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सजग होइए!—2020
g20 अंक 1 पेज 5-7
शहर में एक बिज़नेसमैन जल्दी-जल्दी ऑफिस की सीढ़ियाँ चढ़ रहा है।

तनाव कैसे करें दूर?

तनाव क्या है?

जब हम मुश्‍किल हालात का सामना करते हैं, तो इसका हमारे शरीर पर जो असर होता है, उसे तनाव कहते हैं। सबसे पहले हमारा दिमाग इसे भाँप लेता है और शरीर को संकेत भेजता है। फिर यह संकेत पाकर शरीर में कुछ तरह के हार्मोन बड़ी मात्रा में बनते हैं। इससे दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, साँस फूलने लगती है और माँस-पेशियाँ तन जाती हैं। हमें शायद पूरी तरह एहसास न हो, मगर हमारा शरीर तनाव से लड़ने के लिए खुद को तैयार कर रहा होता है। आखिर में जब तनाव कम हो जाता है, तब हमारा शरीर पहले जैसा काम करने लगता है।

अच्छा और बुरा तनाव

तनाव के कारण शरीर में बदलाव होना स्वाभाविक है। इससे हम किसी मुश्‍किल या खतरनाक हालात का सामना करने के लिए तैयार होते हैं और हम फौरन कदम उठाते हैं। यह एक अच्छे किस्म का तनाव है। इस तरह के तनाव में होने से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाते हैं और बेहतर तरीके से काम कर पाते हैं। जैसे, स्कूल की परीक्षा या नौकरी का इंटरव्यू देते वक्‍त या किसी खेल में हिस्सा लेते वक्‍त हम अच्छे-से-अच्छा करने की कोशिश करते हैं।

लेकिन अगर हम लंबे समय तक या हद-से-ज़्यादा तनाव में रहें, तो हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे हमें शारीरिक, मानसिक और जज़्बाती तौर पर नुकसान पहुँच सकता है। हमेशा तनाव में रहने से एक व्यक्‍ति के व्यवहार में बदलाव आ सकता है। वह शायद दूसरों के साथ ठीक से पेश न आए, नशीली चीज़ों का सेवन करने लगे और परेशानी से छुटकारा पाने के लिए गलत आदतों में पड़ जाए। यही नहीं, वह शायद गहरी निराशा में डूब जाए, पूरी तरह पस्त हो जाए या खुदकुशी करने की सोचे।

हालाँकि तनाव का असर सभी पर एक जैसा नहीं होता, मगर इससे कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं। यही नहीं, शरीर का लगभग हर अंग इसकी चपेट में आ सकता है।

तनाव का आपके शरीर पर असर

स्नायु प्रणाली पर

एक आदमी तनाव की वजह से अपना सिर पकड़े हुए है।

तनाव की वजह से आपकी स्नायु प्रणाली (नर्वस सिस्टम) एड्रीनलिन और कॉर्टीसॉल जैसे हार्मोन पैदा करती है। इससे आपकी धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाती है। आपका शरीर खतरे से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • चिड़चिड़ापन, चिंता, निराशा, सिरदर्द, नींद न आना

माँस-पेशियों और हड्डियों पर

तनाव में माँस-पेशियाँ तन जाती हैं ताकि आपके शरीर को चोट न लगे। लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • बदन दर्द, सिरदर्द, माँस-पेशियों की जकड़न

श्‍वास प्रणाली पर

तनाव में आप जल्दी-जल्दी साँस लेने लगते हैं, जिससे शरीर को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है। लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • ज़ोर-ज़ोर से साँस लेना, दम फूलना, बहुत ज़्यादा घबराहट होना (पैनिक अटैक)

दिल और रक्‍त-संचार पर

तनाव की वजह से आपका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है और पूरे शरीर में खून पहुँचाने के लिए और भी काम करता है। खून की नलियाँ फैलती हैं या सिकुड़ती हैं ताकि शरीर के उस हिस्से को ज़्यादा खून मिले जहाँ ज़रूरत हो, जैसे माँस-पेशियों को। लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • हाई ब्लड प्रेशर, दिल का दौरा, मस्तिष्क आघात (स्ट्रोक)

एंडोक्राइन ग्रंथियों पर

आपकी ग्रंथियाँ एड्रीनलिन और कॉर्टीसॉल जैसे हार्मोन पैदा करती हैं, जिससे आपका शरीर तनाव से लड़ पाता है। आपका लिवर खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ा देता है ताकि शरीर को ज़्यादा ताकत मिल सके। लेकिन बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • शुगर की बीमारी होना, शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत कम होना, बार-बार बीमार पड़ना, मिज़ाज में अचानक बदलाव आना (मूड स्विंग), वज़न बढ़ना

अंतड़ियों पर

तनाव की वजह से आपका शरीर ठीक तरह से खाना नहीं पचा पाता। बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • मिचली आना, उलटी-दस्त, कब्ज़ होना

प्रजनन प्रणाली पर

तनाव का असर लैंगिक इच्छाओं पर भी होता है। बहुत ज़्यादा तनाव होने से कई नुकसान होते हैं। जैसे:

  • नपुंसकता, अनियमित माहवारी

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