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सजग होइए!–1998
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जब बच्चे घर छोड़ जाते हैं “जब बच्चे घर छोड़ जाते हैं” इन लेखों को पढ़कर मेरे दिल को बहुत तसल्ली मिली। (फरवरी ८, १९९८) हमारे चार में से तीन बच्चे करीब तीन साल पहले घर छोड़कर चले गए। हालाँकि मुझे मालूम था कि एक-न-एक दिन बच्चे अपने घर छोड़कर चले जाएँगे, मगर मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तीनों बच्चे एक साथ घर छोड़ जाएँगे! हमारी संस्था हम माता-पिताओं की भावनों के लिए जो चिंता दिखाती है, उसकी हम बहुत कदर करते हैं।

एम. एस., जापान

अभी मैं और मेरी पत्नी हमारे घर से काफी दूर स्पेशल पायनियर, यानी पूर्ण समय सुसमाचार का प्रचार करनेवाले हैं। आपकी सलाह सचमुच असरदार है कि हालाँकि हम घर से दूर हैं, फिर भी हम अपने माँ-बाप को कैसे दिखा सकते हैं कि हम उनसे अब भी प्यार करते हैं और उन्हें बहुत चाहते हैं।

एम. एम. एस., ब्राज़िल

मैं ११ साल की हूँ। मुझे नहीं लगता था कि घर में ज़िम्मेदारी संभालने से मुझे बड़े होकर फायदेमंद होगा। मगर इन लेखों ने मेरा नज़रिया बदल दिया है। हम जवानों और बच्चों की परवाह करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

डी. यू., युगोस्लाविया

माता-पिता से विरोध मुझे अभी-अभी फरवरी ८, १९९८ की मैग्ज़ीन मिली और मैंने “युवा लोग पूछते हैं . . . यदि मेरे माता-पिता मेरे विवाह का विरोध करें तो क्या करूँ?” पढ़ा। मुझे लगा कि मेरी बेटी की शादी के खिलाफ होकर मैं गलती कर बैठा। मगर आपके लेख में वह सभी कुछ था जिनके बारे में मुझे चिंता थी—उसकी छोटी उम्र, उसके होनेवाले पति का स्वभाव, यह ख्याल कि वह एक अविश्‍वासी के साथ शादी करेगी, एड्‌स होने का खतरा और हमारी संस्कृतियों में फर्क। मेरी यही दुआ है कि यह लेख मेरी बेटी के दिल को छू ले।

एन. बी., अमरीका

कितना बढ़िया लेख! आपने एक बहुत ही नाज़ुक विषय पर चर्चा की और वह भी बहुत अच्छी तरह से। कई और बातें भी बतायी गयीं, और लोगों को इस बात पर खुले दिमाग से सोचने में मदद दी गयी।

एस. सी., अमरीका

मैं पिछले ८ साल से पूर्ण समय सुसमाचार का प्रचार कर रहा हूँ। मेरे मम्मी-डैडी भी मसीही हैं, और मेरी उनके साथ अपनी शादी को लेकर अनबन हो गयी थी। ये मदद और जानकारी देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।

टी. सी. एफ., टांज़ानिया

मसीहियों में विविधता “बाइबल का दृष्टिकोण: क्या मसीही एकता में विविधता की गुंजाइश है?” (मार्च ८, १९९८) के उस लेख के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। मैं यहोवा को जितना ज़्यादा जानती हूँ, उतनी ही ज़्यादा मुझे खुशी होती है कि मैं उसके संगठन का भाग हूँ, और इसी संगठन में हम काफी अलग-अलग व्यक्‍तित्व देख सकते हैं।

आइ. पी., स्लोवेनिया

मैं १५ साल का हूँ और हमेशा सजग होइए! पत्रिका पढ़ता हूँ। मुझे खासकर यह लेख बहुत पसंद आया। एक जगह परादीस के बारे में बात की गयी थी और यह भी कि वह कैसा होगा। मैं हमेशा सोचता था कि सिद्ध इंसान कैसे होंगे, क्या हम सभी लोग एक जैसे दिखेंगे, एक जैसा सोचेंगे। अब मुझे पता चला कि इंसानों और जानवरों में भी विविधता होगी।

जे. सी., अमरीका

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