कॉफ़ियों में कॉफ़ी ऎस्प्रॆसो कॉफ़ी
‘काश कॉफ़ी का स्वाद भी उसकी सुगंध जितना ही बढ़िया होता!’ क्या आपने कभी ऐसा कहा है? तो शायद आप “कॉफ़े ऎस्प्रॆसो” पीकर देखना चाहें। पारखियों ने इसे “सबसे अच्छी कॉफ़ी” और “सबसे स्वादिष्ट कॉफ़ी” कहा है।
शायद आप ऎस्प्रॆसो का स्वाद ले चुके हों? हो सकता है कि आप इसके गाढ़ेपन और भरपूर स्वाद से चकित रह गये हों। दूसरी ओर, आपने शायद फ़ैसला किया हो: ‘मेरे हिसाब से यह बढ़िया कॉफ़ी नहीं। तभी तो इसे छोटी-से-छोटी प्यालियों में परोसा जाता है—इतने कड़क और कड़ुवे पेय के दो-चार घूँट से अधिक कौन पी सकता है? इसके अलावा, यह तो पक्का है कि इसमें कैफ़ीन की मात्रा बहुत अधिक होती है!’
लेकिन, क्या अच्छी तरह बनायी गयी ऎस्प्रॆसो कड़ुवी होती है? और क्या एक प्याली ऎस्प्रॆसो में एक प्याला साधारण कॉफ़ी से अधिक कैफ़ीन होती है? इसके उत्तर आपको शायद दंग कर दें।
कौन-सी बात इसे ऎस्प्रॆसो बनाती है?
ऎस्प्रॆसो की शुरूआत इटली में हुई, हालाँकि विभिन्न देशों और संस्कृतियों ने इसे बनाने के अपने ही तरीक़े विकसित कर लिये हैं। इसका स्वाद कैसा होता है? ऎस्प्रॆसो प्रेमी इसे ख़ुशबूदार, मज़ेदार, ज़ायक़ेदार, रसीली, हलकी-कसैली, हलकी-मीठी और सुगंध-भरी कहते हैं। एकदम सही तरह से बनायी गयी ऎस्प्रॆसो की प्याली में एक ऊपरी परत होती है जिसे क्रेमा कहते हैं—यह सुनहरा-भूरा झाग होता है, जो आम तौर पर मुश्किल से बनता है, यह ज़ायक़े को बढ़ाता है और थोड़ी ख़ुशबू को अंदर ही समाए रखता है।
एक छोटी प्याली में मात्र ३०-४० मिलीलीटर कॉफ़ी दी जाती है। आम तौर पर इसे बनाने के तुरंत बाद चीनी डालकर प्याली में परोसा जाता है—एकदम गरमागरम!
इसे कैसे बनाया जाता है? एक ख़ास तरह से कॉफ़ी-दानों को मिलाकर, उन्हें बहुत गहरे भूरे रंग तक (लेकिन काले नहीं) भूनकर और जैसे साधारण कॉफ़ी में इस्तेमाल होते हैं उससे ज़्यादा बारीक पीसकर ऎस्प्रॆसो बनाने की शुरूआत होती है। लेकिन, वह मुख्यतः भुनाई या पिसाई नहीं जिससे ऎस्प्रॆसो बनती है—वह तो है इसका अनोखा बनाने का ढंग, जिसमें पानी के स्वाभाविक गिराव के बजाय दबाव का इस्तेमाल होता है। एक छोटी प्याली कॉफ़ी में इस्तेमाल की गयी कॉफ़ी की मात्रा टपकन कॉफ़ी में इस्तेमाल की गयी कॉफ़ी की लगभग दो तिहाई होती है, लेकिन इसमें पानी काफ़ी कम होता है। बनाने का यह तरीक़ा कॉफ़ी-दानों का अर्क़ निकालता है।
अनेक होटलों और कॉफ़ी शॉपों में आप इसकी छोटी प्याली या बड़ा प्याला माँग सकते हैं। लेकिन एक सावधानी: लापरवाही से बनायी गयी ऎस्प्रॆसो कड़ुवी होती है। सो जब आपको किसी होटल या कॉफ़ी हाउस में ऎस्प्रॆसो परोसी जाती है, तब उसे जाँचिए। यदि आपका प्याला बहुत भरा हुआ है या कॉफ़ी पर क्रेमा की ऊपरी परत नहीं है, तो संभवतः आपको कड़क और ज़्यादा अर्क़ निकाली हुई कॉफ़ी दी गयी है।
ऎस्प्रॆसो से संबंधित कई ऎस्प्रॆसो-जैसे पेय हैं। यदि आपको ऎस्प्रॆसो बहुत कड़क लगती है, तो क्यों न ज़ायक़ेदार कैपाचीनो या मलाईदार कॉफ़े लातॆ आज़माकर देखें?
घरेलू ऎस्प्रॆसो के लिए उपकरण
क्या आप घर पर ऎस्प्रॆसो कॉफ़ी बनाना चाहेंगे? गाढ़ी, मीठी कॉफ़ी बनाने के लिए हर बात पर ध्यान देना अत्यावश्यक है।
आपको किस क़िस्म का ऎस्प्रॆसो-मेकर ख़रीदना चाहिए? टपकन तरीक़े से बनायी गयी कॉफ़ी असली ऎस्प्रॆसो नहीं बनाएगी, चाहे कॉफ़ी-दानों को जितना भी भूना गया हो या जैसा भी पीसा गया हो। आपको ख़ास तरीक़े से डिज़ाइन किये गये उपकरण की ज़रूरत होगी।
स्टोव-टॉप कॉफ़ी-मेकर अकसर सबसे सस्ते होते हैं। अनेक लोग घर की स्टोव-टॉप ऎस्प्रॆसो से संतुष्ट हो जाते हैं, हालाँकि यह कॉफ़ी पतली होती है और ज़्यादा करके इसमें क्रेमा नहीं होती। आपको अच्छी ऎस्प्रॆसो मिल सकती है यदि द्रवपात्र में ध्यानपूर्वक सीमित मात्रा में पानी डालें या ढक्कन खुला छोड़ें और आधा बनने के बाद, बीच में ही कॉफ़ी-मेकर को आँच पर से उतार लें।
विद्युत भाप मशीनें कॉफ़ी में तेज़ी से पानी डालने के लिए भाप का ज़रिया अपनाती हैं। आपको सबसे अच्छे नतीजे कैसे मिल सकते हैं? पहले ३० से ६० मिलीलीटर के बाद कॉफ़ी के प्रवाह को रोकने के द्वारा, जिससे कि ज़रूरत से ज़्यादा अर्क़ न निकले और दूध में झाग बनाने के लिए काफ़ी भाप बचे। इसलिए, ऐसी मशीन ढूँढ़िए जिसमें एक बटन हो या कॉफ़ी के प्रवाह को रोकने का कोई दूसरा तरीक़ा हो। भाप मशीनों से अच्छी कैपाचीनो और लातॆ बनती है, लेकिन स्टोव-टॉप कॉफ़ी-मेकर की तरह ये भी बढ़िया शुद्ध ऎस्प्रॆसो नहीं बना पातीं।
पिस्टन मशीनें आम तौर पर सबसे महँगी होती हैं और ये बढ़िया ऎस्प्रॆसो बनाने में सक्षम होती हैं। एक पिस्टन मशीन चलाने के लिए, आप हैंडल को दबाने के द्वारा दबाव डालते हैं, जो एक स्प्रिंग-चढ़े पिस्टन को दबाता है जिससे कि गरम पानी तेज़ी से कॉफ़ी से होकर गुज़रता है। कुछ लोग पिस्टन मशीन को ज़्यादा पसंद करते हैं क्योंकि उसे हाथ से नियंत्रित किया जा सकता है और वह देखने में आकर्षक होती है। दूसरे उसे चलाना मुश्किल पाते हैं और वह पानी गरम करने में भी ज़्यादा समय लेती है।
पंप मशीनें भी बढ़िया ऎस्प्रॆसो बनाने के लिए काफ़ी दबाव उत्पन्न करती हैं। उन्हें चलाना पिस्टन मशीनों से ज़्यादा आसान होता है और वे कम समय लेती हैं। इसलिए, जो सबसे बढ़िया ऎस्प्रॆसो चाहते हैं वे प्रायः पंप मशीन ही चुनते हैं। सुविधाएँ अलग-अलग होती हैं, और कुछ पंप मशीनें दूसरों की तुलना में काफ़ी ज़्यादा टिकाऊ होती हैं। सो कई दुकानों में जाँच-परखकर ही ख़रीदारी कीजिए। जिन दुकानों में मशीनों को चलाकर दिखाया जाता है वे आपको एक ठोस चुनाव करने में समर्थ करती हैं।
जो कॉफ़ी आप ख़रीदते हैं
ऎस्प्रॆसो बनाने के लिए ताज़े भुने हुए कॉफ़ी-दाने चुनिए। सुपरबाज़ारों में बेची गयी कॉफ़ी शायद ही कभी ताज़ी होती है, सो ख़ास कॉफ़ी की दुकान ढूँढ़िए—और भी बढ़िया होगा यदि भुनाई उनकी दुकान में ही होती हो। पिसी हुई कॉफ़ी कुछ ही दिनों में बासी हो जाती है, जबकि कॉफ़ी के खड़े दाने कुछ हफ़्तों तक थोड़े-बहुत ताज़े रहते हैं। इसलिए, यदि संभव हो तो कॉफ़ी के खड़े दाने ख़रीदिए और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें घर में ही पीसिए। सही तरह पीसी गयी कॉफ़ी बारीक होती है, लेकिन बहुत महीन नहीं होती। यदि आपको पिसी हुई कॉफ़ी ख़रीदनी पड़े, तो थोड़ी मात्रा में ख़रीदिए और जल्द ही इस्तेमाल कर लीजिए।
अपनी कॉफ़ी को ताज़ा रखने के लिए, उसे हवाबंद डब्बे में कसकर बंद करके रखिए। यदि आप उसे एकाध हफ़्ते में इस्तेमाल कर लेंगे तो कॉफ़ी के डब्बे को किसी ठंडी, अँधेरी जगह पर रखिए। नहीं तो, उसे फ्रिज में रखिए।
कॉफ़ी बनाने की कला
बढ़िया-से-बढ़िया उपकरण और कॉफ़ी होने के बावजूद, ऎस्प्रॆसो बनाने की कला तो सीखनी ही पड़ती है, वह ख़रीदी नहीं जा सकती। कॉफ़ी बनाने के तरीक़े अलग-अलग होंगे जो इस पर निर्भर करेंगे कि आप कौन-सी मशीन इस्तेमाल कर रहे हैं, सो मशीन के साथ दिये गये निर्देशों के अनुसार चलिए। काफ़ी मात्रा में कॉफ़ी पाउडर इस्तेमाल कीजिए। सही मात्रा से आपका फ़िल्टर कप लगभग भर जाएगा, और थोड़ी जगह कॉफ़ी के फैलने के लिए बचेगी। फ़िल्टर कप में कॉफ़ी को ठीक-से भरना या बिठाना सीखने में कुछ समय लगेगा, जिससे कि पानी कॉफ़ी पाउडर की सतह से धीरे-धीरे और बराबर से बहे, और उसका पूरा स्वाद निकल सके।
कौन-सी एक ग़लती से बचना है? कॉफ़ी का बहुत ज़्यादा अर्क़ निकालने से। यदि आप एक प्याली कॉफ़ी के लिए पर्याप्त कॉफ़ी पाउडर में से ६० या ९० मिलीलीटर कॉफ़ी बनाने की कोशिश करें, तो कॉफ़ी पतली और कड़ुवी बनेगी। ऎस्प्रॆसो बनने के बजाय, एक ऐसा पेय बनेगा जो कड़क टपकन कॉफ़ी से मिलता-जुलता होगा—आपकी आशा पर पानी फिर जाएगा।
इसलिए, यह ज्ञान होना महत्त्वपूर्ण है कि प्रक्रिया को कब बंद करें। पारखी कहते हैं कि ऎस्प्रॆसो के एक माप से ३०-४० मिलीलीटर कॉफ़ी बननी चाहिए और उसे बनने में क़रीब २०-२५ सॆकॆंड लगने चाहिए। इतना कर लेने पर, कॉफ़ी पाउडर में से अच्छी तरह अर्क़ निकल चुका होता है और अब उसे फेंक दिया जाना चाहिए।
डबल ऎस्प्रॆसो बनाते समय भी, “कम अर्क़ निकालना बेहतर होता है।” आप कॉफ़ी का जितना कम अर्क़ निकालते हैं, उतनी ही मीठी कॉफ़ी बनती है। डबल ऎस्प्रॆसो की परिभाषा अलग-अलग तरह से दी जाती है, लेकिन इसका एक प्याला अंदाज़न दो छोटी प्याली ऎस्प्रॆसो के बराबर होता है, जो कॉफ़ी पाउडर की दोगुनी मात्रा डालकर बनाया जाता है।
कैफ़ीन के बारे में क्या?
ऎस्प्रॆसो की छोटी प्याली में शायद एक प्याला साधारण कॉफ़ी से कम कैफ़ीन हो। क्या आप यह जानकर हैरान हो गये? यह कैसे हो सकता है, जबकि ऎस्प्रॆसो में इतना गाढ़ा अर्क़ होता है?
एक कारण है कॉफ़ी-दानों की भुनाई। ज़्यादा भुने हुए दानों में कम कैफ़ीन होती है। साथ ही, अनेक ख़ास कॉफ़ी की दुकानों में अरेबिका कॉफ़ी-दाने इस्तेमाल किये जाते हैं, जिनमें रोबस्टा कॉफ़ी-दानों से काफ़ी कम कैफ़ीन होती है, जो कि सुपरबाज़ार के अनेक डिब्बाबंद कॉफ़ी में डाले जाते हैं।
लेकिन सबसे बड़ा कारण है मात्रा। जबकि ऎस्प्रॆसो में साधारण कॉफ़ी की तुलना में प्रति मिलीलीटर ज़्यादा कैफ़ीन होती है, लेकिन असल में इसकी प्याली में पेय की मात्रा कम होती है। इस प्रकार, कुछ अध्ययन दिखाते हैं कि १८० मिलीलीटर मात्रावाले साधारण कॉफ़ी के प्याले में शायद १०० या अधिक मिलीग्राम कैफ़ीन हो, जबकि ऎस्प्रॆसो की एक छोटी प्याली में शायद उससे थोड़ी कम कैफ़ीन हो।
लेकिन, अध्ययनों के परिणाम अलग-अलग हैं, और कैफ़ीन की मात्रा इस्तेमाल किये गये कॉफ़ी-दानों पर साथ ही कॉफ़ी बनाने की प्रक्रिया के हर क़दम पर निर्भर करेगी। इसमें संदेह नहीं कि डबल ऎस्प्रॆसो में सिंगल ऎस्प्रॆसो से ज़्यादा कैफ़ीन होगी। कैफ़ीन की मात्रा तय करने में आपका सबसे अच्छा सूचक शायद यह है कि आपको पीने के बाद कैसा महसूस होता है। यदि आप कैफ़ीन की मात्रा कम करना चाहते हैं और फिर भी ऎस्प्रॆसो का मज़ा लेना चाहते हैं, तो आप कैफ़ीनरहित ऎस्प्रॆसो भुने-दाने इस्तेमाल कर सकते हैं या जितनी प्रतिशत कैफ़ीन आप चाहते हैं उसके हिसाब से इन्हें साधारण ऎस्प्रॆसो भुने-दानों के साथ मिला सकते हैं।
क्या आप अपनी रसोई में ऎस्प्रॆसो बनाने के लिए तैयार हैं? अच्छे नतीजे अभ्यास करते रहने से मिलते हैं, सो अपने ऊपर ही आज़माकर देखिए—इसे मित्रों को परोसने से पहले ख़ुद ही बना-बनाकर पीजिए। आपको क्रेमा बनाने और दूध में झाग लाने के लिए अनुभव की ज़रूरत होगी। लेकिन, आपकी लगन रंग लाएगी जब आप अपने मित्रों को ऐसी ऎस्प्रॆसो कॉफ़ी से प्रसन्न करेंगे जो आपके इलाक़े की कॉफ़ी शॉप की टक्कर में हो। आप शायद यह मान ही जाएँ कि कॉफ़ियों में कॉफ़ी है ऎस्प्रॆसो कॉफ़ी।
[पेज 21 पर बक्स]
दूध में झाग बनाने के लिए निर्देश
कैपाचीनो और लातॆ के लिए दूध में झाग बनाने और/या भाप लाने के लिए, आपको स्टील के एक जग, ठंडे दूध और दूध को भाप देनेवाले उपकरण की ज़रूरत पड़ेगी। यदि आपके ऎस्प्रॆसो-मेकर में दूध को भाप देनेवाला रॉड नहीं है, तो आप इस काम के लिए अलग से एक उपकरण ख़रीद सकते हैं।
१. स्टील के जग को ठंडे दूध से आधा भर लीजिए।
२. भाप रॉड को दूध की सतह के ठीक नीचे रखिए, और भाप का वाल्व खोल दीजिए।
३. रॉड की नोक को सतह से थोड़ा ही नीचे रखिए, और जग को झुकाते जाइए कि ज़्यादा-से-ज़्यादा हवा अंदर जाए और झाग बने।
४. सबसे सही तापमान तब पहुँचता है जब जग इतना गरम हो जाए कि छूआ न जाए।
५. भाप के वाल्व को बंद कर दीजिए और जग को उसके नीचे से हटा लीजिए। फिर भाप का वाल्व खोलकर उसमें बचे-खुचे दूध को निकाल लीजिए और भीगे कपड़े से उसे साफ़ कीजिए।
[पेज 22 पर तसवीर]
कॉफ़ी पाउडर से ज़्यादा समय तक ताज़े रहते हैं कॉफ़ी-दाने
भाप ऎस्प्रॆसो-मेकर दिखाया गया है