विश्व-दर्शन
बाइबल पढ़ने से लाभ होता है
एसोसिएटॆड प्रॆस द्वारा रिपोर्ट किये गये एक अध्ययन के अनुसार, हफ्ते में कम-से-कम एक बार बाइबल पढ़नेवाले अमरीकी उन लोगों की तुलना में जो बाइबल को इतना नहीं पढ़ते, ज़्यादा आनंदित और संतुष्ट महसूस करते हैं और जीवन को ज़्यादा उद्देश्यपूर्ण पाते हैं। एलिनॉइ की मार्कॆट फैक्ट्स संस्था ने अमरीकी वयस्कों का एक मिला-जुला सर्वेक्षण किया। उन्होंने पाया कि ५८ प्रतिशत ऐसे लोगों की तुलना में जो बाइबल को महीने में एक बार भी नहीं पढ़ते, अकसर बाइबल पढ़नेवाले लगभग ९० प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे हमेशा नहीं तो ज़्यादातर समय शांति महसूस करते हैं। इसके अलावा, २८ प्रतिशत ऐसे लोगों की तुलना में जो नियमित रूप से नहीं पढ़ते, नियमित रूप से बाइबल पढ़नेवाले सिर्फ १५ प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे दूसरों द्वारा स्वीकार किये जाने के बारे में चिंता करते हैं। अकसर पढ़नेवाले केवल १२ प्रतिशत लोगों की तुलना में कभी-कभार पढ़नेवाले २२ प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे मौत के बारे में कभी-कभी या बहुत चिंता करते हैं।
आवाज़ की देखभाल
कोई भी व्यक्ति जो अपनी आवाज़ को बहुत इस्तेमाल करता है, जैसे कि शिक्षक, वह अपनी आवाज़ को नुकसान पहुँचाने या खोने के जोखिम में है, द टोरन्टो स्टार अखबार कहता है। उसी तरह, निरंतर चिल्लाते रहना जैसे शोर-शराबे के माहौल में सुनायी देता है, वाक् तंतुओं को नुकसान पहुँचा सकता है। फुसफुसाना और आदतन गला साफ करना भी आपकी आवाज़ के लिए नुकसानदेह है, वाक् और भाषा रोगविज्ञानी बॉनी मैन कहती है। वह सलाह देती है कि उपाय करने के लिए तब तक न ठहरे रहें जब तक कि समस्या गंभीर नहीं हो जाती। गर्दन और कंधों से तनाव दूर करने के लिए वह सही मुद्रा का प्रोत्साहन देती है। वह आगे कहती है: “अपने गले को तर रखना सबसे ज़रूरी है।” यदि आपको अपनी आवाज़ का बहुत इस्तेमाल करना पड़ता है, तो मैन का सुझाव है कि पूरे दिन पानी के घूँट लेते रहें।
“दफ्तर की बीमारी”
यूनिवर्सिटी ऑफ सीऎना मुद्रा केंद्र के निदेशक, प्रोफॆसर माउरीटस्यो रीचारडी द्वारा संचालित एक अध्ययन के अनुसार, सुस्त जीवन-शैली के कारण ८० प्रतिशत से ज़्यादा इटैलियन लोगों को मुद्रा-संबंधी समस्याएँ होती हैं। “दफ्तर की बीमारी” से ग्रस्त इनमें से आधे से ज़्यादा लोग पीठदर्द, सिरदर्द, मिचली, चक्कर, संतुलन की समस्याओं, रक्तचाप में उतार-चढ़ाव, दस्त, कब्ज़, वृहदान्त्र शोथ (कोलाइटिस), और जठर शोथ (गैसट्राइटिस) जैसी समस्याओं की भी शिकायत करते हैं, अखबार ईल मॆसाजॆरो रिपोर्ट करता है। इन समस्याओं से बचने के लिए “जापानी और चीनी लोग काम करते समय एक-एक घंटे के बाद कुछ सरल व्यायाम करते हैं,” रीचारडी कहता है, “जबकि हमें सिर्फ कॉफी पीने का समय दिया जाता है।”
तिब्बती मौसम पर नज़र रखना
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दस देशों ने मानसून का अध्ययन करने के लिए प्रयोगों की व्यवस्था की है, न्यू साइंटिस्ट पत्रिका रिपोर्ट करती है। एशिया के बड़े क्षेत्रों में खेती मानसून की वर्षा पर निर्भर है, लेकिन साल-के-साल इसमें बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है। मौसम-विज्ञानियों का मानना है कि तिब्बती पठार मानसूनी वर्षा का मुख्य कारण है, लेकिन विश्लेषण करने के लिए तिब्बत से आँकड़े नहीं मिल पाए हैं। चीन से समझौते के बाद, तिब्बत में एक स्वचालित उपकरण लगाया जा रहा है जो तापमान, आद्रता, हवा, और हिमालय की मौसम-संबंधी अन्य बातों का हिसाब रखेगा। शोधकर्ताओं को आशा है कि जो आँकड़े मिलेंगे उनकी मदद से एशियाई मानसून को ज़्यादा अच्छी तरह समझा जा सकेगा।
दवाओं के रूप में चींटियाँ
१९४७ में एक लड़ाई के दौरान, चीनी फौज शल्य-चिकित्सक वु जीचन का काम था घायलों को संक्रमण से बचाना, लेकिन उसकी दवाओं का भंडार खत्म हो गया। हताश-सा होकर, उसने एक स्थानीय डॉक्टर की मदद ली। उसने पारंपरिक चीनी दवा की सलाह दी—पानी में चींटियाँ उबालकर घावों को धोना और खास किस्म की चींटियों से बनी दवा इस्तेमाल करना। चाइना टुडे के अनुसार, परिणाम इतने प्रोत्साहक थे कि डॉ. वु ने चींटियों के चिकित्सीय फायदों पर शोध शुरू कर दिया और उसे अपना पेशा बना लिया। उसका मानना है कि चींटियों से बनी दवाएँ प्रतिरक्षा तंत्र को संतुलित करने में योग देती हैं और वह कहता है: “चींटी एक छोटा-पौष्टिक भंडार है। इसमें ५० से अधिक पौष्टिक तत्त्व होते हैं जिनकी ज़रूरत मानव शरीर को होती है, २८ अमीनो ऐसिड और विभिन्न खनिज और रसायन मिश्रण होते हैं।”
पंजाबी और पथरी
संसार के किसी दूसरे समुदाय की तुलना में भारत के पंजाब राज्य और उसके आस-पास के लोगों को पथरी (किडनी स्टोन) होने का ज़्यादा जोखिम रहता है, इंडिया टुडे इंटरनैशनल रिपोर्ट करती है। पंजाबी कड़ी मेहनत करने और छककर खाने के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन चिलचिलाती गरमी के महीनों में वे अकसर पर्याप्त पानी नहीं पीते, रिपोर्ट कहती है। इस कारण, हाल के एक अंतर्राष्ट्रीय मूत्रविज्ञान सम्मेलन में उनके क्षेत्र को संसार का “पथरी इलाका” कहा गया। वहाँ पथरी का सामान्य आकार होता है दो से तीन सॆंटीमीटर के बीच [करीब एक इंच], जबकि यूरोप और अमरीका में यह एक सॆंटीमीटर [आधे इंच से कम] होता है। रिपोर्ट कहती है कि यह अनेक भारतीय लोगों की इस प्रवृत्ति के कारण है कि वे हलके दर्द को नज़रअंदाज़ कर देते हैं या इलाज को टाल देते हैं। मूत्रविज्ञानी कहते हैं कि स्वस्थ लोगों को हर दिन कम-से-कम दो लीटर साफ पानी पीना चाहिए।
आप्रवासियों को मृत्यु का जोखिम है
दक्षिण अफ्रीका में हर साल हज़ारों गैरकानूनी आप्रवासी लोग रोज़गार और बेहतर जीवन-स्तर की तलाश में अपनी जान का जोखिम उठाते हैं। कहा जाता है कि तैरकर लिमपोपो नदी पार करते समय सैकड़ों लोगों को मगरमच्छ खा गये हैं। दूसरों को हाथियों ने रौंद डाला है या सिंहों ने मार डाला है जब वे क्रूगर नैशनल पार्क में से पैदल जा रहे थे। पार्क अधिकारियों ने हाल ही में ऐसे पाँच सिंहों को गोली मार दी जो मानव-भक्षी बन गये थे। जोहानसबर्ग का अखबार द स्टार रिपोर्ट करता है, “पाँच सिंहों के पोस्टमार्टम ने दिखाया कि इन जानवरों के पाचन तंत्र में मनुष्यों के अवशेष थे।” जंगली जानवरों द्वारा मारे गये गैरकानूनी आप्रवासियों की सही संख्या ज्ञात नहीं है। “नियमित गश्त लगाने से मनुष्यों के पैरों के निशान दिखायी दिये हैं जो पता नहीं कहाँ एकदम गायब हो जाते हैं,” अखबार कहता है। “एक बड़ा सिंह एक बार में ७० किलोग्राम मांस खा सकता है। इसकी संभावना बहुत कम है कि मनुष्य का कोई अंश सबूत के तौर पर बचेगा, खासकर जब बाद में वहाँ लकड़बग्घे और गीदड़ पहुँच जाते हैं।”
सहस्राब्दि पहले ही समाप्त हो चुकी है?
विशेषज्ञों के अनुसार, “असल में कई साल पहले सहस्राब्दि हो चुकी है। माफ कीजिए, लेकिन हम सब उसे पहचान नहीं पाये,” न्यूज़वीक पत्रिका कहती है। कारण? हमारा कैलॆंडर “समय के मनमाने विभाजन पर आधारित है,” माना जाता है कि यह मसीह के जन्म पर आधारित है। लेकिन, आधुनिक विशेषज्ञों का मानना है कि यीशु का जन्म असल में “ईसा पूर्व” (B.C.) से कई साल पहले हुआ था, लेख बताता है। न्यूज़वीक के अनुसार, इसका “अर्थ है कि हम तीसरी सहस्राब्दि में प्रवेश कर चुके हैं।” यह डायानिशिअस द शॉर्ट की भूल थी। पोप जॉन प्रथम ने सा.यु. ५२५ में उसे नियुक्त किया कि उपासना-संबंधी एक मानक कैलॆंडर तैयार करे। डायानिशिअस ने तय किया कि यीशु के जन्म को केंद्र-बिंदु मानकर चलेगा लेकिन उस तिथि तक पहुँचने में उसने गलती कर दी। “इतिहासकार कभी पक्की तरह नहीं जान पाएँगे कि यीशु का जन्म कब हुआ था,” न्यूज़वीक कहती है। “क्रिसमस का तिथि-निर्धारण भी, जब उसका जन्मदिन मनाया जाता है, मनमाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि चर्च ने दिसं. २५ इसलिए चुना कि मकर-संक्रांति के विधर्मी उत्सवों से मेल खाए—और धार्मिक रूप से उनके जवाब में हो।” बाइबल कालक्रम दिखाता है कि यीशु का जन्म सा.यु.पू. वर्ष २ में हुआ था।
गुमराह भक्ति?
जून १, १९९७ में एक आकार—जो प्रत्यक्षतः नमी के कारण बना था—मॆक्सिको सिटी मॆटरो के एक स्टेशन की दीवार पर प्रकट हुआ। अनेक श्रद्धालु कैथोलिकों ने इसे ग्वाडालूप की कुँवारी का अलौकिक दर्शन समझा। मॆक्सिको में कुँवारी मरियम को यही नाम दिया गया है। “कैथोलिक चर्च मॆटरो में कुँवारी के इस दर्शन को असली चमत्कार नहीं, बल्कि स्टेशन की दीवारों में पानी के रिसने से अपने आप बना एक आकार मानता है,” ऎल यूनीवर्साल अखबार ने कहा। फिर भी, अनेक लोग उसके सामने रुककर उसकी उपासना करते हैं, और इस प्रतिमा के “दर्शन प्रति घंटा एक हज़ार से ज़्यादा लोग” करते हैं। इस प्रतिमा के लिए दीवार में एक छोटा-सा ताखा बनवाया गया और एक कैथोलिक पादरी ने उसका उद्घाटन किया।
नशीली दवाओं से मुनाफा कमाना
संयुक्त राष्ट्र संगठन के अनुसार, यह अनुमान है कि संसार भर में करीब ३४ करोड़ ड्रग नशेड़ी हैं। ज़्हॉरनल डा टार्डा ने रिपोर्ट किया, “पहले नंबर पर है प्रशांतक और शमक औषधियों की लत, जिनका सेवन २२.७५ करोड़ लोग, या संसार की जनसंख्या के लगभग ४ प्रतिशत लोग करते हैं। उसके बाद गाँजे का नंबर आता है, और १४.१ करोड़ लोग इसके नशेड़ी हैं, जो विश्व जनसंख्या का कुल २.५ प्रतिशत है।” यह भी अनुमान लगाया गया है कि पुलिस कुल गैरकानूनी नशीली दवाओं का ५ से १० प्रतिशत ही ज़ब्त कर पाती है। नशीली दवाओं की बिक्री से हर साल ४०० अरब डॉलर तक कमायी होती है। कुछ मामलों में, डीलरों को ३०० प्रतिशत तक का मुनाफा होता है—“इतना मुनाफा किसी दूसरे किस्म के धँधे में नहीं होता,” अखबार कहता है।