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सजग होइए!–1997
g97 8/8 पेज 28-29

विश्‍व-दर्शन

भविष्य के बारे में राय

इक्कीसवीं सदी के समीप आने से, भविष्य के बारे में काफ़ी राय व्यक्‍त की जा रही हैं। अमरीका में न्यूज़वीक द्वारा चलाए गए एक मत सर्वेक्षण में, लोगों से अगली सदी के बारे में उनकी अपेक्षाओं के बारे में पूछा गया। सर्वेक्षित लोगों में से लगभग ६४ प्रतिशत ने पूर्वबताया कि अंतरिक्षयात्री मंगल ग्रह पर क़दम रखेंगे। लगभग ५५ प्रतिशत अपेक्षा करते हैं कि मनुष्य अंततः विश्‍व की दूसरी जगहों पर निवास करेंगे। सत्तर प्रतिशत सोचते हैं कि वैज्ञानिक एड्‌स के लिए इलाज ढूँढ़ निकालेंगे, और ७२ प्रतिशत पूर्वबताते हैं कि कैंसर का इलाज विकसित किया जाएगा। एक और निराशावादी अंदाज से, साक्षात्कार लिए गए लोगों में से ७३ प्रतिशत अमीर और ग़रीब लोगों के बीच के फ़ासले के बढ़ने की पूर्वझलक देखते हैं, और ४८ प्रतिशत पिछले १०० वर्षों में हुए युद्धों से भी ज़्यादा युद्धों की आशा करते हैं। लगभग ७० प्रतिशत सोचते हैं कि मनुष्य विश्‍वव्यापी भुखमरी हटा नहीं पाएगा।

“ईमानदार” फ़रेब

अर्जेंटीना की बीमा कंपनियों को अपने ग्राहकों की फ़रेबी आदतों की वज़ह से हर साल लगभग $२० करोड़ का नुक़सान हो रहा है। परिणामानुसार, ऑटोमोबाइल के बीमे का मूल्य दूसरे अधिकांश देशों से यहाँ ३० प्रतिशत तक ज़्यादा लगता है। अख़बार आमबीतो फ़ीनानस्येरो के मुताबिक़, “किए गए फ़ेरबी कार्य में से लगभग आधा ऐसे लोगों के हाथ का कमाल था जिन्हें ‘ईमानदार नागरिक’ कहा जा सकता है।” कहा जाता है कि लगभग ४० प्रतिशत पॉलिसी धारकों ने अपनी बीमा कंपनी का किसी-न-किसी तरीक़े से अनुचित लाभ उठाया है। अख़बार अंत में कहता है कि यह फ़रेबी कार्य उन असंतुष्ट उपभोक्‍ताओं के प्रतिशोध का एक रूप है जो महसूस करते हैं कि उनकी बीमा कंपनियों ने उनके साथ धोखा किया है।

जापान में मनुष्यों के इस्तेमाल की वापसी

“जापानी उद्योग में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हो रहा है,” समाचार पत्रिका फ़ार ईस्टर्न इकॉनॉमिक रिव्यू कहती है। “दो दशकों से, जापानी फ़ैक्ट्रियों ने मनुष्यों के बदले मशीनें रखने के द्वारा दक्षता हासिल करने की कोशिश की है। अब मनुष्य की वापसी होने लगी है। कुछेक बड़े-बड़े निर्माता वास्तव में काम में लगे रोबोटों को फुर्ती से हटा रहे हैं और उनकी जगह मनुष्यों को रख रहे हैं।” क्यों? क्योंकि मनुष्यों में ऐसा कुछ है जो रोबोटों में नहीं—नम्यता। जब समय होता है मॉडल बदलने का, तब इंसान जल्दी से अनुकूल हो सकते हैं, जबकि रोबोट को फिर से प्रोग्राम करने में महीनों लग सकते हैं। “नतीजा यह हुआ था कि हम रोबोट की तरह आख़िरकार लोगों का इस्तेमाल करने लगे,” एनईसी का फ़ैक्ट्री अध्यक्ष, टोमीआकी मिज़ूकामी कहता है। “लेकिन अभी हमें उनकी बुद्धि का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। रोबोटों का इस्तेमाल अच्छा था, लेकिन अभी हमें मालूम हो रहा है कि लोगों का इस्तेमाल करना वास्तव में काम में तेज़ी लाता है।” मसलन, ऐसा देखा गया कि एनईसी के कार्यकर्ता रोबोटों से ४५ प्रतिशत ज़्यादा कुशलता से फ़ोन का संग्रह कर सकते हैं। लोग मशीनों से कम जगह भी लेते हैं, और ज़्यादा सरल मशीनरी का नतीजा और भी कम मेकैनिक तथा देखभाल का कम ख़र्च है। “कम स्वचालित यंत्रों के साथ दो या तीन साल तक परीक्षण करने के बाद, निर्माता लागत में भारी बचत और उत्पादकता में वृद्धि प्राप्त करने का दावा करते हैं,” पत्रिका कहती है।

एक मरणोन्मुख सागर

मृत सागर कम होता जा रहा है। “पहले ही पृथ्वी का निम्नतम जल समूह, (संसार के समुद्रों के औसत स्तर से ४१० मीटर नीचे), मृत सागर की सतह लगातार घटती जा रही है,” यू.एस.न्यूस एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट कहती है। क्यों? वाष्पीकरण के प्रभावों के अलावा, कई सिंचाई प्रणालियाँ और बाँध यरदन नदी के जल की दिशा को परिवर्तित कर देते हैं, जो मृत सागर के जल का मुख्य स्रोत है। साथ ही, “ऐसे रासायनिक कारखानों ने, जो मृत सागर के जल को खनिज निकालने के लिए वाष्पीकरण तालाबों में पहुँचाते हैं, इस घटाव को तेज़ किया है।” मध्य पचासादि से, मृत सागर की सतह लगभग २० मीटर गिर गयी है। सुधार का एक क़दम जिस पर फ़िलहाल बहस चल रही है वह है १९० किलोमीटर की एक नहर का निर्माण जो लाल समुद्र से जल लाएगी। उस जल को १२० मीटर ऊपर चढ़ाया जाना होगा और फिर उसे ५३० मीटर नीचे मृत सागर में गिराया जाना होगा।

रामबाण मिला?

एक प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक़, “पहली बार एक ऐसा आहार का पता लगाया गया है, जिसमें चर्बी कम हो और फल व सब्ज़ियों की भरमार हो। इस आहार से रक्‍तचाप जल्द कम हो जाएगा और यह दवाइयों की तरह ही प्रभावकारी होगा,” द न्यू यॉर्क टाइम्स रिपोर्ट करता है। राष्ट्रीय हृदय, फेफड़ा और रक्‍त संस्थान के रोकथाम वैज्ञानिक शोध दल की अगुआ, डॉ. डॆनीज़ साइमन-मॉर्टन कहती है कि अध्ययन सुझाता है कि “शायद एक आहार सब कुछ के लिए काफ़ी हो”—हृदयरोग, उच्च रक्‍तचाप, और अनेक कैंसरों की रोकथाम करने में मदद करे। इस अध्ययन ने देश भर में छः चिकित्सीय केंद्रों में, सैकड़ों वयस्कों में आहार-संबंधी परिवर्तनों के प्रभावों को परखा। भाग लेनेवालों को तीन समूहों में अलग किया गया। एक समूह को “औसत” अमरीकी आहार के समान आहार दिया गया। दूसरे को फल और सब्ज़ी-प्रधान आहार दिया गया, लेकिन बाक़ी सब वस्तुएँ पहले आहार के जैसी ही रहीं। तीसरे को फल, सब्ज़ियों, और निम्न-चर्बी के डेरी उत्पादन में समृद्ध आहार दिया गया जिसमें कुल वसा, कोलेस्ट्रॉल, और संतृप्त वसा भी कम थी। दूसरे और तीसरे समूहों, दोनों के रक्‍तचाप में गिरावट हुई जिनका चिकित्सीय रूप से पता लगाया जा सकता था, लेकिन तीसरे समूह के आहार से सर्वोत्तम नतीजा निकला। उच्च-रक्‍तचाप से पीड़ित भाग लेनेवालों के लिए, परिणाम उतने ही अच्छे या उससे बेहतर थे जितना कि उन्होंने दवाइयाँ लेने पर पाए थे। इन दो आहारों में हर दिन सामान्य कलछी से नौ से दस बार फलों और सब्ज़ियों का परोसना शामिल था।

यूरोपीय धूम्रपान करनेवाले

यूरोपीय और चीनी नागरिक प्रति व्यक्‍ति तंबाकू सेवन करनेवालों में संसार के सबसे बड़े उपभोक्‍ता हैं, फ्रैंकफर्ट, जर्मनी का नासाउइश नोइए प्रॆसॆ रिपोर्ट करता है। यूरोपीय संघ में, ४२ प्रतिशत पुरुष और २८ प्रतिशत स्त्रियाँ धूम्रपान करती हैं। लेकिन, ये प्रतिशत २५ से ३९ के आयु समूह में काफ़ी ज़्यादा हैं। धूम्रपान हर साल जर्मनी में १,००,००० तथा ब्रिटेन में और १,००,००० व्यक्‍तियों की जान लेता है। हाल की बात है, चेक गणराज्य के राष्ट्रपति, वाटस्लेफ़ हावॆल का फेफड़ों के कैंसर के लिए इलाज किया गया। वह कई सालों से बेहिसाब धूम्रपान करता था। सूइतदोइशी त्सीतुंग रिपोर्ट करता है कि राष्ट्रपति ने धूम्रपान या स्वास्थ्य नामक यूरोपीय आंदोलन को लिखकर कहा कि वह ऐसे किसी भी व्यक्‍ति की तारीफ़ करते नहीं थकता जो धूम्रपान की आदत छोड़ने में सफल हो जाता है।

कीटनाशी ख़तरे

फिलीपींस्‌ के अंतर्राष्ट्रीय अन्‍न शोध संस्थान के मुताबिक़, यदि किसान कोई भी कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करें, फिर भी चावल उत्पादन उतना ही रहेगा। अन्‍न संस्थान के एक वैज्ञानिक ने फिलीपींस्‌ में आयोजित विश्‍व खाद्य-पदार्थ सम्मेलन को जानकारी दी कि फ़सल पर अत्यधिक छिड़काव दोनों, व्यर्थ और अनावश्‍यक है। नए वैज्ञानिक (अंग्रेज़ी) पत्रिका रिपोर्ट करती है कि किसान न सिर्फ़ साल के ग़लत समय पर छिड़काव करते हैं, बल्कि वे असल में ग़लत कीड़ों को मार डालते हैं। इसके अलावा, अनेक किसान रसायन डालते वक़्त सुरक्षा सलाहों की अवहेलना करते हैं और सूक्ष्म छिड़काव का प्रयोग करते हैं, जो श्‍वास लेते वक़्त आसानी से अंदर चले जाता है, या वे मिट्टी के साथ वनस्पतिनाशक मिलाकर इसे हाथों से फैलाते हैं। विश्‍व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट करता है कि विश्‍वभर में फ़िलहाल कीटनाशक हर साल २,२०,००० मौतों का और ३० लाख लोगों के गंभीर रूप से विषाक्‍त होने का कारण हैं।

आवाज़ से परेशान?

आवाज़ के प्रति अनाश्रयता, तुलनात्मक रूप से निम्न स्तरों पर भी, आपको परेशान कर सकती है, ब्रिटेन की नए वैज्ञानिक (अंग्रेज़ी) पत्रिका में रिपोर्ट किए गए अध्ययनों का कहना है। ऐसी खोज को मद्देनज़र रखते हुए, विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने रात्रि के सुरक्षित आवाज़ स्तरों पर अपने मार्गदर्शनों को संशोधित किया। यह प्रमाण ख़ास चिंता का विषय है जो सूचित कर रहा है कि बच्चे विशेष जोख़िम में हैं। एक अध्ययन ने पाया कि म्यूनिक के अंतर्राष्ट्रीय हवाई-अड्डे के नज़दीक रहनेवाले बच्चों को दोनों, उच्च रक्‍तचाप और ऐड्रिनॆलिन के उच्च स्तर हैं। संशोधकों ने यह भी पाया कि बच्चे अपनी पठन क्षमताओं और लंबे समय तक अपनी याददाश्‍त की क्षति से पीड़ित थे। ऐसे लोग जो आवाज़ के प्रति आदी होते हुए प्रतीत होते हैं, वे “हमेशा अपनी कार्यप्रणाली के जोख़िम पर” ऐसा करते हैं, ध्वनि विशेषज्ञ आर्लीन ब्रोनसाफ़्ट कहता है। “आवाज़ एक तनाव है और अंततः शरीर किसी-न-किसी तरीक़े से गंभीर रूप से प्रभावित हो ही जाता है।”

रक्‍तहीन चिकित्सा

“लहू से संक्रमित बीमारियों और दान किए गए लहू की लंबे समय तक की कमी के डर ने जहाँ संभव हो वहाँ रक्‍ताधान को ख़त्म करने के काफ़ी ज़ोरदार प्रयास को चिंगारी लगायी है,” द ग्लोब एण्ड मेल अख़बार रिपोर्ट करता है। रक्‍तहीन चिकित्सा और शल्यचिकित्सा, रक्‍त के स्राव के अति-सावधानीपूर्वक किए गए नियंत्रण पर निर्भर है, और “यहोवा के साक्षियों का इलाज करने के लिए अनेक नयी तकनीकों को शुरू में ही विकसित किया गया था,” ग्लोब कहता है। रक्‍तहीन शल्यचिकित्सा कार्यक्रमों को लागू करनेवाले अनेक अस्पतालों में से एक, ओटावा हृदय संस्थान के विश्‍वविद्यालय के संवेदनाहरक, डॉ. जेम्स ए. रोबॆली ने स्वीकार किया: “मैं सचमुच सोचता हूँ कि उन्होंने [यहोवा के साक्षी] इस विषय पर हमारी चेतना को बहुत ज़्यादा बढ़ाया है।”

संसार के सबसे बड़े जेलर

वर्ष १९९५ में अमरीका के हर १,००,००० निवासियों के लिए ६१५ लोग क़ैद में थे, अमरीकी न्याय विभाग कहता है। यह १९८५ के बंदीकरण दर से दुगुना है, जिससे यह संसार में सबसे प्रथम स्थान पर आता है, द वॉल स्ट्रीट जरनल रिपोर्ट करता है। दूसरे स्थान पर रूस है, जहाँ ५९० क़ैदी प्रति १,००,००० निवासी है और यह सबसे हालिए उपलब्ध आँकड़े (१९९४) पर आधारित है।

पुनः प्रयोग करने में बुद्धि है

काराकास, वेनेज़वेला के अख़बार एल यूनीवर्साल के मुताबिक़, अलूमिनियम कनस्तरों का पुनः प्रयोग करने से नए कनस्तर बनाने में प्रयोग की गयी ऊर्जा में ९० प्रतिशत की बचत होती है। काग़ज़ का भी पुनः प्रयोग करना पारिस्थितिक बुद्धि की बात है। काग़ज़ का पुनः प्रयोग करने से, नए काग़ज़ को उत्पन्‍न करने में प्रयोग की गयी ऊर्जा से पचास प्रतिशत कम ऊर्जा का प्रयोग होता है, जल प्रदूषण ५८ प्रतिशत घट जाता है, और वायु प्रदूषण में ७४ प्रतिशत की कटौती होती है। काँच में और भी बेहतर लाभ मिलता है क्योंकि इसे पूरी तरह से, बारंबार पुनः प्रयोग किया जा सकता है।

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