स्वादिष्ट पर खिलाड़ी समुद्र की
ऑस्ट्रेलिया के सजग होइए! संवाददाता द्वारा
जिस तरह बाज़ आकाश में परवाज़ भरता है, उसी तरह ये तूफानी मछलियाँ समुद्र में। ये समुद्र के पानी को इतनी तेज़ी से चीरती हुई तैरती हैं मानो जलते हुए तीर हवा को चीरते हुए जा रहे हों। ये कभी रुकती नहीं, बस हमेशा शिकार की तलाश में घूमती रहती हैं। वाकई, इनका वैज्ञानिक नाम, थुन्नुस थैन्नुस उस मूल शब्द से आता है जिसका मतलब है, “तेज़ी।” ये मछलियाँ एक बड़े परिवार से आती हैं और उनके कुछ रिश्तेदार हैं मार्लिन्स्, स्पियरफिश, और स्वोर्डफिश। जी हाँ, अगर आपने अब तक अंदाज़ा नहीं लगाया है तो हम बता दें कि पानी की ये खिलाड़ी टूना मछलियों के परिवार की हैं जिनमें १३ जातियाँ होती हैं।
खिलाड़ियों के इस परिवार में सबसे बेजोड़ हैं ब्लूफिन्स मछलियाँ। ये दक्षिणी ब्लूफिन भूमध्य रेखा के दक्षिण में पायी जाती हैं और ये लंबाई में २०० सेंटीमीटर और वजन में २०० किलो तक हो सकती हैं। मगर इस परिवार में पहलवान तो विशाल उत्तरी ब्लूफिन को ही माना जाता है। इनके नाम से ही पता चलता है कि ये पहलवान उत्तरी गोलार्द्ध में पाई जाती हैं। अगर इनकी लंबाई २७० सेंटीमीटर या उससे ज़्यादा हो तो इनका वज़न ७०० किलो से ज़्यादा होता है (मगर बहुत ज़्यादा मछुवाई करने की वज़ह से आजकल इतनी लंबी मछलियाँ कम ही मिलती हैं)। इतने वज़न की मछलियों में भी ७५ प्रतिशत वज़न सिर्फ उनकी पेशियों का ही होता है जो बहुत मज़बूत होती हैं। मगर चाहे इन ब्लूफिन्स का वज़न जितना भी हो, इससे इनकी तेज़ी में कोई फर्क नहीं पड़ता। दरअसल, बड़े आकार की ये ब्लूफिन्स, अपनी टोली की मिसाइलें हैं और छोटी-सी छलाँग भरते वक्त उनकी रफ्तार प्रति घंटे ७० से ८० किलोमीटर की हो सकती है।
स्प्रिंट हो या मैराथन, दोनों में माहिर
ब्लूफिन्स मछलियाँ इतनी तेज़ी से कैसे तैर पाती हैं? नैशनल ज्योग्राफिक पत्रिका इसका जवाब देती है: “इन मछलियों का तीन-चौथाई माँस सिर्फ पेशियाँ होता है, इनका शरीर पानी में तैरने के लिए सबसे बेहतरीन ढंग से बना है और इनका हृदय बहुत शक्तिशाली होता है। दूसरी मछलियों से भिन्न इनमें रैमजेट वेंटिलेशन होता है यानी ये अपने गलफड़ों या गिल्स से ऑक्सिजन अंदर लेती हैं, इसमें हीट एक्सचेंजर्स होते हैं यानी ये अपने शरीर का एक ही तापमान बनाए रख सकती हैं, और इनमें वातावरण के अनुसार ढलने की खास खूबी है और ये बड़ी तेज़ी से तैरने लायक बनायी गयी हैं।” दरअसल, दूसरी मछलियों के दिल की तुलना में ब्लूफिन का शक्तिशाली दिल कई गुना बड़ा होता है और उनका दिल मछलियों के दिल की तरह न होकर स्तनधारियों के दिल की तरह होता है। और तो और, ठंडे रक्तवाली आम मछलियों से भिन्न, ब्लूफिन मछलियों का दिल उसकी बुद्धिमानी से बनायी गयी परिसंचरण प्रणाली से गर्म खून पम्प करता है। जब ब्लूफिन के खून का तापमान ८ डिग्री सेल्सियस तक होता है तो उसकी शक्ति तीन गुना बढ़ जाती है जिसकी वज़ह से यह एक खतरनाक शिकारी की तरह स्क्विड और क्रिल जैसी मछलियों का आसानी से शिकार कर लेती है।
जब एक ब्लूफिन मछली की नज़र किसी लज़ीज़ शिकार पर पड़ती है, मसलन किसी मैकरॆल पर, तब उसकी हँसियानुमा पूँछ इसे इतनी ज़ोरदार गति देती है कि बस पलक झपकते ही शिकार इसके मुँह में होता है। उसकी छाती और मध्य-भाग के फिन्स, उसके फौलाद-समान सख्त शरीर में बने खास खाँचों में सिमट जाते हैं। इससे पानी का अवरोध बल घट जाता है और चाहे मैकरॆल कितना ही तेज़ क्यों न भागे, वह ब्लूफिन से बच नहीं सकती क्योंकि ब्लूफिन अपनी दोनों ही आँखें सिर्फ एक चीज़ पर जमा सकती है, जिसे बाइनॉक्युलर विज़न कहा जाता है। वह ज़रा-सी सरसराहट तक सुन सकती है, और उसके पास रासायनिक डिटेक्टर्स हैं जिससे वह पानी में अपने शिकार को आसानी से ढूँढ़ निकालती है। जैसे ही ब्लूफिन हमला करनेवाली होती है, तब उसके फिन्स उसे बिजली की सी तेज़ी देते हैं, और एक झटके में वह अपने गिल बंद करती और मुँह खोलकर मैकरॆल पर झपट पड़ती है। पलक झपकते ही मैकरॆल गायब! ब्लूफिन उसे निगल चुकी होती है।
टूना मछलियों में शक्तिशाली दिल, गर्म खून, और खास बड़े गिल होने की वज़ह से, ये दूसरी मछलियों की तुलना में दस गुना ज़्यादा तेज़ी से तैर सकती हैं। मगर ‘थोड़ा साँस लेते वक्त,’ यहाँ तक कि सोते वक्त भी टूना मछलियों को तैरते रहना पड़ता है क्योंकि उनका वज़न पानी के वज़न से ज़्यादा होता है और उनके पास दूसरी मछलियों की तरह गिल पम्प नहीं है। इसलिए यह उन मछलियों के जैसे पूरी तरह नहीं रुक सकतीं। इसलिए शार्क मछलियों की तरह टूना मछली अपना मुँह थोड़ा-सा खुला रखकर ही तैरती हैं। अगर कोई टूना मछली की समाधि बनाए तो उस पर यह लिखा जा सकता है: “चाहे स्प्रिंट हो या मैराथन, यह दोनों की माहिर थी।”
टूना परिवार की सबसे खूबसूरत सदस्य हैं विशाल येल्लोफिन टूना मछली। ये येल्लोफिन मछलियाँ दो मीटर तक बढ़ सकती हैं और इनमें एक पीले रंग की धारी, पीले रंग के तैरने के फिन और बहुत ही लंबे, पीछे की तरफ मुड़े हुए फिन्स होते हैं। जब ये मछलियाँ किसी लहर को चीरती हुई जाती हैं, तब ये खूबसूरत मछलियाँ, खासकर रात को शोलों की तरह दिखाई देती हैं मानो जलते हुए तीर हों। दरअसल, हवाई में रहनेवाले लोग इन्हें आही कहते हैं जिसका मतलब है “आग।”
ये खिलाड़ी बड़ी मुसीबत में
इसमें माँस बहुतायत से होता है और चिकना होता है इसी वज़ह से इसे खाने की फरमाइश भी बहुत ज़्यादा होती है। शासीमी और शुशी जैसे खास जापानी भोजन ब्लूफिन मछलियों से बनते हैं। इसलिए लोग इन मछलियों के पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं और जापानी बाज़ारों में इन्हें महँगे से महँगे दामों में बेचते हैं। शुशी-बार के ग्राहक थोड़ी-सी टूना मछली से बने भोजन के लिए बड़ी रकम देते हैं। अगर आप किसी ऑक्शन में एक ब्लूफिन के लिए बोली लगाते हुए लोगों को सुनेंगे तो आप यही सोचेंगे कि वे किसी नयी कार के लिए बोली लगा रहे हैं। टूना मछली के लिए ४,४०,००० रुपए या इससे ज़्यादा की बोली लगना आम बात है। एक बार तो एक ३२४ किलो की ब्लूफिन मछली २७,००,००० रुपए में बिकी! एक वन्यजीवन सरंक्षक ने कहा, ये मछलियाँ जर्मनी की मशहूर “पोर्श कार की तरह ही बड़ी है, उतनी ही तेज़ हैं और उतनी ही कीमती भी।”
टूना मछलियों के लिए लोगों की माँगें बढ़ती जा रही हैं, जिसकी वज़ह से इनकी मात्रा बुरी तरह खत्म हो रही है। किताब सॉल्टवॉटर गेमफिशिंग कहती है कि इन मछलियों को इस तरह “हद से ज़्यादा पकड़ा जा रहा है और बुरी तरह बरबाद किया जा रहा है मानो कल यह मिलेंगी ही नहीं।” नए-नए टेक्नॉलॉजीवाले आज के औद्योगिक जहाज़ से काफी बड़ी मात्रा में मछलियाँ पकड़ी जा रही हैं और इनमें हवाई जहाज़ से समुद्र पर नज़र रखने की सुविधा है। पर्स सीएनर नाम के जहाज़ की मिसाल लीजिए। जब इस जहाज़ को टूना मछलियों की टोली दिखती है, तो यह एक छोटी-सी मोटरबोट पानी में उतारती है जो नीचे बिछे हुए जाल या पर्स सीएनी को खींचता है। इससे ये मछलियाँ बचकर भाग नहीं सकतीं। दूसरी तरफ, बड़े जहाज़ों में मछली पकड़ने के लिए १३० किलोमीटर लंबा जाल होता है। इस जाल की लाइन में करीब २,२०० छोटी-छोटी लाइनें होती हैं और इन छोटी-छोटी लाइनों में मछलियाँ पकड़ने के लिए काँटों में चारा लगा होता है। ऐसे जाल से टूना मछलियों को कोई नहीं बचा सकता! बड़ी-बड़ी ब्लूफिन मछलियाँ तो मानो खज़ाना हैं। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड कहता है अगर बोट और स्पॉट्टर हवाई जहाज़ों को “सिर्फ कुछ [ब्लूफिन मछलियाँ] ही नज़र आ जाएँ तो वे उन्हें पकड़ने के लिए हफ्ते बिता देते हैं।”
कुछ देशों में ऐसे नियम हैं जिनकी वज़ह से सिर्फ एक सीमित मात्रा में ही मछलियाँ पकड़ी जा सकती हैं। मगर टूना जैसी समुद्री मछलियों के पकड़ने पर आप कैसे निगरानी रख सकते हैं? (एक उत्तरी ब्लूफिन मछली पर निशान लगाकर जापान के पास छोड़ दिया गया था, और पता चला कि उसे बाद में, लगभग ११,००० किलोमीटर दूर, मेक्सिको के पास फिर से पकड़ लिया गया!) अब तक हालात देखकर यही लगता है कि इन समुद्री मछलियों के पकड़े जाने पर नज़र रखना मुश्किल है। संयुक्त राष्ट्र के कई संगठनों ने कोशिश की है कि इनके शिकार पर निगरानी रखकर उसे काबू में किया जाए, मगर उनके खिलाफ शक्तिशाली और पैसेवाले संगठन हैं जिन्हें इससे बेहद मुनाफा होता है। दरअसल, जब कुछ देशों ने इन मछलियों के पकड़ने पर रोक लगाने के लिए निगरानी रखने की कोशिश की तो उन्हें इन दुश्मनों की तरफ से बहुत खतरनाक और बड़े-बड़े हादसों का सामना करना पड़ा।
आप शायद सोचें कि बुरी तरह से खत्म हो रही मछलियों का शोषण करके क्यों मछुवारे समुद्र के खज़ानों और यहाँ तक कि अपनी खुद की जीविका को खतरे में डालते हैं। इसका जवाब नैशनल ज्योग्राफिक देती है: “[मछलियों की मात्रा] इस कदर खत्म होने पर भी न तो पारंपरिक ना ही औद्योगिक मछुवारे मछलियों को बचाने की सोच सकते हैं क्योंकि इसमें कोई मुनाफा नहीं है। इससे उनके हाथों कुछ नहीं लगेगा बल्कि कोई दूसरा व्यक्ति मछलियों से मुनाफा कमाएगा। दूसरा क्यों फायदा उठाए यह सोचकर मछलियों की जान बचाने के बजाय सभी लोग और ज़्यादा मछलियाँ पकड़ने पर तुले हुए हैं।”
टैग लगाने और उन्हें पालकर पैदावार बढ़ाने से टूना बचेगी?
दक्षिणी ब्लूफिन मछली पर काफी रिसर्च की गई है। इस रिसर्च का एक तरीका है आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक टैग लगाना जिससे टूना मछलियों के झुण्ड की आदतों और सेहत के बारे में ज़रूरी जानकारी मिल जाती हैं। इस जानकारी से यह तय करने में मदद मिलेगी कि कितनी मछलियाँ पकड़ना ठीक रहेगा।
इस दरमियान, कुछ देशों में मछलियों की पैदावार करने का चलन तेज़ी पकड़ रहा है, जिसमें टूना फार्मिंग भी शामिल है। जहाँ तक जनन का सवाल है, मादा ब्लूफिन से मछली पालनेवालों को फायदा ही होगा क्योंकि ये मछलियाँ अंडे देने के मौसम में डेढ़ करोड़ अंडे देती हैं! अगर यह तरीका कामयाब रहा तो इससे समुद्र में बची-खुची टूना मछलियों की मछुवाई करने का खतरा कम हो सकता है। सचमुच, टूना और खासकर इस परिवार के खास पहलवान, ब्लूफिनों जैसी ऐसी खूबसूरत पानी की खिलाड़ियों को खत्म होते देखना बड़े अफसोस की बात होगी। ये ऐसी मछलियाँ है जो देखने में तो खूबसूरत हैं ही मगर खाने में भी बहुत स्वादिष्ट हैं।
[पेज 18, 19 पर तसवीर]
येल्लोफिन टूना
[चित्र का श्रेय]
Innerspace Visions
[पेज 20 पर तसवीर]
ब्लूफिन टूना
[चित्र का श्रेय]
Innerspace Visions