ब्रुनोस्ट—नॉर्वे का एक ज़ायक़ेदार पनीर
नॉर्वे में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
मेरे साथ नॉर्वे के एक साधारण घर पर चलिए। नाश्ते के लिए मेज़ सजी हुई है, और उसमें मक्खन, मोटा ब्रेड, और विभिन्न अन्य वस्तुएँ रखी हैं। लेकिन ज़रा रुकिए! कुछ कमी तो है। किसी के यह पूछते देर नहीं लगती: ‘ब्रुनोस्ट कहाँ है?’
सभी प्रकार के सैंडविच भराव में से, जिनमें सैकड़ों भिन्न-भिन्न पनीर शामिल हैं, ब्रुनोस्ट, अथवा भूरे रंग का पनीर बाक़ी सब पनीरों में उच्च कोटि का है। यह नॉर्वे के अधिकांश घरों में पाया जाता है और इस देश में उपभोग किए गए कुल पनीर का तक़रीबन एक चौथाई भाग है। हर साल, नॉर्वे के लोग १२,००० टन ब्रुनोस्ट खाते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रति व्यक्ति औसतन तीन किलोग्राम से ज़्यादा सेवन किया जाता है। उसी समय, लगभग ४५० टन ब्रुनोस्ट ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डॆनमार्क, स्वीडन, और अमरीका जैसे देशों को निर्यात किया जाता है।
अनेक विदेशियों को नॉर्वे के किसी होटल में पहली बार ब्रुनोस्ट का स्वाद चखने को मिलता है। यह पनीर, गोलाकार या चौकोर आकार का, लगभग हमेशा नाश्ते की मेज़ पर होता है—सामान्यतः ओसटर्होवॆल नामक एक सुविधाजनक, काटने के छोटे-से साधन के साथ। इसे पनीर के ऊपर से पतली फाँक काटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
लेकिन वास्तव में ब्रुनोस्ट है क्या? इसका पता लगाने के लिए, हम एक असली सेएटर या पहाड़ी ग्रीष्म चरागाह फ़ार्म पर भेंट करने गए, जहाँ अब भी पारंपरिक तरीक़े से ब्रुनोस्ट बनाया जाता है।
पारंपरिक तरीक़े से ब्रुनोस्ट तैयार करना
हम जब पहुँचे, तब बकरियों का अभी-अभी दूध दुहा गया था। हमें अनुमति मिली कि हम ग्वालिन के साथ हो लें जब वह बकरी के दूध को ज़ायक़ेदार पनीर में परिवर्तित करती है।
बकरियों को दिन में दो बार दुहा जाता है, और दूध को एक बड़ी केतली में उँडेला जाता है। वहाँ इसे लगभग ३० डिग्री सेलसियस तक गर्म किया जाता है और रॆनन मिलाया जाता है। रॆनन एक ऐसा एन्ज़ाइम है जो दूध के जमने में मदद करता है। श्वेत दही शेष दूध से अलग होने लगता है, जिसे तोड़ कहा जाता है। अधिकांश तोड़ को ध्यानपूर्वक दही से हटा दिया जाता है, और दही को अलग लकड़ी के टब में इकट्ठा किया जाता है। इसे नॉर्वे का श्वेत बकरी पनीर कहते हैं। चूँकि श्वेत पनीर अभी “अपरिपक्व” है, तो प्रयोग के लिए तैयार होने से पहले इसे तक़रीबन तीन सप्ताहों के लिए परिपक्व होने देना है।
तब, भूरे पनीर, या ब्रुनोस्ट के बारे में क्या? दूध और मलाई को अब शुद्ध तोड़ में मिला दिया जाता है, और इस मिश्रण को उबलने दिया जाता है। इसे लगातार हिलाते रहना ज़रूरी है। जैसे-जैसे मिश्रण उबलता है, इसकी अधिकांश नमी भाप बन जाती है और तोड़ का रंग बदलता है। लगभग तीन घंटों के बाद, यह एक भूरे रंग का लेप बन जाता है। इसके बाद, इसे केतली से निकाला जाता है और जब तक लेप ठंडा नहीं हो जाता तब तक हिलाना जारी रहता है। अंततः, इन्हें गूँधा जाता है और फिर साँचों में भरा जाता है। श्वेत पनीर से भिन्न, ब्रुनोस्ट के परिपक्व होने की ज़रूरत नहीं होती। अगले दिन, जैसे ही भूरा पनीर साँचे में से निकाला जाता है, यह भूरा नॉर्वे बकरी पनीर इसके हर प्रेमी को प्रसन्न करने के लिए तैयार है।
जबकि प्रक्रिया के सिद्धांत अब भी वही हैं, पनीर बनाने के इस घिसे-पिटे तरीक़े की जगह काफ़ी पहले ही बड़े-पैमाने के मशीन उत्पादन ने ले ली। पहाड़ी डेरी फ़ार्म का स्थान ऐसी डेरियों ने ले ली है जो पुरानी खुली लौह केतलियों के बजाय निर्वात-संकेंद्रित उपकरण और प्रेशर कुकरों का प्रयोग करती हैं।
नॉर्वे का एक आविष्कार
ब्रुनोस्ट की शुरूआत कैसे हुई? वर्ष १८६३ की गर्मियों में, ग्वालिन आनी होव ने, जो गुदब्रान्सदालॆन घाटी में रहती थी, एक परीक्षण आज़माया जो एक बहुत बड़ा आविष्कार बन गया। उसने गाय के शुद्ध दूध से पनीर बनाया और इसे उबालने से पहले उसने तोड़ में मलाई मिलाने की सोची। नतीजा एक लज़्ज़तदार भूरा पनीर था, जो चर्बी-प्रधान था। बाद में, लोग उत्पादन के आधार के तौर पर बकरी का दूध और बकरी के दूध व गाय के दूध के मिश्रण को भी प्रयोग करने लगे। वर्ष १९३३ में, भरे बुढ़ापे में, आनी होव को अपने आविष्कार के लिए नॉर्वे के राजा का ख़ास योग्यता का मेडल दिया गया।
आज, ब्रुनोस्ट के चार मुख्य प्रकार हैं: एकता येतोस्त, असल बकरी का पनीर जो बकरी के शुद्ध दूध से बनता है। गुदब्रान्सदाल्सोस्त, जो घाटी के नाम पर रखा गया है, सबसे आम है, और इसमें १० से १२ प्रतिशत बकरी का दूध और शेष गाय का दूध होता है। फ्लोटॆमीसोस्त, मलाई तोड़ पनीर, गाय के शुद्ध दूध से बनता है। प्रीम, एक मुलायम, भूरा तोड़ पनीर, गाय के दूध से बनता है, लेकिन इसमें चीनी मिलायी जाती है। इसे दूसरे प्रकार के पनीरों से कम उबाला जाता है। चर्बी की मात्रा, सख़्तता, और रंग—पनीर को कितना हलका या गाढ़ा होना है—ये सब तोड़, मलाई, और दूध के अनुपात तथा उबालने के समय पर निर्भर है। जो बात ब्रुनोस्ट को इतना ख़ास बनाती है वह वास्तव में यह है कि यह तोड़ से बनता है, न कि दूध के केसिन से। अतः, इसमें अत्यधिक दुग्ध शर्करा होता है, जिससे इसका स्वाद मीठा-मीठा, कैरामल सरीखा होता है।
नॉर्वे के हज़ारों लोगों के लिए, ब्रुनोस्ट न केवल एक ज़ायक़ेदार भोजन है बल्कि यह उनके दैनिक आहार का एक आवश्यक भाग है।
[पेज 27 पर बक्स/तसवीर]
अपना खुद का ब्रुनोस्ट बनाना
ज़ायक़ेदार ब्रुनोस्ट बनाना एक कला है जो काफ़ी अनुभव की माँग करता है। विभिन्न क़िस्म के ब्रुनोस्ट के उत्पादन की बारीक़ियाँ, बेशक व्यापारिक राज़ हैं। लेकिन आप शायद कुछ परीक्षण करके अपना खुद का ब्रुनोस्ट बनाना चाहें। इस नुसख़े से, आधार के तौर पर कुल सात लीटर दूध और मलाई के साथ, ७०० ग्राम का ब्रुनोस्ट और उपोत्पाद के तौर पर ५०० ग्राम का श्वेत पनीर प्राप्त होगा।
१. पाँच लीटर दूध को लगभग ३० डिग्री सेलसियस तक गर्म कीजिए, रॆनन मिलाइए, और लगभग आधे घंटे तक इंतज़ार कीजिए। अब दूध जमना शुरू होगा।
२. विभाजित हो रहे दही को घनाकारों में काटिए, और संभाल के हिलाइए। इससे दही से तोड़ छूट जाएगा। दूध को और गर्म करना शायद लाभदायक हो।
३. तोड़ को छानने के द्वारा दही निकाल लीजिए। दही का कॉटेज़ पनीर के तौर पर या दबाकर श्वेत पनीर बनाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
४. तोड़ मिश्रण में, जिसे उबाला जाता है सामान्यतः दो-तिहाई तोड़ और एक-तिहाई दूध व मलाई होती है। इसका अर्थ है कि आपको अभी कुछ दो लीटर मलाई और/या दूध मिलाना पड़ेगा। चार-पाँच डेसीलीटर मलाई का प्रयोग करते हुए साधारण पनीर बनाइए जिसमें पूरी वसा हो। कम अनुपात की मलाई से कम वसावाला पनीर बनेगा।
५. मिश्रण को लगातार उबलने दीजिए और आप उसे हिलाते रहिए। तोड़ को अच्छी तरह से उबलने में कई घंटे लग सकते हैं। तब यह बहुत सख़्त हो जाएगा। इसका अनुमान यह हो सकता है कि हिलाते वक़्त आप केतली के तले को देख सकते हैं। जितना ज़्यादा तोड़ को उबाला जाता है, उतना ही सख़्त और गाढ़ा पनीर बनेगा।
६. भूरे रंग के लेप को केतली में से निकालिए, और इसके ठंडा होते वक़्त इसे अच्छी तरह से हिलाइए। दानेदार पनीर न बन जाए इसके लिए यह ज़रूरी है।
७. जब यह लगभग ठंडा हो जाता है, तो लेप इतना सख़्त होता है कि इसे गूँधकर किसी ढाँचे में ढाला जा सकता है। इसे पूरी रात वैसा ही रखिए।
इसके अलावा, ब्रुनोस्ट पतली फाँक में सबसे स्वादिष्ट लगता है और ताज़ा ब्रेड या वॉफ़ल्स् के साथ इसे पसंद किया जाता है।
[पेज 27 पर चित्र का श्रेय]
TINE Norwegian Dairies के कृपापूर्ण सौजन्य से