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ज़बानी दुर्व्यवहार श्रंखला “चोट पहुँचानेवाली बातों से घाव भरनेवाली बातों तक” (अक्‍तूबर २२, १९९६, अंग्रेज़ी) उन लेखों की एक लंबी कतार का हिस्सा मात्र है जिन्होंने यह बताया कि यहोवा हमारा कितना ख़्याल रखता है। “शराबियों और उनके परिवारों के लिए मदद” (मई २२, १९९२, अंग्रेज़ी), “महिलाएँ—आदर के लायक़” (जुलाई ८, १९९२, अंग्रेज़ी), “तलाक़ के बच्चों के लिए मदद” (अप्रैल २२, १९९१, अंग्रेज़ी), और “क्या घरेलू हिंसा कभी समाप्त होगी?” (फरवरी ८, १९९३, अंग्रेज़ी) इन सब लेखों ने मुझे एक शराबी पति के हाथों भावनात्मक दुर्व्यवहार के दौरान सँभाले रखा। मैंने इन लेखों को ख़ुशी और ग़म के आँसुओं के साथ पढ़ा है। मेरा हृदय ऐसे परमेश्‍वर के लिए क़दर से उमड़ता है जो हमारे सबसे अंतर्तम डर, पीड़ाओं और सदमों को जानता है।

जे. सी., कनाडा

इन लेखों ने मेरे दिल को छू लिया। अपने पति के साथ मैं जिस स्थिति में थी, इन्होंने उसे एकदम सटीक रूप से चित्रित किया। मैं हर एक वाक्य से बिलकुल सहमत हूँ। आप स्त्रियों के साथ बहुत प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हैं और यह मुझे विश्‍वास दिलाता है कि इस संगठन को यहोवा द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

पी. एस., जर्मनी

इन लेखों ने मुझे अपनी ज़बान पर क़ाबू रखने के द्वारा अपनी कमज़ोरी से लड़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। अब मैं जान गई हूँ कि मुझे अपने पति के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। जब मैंने इन लेखों को पढ़ा तो मेरी आँखों में आँसू छलक आए।

जी. आई., ऑस्ट्रिया

मैं सालों से अपने पति के ज़बानी दुर्व्यवहार का शिकार रही हूँ। परमेश्‍वर की आत्मा के फल विकसित करने और पूर्ण-समय के प्रचार कार्य में अपने आपको व्यस्त रखने के द्वारा मैं हताश होने से बच पाई हूँ। आपके लेखों ने मेरा अकेलापन कम किया—कि कोई मेरी समस्या समझता है।

एम. एन., इटली

मैंने पहले भी आपके कई लेख पढ़े हैं, लेकिन इन लेखों ने मुझे भीतर तक छुआ। पृष्ठ ९ पर दिए गए फ़ोटो को देखना ऐसा था मानो मैं अपनी माँ या बहन को देख रही हूँ, जो कई सालों से अपने पतियों द्वारा सताई गई हैं। मैंने इन लेखों की प्रतियाँ बनाई और इस प्रकार सताए जा रहे उन लोगों को भेजा जिन्हें मैं जानती हूँ। हम परमेश्‍वर के नए संसार की आस लगाए बैठे हैं, जहाँ हर तरह के ज़बानी दुर्व्यवहार को मिटा दिया जाएगा।

बी. पी., केन्या

जब मैंने वह पत्रिका अपने मामा को दी जो अपनी पत्नी के साथ ज़बानी दुर्व्यवहार करते थे तब उन्होंने उसे कई बार पढ़ा। बाद में हमने ग़ौर किया कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करना छोड़ दिया और कि अब उनके घर में कोई होहल्ला नहीं होता। ख़ुद को समझने में उनकी मदद करने के लिए वे और उनकी पत्नी, दोनों मुझे धन्यवाद देते रहते हैं। मैं वह धन्यवाद सजग होइए! तक पहुँचाना चाहती हूँ।

एफ. एफ., नाइजीरिया

मार्गदर्शन मैंने लेख “बाइबल का दृष्टिकोण: आप किसके मार्गदर्शन पर भरोसा कर सकते हैं?” (नवंबर ८, १९९६, अंग्रेज़ी) पढ़ने का सचमुच आनंद उठाया। वह मेरे लिए बहुत सांत्वनादायक और प्रोत्साहक था। दूसरे कई लोगों की तरह, मैंने अतीत में अत्यधिक हताशा का सामना किया है जब उन लोगों ने मुझे निराश किया जिनकी ओर मैं मार्गदर्शन के लिए मुड़ी। अपने पिता का हाथ थामे एक बच्चे के दृष्टान्त से तो मेरी आँखों में आँसू छलक आए। यह जानना इतना ढाढ़स बँधाता है कि यहोवा यशायाह ४१:१३ में कहता है कि वह अपने लोगों का ‘हाथ पकड़ेगा।’

एम. एस., अमरीका

मैं १७ साल की हूँ और हाल में ढेरों मुसीबतों का सामना कर रही हूँ। एक मित्र ने मुझे प्रार्थना करने और कुछ आध्यात्मिक सामग्री पढ़ने को कहा। लेख “आप किसके मार्गदर्शन पर भरोसा कर सकते हैं?” पढ़ने के बाद मैंने आशा न छोड़ने बल्कि अपने स्वर्गीय पिता के हाथ को और मज़बूती से पकड़ने का निर्णय किया!

सी. जी., अमरीका

बंधक मैं एक क़ैदी हूँ और मेरी सज़ा ख़त्म होने में दो साल बाक़ी हैं। “एक जेल में विद्रोह के दौरान हम बंधक थे” (नवंबर ८, १९९६, अंग्रेज़ी) इस लेख को मैंने दो बार पढ़ा। हर बार, मेरी आँखों में ख़शी के आँसु भर आए और गला रुँध गया। मैं इस जेल में यहोवा के साक्षियों के आने का हमेशा इंतज़ार करता हूँ। उनसे मुलाक़ात बड़ी ताज़गी देती है!

जे. के., अमरीका

मैंने किसी लेख के बारे में आपको इससे पहले कभी नहीं लिखा, लेकिन बंधकों के बारे में लेख बहुत विश्‍वास-वर्धक था। उसने मुझे फिर से भरोसा दिलाया कि दुःख-तकलीफ़ के दौरान यहोवा अपने लोगों को ज़रूर शक्‍ति देता है।

के. डी., अमरीका

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