सिंह—अफ्रीकी जंगल का प्रतापी राजा
कॆन्या में सजग होइए! संवाददाता द्वारा
अफ्रीका के सॆरनगॆटी मैदान में सूरज की किरणें फूट रही हैं। भीनी-भीनी हवा चल रही है। हम अपनी लैंड रोवर में बैठे शेरनियों और उनके शावकों के झुंड को देख रहे हैं। उनका चमकीला और सुनहरा रंग लंबी-लंबी सूखी घास में बड़ा ही सुंदर लग रहा है। चुलबुले नन्हे शावक उछल-कूद मचा रहे हैं। वे बड़ी-बड़ी शेरनियों के आस-पास खेल रहे हैं और लगता है कि शेरनियाँ उनके जोकरों-जैसे करतबों पर कोई ध्यान नहीं दे रहीं।
अचानक झुंड ठिठक जाता है। सबकी आँखें घूम जाती हैं और दूर ताकने लगती हैं। हम ऊँचाई पर बैठे हैं। वहीं से हम भी उसी दिशा में देखने लगते हैं जिसमें झुंड देख रहा है और हमें पता चलता है कि उनका ध्यान किस चीज़ पर है। भोर के उजाले में एक धाकड़ शेर का प्रतापी रूप दिखता है। हमारी नज़रें मिलती हैं और वह हमें घूरकर देखता है। हम काँप उठते हैं, सुबह की ठंड से नहीं, बल्कि यह जानकर कि वह हमें घूर रहा है। वह देखने में भयंकर है, लेकिन सुंदर भी है। उसके बड़े-से सिर पर सुनहरा घना अयाल है जिसमें काली धारियाँ हैं। उसकी बड़ी-बड़ी तृणमणि आँखें चौकन्ना हैं। लेकिन उसका परिवार उसका ध्यान खींच लेता है और वह धीरे-से अपनी नज़रें उनकी तरफ घुमाकर उनकी दिशा में चल पड़ता है।
उसकी चाल प्रभावशाली और राजसी है। वह सीधे हमारी गाड़ी के सामने से निकलकर शेरनियों और उनके शावकों की ओर चला जाता है, हमें मुड़कर भी नहीं देखता। उससे मिलने के लिए वे सभी खड़े हो जाते हैं और ठेठ बिलारों की तरह एक-एक करके उसकी कठोर थूथन पर अपना मुँह रगड़ते हैं। झुंड के बीच में आकर शेर धम्म्-से बैठ जाता है मानो सैर करके पस्त हो गया हो और पलटी खाकर पीठ के बल लेट जाता है। उसकी सुस्ती दूसरों पर भी छा जाती है और देखते-ही-देखते पूरा-का-पूरा झुंड सूरज की पहली किरणों की गरमाहट में हलकी नींद सो जाता है। हमारी आँखों के सामने खुले मैदान की सुनहरी और लहलहाती घास पर बिछी शांति और संतुष्टि की तसवीर है।
जिज्ञासा जगानेवाला और मन मोहनेवाला प्राणी
मनुष्य ने जितनी कल्पनाएँ शेर के बारे में की हैं उतनी शायद किसी दूसरे जानवर के बारे में न की हों। अरसों पहले अफ्रीकी कलाकारों ने शिकार करते हुए शेर के चित्र चट्टानों पर बनाये। प्राचीन महलों और मंदिरों में घने अयालवाले शेरों की पत्थर से बनी विशाल मूर्तियाँ सजायी जाती थीं। आज, इन मनमोहक बिलारों को देखने के लिए लोग चिड़ियाघरों में जाते हैं। किताबों और फिल्मों में शेर को हीरो की तरह दिखाया जाता है, जैसे बॉर्न फ्री में। वह एक बिन माँ-बाप के नन्हे शेर की सच्ची कहानी है जिसे बंधुवाई में पाला-पोसा गया और आखिर में आज़ाद कर दिया गया। कुछ कहानियों में शेर को विलन की तरह भी दिखाया जाता है—जिसमें थोड़ा झूठ, थोड़ी सच्चाई है—कि वह खूँखार आदमखोर है। तो यह हैरानी की बात नहीं कि शेर अब भी जिज्ञासा जगानेवाला और मन मोहनेवाला प्राणी है!
शेर बहुत ही भयंकर हो सकता है और कभी-कभी बिलौटों की तरह कोमल और खिलवाड़ करनेवाला भी हो सकता है। जब वह संतुष्ट होता है तो धीरे-धीरे घुरघुर करता है और वह ऐसी ऊँची दहाड़ भी मार सकता है जो ८ किलोमीटर दूर तक सुनाई दे। कभी-कभी वह आलसी और सुस्त दिखायी पड़ता है, लेकिन उसके पास बिजली की तरह दौड़ने की क्षमता होती है। मनुष्य शेर को साहस का प्रतीक मानता है और इसलिए एक दिलेर इनसान को शेरदिल कहा जाता है।
सिम्बाa—मिलनसार बिलार
समस्त बिलार जाति में से शेर सबसे ज़्यादा मिलनसार होता है। वह बड़े झुंड में रहता और फलता-फूलता है। उनके झुंड में दो-चार से लेकर ३० से भी ज़्यादा सदस्य हो सकते हैं। झुंड में कई शेरनियाँ होती हैं जिनकी करीब की रिश्तेदारी हो सकती है। वे एकसाथ रहती, शिकार करती और जन्म देती हैं। यह नज़दीकी बँधन जीवन भर चल सकता है। यह शेर परिवार की बुनियाद होता है और इसके कारण वे अपना बचाव कर पाते हैं।
हर झुंड में एक या उससे ज़्यादा बड़े शेर होते हैं जो अपने झुंड के इलाके का चक्कर लगाते हैं और अपनी गंध से इलाके पर अपनी छाप छोड़ते हैं। अपनी काली नाक के सिरे से अपनी घनी पूँछ के सिरे तक, यह प्रतापी पशु ३ मीटर से ज़्यादा लंबा और वज़न में २२५ किलोग्राम से ज़्यादा हो सकता है। हालाँकि झुंड पर नर का रोब होता है, लेकिन अगुवाई मादा करती है। आम तौर पर शेरनियाँ ही काम की पहल करती हैं, जैसे उठकर छायादार जगह में जाना या शिकार शुरू करना।
शेरनी आम तौर पर दो-दो साल के बाद बच्चे देती है। नन्हे शेर जन्म के समय पूरी तरह असहाय होते हैं। पूरा झुंड मिलकर शावकों को पालता है और सभी मादाएँ झुंड के शावकों की रक्षा करती और उन्हें दूध पिलाती हैं। शावक बहुत जल्दी बड़े हो जाते हैं; दो महीने के होते-होते वे भागने-दौड़ने और खेलने-कूदने लगते हैं। बिलौटों की तरह एक दूसरे पर लुढ़कते हुए वे कुश्ती करते हैं, अपने साथियों पर झपट्टा मारते और लंबी-लंबी घास में कूदते-फाँदते हैं। कोई भी हिलती चीज़ उनका ध्यान खींच लेती है, वे तितलियों पर लपकते हैं, कीड़ों के पीछे भागते हैं और डंडियों और टहनियों से जूझते हैं। अपनी माँ की पूँछ को हिलता देख तो उनसे बिलकुल नहीं रहा जाता और माँ भी जानबूझकर अपनी पूँछ हिलाती है ताकि वे आकर खेलें।
हर झुंड अपने इलाके की निश्चित सीमा के अंदर रहता है। उनका इलाका कई वर्ग हॆक्टयर तक फैला हो सकता है। शेर को ऊँचे स्थान पसंद होते हैं जहाँ पानी की बहुतायत हो और दुपहरी की कड़ी धूप से बचने के लिए छाया हो। वहाँ वे हाथियों, जिराफों, भैंसों और मैदान के दूसरे जानवरों के बीच रहते हैं। शेर की ज़िंदगी कुछ इस तरह गुज़रती है, वह देर-देर तक खूब सोता है और थोड़ा समय शिकार करता और सहवास करता है। सच्चाई तो यह है कि शेर को दिन के २० घंटे आराम करते, सोते या बस बैठे देखा जा सकता है। जब वह गहरी नींद में सोता है तो शांत और पालतू लगता है। लेकिन, धोखा मत खाइए—शेर बहुत ही खूँखार जंगली जानवर है!
शिकारी
शाम होते-होते, धूप से झुलसे मैदान ठंडे होने लगे हैं। झुंड की जिन तीन शेरनियों पर हम नज़र रखे हुए हैं, वे अपने दोपहर के आराम के बाद उठ रही हैं। भूख के मारे उन्होंने इधर-उधर चलना शुरू कर दिया है और पीले पड़ते मैदान को दूर तक देखते हुए वे हवा को सूँघ रही हैं। यह हिरनों के प्रवास करने का खास मौसम है और हज़ारों फूहड़ हिरन हमारे दक्षिण में शांति से घास चर रहे हैं। अब वे तीन शेरनियाँ उनकी दिशा में बढ़ती हैं। एक दूसरे से काफी दूरी रखते हुए वे ऊबड़-खाबड़ रास्ते को चुपके-चुपके पार करती हैं। ये भूरी शेरनियाँ लंबी घास में मानो गायब हो जाती हैं और बेखबर हिरनों के झुंड के पास आ जाती हैं। उनके और हिरनों के बीच सिर्फ ३० मीटर की दूरी रह जाती है। अब शेरनियाँ हमला करने का फैसला करती हैं। बिजली की रफ्तार से वे हिरनों के झुंड पर धावा बोलकर उन्हें भौचक्का कर देती हैं। झुंड में भगदड़ मच जाती है। अपनी जान बचाने के लिए घबराये हुए जानवर हर दिशा में भागने लगते हैं और उनके भागने से ज़मीन की लाल मिट्टी उड़ने लगती है। फिर जैसे-जैसे धूल-मिट्टी का बादल छँटता है, हमें दिखता है कि तीनों शेरनियाँ अकेली खड़ी हाँफ रही हैं। उनका शिकार उन्हें चकमा दे गया। शायद आज रात शिकार करने का दूसरा मौका मिल जाए, शायद न मिले। शेर बहुत चुस्त और तेज़ होते हैं, फिर भी शिकार करते समय उन्हें सिर्फ ३० प्रतिशत सफलता मिलती है। इसलिए शेर को भुखमरी का बहुत बड़ा खतरा है।
एक बड़े शेर में बहुत शक्ति होती है। देखा गया है कि झुंड में शिकार करते हुए शेर १,३०० किलोग्राम से ज़्यादा वज़नदार जानवरों को गिराकर मार डालते हैं। शुरूआत में पीछा करते समय शेर ५९ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकता है लेकिन वह ज़्यादा देर तक इस रफ्तार को बनाये नहीं रख सकता। इस कारण, वह अपना भोजन पाने के लिए छिपकर हमला करता है। शेरनियाँ ९० प्रतिशत शिकार करती हैं, लेकिन जब भोजन शुरू होता है तो आम तौर पर बड़े शेर को बड़ा हिस्सा मिलता है। जब शिकार के जानवरों की कमी होती है, तो शेर कभी-कभी इतने भूखे हो जाते हैं कि अपने ही शावकों को शिकार में से नहीं खाने देते।
शिकारी खुद शिकार हुआ
बहुत अरसा पहले प्रतापी सिंह पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में और एशिया, पैलस्टीन, भारत और यूरोप के कुछ भागों में घूमा करता था। शिकारी होने के कारण शेर को मनुष्य के साथ मुकाबला करना पड़ता है। क्योंकि शेर से मवेशियों को खतरा रहता है और मनुष्यों को नुकसान पहुँचता है, सो यह ऐसा जानवर बन गया जिसे देखते ही मार डाला जाए। मनुष्यों की बढ़ती आबादी ने शेर का इलाका बहुत-ही घटा दिया है। अफ्रीका को छोड़, आज दूसरे जंगलों में सिर्फ कुछ ही सौ शेर बचे हैं। आज शेरों को सुरक्षित क्षेत्रों और वन्यजीवन उद्यानों के अंदर ही मनुष्यों से सुरक्षा प्राप्त है।
खुशी की बात है कि इस प्रतापी पशु की स्थिति बदलने की आशा है। बाइबल एक भावी समय का वर्णन करती है जब सिंह मनुष्य के साथ शांति से रहेगा। (यशायाह ११:६-९) हमारा प्रेममय सृष्टिकर्ता जल्द ही वह समय लाएगा। उस समय अफ्रीका का प्रतापी सिंह समस्त सृष्टि के साथ एकता और शांति में रहेगा।
[फुटनोट]
a स्वाहिली भाषा में “सिंह” को सिम्बा कहते हैं।
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जब सिंह गरजता है
शेर अपनी अनोखी तेज़ आवाज़ के लिए मशहूर हैं। जब शेर गरजता है तो उसकी आवाज़ कई किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। शेर की दहाड़ को एक “अति प्रभावशाली प्राकृतिक ध्वनि” माना गया है। शेर आम तौर पर रात के समय और भोर में गरजते हैं। शेर और शेरनियाँ दोनों गरजते हैं और कभी-कभी पूरा झुंड ही मिलकर एकसाथ गरजता है।
जो वैज्ञानिक शेरों का अध्ययन करते हैं वे कहते हैं कि गरजने से कई काम पूरे होते हैं। शेर अपने इलाके की सीमा बताने, आक्रमण करने और उनके इलाके में घुसनेवाले दूसरे शेरों को चेतावनी देने के लिए गरजते हैं। उचित ही बाइबल ने अश्शूर और बाबुल के आक्रमणकारी, घमंडी और लोभी शासकों को गरजते हुए “जवान सिंह” कहा जिन्होंने हिंसक रीति से परमेश्वर के लोगों का विरोध किया और उन्हें नाश किया।—यशायाह ५:२९; यिर्मयाह ५०:१७.
जब झुंड के सदस्य दूर-दूर होते हैं या जब अंधकार होता है तो गरजकर वे एक दूसरे को ढूँढ़ पाते हैं। शिकार के बाद गरजना झुंड के दूसरे सदस्यों को संदेश देता है कि किस जगह भोजन उनका इंतज़ार कर रहा है। उनके इस गुण के बारे में बाइबल कहती है: “क्या जवान सिंह बिना कुछ पकड़े अपनी मांद में से गुर्राएगा?”—आमोस ३:४.
आश्चर्य की बात है कि जंगली जानवरों का शिकार करते समय अपने शिकार को डराने के लिए शेर नहीं गरजते। अपनी पुस्तक द बिहेवियर गाइड टू ऐफ्रिकन मैमल्स में रिचर्ड ऎसटीज़ कहता है कि इसका “कोई संकेत नहीं कि सिंह शिकार को डराकर हमला करने के लिए जानबूझकर गरजते हैं (मेरा अनुभव है कि शेर जिन जानवरों का शिकार करते हैं वे आम तौर पर उनकी दहाड़ को अनसुना कर देते हैं)।”
तो फिर बाइबल शैतान को ‘गर्जनेवाला सिंह’ क्यों कहती है जो “इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए”? (१ पतरस ५:८) हालाँकि जंगली जानवर सिंह के गरजने से शायद नहीं डरते, लेकिन मनुष्यों और उसके पालतू जानवरों के बारे में ऐसा नहीं है। रात के अँधेरे में गूँजती हुई सिंह के गरजने की भयानक आवाज़ किसी को भी डरा और धमका सकती है जो दरवाज़ा बंद करके घर के अंदर सुरक्षित न हो। बहुत समय पहले सच ही कहा गया था: “सिंह गरजा; कौन न डरेगा?”—आमोस ३:८.
लोगों को धमकाकर अपने बस में करने के लिए शैतान डर का इस्तेमाल बड़ी कुशलता से करता है। शुक्र है कि परमेश्वर के लोगों के पास एक शक्तिशाली सहायक है। यहोवा के समर्थन पर पूरे विश्वास के साथ वे सफलतापूर्वक इस शक्तिशाली “गर्जनेवाले सिंह” का विरोध कर सकते हैं। मसीहियों को प्रोत्साहन दिया गया है कि ‘विश्वास में दृढ़ होकर उसका साम्हना करो।’—१ पतरस ५:९.