कष्ट से मुक्त परादीस की खोज
“हम बस इतना करना चाहते हैं कि एक ऐसी सुरक्षित और शायद पुराने ज़माने की-सी जीवन-शैली बनाएँ जहाँ लोग एक दूसरे की परवाह करें,” एक ब्रिटेनवासी दंपति ने कहा। उन्होंने एक गर्म मौसमवाले द्वीप परादीस की खोज करके वहाँ ऐसा समाज स्थापित करने का फैसला किया जो शांति से रहे। ज़ाहिर है कि आप उनकी भावनाएँ समझ सकते हैं। कष्ट से मुक्त एक परादीस में रहने के मौक़े को कौन हाथ से जाने देगा?
क्या इसका जवाब अकेला रहना है?
एक द्वीप पर रहना, परादीस की खोज करनेवाले अनेक लोगों को आकर्षक लगेगा, क्योंकि अकेला रहना कुछ हद तक सुरक्षा भी प्रदान करता है। कुछ लोग पनामा के प्रशांतीय तट के पास के द्वीप चुनते हैं या कैरिबियन के पास के द्वीप चुनते हैं, जैसे बेलीज़ के पास। अन्य हिंद महासागर में स्थित आदर्श जगहों पर ध्यान देते हैं—उदाहरण के लिए, सेशेल्ज़।
एक अलग-थलग समाज क़ायम करने के लिए देख-रेख व्यवस्था की कल्पना भयभीत कर देती है। चाहे हाथ में पूरा पैसा क्यों न हो, वर्तमान सरकारी नियम ज़मीन की शीघ्र ख़रीद पर रोक लगा सकता है। पर मान लीजिए कि आदर्श द्वीप हासिल कर भी लिया जाता है, तो क्या आप वहाँ ख़ुश रहेंगे? क्या आपका परादीस कष्ट से मुक्त होगा?
ब्रिटेन के तट पर दूरस्थ द्वीपों में आज लोगों की संख्या बढ़ रही है। इनके नये निवासी ज़्यादातर वे लोग हैं जो अकेलेपन और शांति की तलाश में हैं। एक आदमी जो स्कॉटलैंड के पश्चिमी तट से दूर, इओरसा नामक २५० एकड़ के द्वीप में अकेला रहता है, यह दावा करता है कि वह कभी-भी अकेला महसूस नहीं करता क्योंकि उसके पास अपनी सौ भेड़ों के झुँड की देखभाल करने का ढेर सारा काम है। अन्य लोग जिन्होंने द्वीप का एकांत ढूँढ़ा था जल्द ही एकाकी महसूस करने लगे। पता चला है कि कुछ ने आत्महत्या करने की कोशिश की है और उन्हें बचाने की ज़रूरत पड़ी।
अनेक लोग विश्वास करते हैं कि एक आर्दश द्वीप एक परादीस होगा। सुखदायक वातावरण में रहना जहाँ मौसम ज़्यादा ख़राब नहीं होता, उन्हें आकर्षक लगता है। लेकिन पृथ्वी के तापमान में वृद्धि और उसकी वज़ह से समुद्र तल के ऊपर उठने की संभावना ने अनेक द्वीपवासियों को ख़तरे में डाल दिया है। पश्चिमी प्रशांतीय सागर में टोकेलाउ के क्षेत्र को बनानेवाले निम्न धरातलवाले द्वीपों के निवासी, साथ ही हिंद महासागर में अलग-थलग मालदीव द्वीपों के निवासी भी इसी तरह ख़तरा महसूस करते हैं, जो द्वीप ज्वार-भाटा के समय समुद्र तल से दो मीटर से ज़्यादा ऊपर नहीं रहते।
तक़रीबन ४० भिन्न-भिन्न सरकारें ‘छोटे द्वीप विकासशील राज्य संघ’ में अपनी अपील के लिए समर्थन जुटाने में एकसाथ मिली हैं। हालाँकि छोटे द्वीपों के निवासियों के ज़्यादा जीने की संभावना होती है और उनमें छोटे बच्चों की मृत्यु-दर भी कम होती है, फिर भी वे वातावरण संबंधी गंभीर समस्याओं का लगातार सामना कर रहे हैं। तेल का रिसाव और गंदा समुद्र कई द्वीपों की आर्थिक-व्यवस्था को ख़तरे में डालता है। अन्य द्वीप ऐसे ज़हरीले पदार्थों को फेंकने का स्थान बन जाते हैं जिन्हें बड़े देश फ़ैकना चाहते हैं।
वे द्वीप भी जो आशियाने के लिए लुभावने लगते हैं परादीस की खोज में रहनेवालों के लिए एक ख़तरा पेश करते हैं। कैसे? द्वीप के धूपवाले तटों पर जमावड़ा लगानेवाले पर्यटकों की वज़ह से ख़तरनाक ढंग से भीड़ बढ़ जाती है तथा कम संसाधन और भी कम हो जाते हैं। इन सैलानियों ने जनसंख्या की समस्या को भी बढ़ा दिया है। कैरिबियन में, उदाहरण के लिए, हर साल दो करोड़ सैलानियों द्वारा छोड़े गए मल-पदार्थ के मात्र एक बटा दसवें हिस्से को ही किसी प्रकार की शुद्धीकरण प्रक्रिया से गुज़ारा जाता है।
कुछ ऐसा ही एक मनोहर स्थान में हुआ। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित गोवा का उदाहरण लीजिए। लंदन के इन्डिपेंडेंट ऑन सन्डे ने घोषित किया “पर्यटकों की रेलमपेल ‘एक परादीस को दूषित कर रही है।’” सरकारी अनुमान, १९७२ में १०,००० पर्यटकों से लेकर ९० के दशक में दस लाख की बढ़ोतरी दिखाते हैं। एक समुदाय चेतावनी देता है कि गोवा की नाज़ुक आबोहवा और अनूठी संस्कृति को लालची होटल मालिकों से ख़तरा है जो पर्यटकों की बाढ़ से कमाई करने पर उतारू हैं। एक भारतीय सरकारी रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि कुछ होटल ग़ैरकानूनी रूप से तटों पर बनाए गए हैं। मिट्टी को खोदा गया, पेड़ों को काटा गया और ऊँचे टीलों को सपाट किया गया है। मल-पदार्थ को तट पर छोड़ा गया या वह आस-पास के धान के खेतों में रिसता है, जिससे प्रदूषण फैलता है।
अपराध से मुक्त?
अपराध के दबे पाँव चले आने से सबसे शांतिपूर्ण क्षेत्रों की भी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाती है। कैरिबियन के छोटे द्वीप, बरबुदा से समाचार में यह सुर्ख़ी आती है “परादीस में क़त्लेआम।” यह चार लोगों की एक ऐसे शानदार शिकारे में निर्मम हत्या की जानकारी देती है, जो द्वीप तट के पास लंगर डाले हुए था। इस तरह की घटनाएँ संपूर्ण क्षेत्र में अपराध के फैलने के बारे में चिंता को बढ़ा देती हैं।
“‘परादीस’ में नशीले पदार्थों के कारण अपराधी गुटों में लड़ाई,” लंदन के द सन्डे टाइम्स् के मुख्य समाचार ने एक केंद्रीय अमरीकी देश के बारे में रिपोर्ट में कहा। एक स्थानीय संपादक ने इस बात की सच्चाई पर अफ़सोस ज़ाहिर किया कि शांति बाक़ी नहीं रही, उसने कहा: “अब यह एक आम बात हो गई है कि आप सुबह उठकर पाएँ कि गली में एक १६ साल का लड़का खून में लथपथ पड़ा है।”
जो लोग सामाजिक परादीस में रहना चाहते हैं वे ऐसे लोगों को आकर्षित करने की आशा रखते हैं जो शांतिपूर्ण रूप से जीने की इच्छा दिखाते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? असहमति जल्द ही सामने आ गई। शुरू में बताए गए ब्रिटेनवासी दंपति के मामले में यही हुआ। उनके इस साहसिक कार्य में शामिल होनेवाले कुछ प्रार्थी ज़ाहिर तौर पर इस योजना से पैसा बनाना चाहते थे। समर्थक ने कहा “हमें किसी लीडर की ज़रूरत नहीं। सब कुछ चलाने के लिए हमारे संसाधनों को इकट्ठा करने की बात है। मैं इसे एक यूटोपियन समाज कहता हूँ।” किसी भी मायनो में इस प्रकार की यह पहली योजना नहीं थी।—“परादीस समाज प्रयोग” बक्स देखिए।
परादीस की खोज में रहनेवाले कुछ अन्य मानते हैं कि वे एक लॉटरी जीतने के द्वारा अपना सपना पूरा कर पाएँगे। लेकिन इस तरीक़े से हासिल किया गया पैसा शायद ही कभी ख़ुशी दे। फरवरी १९९५ में, द सन्डे टाइम्स् ने रिपोर्ट किया कि ब्रिटेन के आज तक के सबसे बड़ी लॉटरी जीतनेवाले परिवार ने आपसी झगड़े का सामना किया; इस जीत ने उन्हें “नफ़रत, कलह, और मोहभंग” को छोड़ और कुछ नहीं दिया। ऐसी परिस्थितियों में ऐसा होना अनहोना नहीं है।
यूटोपिया की मानव खोज के एक अध्ययन में, पत्रकार बर्नार्ड लेविन “तुरंत धनी बनने के सपने” पर टिप्पणी करता है और यह दावा करता है: “अनेक सपनों की तरह, इसे भी ख़ौफ़नाक सपना बनते देर नहीं लगेगी। तुरंत धनी बनना पूरे सर्वनाश (जिनमें आत्महत्याएँ भी शामिल हैं) की ओर ले गया है, इसके बारे में इतनी सच्ची कहानियाँ हैं कि उन्हें मात्र संयोग कहकर टाला नहीं जा सकता।”
क़यामत के पंथवालों के बारे में क्या?
अन्य परादीस योजनाएँ बहुत ज़्यादा दुष्टता के असर में रही थीं। १९९३ में वेको, टैक्सास में ब्राँच डेविडियन के अहाते में सरकारी अधिकारियों द्वारा क़ब्ज़ा किये जाने के बारे में एक अख़बार ने उस “हथियार, मस्तिष्क नियंत्रण और क़यामत के दिन के एक भविष्यवक्ता के विनाशकारी संगम” पर टिप्पणी की जो विध्वंस की ओर ले गया। दुःख की बात है कि यह ऐसा एकमात्र हादसा नहीं है।
भारतीय आध्यात्मिक गुरु, दिवंगत भगवान श्री रजनीश के अनुयायियों ने आरेगॉन में एक समाज स्थापित किया, लेकिन अपने आस-पड़ोस के लोगों की नैतिक संवेदनशीलता का उल्लंघन किया। उनके गुरु की शोहरत ने और जिस तरह वह लैंगिकता पर प्रयोग करता था, “एक सुंदर चमन” बनाने के उनके दावे को नष्ट कर दिया।
लोगों द्वारा चलाए जानेवाले अनेक पंथ जिनकी परादीसीय आशाएँ हैं, अपने अनुयायियों से अजीब क़िस्म के क्रिया-कलाप करने की माँग करते हैं, कई बार जिनकी वज़ह से हिंसक झड़पें होती हैं। अख़बार स्तंभकार ईयन ब्रॉडी कहता है: “पंथ उन लोगों को एक शरण-स्थान और संगठनात्मक समाज देते हैं जो शून्य में रहते हैं या असल दुनिया के दबावों का सामना नहीं कर सकते।” फिर भी, उसके शब्द इस बात की सच्चाई की पुष्टि करते हैं कि अनेक लोग परादीस में रहना चाहेंगे।
कष्ट से मुक्त एक परादीस
कष्टों की सूची अंतहीन लगती है: प्रदूषण, अपराध, नशीले पदार्थों का दुरुपयोग, अत्यधिक भीड़-भाड़, नृजातीय संघर्ष, राजनैतिक उथल-पुथल—और सभी मनुष्यों के आम कष्ट बीमारी और मृत्यु का तो कहना ही क्या। तो बात का निचोड़ यह है कि इस ग्रह पर कहीं भी कोई ऐसा परादीस नहीं हो सकता जो कष्ट से मुक्त हो। जैसा कि बर्नार्ड लेविन स्वीकार करता है: “मानवजाति के रिकार्ड पर एक काला धब्बा लगा है और जब से मानवता है यह तब से उस पर लगा हुआ है। यह काला धब्बा, चंद व्यक्तियों को छोड़कर और ज़्यादा व्यक्तियों के नज़दीक ख़ुशी-ख़ुशी रहने की लोगों की अयोग्यता का रूप धारण करता है।”
लेकिन, एक ऐसा परादीस होगा जो सचमुच कष्ट से मुक्त होगा। इसके समय की गारंटी ईश्वरीय शक्ति ने दी है। वास्तव में, ५० लाख लोगों से ज़्यादा इसके लिए काम भी कर रहे हैं और वे पहले ही बहुमूल्य एकता और अपने बीच में अपेक्षाकृत कष्ट से मुक्त वातावरण का आनंद ले रहे हैं। आप ऐसे लोगों को कहाँ पा सकते हैं? जिस आशा और फ़ायदे का वे अब आनंद लेते हैं आप उनमें कैसे साझेदार हो सकते हैं? और यह आनेवाला परादीस कितने समय तक रहेगा?
[पेज 6 पर बक्स]
परादीसीय समाज प्रयोग
उन्नीसवीं शताब्दी के शुरू में, फ्राँसीसी समाजवादी ऐटयन काबे (१७८८-१८५६) और उसके २८० सहयोगियों ने नावू, इलिनॉइ में उसके आदर्शों पर आधारित जीवन बिताने के लिए एक सामाजिक नगर की स्थापना की। लेकिन आठ सालों के भीतर ही इस समाज में ऐसी कलह पैदा हुई की यह जल्द ही टूट गया, ठीक जैसा इस तरह के समूहों के साथ आइओवा और कैलिफ़ॉर्निया में हुआ।
एक अन्य फ्राँसीसी, शार्ल फूरीये (१७७२-१८३७) ने एक ऐसे सहकारी कृषि समाज की कल्पना के विचार विकसित किये जिसमें सदस्यों की भूमिकाएँ बदलती रहतीं। हरेक व्यक्ति को पूरे समूह की सफलता के आधार पर भत्ता मिलना था। लेकिन इस विचारधारा पर आधारित समाज फ्राँस और अमरीका दोनों जगह ज़्यादा दिन तक नहीं चले।
लगभग उसी समय के दौरान, वेल्स के समाज सुधारक रॉबर्ट ओवन (१७७१-१८५८) ने सहकारी गाँवों का प्रस्ताव रखा जिनमें सैकड़ों लोग एकसाथ रहते और जिनका सामूहिक रसोईघर व खाने का स्थान होता। अलग-अलग परिवार अपने-अपने घरों में रहते और तीन साल की आयु तक अपने बच्चों की परवरिश करते। उसके बाद, उनकी देखभाल का ज़िम्मा पूरा समाज उठाता। लेकिन ओवन का प्रयोग असफल हो गया और वह अपनी ज़्यादातर संपत्ति गँवा बैठा।
जॉन नोयस (१८११-१८८६) एक ऐसे समाज का संस्थापक बना जिसे द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका “अमरीका में यूटोपियन समाजवादी समाजों में सबसे सफल” बताती है। जब उसके चेलों ने एकविवाह-प्रथा को छोड़ दिया और आपस में मात्र सहमति से लैंगिक संबंधों की इज़ाज़त दी, तो नोयस को व्यभिचार के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया।
लंदन का द सन्डे टाइम्स् रिपोर्ट करता है कि मध्य अमरीका में, लेज़े फ़ैर शहर, एक प्रकार का “पूँजीवादी यूटोपिया” ऐसे ही यूटोपियन समाज को बनाने की कोशिश है। इस योजना को निवेशकों की तलाश थी। “२१वीं शताब्दी के चमत्कारी देश” में रहने की आशा से प्रलोभित होकर, परादीस की खोज में रहनेवालों को $५,००० भेजने और एक प्रकार की पिरामिड सेलिंग में साझेदार बनने का निमंत्रण दिया गया। समान विचार रखनेवाले लोगों को ढूँढ़ा गया जो बदले में अपना पैसा लगाते। बताया जाता है इस पैसे से उस योजना को सिर्फ़ देखने के लिए हवाई जहाज़ का टिकट मिलेगा “वो भी तब जब एक छोटा होटल बनाने के लिए एक देश जगह दे,” समाचारपत्र ने कहा। वहाँ “परादीस” की स्थापना करने की कोई भी सच्ची आशा नहीं है।
[पेज 7 पर तसवीर]
एक द्वीप अनेक परादीस के खोजनेवालों को आकर्षित करता है। लेकिन आज अपराध सबसे ज़्यादा शांतिमय जगह को भी नष्ट कर देता है