युवा लोग पूछते हैं . . .
क्या करूँ अगर वह मेरे प्यार के बदले में प्यार न दे?
“मैं बेचैन और परेशान हूँ। मुझे उससे प्यार हो गया है। लेकिन मैं नहीं जानती कि वह मेरे बारे में क्या सोचता है। मैं क्या करूँ? क्या मैं उसे अपनी भावनाएँ बता दूँ? नहीं, नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती! लोग मेरे बारे में क्या कहेंगे?”—हूडा।a
लॆबानन की युवती हूडा को किसी से प्यार था जिसने बदले में उसे प्यार नहीं दिया। यह कोई अजीब बात नहीं है। ज़ेना नाम की युवती के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह याद करती है: “मैं उसे रोज़ देखा करती थी क्योंकि वह हमारा पड़ोसी था। वह बहुत सुंदर और सुडौल था। सो मुझे उससे प्यार हो गया।”
किसी को बहुत चाहने में कोई बुराई नहीं—बशर्ते उससे शादी करना एक मसीही के लिए ठीक हो। (नीतिवचन ५:१५; १ कुरिन्थियों ७:३९) और अगर एक लड़की शादी करके अपना घर बसाना चाहती है तो उसमें भी कोई बुराई नहीं। लेकिन तब क्या अगर आपको एक काबिल लड़के से प्यार हो जाता है जो आपकी चाहत से अनजान है या वह आपको नहीं चाहता?
प्यार में पागल होने का दर्द
हूडा की तरह, शायद आपको भी लगता हो कि आप एक भावात्मक तूफान में फँस गयी हैं। देखते-ही-देखते आप हवा में ऊँचा उड़ने लगती हैं और थोड़ी ही देर में नीचे आ गिरती हैं। “कभी-कभी मुझे लगता कि दुनिया की सारी खुशियाँ मेरी झोली में सिमट आयी हैं और कभी ऐसा लगता कि मेरे दामन में आँसू ही आँसू हैं,” ज़ेना ने कहा। प्यार को ठोकर मार दी जाए तो शायद घबराहट होने लगे, रातों की नींद उड़ जाए, और उदासी घर कर ले।
नीतिवचन १३:१२ में बाइबल कहती है: “जब आशा पूरी होने में विलम्ब होता है, तो मन शिथिल होता है।” और जब आशा पूरी होती ही नहीं, तो शायद ऐसा लगे कि सिर पर आसमान टूट पड़ा है! आप रात-दिन उसके सपने देखती रहती हैं, उसके बारे में कुछ खबर मिल जाए इसके लिए बेताब रहती हैं। आप उसका ध्यान खींचने के लिए नये-नये रास्ते निकालती हैं या उसकी संगति में रहने के लिए उलटे-सीधे बहाने ढूँढ़ती हैं। और जब आप उसके आस-पास होती हैं तो आपको आपे में रहना मुश्किल लगता है।
जिसे आप चाहती हैं अगर वह कभी-कभार आप पर कुछ ज़्यादा ही ध्यान देता है और दूसरे मौकों पर ऐसा व्यवहार करता है मानो उसे आपमें कोई दिलचस्पी ही नहीं तो आप उलझन में पड़ सकती हैं। और अगर आप उसे किसी और के आगे-पीछे घूमते या दूसरों को सज्जनता और शिष्टता दिखाते हुए देखती हैं तो आपमें जलन की भावनाएँ उठ सकती हैं। बाइबल कहती है: “क्रोध तो क्रूर, और प्रकोप धारा के समान होता है, परन्तु जब कोई जल उठता है, तब कौन ठहर सकता है?”—नीतिवचन २७:४.
हूडा ने स्वीकार किया: “मैं ऐसी जलकर राख हो रही थी कि अगर मैंने अपना नज़रिया न बदला होता तो मैं पागल हो गयी होती।” अपने आपसे भी नफरत होने लगती है। हूडा ने कहा: “ऐसे इंसान से प्यार करने के लिए जिसे मुझसे प्यार नहीं, और खुद को सज़ा देने के लिए मैंने अपने आपको कोसा।”
जबकि पश्चिमी देशों में एक लड़की किसी लड़के के पास जाकर उसे अपने दिल की बात बताने में शायद झिझक न महसूस करे, लेकिन सभी लड़कियाँ ऐसा नहीं कर पातीं। और कुछ संस्कृतियों में लड़की इस तरह पहल करे तो इसे ठीक नहीं समझा जाएगा और थू-थू होगी। तो फिर आप क्या करें अगर आपको किसी से प्यार हो गया है जो बदले में आपको प्यार नहीं देता?
अपनी भावनाओं को जाँचना
पहले, अपनी भावनाओं को शांति से और व्यावहारिक ढंग से जाँचने की कोशिश कीजिए। बाइबल चिताती है: “जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है।” (नीतिवचन २८:२६) क्यों? क्योंकि अकसर हमारे दिल का फैसला सही नहीं होता। (यिर्मयाह १७:९) और जो प्यार जान पड़ता है वह अकसर कुछ और ही निकलता है। “मुझे ध्यान और प्यार की ज़रूरत थी,” हूडा ने स्वीकार किया। “मैं चाहती थी कि कोई मुझसे प्यार करे और मेरी परवाह करे। बचपन से मुझे कभी प्यार नहीं मिला था। इसका मुझ पर गहरा असर पड़ा था।” अगर आपके घर में प्यार नहीं था या दुर्व्यवहार होता था तो आपको भी शायद प्रेम और सम्मान पाने की भूख हो। लेकिन क्या रोमानी रिश्ता ही इसका इलाज है?
दुःख की बात है कि जो लोग खोखला और अकेला महसूस करते हैं वे अकसर अच्छे विवाह-साथी नहीं बनते। वे यह सोचते हुए विवाह के बँधन में बँधते हैं कि उन्हें वह सब मिलेगा जिसकी उनको बहुत ज़रूरत है। लेकिन, सच्ची खुशी देने से मिलती है, लेने से नहीं। (प्रेरितों २०:३५) और अगर एक स्त्री अपने आपसे संतुष्ट है और ‘अपने ही हित की नहीं, बरन दूसरों के हित की भी चिन्ता’ करती है तो वह कहीं ज़्यादा अच्छी तरह अपने वैवाहिक जीवन को सँभाल सकती है।—फिलिप्पियों २:४.
जब आप शादी करने का दबाव महसूस करती हैं तो किसी पुरुष द्वारा थोड़ी भी दिलचस्पी दिखाने पर आप झट-से कुछ-का-कुछ समझ सकती हैं। कभी-कभी सहेलियाँ और घर के लोग जवान लड़की में रोमांस की इच्छा जगाते हैं। कुछ समाजों में शादी की उम्र होते ही जल्दी-से-जल्दी लड़की की शादी कराने पर बहुत ज़ोर दिया जाता है। पुस्तक मध्य पूर्व की स्त्रियाँ (अंग्रेज़ी) कहती है: “यदि एक स्त्री तीस की होनेवाली हो और उसका विवाह न हुआ हो, तो वह अपने परिवार के लिए बड़ी चिंता का विषय बन जाती है।” क्योंकि परिवार की इज़्ज़त का सवाल है, इसलिए पिता जल्दी-से-जल्दी अपनी बेटियों की शादी कराने की कोशिश करता है।
फिर भी, बाइबल के सिद्धांत संस्कृति से ज़्यादा महत्त्व के हैं। और शास्त्र युवाओं से आग्रह करता है कि “नवयौवन ढलने” के बाद विवाह करें। (१ कुरिन्थियों ७:३६, NW) सो तब क्या अगर आपके मित्र या माता-पिता विवाह करने के लिए आप पर बहुत दबाव डाल रहे हैं? बाइबल हमें बताती है कि धर्म-परायण शुलेमी कन्या ने गंभीरता से अपनी सखियों से कहा कि उसमें ‘जब तक प्रेम आप से न उठे, तब तक उसको न उसकाएँ न जगाएँ।’ (श्रेष्ठगीत २:७) शायद ऐसी ही दृढ़ता से अपना विचार व्यक्त करना स्थिति सुधार दे, खासकर यदि आपके माता-पिता परमेश्वर का भय मानते हैं।
सच्चाई का सामना करना
फिर भी, आपको आखिरकार उस व्यक्ति के बारे में सच्चाई का सामना करना ही पड़ेगा जिससे आप सोचती हैं कि आप प्यार करती हैं। ऐसा करना शायद आसान न हो और आपको भावात्मक रूप से चोट पहुँचे। लेकिन शास्त्र सलाह देता है: “सच्चाई को मोल लेना, बेचना नहीं।” (नीतिवचन २३:२३) अपने आपसे पूछिए, ‘क्या मेरे पास प्यार करने का कोई उचित आधार है? मैं इस व्यक्ति के बारे में असल में कितना जानती हूँ? मैं उसके विचारों, भावनाओं, मतों, आदतों, मूल्यों, क्षमताओं, कुशलताओं और जीवन-शैली के बारे में क्या जानती हूँ?’
इस पर भी विचार किया जाना चाहिए कि व्यक्ति ने आपमें सच्ची दिलचस्पी दिखायी है या नहीं। अकसर ऐसा होता है कि शिष्टता या मित्रता का गलत अर्थ निकाला जाता है। “वह शिष्टता दिखाने की कोशिश कर रहा था,” हूडा ने कहा, “लेकिन मैंने उसकी बातों और कामों से समझा कि उसे मुझमें खास दिलचस्पी है क्योंकि मैं ऐसा चाहती थी। जब मुझे एहसास हुआ कि उसे मुझमें दिलचस्पी नहीं, तो मैंने बहुत अपमानित महसूस किया। मुझे लगा कि मैं उसकी दिलचस्पी के लायक नहीं हूँ और मुझमें कोई खराबी है।”
इस तरह का अनुभव होने पर शायद आपने भी ऐसा ही महसूस किया हो। लेकिन यह मत समझिए कि एक व्यक्ति ने आपको पसंद नहीं किया तो कोई और आपको पसंद नहीं करेगा। आखिरकार, दुनिया में वही तो अकेला लड़का नहीं!
ज़खम भरना
फिर भी, भावनाओं के ज़खम भरने में कुछ समय लग सकता है। किस बात से फायदा हो सकता है? एक तरीका है “सच्चे साथी” को खुलकर अपने दिल की बात बताएँ, किसी प्रौढ़ मसीही से बात करें जो आपकी बात सुने। (नीतिवचन १७:१७, NW) शायद कलीसिया में कोई उम्रदराज़ बहन है जिससे आप बात कर सकती हैं। मदद और सहारा देने में मसीही माता-पिता भी बड़ी भूमिका निभा सकते है। ज़ेना याद करती है: “हमारी कलीसिया में एक मसीही स्त्री ने मेरी परेशानी को देखा और प्रौढ़ता दिखाकर मेरी मदद की। मैंने उनके साथ खुला-खुला महसूस किया और उन्हें हर बात बता दी। उन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया कि अपने माता-पिता से बात करूँ। सो मैंने उनसे बात की और उन्होंने मेरी बात समझी और मेरी मदद की।”
प्रार्थना की शक्ति को भी याद रखिए। (भजन ५५:२२) हूडा कहती है: “यहोवा से प्रार्थना करने से मुझे अपना दर्द भुलाने में मदद मिली। मैंने प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं में सहायक लेख भी पढ़े।” इसके साथ-साथ, यह महत्त्वपूर्ण है कि आप खुद को अकेला न करें। (नीतिवचन १८:१) दूसरे लोगों के साथ संगति कीजिए। ज़ेना याद करती है, “मैं व्यस्त रहती थी और पायनियर [पूर्ण-समय सुसमाचारक] बन गयी। इसने मेरी मदद की। मैंने कलीसिया में दूसरी स्त्रियों के साथ अपनी संगति बढ़ायी। इसने मुझे आध्यात्मिक रूप से प्रगति करने में मदद दी।”
बाइबल कहती है कि “प्रेम करने का समय” होता है और हो सकता है कि कुछ समय बाद आपको कोई मिल जाए जो आपके स्नेह के बदले में आपसे स्नेह करे। (सभोपदेशक ३:८) यहोवा परमेश्वर ने मनुष्यों को वैवाहिक प्रेम के सुख का आनंद लेने की इच्छा के साथ सृजा, और आखिर में आपको भी शायद हमारे महान रचयिता के इस उत्तम प्रबंध का लाभ मिल जाए। इस बीच, क्यों न अपनी अविवाहित अवस्था के उन सालों का पूरा लाभ उठाएँ जब आप “चिन्तामुक्त” हैं, जैसा प्रेरित पौलुस कहता है? (१ कुरिन्थियों ७:३२-३४, NHT) बात जो भी हो, आप बाइबल की प्रतिज्ञा की पूर्ति के बारे में विश्वस्त हो सकती हैं: “तू [यहोवा] अपनी मुट्ठी खोलता, और प्रत्येक प्राणी की इच्छा को सन्तुष्ट करता है।”—भजन १४५:१६, NHT.
[फुटनोट]
a गोपनीयता रखने के लिए नाम बदल दिये गये हैं।
[पेज 27 पर तसवीर]
कभी-कभी शिष्टता का गलत अर्थ निकाला जाता है