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  • माता-पिता दबाव में
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सजग होइए!–1997
g97 9/8 पेज 5-7

माता-पिता दबाव में

नये-नये माता-पिता प्रायः ख़ुशी से फूले नहीं समाते। उनके शिशु की मानो हर बात उन्हें रोमांचित करती है। शिशु की पहली मुसकान, पहले शब्द, और पहले क़दम बड़े ख़ास मौक़े होते हैं। वे उसकी बातों और तसवीरों से दोस्तों और रिश्‍तेदारों को रिझाते हैं। कोई संदेह नहीं कि वे अपने बच्चे से प्रेम करते हैं।

लेकिन, कुछ परिवारों में सालों के बीतने के साथ-साथ एक त्रासदी मुखर होती है। माता-पिता प्यार से मज़ाकिया बातें करने की जगह कठोर और कटु शब्द इस्तेमाल करते हैं; प्यार से गले लगाने की जगह ग़ुस्से से मारते हैं या फिर छूते ही नहीं; बच्चों पर गर्व करने की जगह कटु हो जाते हैं। “मुझे बच्चे पैदा करने ही नहीं चाहिए थे,” बहुत-से लोग कहते हैं। दूसरे परिवारों में समस्या इससे भी बदतर है—माता-पिता ने उस समय भी प्रेम नहीं दिखाया जब बच्चा छोटा था! क़िस्सा जो भी हो, हुआ क्या? प्रेम कहाँ गया?

निःसंदेह, बच्चे ऐसे प्रश्‍नों के उत्तर ढूँढ़ने में कुशल नहीं होते। लेकिन यह उन्हें अपने निष्कर्षों पर पहुँचने से नहीं रोक सकता। हृदय की गहराई में, बच्चा यह निष्कर्ष निकाल सकता है, ‘अगर मम्मी या पापा मुझसे प्यार नहीं करते, तो इसका मतलब है कि मुझमें कोई ख़राबी है। मैं बहुत बुरा हूँ।’ यह विश्‍वास एकदम पक्का हो सकता है—जो जीवन भर तरह-तरह के नुक़सान पहुँचा सकता है।

लेकिन, सच्चाई यह है कि माता-पिता नाना प्रकार के कारणों से बच्चों को वह प्रेम दिखाने से चूक सकते हैं जिसकी उनको ज़रूरत है। यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि आज माता-पिता अत्यधिक दबाव का सामना करते हैं, इनमें से कुछ दबाव तो बहुत-ही भारी होते हैं। जो माता-पिता इन दबावों से निपटने के लिए उपयुक्‍त रूप से तैयार नहीं होते, उनके लिए सफल माता-पिता बनना बहुत कठिन हो सकता है। पुराने समय की एक सूक्‍ति है: “अन्धेर से बुद्धिमान बावला हो जाता है।”—सभोपदेशक ७:७.

“कठिन समय”

आदर्श युग। अनेक लोगों ने इस सदी में एक ऐसे ही युग के आने की अपेक्षा की है। कल्पना कीजिए—आर्थिक दबाव, अकाल, सूखा, युद्ध न रहें! लेकिन ऐसी आशाएँ पूरी नहीं हुई हैं। इसके बजाय, आज के संसार की स्थिति वैसी है जिसकी भविष्यवाणी एक बाइबल लेखक ने सा.यु. पहली सदी में की थी। उसने लिखा कि हमारे दिनों में हम “कठिन समय” का सामना करेंगे। (२ तीमुथियुस ३:१-५) अधिकतर माता-पिता इन शब्दों से तुरंत सहमत होंगे।

आज के संसार में बच्चों को पालने के बड़े ख़र्च से ही अनेक नये माता-पिता घबरा जाते हैं। बहुधा, दो जून की रोटी जुटाने के लिए माता और पिता, दोनों को नौकरी करनी पड़ती है। दवाइयों का ख़र्च, कपड़े, स्कूल का ख़र्च, दिन में बच्चों की देखरेख का ख़र्च, साथ ही रोटी और मकान, यह सब मिलकर महीने का कुल ख़र्च इतना बढ़ा देते हैं कि अनेक माता-पिताओं को लगता है मानो वे धँसे जा रहे हों। आर्थिक स्थिति बाइबल विद्यार्थियों को प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी की याद दिलाती है जो एक ऐसा समय पूर्वबताती है जब लोग एक दिन की ज़रूरत की चीज़ें ख़रीदने के लिए पूरे दिन की मज़दूरी ख़र्च करेंगे!—प्रकाशितवाक्य ६:६.

बच्चों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे अपने माता-पिता के सामने आये इन सब दबावों को समझें। नहीं, अपने स्वभाव से ही बच्चे ज़रूरतमंद होते हैं, प्रेम और ध्यान पाने के भूखे होते हैं। संचार माध्यमों और स्कूल-साथियों से उन पर दबाव आता है कि नये-नये खिलौने, कपड़े और इलॆक्ट्रॉनिक वस्तुएँ ख़रीदें। और प्रायः इस कारण वे माता-पिता पर सदा-बढ़ती फ़रमाइशें पूरी करने का दबाव डालते हैं।

माता-पिताओं पर एक और दबाव है विद्रोहशीलता, जो इन दिनों बढ़ती नज़र आती है। दिलचस्पी की बात है, बाइबल ने भविष्यवाणी की थी कि हमारे समस्या-भरे समय का एक और संकेत होगा व्यापक रूप से बच्चों द्वारा माता-पिता की अवज्ञा। (२ तीमुथियुस ३:२) सच है, बच्चों के साथ अनुशासन की समस्याएँ नयी नहीं हैं। और कोई माता-पिता बच्चे के साथ दुर्व्यवहार को यह कहकर उचित नहीं ठहरा सकते कि बच्चा बदमाश है। लेकिन क्या आप सहमत नहीं होंगे कि आज माता-पिताओं को विद्रोहशीलता की एक समूची संस्कृति में बच्चों को पालने का संघर्ष करना पड़ता है? प्रचलित संगीत जो आक्रोश, विद्रोह और निराशा को बढ़ावा देता है; टीवी कार्यक्रम जो माता-पिताओं को महामूर्ख दिखाते हैं और बच्चों को उनके चतुर गुरु; फ़िल्में जो हिंसक आवेगों में आकर कुछ कर बैठने की प्रशंसा करती हैं—बच्चों पर आज ऐसे प्रभावों की बमवर्षा हो रही है। जो बच्चे विद्रोह की ऐसी संस्कृति को आत्मसात्‌ करते और उसकी नक़ल करते हैं वे अपने माता-पिता पर बहुत तनाव ला सकते हैं।

“स्वाभाविक स्नेहरहित”

लेकिन, इसी प्राचीन भविष्यवाणी का एक और पहलू है जो आज के परिवार के लिए और भी मुसीबत का ऐलान करता है। यह दिखाता है कि बहुत सारे लोग “स्वाभाविक स्नेहरहित” होंगे। (२ तीमुथियुस ३:३, NW) स्वाभाविक स्नेह ही परिवार को जोड़े रखता है। और उन्हें भी जो बाइबल भविष्यवाणी के बारे में अत्यधिक संदेही हैं, यह मानना पड़ेगा कि हमारे समय में पारिवारिक जीवन का जो विघटन हुआ है वह भयप्रद है। संसार भर में, तलाक़ दरें बढ़ी हैं। अनेक समाजों में, एक-जनक परिवारों और सौतेले-परिवारों की संख्या पारंपरिक परिवारों से अधिक है। एक-जनक और सौतेले-जनक कभी-कभी ख़ास चुनौतियों और दबावों का सामना करते हैं जो उनके लिए बच्चों को वह प्रेम दिखाना कठिन बना सकते हैं जिसकी उन्हें ज़रूरत है।

लेकिन, एक और भी गहरा प्रभाव है। आज के अनेक माता-पिता स्वयं ऐसे घरों में बड़े हुए हैं जहाँ थोड़ा या बिलकुल भी “स्वाभाविक स्नेह” नहीं था—घर जो व्यभिचार और तलाक़ के कारण टूटे थे; घर जिन पर भावशून्यता और घृणा का पाला पड़ा था; शायद ऐसे भी घर जहाँ मौखिक, भावात्मक, शारीरिक, या लैंगिक दुर्व्यवहार आम बात थी। ऐसे घरों में बड़ा होना न सिर्फ़ उनके बचपन को बल्कि उनके वयस्क जीवन को भी नुक़सान पहुँचा सकता है। आँकड़े काली तसवीर खींचते हैं—जिन माता-पिताओं के साथ बचपन में दुर्व्यवहार किया गया था उनके लिए संभावना अधिक है कि वे स्वयं अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करेंगे। बाइबल समय में यहूदियों की एक कहावत थी: “जंगली अंगूर तो पुरखा लोग खाते, परन्तु दांत खट्टे होते हैं लड़केबालों के।”—यहेजकेल १८:२.

लेकिन, परमेश्‍वर ने अपने लोगों से कहा कि ऐसा ही होना ज़रूरी नहीं है। (यहेजकेल १८:३) यहाँ एक महत्त्वपूर्ण बात स्पष्ट की जानी चाहिए। क्या माता-पिताओं पर इन सभी दबावों का यह अर्थ है कि उनके पास स्वयं अपने बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं? बिलकुल नहीं! यदि आप जनक हैं और अपने आपको ऊपर बताये गये कुछ दबावों से जूझता हुआ पाते हैं और चिंता करते हैं कि आप कभी एक अच्छे जनक बन पाएँगे या नहीं, तो ढाढ़स बाँधिए! आप आँकड़ा नहीं हैं। आपका अतीत स्वतः आपका भविष्य नहीं लिखता।

शास्त्रीय आश्‍वासन के सामंजस्य में कि सुधार संभव है, पुस्तक हितकर पालन-पोषण (अंग्रेज़ी) यह टिप्पणी करती है: ‘आपके अपने माता-पिता के व्यवहार से भिन्‍न व्यवहार करने के लिए जब तक आप सोचे-समझे क़दम नहीं उठाएँगे, आपके बचपन के ढर्रे अपने आपको दोहराते रहेंगे, चाहे आप ऐसा चाहें या न चाहें। इस चक्र को तोड़ने के लिए, आपको उन अहितकर ढर्रों के बारे में अवगत होना चाहिए जिन्हें आप आगे बढ़ा रहे हैं और यह सीखना चाहिए कि उन्हें कैसे बदलें।’

जी हाँ, यदि आवश्‍यक हो, तो आप दुर्व्यवहारपूर्ण पालन-पोषण का चक्र तोड़ सकते हैं! और आप उन दबावों का सामना कर सकते हैं जो बच्चों का पालन-पोषण करना आज इतना कठिन बना देते हैं। लेकिन कैसे? आपको बच्चों का अच्छा पालन-पोषण करने के सबसे अच्छे और सबसे भरोसेमंद स्तर कहाँ मिल सकते हैं? हमारा अगला लेख इस विषय पर चर्चा करेगा।

[पेज 6 पर तसवीर]

दबाव में, कुछ माता-पिता अपने बच्चों के प्रति प्रेम व्यक्‍त करने से चूक जाते हैं

[पेज 7 पर तसवीर]

माता-पिताओं को अपने बच्चों के लिए ज़रूरी प्रेम व्यक्‍त करना चाहिए

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