चीता—सबसे फुरतीला बिलार
कॆन्या में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
धूप से झुलसे मैदान पर गर्मी ठहर गयी थी। हमारी दूरबीन थॉमसन चिंकारों के एक झुंड पर गड़ी हुई थी, जिनकी पीठ की सुनहरी धारियाँ ढलते सूरज की आख़िरी किरणों में चमक रही थीं। पास ही में, दीमक के टीले पर बैठा एक और दर्शक भी उन चिंकारों की दिशा में देख रहा था। वहीं एक चकत्तेदार मादा बिलार अपने शावकों के साथ थी। उसकी तृणमणि आँखें दृश्य को बड़े ध्यान से देख रही थीं। अचानक, उसकी मांसपेशियाँ तन गयीं, और वह धीरे से उठी और झुंड की दिशा में चल पड़ी। लगता है उसके शावकों को पता था कि उन्हें उसके लौटने तक ठहरना है।
चौकस होकर, छोटी-छोटी झाड़ियों और लंबी घास के झुरमुट में छिपती हुई वह आगे बढ़ी। उसकी चाल लहरदार और सधी हुई थी। अपने शिकार से २०० मीटर की दूरी पर आकर, वह अचानक ठिठक गयी। एक चिंकारा मुँह उठाकर उसकी दिशा में ताक रहा था; फिर उसने दुबारा खाना शुरू कर दिया। एक बार फिर, वह आगे बढ़ी। और जब उसके और बेख़बर जानवरों के बीच बस ५० मीटर की दूरी रह गयी तब उसने दौड़ लगाने का फ़ैसला किया। वह झुटपुटे में आगे की ओर ऐसे लपकी मानो दबी हुई स्प्रिंग को छोड़ दिया गया हो। चिंकारों का झुंड हड़बड़ाकर हर दिशा में दौड़ पड़ा, लेकिन उस बिलार ने अपने चुने हुए शिकार से आँख नहीं हटायी। वह दौड़कर मैदान के पार तेज़-रफ़्तार चिंकारों तक आ पहुँची।
डरा हुआ जानवर अपने शिकारी को चकमा देने के लिए टेढ़ा-मेढ़ा भागा, लेकिन उसकी बचने की युक्तियाँ इस बिलार की बिजली-समान फुरती के आगे नहीं चलीं। तब, अपने इनाम से क़रीब एक मीटर की दूरी पर, उसने अपना अगला पँजा बढ़ाया ताकि अपने इच्छित शिकार को अड़ंगी मार सके। उस क्षण, वह थोड़ा-सा लड़खड़ा गयी। पलक झपकते ही, वह चिंकारा भाग निकला।
हाँफते हुए, धीरे-धीरे वह मादा चीता रुक गयी, बैठ गयी और उसने अपने भूखे शावकों की दिशा में देखा। मैंने हैरानी से अपनी पत्नी की ओर देखा। हमने अभी-अभी अद्भुत चीते की शक्तिशाली गति देखी थी।
तेज़ बिलार
चीता सचमुच हवा की तरह दौड़ सकता है। अविश्वसनीय है कि यह मात्र दो सॆकॆंड में एकदम निष्क्रियता से उठकर क़रीब ६५ किलोमीटर प्रति घंटा की गति पकड़ सकता है! यह ११० किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति पकड़ सकता है! यह भूमि पर सबसे तेज़ भागनेवाला जानवर है। तुलना करें तो दौड़ का घोड़ा ७२ किलोमीटर प्रति घंटा से थोड़ी तेज़ गति पकड़ सकता है और ग्रेहाउंड कुत्ता क़रीब ६५ किलोमीटर प्रति घंटा दौड़ सकता है। लेकिन, चीता अपनी अद्भुत गति को थोड़ी ही दूरी तक बनाए रख सकता है।
चीता छरहरी काठी का होता है। इसकी लंबी, पतली टाँगें और लचीली, झुकी हुई पीठ होती है। जब चीता तेज़ गति में मोड़ लेता और पलटता है तब इसकी लंबी चकत्तेदार दुम संतुलन प्रदान करती है। जब यह अपनी सबसे तेज़ गति से दौड़ रहा होता है, तब यह छः मीटर से भी लंबे डग भर सकता है। ऐसी फुरती में एक सहायक है इसके अनोखे पाँव; ये बिल्ली के बजाय कुत्ते से अधिक मिलते-जुलते होते हैं। यह अधिक कर्षण के लिए भूमि को पकड़ने में अपने पँजों का प्रयोग करता है।
चकत्तेदार सौंदर्य
चीते का चेहरा सचमुच अनोखा और सुंदर होता है। दो हलकी काली लकीरें इसकी आँखों से मुँह के सिरों तक आती हैं, जिससे यह बिलार उदास और एकदम निराश-सा लगता है। इस पर छोटे-छोटे, एक-से रंग के चकत्ते होते हैं। इसका लोम छोटा होता है और प्रायः बदन पर ललछौंट-भूरे रंग का, लेकिन पेट पर सफ़ेद-से रंग का होता है। शावक जन्म के समय काफ़ी गहरे रंग के होते हैं और इनके गले से लेकर दुम तक लंबे, नीले-धूसर बाल का घना अयाल होता है।
चीता चरचर आवाज़ में या चिड़िया की तरह चीं-चीं स्वर में पुकारता है। यह आवाज़ दो किलोमीटर तक सुनायी देती है और अपने बच्चों एवं दूसरे चीतों के साथ बात करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
सिंह और तेंदुआ जैसे अपने संगी बिलारों की तुलना में चीता नम्र और शांतिप्रिय स्वभाव का होता है। संतुष्ट होने पर, यह बड़ी घरेलू बिल्ली की तरह घुरघुर करता है। यह आसानी से अपने आपको मनुष्य की उपस्थिति के हिसाब से ढाल लेता है और इसे पालतू भी बनाया गया है। निःसंदेह, चीता कोई घरेलू बिल्ली नहीं है। पूरी तरह बड़ा होने पर, इसका वज़न ४५ किलोग्राम या अधिक होता है और इसके पैने दाँत तथा पँजे इसे एक ख़तरनाक जानवर बनाते हैं—जिसके साथ ध्यान से बर्ताव करना चाहिए।
चीता जन्म से शिकार करना नहीं जानता और ऐसा करने के लिए इसकी माँ को इसे बड़ा प्रशिक्षण देना पड़ता है। यदि एक शावक बँधुवाई में बड़ा होता है तो उसमें अपने शिकार की घात में रहने और उसे मारने की क्षमता नहीं होगी। जब माँ और शावक एकसाथ खाते हैं, तब वे शांति से खाते हैं, वे लड़ते-झगड़ते नहीं, जो कि भोजन करते सिंहों के बीच आम बात है। यह भी पाया गया है कि सूखे इलाकों में चीते मीठे ख़रबूज़ों का मज़ा लेते हैं।
अफ्रीका के पशु संरक्षण स्थलों में पर्यटक यह देखकर दंग रह गये हैं कि ये शांतिमय बिलार कितने निडर हो सकते हैं। बड़े चीते के लिए किसी पर्यटक वैन की छाँव में बैठ जाना या कार के बॉनॆट पर कूदकर शीशे में से चकित और प्रायः भयभीत यात्रियों को देखना कोई असाधारण बात नहीं।
जनकीय बिलार-देखरेख
मादा चीता एक बार में नन्हे-नन्हे छः शावकों तक को जन्म दे सकती है। वह साहस के साथ उनका बचाव करती है और उनको अच्छी तरह छिपाकर रखती है। उनके जीवन के पहले कुछ महीनों में वह कई बार उनकी जगह बदलती है। लेकिन, अपने बच्चों को बचाने के लिए चीता माँओं के प्रयासों के बावजूद, ऐसा लगता है कि केवल एक तिहाई शावक बड़े होने तक जीवित बचते हैं।
चीता शावकों के परिवार की देखरेख करना मम्मी चीता के लिए कोई आसान काम नहीं है। वे शक्ति से भरपूर और बहुत खिलाड़ी होते हैं। शावक अकसर अपनी आराम कर रही माँ की दुम की मानो घात में बैठते हैं और जब वह ठेठ बिल्ली के अंदाज़ में उसे इधर-उधर हिलाती है तब उस पर झपट्टा मारते हैं। कुश्ती करने, काटने और एक दूसरे का पीछा करने में मग्न, वे अकसर परभक्षियों के सदा-विद्यमान ख़तरे को भूल जाते हैं।
शिकारी शिकार होता है
जंगल में चीते के बहुत दुश्मन होते हैं, जिनमें सिंह, तेंदुआ और लकड़बग्घा शामिल हैं। लेकिन, चीते का सबसे बड़ा दुश्मन है मनुष्य। इसका सुंदर चकत्तेदार लोम कपड़ों, कालीनों और ट्रॉफ़ियों के लिए बहुत मूल्यवान माना जाता है। इस तेज़-रफ़्तार जीव को आखेट के लिए फँसाया और सिखाया जाता रहा है। बँधुवाई में प्रजनन से इनकार करने के कारण, चीते को इसके इलाकों से ढूँढ़-ढूँढ़कर निकाला गया है ताकि यह माँग पूरी की जा सके। निवास-स्थानों के घटने से भी चीते पर दबाव आया है, जिसके फलस्वरूप पूर्व अफ्रीका में यह अब मुख्यतः पशु संरक्षण स्थलों में ही पाया जाता है।
वर्ष १९०० में ४४ देशों में लगभग १,००,००० चीते थे। आज शायद केवल १२,००० हैं जो २६ देशों में बचे हुए हैं और वह भी अधिकतर अफ्रीका में हैं। इस सुंदर चकत्तेदार बिलार को बचाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं, फिर भी इसकी संख्या कम होती जा रही है।
कुछ लोगों को लगता है कि चीता लुप्त हो ही जाएगा। लेकिन, यह जानने से दिलासा मिलता है कि वह समय आ रहा है जब मनुष्य “पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं” की देखरेख करने, उनका बचाव करने और उन पर ‘अधिकार रखने’ की अपनी परमेश्वर-प्रदत्त ज़िम्मेदारी को पूरी तरह स्वीकार करेगा। (उत्पत्ति १:२८) केवल तब इस बात की निश्चित गारंटी होगी कि चीते जैसे सुंदर बिलार हमेशा के लिए पृथ्वी के निवासियों को प्रसन्न करेंगे।