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सजग होइए!–1994
g94 4/8 पेज 11-13

सहारा जो महत्त्व रखता है

मुझे मृत्यु के भय और हताशा की अवधियों से लड़ना था,” वर्जिनिया कहती है, जो अर्जेंटाइना में एक यहोवा की गवाह है। स्तन कैंसर के विरुद्ध अपने संघर्ष में उसने आमूल स्तन-शल्य एवं दोनों अण्डाशयों का उच्छेदन करवाया।a

वाक़ई, स्तन कैंसर के परिणाम के तौर पर मृत्यु का भय संसार-व्याप्त है। इस भय के साथ अपंगता की दहशत और नारीत्व एवं पालन-पोषण की योग्यता से नज़दीकी रूप से जुड़ी हानि एक स्त्री के जीवन में भावात्मक तौर पर क़हर बरपा कर सकती है। अकेलेपन की भावनाएँ उस पर हावी होने के कारण वह जल्द ही निराशा की गहराइयों में डूब सकती है। ऐसे भावात्मक आक्रमण से उसे कैसे बचाया जा सकता है?

सहारे की आवश्‍यकता

“उसे सहारे की आवश्‍यकता है!” अमरीका की जोन जवाब देती है। उसकी अपनी माँ और नानी भी स्तन कैंसर की शिकार थीं, और जो संघर्ष उन्होंने किया वही अब उसके सम्मुख है। यही समय है जब निष्ठावान पारिवारिक सदस्य और दोस्त सांत्वनादायक सहारा और सहायता प्रदान कर सकते हैं। जोन का पति टेरी, उसके लिए एक मज़बूत सकारात्मक समर्थक बना। टेरी समझाता है: “अपनी स्थिति को, जैसे मैंने समझा, एक स्थिर करनेवाला प्रभाव होना था। मुझे जोन को उपचार के संबंध में निर्णय लेने में सहायता करने की आवश्‍यकता थी, जो उसे लड़ने और हार न मानने के लिए विश्‍वास और शक्‍ति प्रदान करे। कैंसर शल्यचिकित्सा के प्रति उसके भय का हमें सामना करना था, और मैं यह निश्‍चित करने का प्रयास करता था कि डॉक्टरों के साथ हमारी चर्चाओं में उसके सवाल और भय संबोधित किए जाएँ।” टेरी ने आगे कहा: “यह एक ऐसी बात है जो हम अपने परिवारों और संगी मसीहियों के लिए कर सकते हैं जिन्हें पारिवारिक सहारा नहीं मिलता। चिकित्सीय कार्यकर्त्ताओं के सामने हम उनकी आँखें, कान, और आवाज़ हो सकते हैं।”

जो अकेली या विधवा हैं उनकी ओर विशेष ध्यान देने की आवश्‍यकता है। आस्ट्रेलिया से डायना हमें कहती है: “पाँच वर्ष पूर्व मेरे पति एक कैंसर आपरेशन के बाद मर गए, लेकिन मेरे बच्चों ने उस खालीपन को भरने में सहायता की। वे कृपालु थे लेकिन भावात्मक नहीं। उस बात ने मुझे शक्‍ति दी। हर एक बात को शीघ्र और शांतिपूर्वक ध्यान दिया गया।”

स्तन कैंसर पूरे परिवार पर भावात्मक असर करता है। इसलिए उन सभी को अन्य लोगों से (विशेषकर उनके आध्यात्मिक भाइयों और बहनों से, यदि वे यहोवा के गवाह हैं) प्रेमपूर्ण परवाह और सहारे की आवश्‍यकता है।

अमरीका से रेबेका, जिसकी माँ ने स्तन कैंसर से संघर्ष किया, समझाती है: “कलीसिया आपका विस्तृत परिवार है, और उनके कार्य आपकी भावनाओं पर एक बहुत बड़ा प्रभाव डालते हैं। यद्यपि अनेक जन व्यक्‍तिगत तौर पर, माँ द्वारा चुने गए अस्वीकृत उपचार से सहमत नहीं थे, टेलीफ़ोन करने और भेंट करने के द्वारा भावात्मक रूप से उन्होंने हमें सहारा दिया। कुछ तो उसके लिए विशेष आहार को तैयार करने में भी आकर हाथ बटाँते थे। प्राचीनों ने एक टेलीफ़ोन जोड़ का भी प्रबंध किया ताकि हम सभाएँ कभी नहीं चूकें। कलीसिया ने एक कार्ड भी भेजा जिसमें उपहार के रूप में पैसे थे।”

जोन स्वीकार करती है: “आज भी, जब मैं अपने आध्यात्मिक भाइयों और बहनों द्वारा प्रदर्शित प्रेम के बारे में सोचती हूँ, तो मेरा रोम रोम पुलकित हो उठता है! सात सप्ताहों के लिए, हर सप्ताह पाँच दिन, मेरी प्यारी बहनें बारी-बारी से गाड़ी चलाकर उपचार के लिए मुझे अस्पताल ले जातीं और लेकर आतीं। और वह १५० किलोमीटर की आने-जाने की दूरी थी! मैं यहोवा को इस मसीही भाईचारे की बहुमूल्य आशीष के लिए कितना धन्यवाद करती हूँ!”

हमारी प्रोत्साहक टिप्पणियाँ, एक और तरीक़ा है जिससे हम सभी प्रोत्साहन और सहारा देनेवाले हो सकते हैं। सावधानी बरतने की आवश्‍यकता है कि हम अनजाने ही नकारात्मक बातों के बारे में बोलते रहने के द्वारा दुःख उत्पन्‍न न करें। दक्षिण अफ्रीका से जून समझाती है: “एक व्यक्‍ति से, जिसे कैंसर नहीं हुआ बिल्कुल उचित बात करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती। मेरे मामले में, मुझे लगा कि अन्य लोगों का कैंसर के किस्सों के बारे में बात न करना बेहतर था, यदि वे किस्से सकारात्मक नहीं थे।” जापान से नोरीको सहमति देती है: “यदि लोग मुझे किसी के बारे में बताते हैं जो ठीक हो चुकी है और जिसे पुनरावर्तन नहीं हुआ, तो मुझे भी आशा होती है कि शायद मैं भी उनकी तरह ठीक हो सकूँगी।”

याद रखिए कि कुछ स्त्रियाँ सारा समय अपने स्वास्थ्य के बारे में बात करना पसंद नहीं करेंगी। यद्यपि अन्य स्त्रियों को स्वयं अपने हित के लिए, स्तन कैंसर के साथ हुए उनके अनुभव के बारे में बात करने की ज़रूरत हो, विशेषकर उनसे जो उनके निकटतम दोस्त हैं। एक व्यक्‍ति कैसे जाने कि कौनसा सबसे सहायक कार्य किया जा सकता है? अमरीका की हैलन सुझाव देती है: “उस व्यक्‍ति से पूछिए यदि वह इस बारे में बात करना चाहती है, और उसे बात करने दीजिए।” जी हाँ, “सुनने के लिए तत्पर रहिए,” डेनमार्क से इंजलीसा कहती है। “उसे भावात्मक सहारा दीजिए ताकि वह अपने उदास विचारों के साथ अकेली न रह जाए।”

सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए कार्य करना

स्तन कैंसर चिकित्सा मरीज़ को कई सप्ताहों, महीनों, या वर्षों तक कमज़ोर और थका हुआ छोड़ सकती है। स्तन कैंसर से पीड़ित एक स्त्री के लिए सबसे बड़ी तकलीफ़ शायद इस बात का सामना करना हो सकती है कि वह अब पहले जितना नहीं कर सकती। अपने शरीर की सीमित क्षमताओं को स्वीकार करने का अर्थ होगा अपने लिए कम कार्य निर्धारित करना और दिन के दौरान विश्राम करना।

जब हताशा होती है, सकारात्मक मनोवृत्ति रखने के लिए शीघ्र क़दम उठाने आवश्‍यक हैं। नोरीको अपना अनुभव बताती है: “हार्मोन उपचार के परिणामों ने मुझे हताश कर दिया। इस अवस्था में मैं जो चाहती थी वह नहीं कर सकती थी, और स्वयं को यहोवा और मसीही कलीसिया के लिए बेकार महसूस करने लगी। जैसे-जैसे मेरी विचारधारा और नकारात्मक होती गयी, अपने परिवार में कैंसर से मरने वालों की आख़िरी तकलीफ़ों को मैं याद करती। भय मुझे जकड़ लेता जब मैं सोचती, ‘क्या मैं उनकी तरह इस पीड़ा को सह पाऊँगी?’”

नोरीको आगे कहती है: “तब मैंने अपनी विचारधारा को समायोजित करने का प्रयास किया। और यह मैंने यहोवा के गवाहों के प्रकाशनों का प्रयोग करने के द्वारा किया, स्वयं को यह सोचने पर मजबूर किया कि यहोवा हमारे अस्तित्व को कैसे देखता है। मैंने सीखा कि ईश्‍वरीय भक्‍ति किए गए कार्य की मात्रा से नहीं, बल्कि जिस हेतु से इसे किया गया, उससे दिखायी जाती है। क्योंकि मैं चाहती थी कि मेरे हृदय की स्थिति और मेरी विचारधारा यहोवा के लिए सुखद हो, मैंने निश्‍चय किया कि मुझे उसकी सेवा आनन्द से और पूर्ण मन से करनी चाहिए, चाहे मसीही सेवकाई में मैं सिर्फ़ थोड़ा ही क्यों न कर पाऊँ।”

स्तन कैंसर से संघर्ष करनेवाली अनेक स्त्रियों के लिए दीर्घकालिक अनिश्‍चितता सकारात्मक दृष्टिकोण को नष्ट कर सकती है। डायना समझाती है कि जिस बात ने उसे सबसे अधिक सहायता दी है वह है अपने हृदय और मन को उन सभी सुंदर बातों से भरना जो यहोवा परमेश्‍वर ने उसे दी हैं: “मेरा परिवार, दोस्त, अच्छा संगीत, विशाल सागर और रमणीय सूर्यास्तों को देखना।” वह विशेषकर प्रोत्साहन देती है: “परमेश्‍वर के राज्य के बारे में दूसरों को बताइए। और राज्य के अधीन जो परिस्थितियाँ पृथ्वी पर होंगी उनके लिए एक वास्तविक लालसा विकसित कीजिए, जहाँ फिर कोई बीमारी नहीं होगी!”—मत्ती ६:९, १०.

वर्जिनिया भी जीवन के उद्देश्‍य पर मनन करने के द्वारा अपनी हताशा से लड़ने की शक्‍ति हासिल करती है: “मैं सचमुच जीना चाहती हूँ क्योंकि मुझे कितना मूल्यवान काम करना है।” जहाँ तक ऐसे अवसरों की बात है जब संकटपूर्ण घड़ियाँ आती हैं और भय बढ़ने लगता है, वह कहती है: “मैं अपना पूर्ण भरोसा यहोवा में रखती हूँ, यह जानते हुए कि वह मुझे कभी न त्यागेगा। और मैं भजन ११६:९ (NW) में बाइबल की आयत के बारे में सोचती हूँ, जो मुझे आश्‍वस्त करती है कि ‘मैं जीवित लोगों के देश में यहोवा के सामने चलती रहूँगी।’”

इन सभी स्त्रियों ने अपनी आशा को बाइबल के परमेश्‍वर, यहोवा पर केन्द्रित किया है। बाइबल की २ कुरिन्थियों की किताब, अध्याय १ आयत ३ और ४ (NW), यहोवा को “सब प्रकार की सांत्वना का परमेश्‍वर,” कहती है “जो हमारे सब क्लेशों में सांत्वना देता है।” क्या यहोवा अपना हाथ बढ़ाकर जिन्हें सांत्वना की ज़रूरत है उनको सहारा देता है?

जापान से मीएको उत्तर देती है: “मैं निश्‍चित हूँ कि उसकी सेवा में बने रहने के द्वारा, मुझे यहोवा की दृढ़ सांत्वना और सहायता मिलती है।” योशीको भी हमें बताती है: “यद्यपि लोग शायद मेरी पीड़ा नहीं समझ पाएँ, यहोवा सबकुछ जानता है, और मैं निश्‍चित हूँ कि मेरी आवश्‍यकताओं के अनुसार उसने मेरी सहायता की है।”

जोन कहती है: “प्रार्थना में आपको निराशा से बाहर निकालकर दुबारा अपने पैरों पर खड़ा करने की शक्‍ति है। पृथ्वी पर रहते वक्‍त यीशु द्वारा निष्पन्‍न की गई महान चंगाई के बारे में जब मैं सोचती हूँ, और संपूर्ण चंगाई जो वह नए संसार में करेगा, ये शब्द मुझे कितनी सांत्वना देते हैं!”—मत्ती ४:२३, २४; ११:५; १५:३०, ३१.

क्या आप स्तन कैंसर से मुक्‍त, वास्तव में, सभी बीमारियों से मुक्‍त एक संसार की कल्पना कर सकते हैं? यह प्रतिज्ञा सब प्रकार की सांत्वना के परमेश्‍वर, यहोवा द्वारा की गयी है। यशायाह ३३:२४ एक ऐसे समय के बारे में कहता है जब पृथ्वी पर कोई भी व्यक्‍ति फिर न कहेगा कि वह रोगी है। वह आशा जल्द ही पूरी होगी जब उसके पुत्र, यीशु मसीह के हाथों में परमेश्‍वर का राज्य, बीमारी, दुःख और मृत्यु के सभी कारणों को मिटाते हुए अपना पूर्ण शासन पृथ्वी पर लाएगा! क्यों न इस अद्‌भुत आशा के बारे में प्रकाशितवाक्य २१:३ से ५ पढ़ें? सच्ची सांत्वना देनेवाले सहारे के साथ भविष्य का सामना करने का साहस कीजिए।

[फुटनोट]

a रजोनिवृत्ति-पूर्व स्त्रियों में एस्ट्रोजन का मुख्य स्रोत अण्डाशय हैं।

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