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सजग होइए!–2001
g01 7/8 पेज 18-21

खूबसूरत पतंगा

एक सुहानी शाम की बात है। अचानक एक पतंगा उड़कर एक बड़े-से रेस्तराँ में घुस आया और वहाँ टेबल पर खाना खा रही एक औरत के आस-पास मँडराने लगा। लेकिन वह औरत मारे डर के पतंगे को इस कदर भगाने लगी मानो बीमारी फैलानेवाले किसी मच्छर ने उस पर हमला कर दिया हो! फिर यह पतंगा उड़कर दूसरी टेबल पर जाकर एक आदमी के कॉलर पर जा बैठा। इस आदमी और उसकी पत्नी का रवैया उस औरत से कितना अलग था। वे इस पतंगे को भगाने के बजाय इसकी खूबसूरती और मासूमियत को देखकर इस नाज़ुक से जीव की सराहना करने लगे।

कनेटिकट बटरफ्लाई एसोसिएशन की स्थापना में मदद करनेवाले जॉन हिमलमैन ने कहा: “पतंगे कभी किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते। उनके मुँह में खाने और काटने के लिए दाँत जैसी रचना ही नहीं होती। और जब ये पतंगे बड़े हो जाते हैं तो इनमें से कुछ पतंगे, खास तौर पर जाने-माने लूना मॉथ तो कुछ भी नहीं खाते। उनमें न तो रेबीज़ और ना ही कोई दूसरी बीमारी पायी जाती है। वे डंक नहीं मारते . . . दरअसल बहुत कम लोग ही जानते हैं कि दिन में उड़ती नज़र आनेवाली तितलियाँ असल में पतंगे ही हैं।”

तितलियाँ तो सभी को पसंद हैं, मगर ऐसे बहुत कम लोग हैं जो पतंगों की खूबसूरती और विभिन्‍नताओं की तारीफ करने की सोचें। ‘पतंगे और खूबसूरत?’ आप शायद सोचें कि ऐसा कैसे हो सकता है। कुछ लोग सोचते हैं कि खूबसूरत तितलियों के मुकाबले पतंगे, बेरंग और भद्दे होते हैं जबकि दोनों एक ही जाति के हैं। इसलिए वैज्ञानिकों के मुताबिक दोनों एक ही वर्ग में आते हैं यानी लेपिदॉप्तेरा वर्ग, जिसका मतलब है, “परतदार पंख।” इन खूबसूरत जीवों की किस्मों को देखकर तो कोई भी चकरा जाए। दि इंसाइक्लोपीडिया ऑफ इंसेक्ट्‌स बताती है कि लेपिदॉप्तेरा की जातियों में से 1,50,000 से लेकर 2,00,000 जातियों का पता लगाया है। मगर इनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत तितलियाँ हैं, बाकी सारे पतंगे ही हैं!

औरों की तरह मैंने भी पतंगों के बारे में कभी इतनी दिलचस्पी नहीं ली थी। हाँ, सिर्फ अलमारी में गरम कपड़ों में नैप्थलीन की गोलियाँ रखते वक्‍त उन्हें इन पतंगों से बचाने के लिए ज़रूर इनके बारे में सोचती थी। मुझे यह पता ही नहीं था कि बड़े होने पर पतंगे कपड़ा खाते ही नहीं। उन्हें जो कुछ खाना होता है वे सिर्फ लार्वा चरण में कैटरपिलर के रूप में ही खाते हैं।a

आखिर किस बात ने पतंगों के बारे में मेरा नज़रिया बदल डाला? कुछ समय पहले मैं और मेरे पति अपने कुछ दोस्तों से मिलने गए थे। उनका नाम बॉब और रॉन्डा है। बॉब, पतंगों के बारे में काफी कुछ जानता है। उसने मुझे छोटे से डिब्बे में एक खूबसूरत जीव दिखाया जिसे मैंने पहले तो तितली समझा। मगर उसने समझाया कि यह एक सिक्रोप्या या रॉबिन मॉथ है जो उत्तरी अमरीका के सबसे बड़े पतंगों में से एक है। यह पतंगा छः इंच तक अपने पंखों को फैला सकता है और इसे पूरी तरह से बड़ा होने में एक साल लगता है। लेकिन यह सुनकर तो मैं हैरत में पड़ गयी कि बड़े होने पर पतंगे बस एक-दो हफ्ते ही ज़िंदा रहते हैं! इस खूबसूरत सिक्रोप्या को करीब से जाँचने पर पतंगों के बारे में मेरा नज़रिया ही बदल गया।

बॉब ने डिब्बे के निचले हिस्से में कुछ छोटे-छोटे दानों की तरफ इशारा करते हुए समझाया: “ये दाने असल में अंडे हैं। और इससे निकले पतंगों को मैं पालना चाहता हूँ।” एक पतंगे को पालना? यह सुनकर तो मेरी दिलचस्पी और भी बढ़ गयी। मगर काम उतना आसान नहीं था। बॉब ने पूरे दो हफ्ते तक अंडों को कृत्रिम तरीके से सेने की कोशिश की मगर नाकाम रहा। फिर उसने इन अंडों पर पानी से हल्का-सा स्प्रे करने का फैसला किया। ऐसा करने से हफ्ते-भर के अंदर, एक ही दिन में, 29 में से 26 अंडों से लार्वे निकल आए। हर लार्वा मच्छर की तरह छोटा था और बॉब ने इन नाज़ुक लार्वों को एक चिकने गहरे बरतन में रख दिया ताकि वे रेंगकर बाहर ना निकलें।

इन नवजात लार्वों का सबसे पहला भोजन वही अंडे के छिलके थे जिनसे वे निकल आए थे। उसके बाद बॉब को इन्हें खाना देना था, जो कि काफी मुश्‍किल काम साबित हुआ। थोड़ी बहुत छानबीन करने के बाद उसने उन्हें पुतली (मेपल) की पत्तियाँ खिलाने की कोशिश की। ये लार्वे उन पत्तियों पर चढ़ तो गए मगर उन पत्तियों को खाया नहीं। लेकिन जब बॉब ने उन्हें चेरी और भोज की पत्तियाँ दी तब वे उन पत्तियों को तुरंत चट कर गए।

जब ये छोटे लार्वे बड़े होकर कैटरपिलर में तबदील हो गए तब बॉब ने उन्हें एक काँच के बक्से (टरेरियम) में रखकर उन्हें ऊपर से जालीदार ढक्कन से ढक दिया। इस बक्से में कैटरपिलरों और पत्तियों दोनों को सही मात्रा में नमी मिलती है। इतना ही नहीं इन कैटरपिलरों को जैसे ही रेंगना आ जाता है, उनमें इधर-उधर भटकने की ज़बरदस्त इच्छा पैदा हो जाती है, इसलिए यह बक्सा उन्हें बाहर निकलने से भी रोकता है।

मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इन 26 कैटरपिलरों को खाना देने में इतनी जिद्दो-ज़हद करनी पड़ती है। हर बार जब बॉब इस बक्से में पत्तियाँ डालता, ये कैटरपिलर इन पत्तियों को दो दिन में ही चट कर जाते। इस दौरान उसने अपनी छोटी बहन और दो नौजवान दोस्तों, एक लड़का और लड़की की मदद ली ताकि वे इन बढ़ते पतंगों पर नज़र रख सकें और उन्हें खाना देने में मदद करें।

कैटरपिलरों का अधिक मात्रा में भोजन लेना बेहद ज़रूरी है क्योंकि उन्हें न सिर्फ लार्वा चरण के दौरान अपने विकास के लिए भोजन की ज़रूरत है बल्कि बड़े होने पर उनका पोषण इसी भोजन से होता है। दरअसल सिक्रोप्या पतंगे का मुँह नहीं होता इसलिए वह खा ही नहीं सकता! बड़े होने पर अपनी छोटी-सी ज़िंदगी में अपने भरण-पोषण के लिए वह उस भोजन पर पूरी तरह निर्भर रहता है जो उसने लार्वा चरण में खाया था।

नयी चमड़ी का आना

जैसे-जैसे कैटरपिलर बड़े होते हैं, उनकी चमड़ी कई बार उतरती है। इस तरह कैटरपिलर के कई बार अपनी चमड़ी से अलग होने के चरण को इनस्टार कहते हैं।

एक सिक्रोप्या कैटरपिलर की चमड़ी उसके शरीर के साथ-साथ नहीं बढ़ती इसलिए जब यह कैटरपिलर इतना बड़ा हो जाता है कि उसकी चमड़ी अपनी आखिरी सीमा तक खिंच जाती है तो यही वक्‍त होता है उसकी चमड़ी उतारने का। बॉब को मालूम था कि ऐसा कब होनेवाला है क्योंकि कैटरपिलरों ने खाना बंद कर दिया था। रेशम की गद्दी को बुनने और अपने आपको उनसे चिपकाए रखने के बाद ये कैटरपिलर कई दिनों तक नहीं हिलते और इस दौरान उनकी नयी चमड़ी निकल रही होती है। जब नयी चमड़ी तैयार हो जाती है, तब ये कैटरपिलर बस अपनी पुरानी चमड़ी से निकल आते हैं और ये चमड़ी रेशम की गद्दी से चिपकी रहती है। इन कैटरपिलरों को चमड़ी उतारने के अपने आखिरी चरण में देखकर मुझे बड़ी हैरत हुई कि वे कितने बड़े हो चुके थे। उनकी लंबाई लगभग पाँच इंच थी और चौड़ाई मेरी तर्जनी से भी ज़्यादा थी।

ककून बुनना

चमड़ी उतारने के अपने आखिरी चरण के बाद, हर कैटरपिलर एक ककून बुनता है। ककून धूसर रंग के धागों जैसा होता है और एक डाली से लगा रहता है। सिक्रोप्या दो किस्म के ककून तैयार करते हैं। पहले किस्म का ककून बड़ा और ढीला-ढाला होता है जिसके नीचे का हिस्सा गोल और ऊपरी हिस्सा पतला होता है। दूसरे किस्म का ककून छोटा और कसा हुआ होता है जिसका आकार अंडाकार होता है। इस ककून का ऊपरी और निचला हिस्सा पतला होता है। मगर इन दोनों तरह के ककून के अंदर एक और ककून होता है जो कसकर बुना होता है। सिक्रोप्या के ककून आम तौर पर लाल-भूरे, भूरे, धुँधले हरे या धूसर रंग के होते हैं। उत्तरी अमरीका के दूसरी जातियों के ककूनों की तुलना में सिक्रोप्या पतंगे के ककून बहुत ही बड़े होते हैं, वे करीब चार इंच लंबे और दो इंच चौड़े होते हैं। इतना ही नहीं ये गज़ब के ककून, शून्य से 34 डिग्री सॆलसियस कम तापमान में भी अपने अंदर रहनेवाले कैटरपिलरों को ठंड से बचाने की क्षमता रखते हैं।

जब कैटरपिलर अपने ककून के अंदर चले गए तो हमें उनके बाहर निकलने तक, इंतज़ार करना था। अगले वसंत में यानी बॉब को बड़ा पतंगा मिलने के लगभग एक साल बाद कहीं जाकर उसके इंतज़ार की घड़ियाँ खत्म हुईं। बॉब ने ककून से लगे डंडों को सीधा खड़ा रखने के लिए उन्हें प्लास्टिक फोम में गाड़ दिया। फिर सारी मेहनत और धीरज का फल मिला जब एक को छोड़कर बाकी सारे सिक्रोप्या अपने ककून से बाहर निकल आए।

पतंगों के लिए कदर बढ़ना

सिक्रोप्या पतंगों को खुद अपनी आँखों से अद्‌भुत रूप से बढ़ता हुआ देखकर अब मैं उन पतंगों को और भी ध्यान से देखती हूँ जो बत्तियों के आस-पास फड़फड़ाते रहते हैं और इमारतों पर चिपके रहते हैं। इस अनुभव ने मुझे इन अनोखे जीव के बारे में और भी जानकारी हासिल करने का बढ़ावा दिया। उदाहरण के लिए, मैंने जाना कि पतंगे और तितलियाँ उड़ने में बड़े माहिर होते हैं। और इनमें से कुछ जातियाँ तो दूर-दूर तक का सफर तय करती हैं। नन्हा डाइमंडबैक पतंगा अपने पंख सिर्फ एक इंच तक फैला सकता है मगर समय-समय पर अशांत नॉर्थ सी से होते हुए यूरोप और ब्रिटेन के बीच का सफर तय करता है। और हम्मिंगबर्ड की तरह स्फिंक्स मॉथ या हॉकमॉथ भी फूलों के ऊपर मँडराते हैं।

खुद अपनी आँखों से सिक्रोप्या का जीवन चक्र देखने के कुछ ही समय बाद एक दिन मैंने एक सिक्रोप्या पतंगे को बत्ती के नीचे एक झाड़ी पर बैठा हुआ देखा। मुझे पता था कि पतंगे के पंखों की झिल्ली इतनी नाज़ुक होती है कि उन्हें कभी-भी पंखों से पकड़कर नहीं उठाना चाहिए। लेकिन हो सकता है कि अगर आप एक पतंगे के सामने अपना हाथ फैलाए तो शायद वह खुद-ब-खुद चलकर आपकी उँगलियों पर आ जाए। मैंने ऐसा ही किया और इस खूबसूरत पतंगे ने मेरे दिल को खुश कर दिया जब वह मेरी बीचवाली उँगली पर आ बैठा। बाद में वह पेड़ों के ऊपर से उड़ता हुआ कहीं चला गया। जब वह उड़कर जा रहा था, मैंने सोचा कि यह दिखने में बिलकुल एक तितली जैसा ही तो है। इसलिए अगर अगली बार आपको लगे कि आपने एक तितली को देखा है तो दोबारा गौर कीजिए। यह शायद तितली नहीं बल्कि एक खूबसूरत और मासूम पतंगा हो।—भेंट।(g01 6/8)

[फुटनोट]

a कुछ पतंगों के लार्वे फसलों को भी काफी नुकसान पहुँचाते हैं।

[पेज 18 पर तसवीरें]

1. रॉबिन मॉथ (सिक्रोप्या)

2. पॉलीफीमस मॉथ

3. सनसेट मॉथ

4. एट्‌लस मॉथ

[चित्रों का श्रेय]

Natural Selection© - Bill Welch

A. Kerstitch

[पेज 20 पर तसवीरें]

सिक्रोप्या मॉथ के विकास में ये चरणे शामिल हैं:

1. अंडे

2. कैटरपिलर

3. पूरी तरह से बड़ा हुआ मॉथ

[चित्र का श्रेय]

Natural Selection© - Bill Welch

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