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उसने हार नहीं मानी

अक्‍तूबर ५, १९९५ के दिन, मैट टैपियो का ब्रेन ट्यूमर की वज़ह से ऑपरेशन किया गया। टूमर में कैंसर होने का खतरा था। वह पहला ऑपरेशन था, और अगले ढाई वर्षों में उसे कई और ऑपरेशन कराने थे। इस ऑपरेशन के बाद कीमोथैरपी और रेडियेशन ट्रीटमेंट दिया गया।

मैट मिशिगन, अमरीका का रहनेवाला था, जहाँ वह स्कूल और मसीही सभाओं में जाया करता था। वह लोगों को जाकर प्रचार करता था और अपने टीचर को और क्लास के बच्चों को भी अपने मसीही विश्‍वास के बारे में बताता था। उसने अपनी ज़िंदगी के आखिरी ढाई साल में से १८ महीने अस्पताल में बिताए थे। जब भी वह अस्पताल में था, उसने सैकडों बाइबल साहित्य लोगों को दिए।

कई बार लगा कि मैट अब नहीं बचेगा, पर हर बार वह मौत के मुँह से बचकर बाहर निकला। एक बार अस्पताल जाते समय उसे दौरा पड़ा और उसकी साँसें बंद हो गयीं। छाती को बार-बार दबाने (Cardiopulmonary resuscitation) से उसकी साँसें फिर से शुरू की गयीं और वह बच गया। जब वह होश में आया, तो वह रोने लगा और उसने चिल्लाकर कहा: “मैं लड़ूँगा! खूब लड़ूँगा! हार नहीं मानूँगा! कभी नहीं!” लोग कहते थे कि मैट इतने समय तक ज़िंदा रहा तो बस परमेश्‍वर पर उसके भरोसे की वज़ह से ही।

मैट का अधूरा सपना पूरा हुआ जब जनवरी १३, १९९६ के दिन उसने यहोवा परमेश्‍वर को समर्पण किया और बपतिस्मा लिया। इंफेक्शन के खतरे की वज़ह से उसे एक खास पूल में बपतिस्मा दिया गया। बस कुछ ही दिन बीते थे कि उसे एक और ऑपरेशन के लिए फिर से अस्पताल आना पड़ा। अगस्त १९९७ में मैट को लगातार कई हफ्तों तक उल्टियाँ होती रहीं। मगर ऑपरेशन के बाद वह ठीक हो गया।

इन सब से गुज़रते हुए भी मैट के मज़ाक करने की आदत नहीं गयी। वह डॉक्टरों और नर्सों को हमेशा हंसाता रहता था। उन्हें कभी समझ में नहीं आया कि उसका इतना बढ़िया मज़ाकिया स्वभाव क्यों है। एक डॉक्टर ने तो उससे इतना तक कहा: “पता है मैट? अगर मैं तुम्हारी जगह होता, तो मैं अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करके, कंबल ओढ़ कर सबसे कह देता कि दफा हो जाओ।”

फरवरी १९९८ को मैट आखिरी बार घर आया। वह इतना खुश था कि वह ज़िंदा था और वापस घर लौटा था, जैसे ही वह घर में घुसा, उसने कहा: “आज मैं इतना खुश हूँ कि पूछो मत! चलो प्रार्थना करते हैं।” तब उसने प्रार्थना में यहोवा को अपनी खुशी बतायी। मगर दो महीने बाद, अप्रैल १९ को, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया।

कुछ समय पहले, वहाँ के यहोवा के साक्षियों के किंगडम हॉल में मैट के इंटर्व्यू की टेप सुनायी गयी थी। उससे पूछा गया: “तुम उन लोगों से हमारी सेवकाई और मीटिंग्स के बारे में क्या कहना चाहोगे जिनकी सेहत अच्छी है?”

मैट ने जवाब दिया: “आज आपसे जितना हो सके उतना कीजिए। . . . न जाने कल क्या होगा। . . . मगर जो भी होगा, यहोवा के बारे में गवाही देना कभी मत छोड़िए।”

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