैं, लेकिन आप तंदूरी की अपेक्षा कर रहे थे। अनेक माता-पिताओं को अपने सोच-विचार में एक मानसिक परिवर्तन करने की ज़रूरत है। आप शायद क़ीमें के लिए तैयार न हों, लेकिन आप पाते हैं कि यह बहुत ही स्वादिष्ट है। ऐसा ही होता है जब आप उन बच्चों की परवरिश करते हैं जिनकी ख़ास ज़रूरतें हैं।”

[फुटनोट]

a कुछ अध्ययन सुझाते हैं कि सीखने की असमर्थताओं में शायद एक आनुवंशिक घटक या पर्यावरणीय तत्व हो, जैसे कि गर्भावस्था के दौरान सीसे का ज़हर चढ़ना या नशीली दवा या शराब का सेवन करना, शायद एक भूमिका निभाए। फिर भी, ठीक-ठीक कारण या कारणों का पता नहीं चला है।

b कुछ मामलों में, बच्चे सीखने की कोई क्षणिक असमर्थता दिखाते हैं क्योंकि कुछ क्षेत्र में उनका विकास विलम्बित होता है। समय आने पर, ऐसे बच्चे लक्षणों पर जल्दी ही क़ाबू पा लेते हैं।

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