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  • सजग होइए!–2001
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सजग होइए!–2001
g01 7/8 पेज 22

विश्‍व-दर्शन

हाथी “अपने साथियों को नहीं भूलते”

न्यू साइंटिस्ट पत्रिका रिपोर्ट करती है कि “हाथी कभी नहीं भूलते, कम-से-कम अपने दोस्तों को तो नहीं।” ससिस्क, इंग्लैंड में विश्‍वविद्यालय की डॉ. कैरन मकॉम्ब ने केन्या के अम्बॉसेली नैशनल पार्क में, मादा अफ्रीकी हाथियों की “दूसरे हाथियों को बुलाने” की धीमी आवाज़ें रिकॉर्ड कीं। इस दौरान उन्होंने यह भी नोट किया कि कौन-कौन-से हाथी अकसर एक-दूसरे से मिला करते हैं और कौन एक-दूसरे के लिए बिलकुल अजनबी हैं। रिकॉर्ड की गयी आवाज़ों को दोबारा चलाकर उन्होंने 27 हाथी परिवारों को सुनाया ताकि उनके जवाबों की जाँच कर सकें। अगर ये हाथी दूसरे हाथी की आवाज़ को अच्छी तरह पहचान गए तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया। लेकिन अगर वे उस आवाज़ को अच्छी तरह नहीं पहचान पाए तो उन्होंने सुना तो ज़रूर मगर कोई जवाब नहीं दिया और किसी अनजानी आवाज़ को सुनकर तो बुरी तरह चिढ़ गए और हमला करने पर उतारू हो गए। पत्रिका के लेख में बताया गया है: “वे कम-से-कम 14 दूसरे हाथी परिवार के सदस्यों को उनकी आवाज़ों से पहचान सकते थे। इससे ज़ाहिर होता है कि हरेक हाथी लगभग 100 दूसरे बड़े हाथियों को याद रख सकता है।” शायद इंसानों के मामले में भी हाथियों की याददाश्‍त तेज़ होती है। इंग्लैंड के ब्रिस्टल चिड़ियाघर में स्तनधारी पशु विभाग के अध्यक्ष, जॉन पार्ट्रिज कहते हैं कि तीन साल तक किसी और विभाग में काम करने के बाद जब वह एक एशियाई हाथी के पास लौटे जिसके साथ उन्होंने 18 साल तक काम किया था तो उस हाथी ने उन्हें पहचान लिया। (g01 5/22)

तनाव-भरा लंच-ब्रेक

लंदन का अखबार, फाइनैन्शल टाइम्स रिपोर्ट करता है कि “ब्रिटेन में दोपहर का खाना खाने को कमज़ोर होने की निशानी और वक्‍त की बरबादी समझा जाता है। जबकि जिन लोगों पर काम का भूत सवार होता है वे तो बैठकर पूरा खाना खाने के बजाय अपनी ऑफिस में एक सैंडविच खाना पसंद करते हैं।” हाल में की गयी खोजबीन से पता चला कि ब्रिटेन की आम जनता “दोपहर का खाना” खाने में आजकल सिर्फ 36 मिनट लगाती है। चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि लंच-ब्रेक लेने से तनाव कम होता है। मगर कुछ अधिकारी लंच-ब्रेक के दौरान ऑफिस में मीटिंग करते हैं जिससे उनके कर्मचारियों को खाने का वक्‍त नहीं मिलता है। इस खोजबीन की रिपोर्ट तैयार करनेवाले संगठन, डेटामॉनिटर ने गौर किया: “हम समाज के ऐसे जाल में फँस गए हैं जहाँ कर्मचारियों से और भी ज़्यादा काम की माँग की जाती है और जहाँ समय को बहुत कीमती माना जाता है। ऐसे हालात में कई लोग लंच-ब्रेक को समय की बरबादी समझते हैं।” डेटामॉनिटर की जाँचकर्ता, सैरा नुनी कहती हैं: “आज जहाँ बिज़नेस की दुनिया में दूसरों से आगे निकलने की होड़ लगी हुई है, वहाँ यह कहने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती कि ‘मैं इस काम को बाद में निपटाऊँगा।’ बल्कि काम को उसी वक्‍त पूरा करना होता है।”(g01 5/22)

फ्रिज के बगैर खाने को ताज़ा रखना

बिना फ्रिज के खाने को खराब होने से बचाना, उसे ठंडा और ताज़ा रखना कोई आसान बात नहीं है। लेकिन उत्तरी नाइजीरिया में जहाँ ज़्यादा सूखा नहीं पड़ता है वहाँ खाना ताज़ा रखने के लिए एक आसान और पैसों की बचत करनेवाला तरीका ईजाद कर लिया गया है जो बहुत ही ज़ोर पकड़ रहा है। इस तरीके में एक मिट्टी के घड़े के अंदर दूसरे घड़े को रखा जाता है और उनके बीच की जगह में गीली बालू रखी जाती है। छोटे घड़े में खाना रखा जाता है और उसे एक गीले कपड़े से ढक दिया जाता है। न्यू साइंटिस्ट पत्रिका कहती है कि “बाहर मौजूद गरम हवा अंदर की नमी को खींचकर बाहरवाले घड़े की सतह पर ले आती है जहाँ से यह नमी भाप बन जाती है। यह भाप अपने साथ गर्मी को भी ले जाती है जिससे लगातार अंदरवाले घड़े की गरमाहट बाहर निकलती रहती है। लेकिन यह तब तक होता है जब तक बालू और कपड़े दोनों गीले रहते हैं।” इस तरकीब को अपनाने से टमाटर और शिमला मिर्च को तीन हफ्तों से ज़्यादा ताज़ा रखा जा सकता है और बैंगन तो लगभग एक महीने तक ताज़ा रहते हैं। “घड़े-के-अंदर-घड़े” की तरकीब ईजाद करनेवाले मुहम्मद बाह अब्बा कहते हैं कि इससे किसान अपना-अपना माल ज़रूरत के हिसाब से बेच सकते हैं। और उनकी बच्चियाँ जो आम तौर पर सब्ज़ी बेचने की वजह से स्कूल नहीं जा पाती हैं, वे अब स्कूल जा सकेंगी। (g01 6/8)

सॆल फोन से हुई दुर्घटनाएँ

अब न सिर्फ रास्तों पर सॆल फोन पर बात करने से दुर्घटनाएँ हो रही हैं बल्कि ये दुर्घटनाएँ रेलवे स्टेशनों पर भी हो रही हैं। जापान में रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यात्री प्लैटफॉर्म में फोन पर बातें करने में इतने डूब जाते हैं कि भूल ही जाते हैं कि वे कहाँ खड़े हैं। हाल में हुई दुर्घटनाओं के बारे में बताते हुए असाही इवनिंग न्यूज़ अखबार एक नौजवान के बारे में रिपोर्ट करता है जो प्लैटफॉर्म पर पटरी की तरफ झुककर सॆल फोन पर बात कर रहा था। जब वह अचानक फोन पर बात कर रहे व्यक्‍ति के लिए आदर से झुका तभी पीछे से आती एक ट्रेन उसके सिर से रगड़ खाती हुई गुज़र गयी। शुक्र है कि वह बाल-बाल बच गया और सिर्फ उसकी “दाहिनी आँख के ऊपर चोट” आयी। लेकिन दूसरी दुर्घटना में, “एक हाई स्कूल का छात्र, सॆल फोन पर बात करते वक्‍त प्लैटफॉर्म के किनारे पर ऐसे झुका कि एक मालगाड़ी की टक्कर लगने से वह मर गया।” रेलवे स्टेशन के कर्मचारी कहते हैं कि लोग कभी-कभार गलती से अपना फोन पटरी पर भी गिरा देते हैं। छब्बीस साल का एक आदमी जब अपना फोन उठाने के लिए पटरी पर उतरा तो एक ट्रेन ने उसे “कुचल दिया।” रेलवे अधिकारियों ने लोगों से आग्रह किया है कि वे “यह बात ध्यान में रखें कि रेलवे प्लैटफॉर्म दुर्घटनाओं से मुक्‍त नहीं है।”(g01 6/22)

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