युवा लोग पूछते हैं . . .
मेरे मम्मी-डैडी मुझसे क्यों बिछड़ गए?
“तुम जानना चाहते हो कि मम्मी-डैडी के बगैर मेरी ज़िंदगी कैसी थी? बहुत ही दुःख भरी थी! बहुत ही! इसके बहुत सारे कारण थे। अपने मम्मी-डैडी के प्यार और उनकी मुहब्बत के बिना इस दुनिया में बड़ा होना बहुत ही मुश्किल है।”—ह्वॉकीन
“मुझे सबसे ज़्यादा दुःख उस समय होता था जब सबके मम्मी-डैडी को स्कूल में आकर रिपोर्ट कार्ड पर साइन करना पड़ता था। मैं खून के आँसू रोती थी। मेरा कोई नहीं था। अकेलेपन से मेरा दम घुटता था। अब भी मुझे कभी-कभी ऐसा ही लगता है।”—१६ साल की एबॆलीना
यह हमारे युग की बहुत ही दुःखदायक सच्चाई है, लाखों नन्हें-मुन्नों और जवानों पर अपने माँ-बाप का साया नहीं है। पूर्वी यूरोप में हज़ारों बच्चे युद्ध की वज़ह से अनाथ हो गए हैं। अफ्रीका में एड्स की महामारी ने भी यही तबाही मचायी है। कुछ बच्चों को तो उनके माँ-बाप ने बस यूँ ही छोड़ दिया। कई परिवार युद्ध या प्राकृतिक विपदाओं की वज़ह से टूटकर बिखर चुके हैं।
अगर देखा जाए तो ऐसे हालात बाइबल के समयों में आसानी से नज़र आते थे। मिसाल के तौर पर, बाइबल में अनाथों की दुर्दशा के बारे में बार-बार ज़िक्र किया गया है। (भजन ९४:६; मलाकी ३:५) उस समय में भी युद्ध और दूसरी विपदाओं की वज़ह से परिवार बिछड़ जाते थे। इसीलिए बाइबल एक छोटी लड़की के बारे में बात करती है जो अपने माँ-बाप से बिछड़ गयी थी, क्योंकि अराम के डाकुओं ने उसे उठा लिया था।—२ राजा ५:२.
शायद आप भी उन लाखों जवानों में से एक हों जिन पर अपने माँ-बाप का साया नहीं है। अगर सचमुच ऐसा है, तो आप जानते हैं कि इससे कितना दुःख होता है। आप सोचते होंगे कि मेरे ही साथ ऐसा क्यों हुआ?
आपका कोई कसूर नहीं है
क्या आपके मन में कभी ऐसा विचार आया कि शायद ईश्वर ही मुझे किसी कारण सज़ा दे रहा है? या हो सकता है कि आप अपने माँ-बाप से बहुत ही क्रोधित हों कि वे क्यों मर गए—मानो उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया हो। सबसे पहले तो, यकीन मानिए, परमेश्वर आपसे नाराज़ नहीं है। ना ही आपके मम्मी-डैडी जानबूझकर आपको छोड़कर चले गए हैं। मौत हम असिद्ध इंसानों पर थोपी गयी है। और कभी-कभी इसका शिकार ऐसे माँ-बाप हो जाते हैं जिनके बच्चे छोटे-छोटे ही होते हैं। (रोमियों ५:१२; ६:२३) और, खुद यीशु मसीह को भी यह दुःख झेलना पड़ा जब उसके प्यारे दत्तकी पिता, युसूफ की मौत हुई।a यकीनन, इसकी वज़ह यीशु द्वारा किया गया कोई पाप नहीं था।
यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि हम “कठिन समय” में जी रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) इस सदी में हिंसा, युद्ध और अपराध ने लाखों बेगुनाह लोगों की जान ली है। दूसरे लोग “समय और संयोग” का शिकार हो जाते हैं, जो कभी-भी किसी पर भी आ पड़ता है। (सभोपदेशक ९:११) हम जानते हैं कि आपको मम्मी-डैडी की मौत से बहुत ही दुःख हो रहा है, मगर इसमें आपका कोई कसूर नहीं है। खुद पर दोष लगाने या दुःख के सागर में डूब जाने के बजाय, आप इस बात से तसल्ली पा सकते हैं कि परमेश्वर ने लोगों को फिर से जिलाने (पुनरुत्थान) का वादा किया है।b यीशु ने पहले से बताया: “इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्ना ५:२८, २९) एबॆलीना, जिसका ज़िक्र शुरुआत में किया गया था, कहती है: “यहोवा के लिए मेरे प्यार से और पुनरुत्थान की आशा से मुझे बहुत मदद मिली।”
मगर तब क्या जब आपके मम्मी-डैडी अब भी ज़िंदा हैं, मगर उन्होंने आपको छोड़ दिया है? परमेश्वर माता-पिता से यह माँग करता है कि वे अपने बच्चों की परवरिश करें, उनकी ज़रूरतों को पूरा करें। (इफिसियों ६:४; १ तीमुथियुस ५:८) मगर, अफसोस की बात है कि कुछ माता-पिता इतने पत्थरदिल हो गए हैं कि वे अपने बच्चों के लिए भी “स्नेहरहित” हो गए हैं। (२ तीमुथियुस ३:३, NHT) दूसरे लोग अपने बच्चों को गरीबी, नशीली दवाओं की लत, कैद या पियक्कड़पन की वज़ह से छोड़ देते हैं। और यह भी कबूल करना होगा कि ऐसे माता-पिता भी हैं जो बस स्वार्थ की वज़ह से अपने बच्चों को छोड़ देते हैं। लेकिन वज़ह चाहे जो भी हो, अपने माँ-बाप से बिछड़कर जीना ही बहुत दुःख की बात है। मगर इसका मतलब यह नहीं हुआ कि आपमें ही कुछ खोट है या कि खुद को दोषी बताकर आप खुद को सताते रहें। असल में, आपके साथ जिस तरह से सलूक किया गया है उसके लिए परमेश्वर के सामने आपको नहीं, आपके माता-पिता को जवाब देना होगा। (रोमियों १४:१२) बेशक, अगर आपको और आपके माता-पिता को मजबूरन किसी वज़ह से अलग होना पड़ा है, जैसे प्राकृतिक विपदा की वज़ह से, बीमारी की वज़ह से, या ऐसी किसी वज़ह से जिस पर किसी का भी बस नहीं चल सकता था, तो फिर इसमें किसी का भी दोष नहीं है! उम्मीद पर दुनिया कायम है, सो इसकी हमेशा उम्मीद रखिए कि आप कभी-न-कभी अपने मम्मी-पापा से फिर मिल जाएँगे, हालाँकि कभी-कभी आपको इसकी गुँजाइश बहुत कम लगती है।—उत्पत्ति ४६:२९-३१ से तुलना कीजिए।
बहुत बड़ा सदमा
अपने मम्मी-डैडी से बिछड़कर आपको शायद बहुत बड़ी-बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़े। ‘संयुक्त राष्ट्र बाल निधि’ ने एक स्टडी किया था, जिसका शीर्षक था चिल्ड्रन इन वॉर। इसमें बताया गया कि “जिन नाबालिग बच्चों के साथ कोई नहीं होता उनको सबसे ज़्यादा खतरा होता है—ऐसे बच्चे . . . जिन्हें ज़िंदा रहने के लिए बड़ी-बड़ी मुसीबतों को झेलना पड़ता है, जिनके पास अपने सामान्य विकास के लिए कोई सहारा नहीं होता और जिनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। अपने माँ-बाप से अलग होना बच्चे के लिए सबसे बड़ा सदमा हो सकता है।” शायद आप भी टूटकर निराश हो चुके हैं, मगर फिर भी हिम्मत जुटाने की कोशिश करते रहते हैं।
ह्वॉकीन को याद कीजिए, जिसका ज़िक्र पहले किया गया था। उसके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए, और फिर उसे और उसके बाकी भाई-बहनों को बेसहारा छोड़ दिया। ह्वॉकीन उस वक्त बस एक साल का था, और उसकी परवरिश उसकी बड़ी बहनों ने की। वह कहता है: “मैं हमेशा पूछता था कि मेरे दोस्तों के पास मम्मी-डैडी हैं, तो फिर हमारे पास क्यों नहीं हैं? और जब मैंने एक पिता को अपने बेटे के साथ खेलते हुए देखा, तो सोचा, काश! वो मेरे डैडी होते!”
मदद लेना
माता-पिता के बिना बड़े होना चाहे मुश्किल ही हो, मगर इसका मतलब यह नहीं होता कि आप कभी कामयाब नहीं होंगे। मदद और सहारा पाने से आपका जीना सिर्फ आसान ही नहीं हो जाएगा, बल्कि आप एक कामयाब इंसान बन सकेंगे। आप शायद इस पर यकीन न कर पाएँ, खासकर अगर आप दुःख और गम के दौर से गुज़र रहे हैं। मगर इस बात को समझिए कि ऐसी भावनाएँ तो सामान्य हैं और ये हमेशा तक नहीं बनी रहेंगी। सभोपदेशक ७:२, ३ में लिखा है: “जेवनार के घर जाने से शोक ही के घर जाना उत्तम है; . . . हंसी से खेद उत्तम है, क्योंकि मुंह पर के शोक से मन सुधरता है।” जी हाँ, अगर कोई बहुत बुरा हादसा होता है तो रोकर मन की भड़ास निकाल लेना अच्छी बात है और इससे दिल का बोझ भी हलका हो जाता है। किसी अच्छे समझदार दोस्त से या कलीसिया के किसी प्रौढ़ भाई-बहन के साथ अपने दिल का दर्द बाँटने से भी आपको मदद मिल सकती है।
माना कि आप ऐसे वक्त में अकेला रहना पसंद करेंगे। मगर नीतिवचन १८:१ आगाह करता है: “जो औरों से अलग हो जाता है, वह अपनी ही इच्छा पूरी करने के लिये ऐसा करता है, और सब प्रकार की खरी बुद्धि से बैर करता है।” यह ज़्यादा अच्छा होगा कि हम किसी भले और समझदार व्यक्ति की मदद लें। नीतिवचन १२:२५ कहता है: “उदास मन दब जाता है, परन्तु भली बात से वह आनन्दित होता है।” आपको “भली बात” तभी मिलेगी जब आप अपने “उदास मन” के बारे में किसी से कहें।
आप किससे अपने दिल की बात बता सकते हैं? मसीही कलीसिया में सहारे की तलाश कीजिए। यीशु वादा करता है कि यहाँ आपको ‘भाई, बहनें और माताएँ’ मिलेंगी जो आपसे प्रेम करेंगे और आपकी चिंता करेंगे। (मरकुस १०:३०) ह्वॉकीन याद करके कहता है: “मसीही भाई-बहनों के साथ रहकर मैं ज़िंदगी को अलग नज़र से देखने लगा। बार-बार मीटिंगों में आने से मैं यहोवा से और ज़्यादा प्यार करने लगा और मुझमें उसकी सेवा करने की चाहत और भी बढ़ गयी। प्रौढ़ भाइयों ने मेरे परिवार को आध्यात्मिक मदद और सलाह दी। आज, मेरे कुछ भाई-बहन पूर्ण-समय के सेवक हैं।”
यह भी याद रखिए कि यहोवा “अनाथों का पिता” है। (भजन ६५:५, ६) बाइबल के ज़माने में परमेश्वर ने अपने लोगों को अनाथों के साथ दया और न्याय से पेश आने के लिए कहा था। (व्यवस्थाविवरण २४:१९; नीतिवचन २३:१०, ११) आज भी वह उन जवानों की उतनी ही चिंता करता है जिनके सिर से उनके माँ-बाप का साया उठ गया है। सो परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और यकीन रखिए कि वह आपकी चिंता करता है और आपकी प्रार्थना का जवाब देगा। राजा दाऊद ने लिखा: “मेरे माता-पिता ने तो मुझे छोड़ दिया है, परन्तु यहोवा मुझे सम्भाल लेगा। यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे।”—भजन २७:१०, १४.
फिर भी, बिन माँ-बाप के बच्चों को रोज़-ब-रोज़ की ज़िंदगी में कई बड़े-बड़े मुश्किलात से गुज़रना पड़ता है। आप कहाँ रहेंगे? क्या खाएँगे? पैसों का क्या? इन मसलों को सफलतापूर्वक कैसे हल किया जा सकता है इसके बारे में आनेवाली एक पत्रिका बताएगी।
[फुटनोट]
a मरने से पहले, यीशु ने अपने शिष्य यूहन्ना से अपनी माँ की देखभाल करने के लिए कहा। अगर मरियम का पति, युसूफ तब तक ज़िंदा होता, तो यीशु को ऐसा करने की ज़रूरत नहीं होती।—यूहन्ना १९:२५-२७.
b माता-पिता की मौत को झेलने के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए अगस्त २२ और सितंबर ८, १९९४ की सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के “युवा लोग पुछते हैं . . . ” लेख देखिए।
[पेज 17 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“यहोवा के लिए मेरे प्यार से और पुनरुत्थान की आशा से मुझे बहुत ही मदद मिली”
[पेज 17 पर तसवीर]
कभी-कभी शायद अकेलापन आपको काट खाने को उठता हो
[पेज 18 पर तसवीर]
कलीसिया में ऐसे दोस्त हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं और आपका हौसला बढ़ा सकते हैं