अध्याय २५
हस्तमैथुन—यह कितना गंभीर है?
“मैं सोच रही हूँ कि क्या हस्तमैथुन परमेश्वर की दृष्टि में ग़लत है। क्या यह भविष्य में और यदि मैं कभी विवाह करती हूँ तब मेरे शारीरिक और/या मानसिक स्वास्थ्य पर असर करेगा?”—पंद्रह-वर्षीय मॆलिसा।
इन विचारों ने अनेक युवाओं को पीड़ित किया है। कारण? हस्तमैथुन व्याप्त है। कहा जाता है, कुछ ९७ प्रतिशत नर और ९० प्रतिशत से अधिक नारियों ने २१ की उम्र तक हस्तमैथुन कर लिया होता है। इसके अलावा, हर क़िस्म के रोगों के लिए इस अभ्यास को दोष दिया गया है—मस्सों और लाल पलकों से लेकर मिरगी और मानसिक रोग तक।
बीसवीं-शताब्दी चिकित्सा अनुसंधायक अब ऐसे भयप्रद दावे नहीं करते। सचमुच, आज डॉक्टरों का मानना है कि हस्तमैथुन से कोई शारीरिक रोग नहीं होता। अनुसंधायक विलियम मास्टर्स और वर्जीनिया जॉनसन आगे कहते हैं कि “इसका कोई स्थापित चिकित्सीय प्रमाण नहीं है कि हस्तमैथुन, चाहे कितनी भी बार किया जाए, मानसिक रोग का कारण बनता है।” फिर भी, दूसरे दुष्प्रभाव अवश्य हैं! और अनेक मसीही युवा उचित ही इस अभ्यास के बारे में चिन्तित हैं। “जब मैं [हस्तमैथुन] कर बैठता, मुझे लगता मानो मैं यहोवा परमेश्वर को निराश कर रहा हूँ,” एक युवा ने लिखा। “कभी-कभी मैं अत्यधिक हताश हो जाता।”
हस्तमैथुन है क्या? यह कितना गंभीर है, और इतने सारे युवा इस आदत को छोड़ना कठिन क्यों पाते हैं?
क्यों युवा इसके आसान शिकार हैं
हस्तमैथुन काम उत्तेजना उत्पन्न करने के लिए जानबूझकर किया गया आत्म-उद्दीपन है। नवयौवन के दौरान, लैंगिक कामनाएँ प्रबल हो जाती हैं। प्रभावशाली हार्मोन निकलते हैं जो प्रजननांगों को प्रभावित करते हैं। अतः एक युवा को इसका बोध हो जाता है कि ये अंग सुखदायी अनुभूतियाँ उत्पन्न करने में सक्षम हैं। और कभी-कभी एक युवा सॆक्स के बारे में सोचे बिना भी लैंगिक रूप से उत्तेजित हो सकता है।
उदाहरण के लिए, विभिन्न चिन्ताओं, आशंकाओं, या कुंठाओं द्वारा उत्पन्न तनाव एक लड़के के संवेदनशील स्नायुतंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और काम उत्तेजना भड़का सकते हैं। क्रमशः संचित वीर्य के कारण वह कामोद्दीप्त अवस्था में जाग सकता है। या यह रात्रि-स्राव उत्पन्न कर सकता है, जिसके साथ सामान्यतः एक कामोद्दीपक सपना आता है। उसी प्रकार, कुछ युवा लड़कियाँ शायद अपने आपको अनजाने में उत्तेजित पाएँ। बहुतों की कामेच्छा अपने मासिक धर्म से कुछ ही समय पहले या बाद में तीव्र हो जाती है।
सो यदि आपको ऐसी उत्तेजना का अनुभव हुआ है, तो आपमें कोई नुक़्स नहीं। यह एक तरुण शरीर की स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। ऐसी अनुभूतियाँ, चाहे अति तीव्र हों तो भी हस्तमैथुन के समान नहीं, क्योंकि अधिकांशतः वे बिना सोची हुई होती हैं। और जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, इन नयी अनुभूतियों की तीव्रता कम हो जाएगी।
लेकिन, इन नयी अनुभूतियों की जिज्ञासा और विलक्षणता के कारण कुछ युवा जानबूझकर अपने गुप्तांगों के साथ छेड़छाड़, या खिलवाड़ करने लगते हैं।
‘मानसिक इंधन’
बाइबल एक युवक का वर्णन करती है जो एक वेश्या से मिलता है। वह उसे चूमकर कहती है: “अब चल . . . हम परस्पर की प्रीति से आनन्दित रहें।” तब क्या होता है? “वह तुरन्त उसके पीछे हो लिया, जैसे बैल कसाई-खाने को . . . जाता है।” (नीतिवचन ७:७-२२) स्पष्ट है, इस युवा की कामनाएँ मात्र इस कारण उत्तेजित नहीं हुई थीं कि उसके हार्मोन क्रियाशील थे बल्कि उसने जो देखा और सुना, उसके कारण।
उसी तरह, एक युवक स्वीकार करता है: ‘हस्तमैथुन की मेरी सारी समस्या की जड़ घूम फिरकर यह थी कि मैं अपने मन में क्या डालता था। मैं ऐसे टीवी कार्यक्रम देखता जिनमें अनैतिकता होती और कभी-कभी केबल टीवी पर ऐसे कार्यक्रम देखता जो नग्नता दिखाते। ऐसे दृश्य इतने स्तब्धकारी होते हैं कि मन में बैठ जाते हैं। वे फिर से मेरे मन में उठते, और हस्तमैथुन करने के लिए ज़रूरी मानसिक इंधन प्रदान करते।’
जी हाँ, व्यक्ति जो पढ़ता, देखता, या सुनता है, साथ ही वह जिस विषय पर बात करता या मनन करता है, वह प्रायः हस्तमैथुन प्रेरित करता है। जैसा एक २५-वर्षीय स्त्री ने स्वीकार किया: “मैं वह आदत छोड़ ही नहीं पाती थी। लेकिन, मैं रोमांस उपन्यास पढ़ती थी, और इसने समस्या में योग दिया।”
“शामक”
इस युवती का अनुभव संभवतः वह सबसे बड़ा कारण प्रकट करता है कि क्यों इस आदत को छोड़ना इतना कठिन हो सकता है। वह आगे कहती है: “सामान्यतः मैं दबाव, तनाव, या चिन्ता दूर करने के लिए हस्तमैथुन करती। वह क्षणिक सुख उस नशे के जैसा था जो एक शराबी अपने आपको शान्त करने के लिए लेता है।”
अनुसंधायक सूज़ेन और अर्विंग सारनॉफ़ लिखते हैं: “कुछ लोगों के लिए हस्तमैथुन एक ऐसी आदत बन सकती है जिसकी तरफ़ वे सांत्वना के लिए मुड़ते हैं जब कभी उन्हें ठुकराया जाता है या किसी बात के बारे में आशंका होती है। लेकिन दूसरे, केवल कभी-कभार, जब वे अति तीव्र भावात्मक दबाव में होते हैं तब इस तरह से सिमट जाते हैं।” प्रत्यक्षतः, इसी तरह दूसरे इस आदत का सहारा लेते हैं जब वे परेशान, हताश, एकाकी, या काफ़ी दबाव में होते हैं; यह उनकी मुश्किलों को मिटाने के लिए एक “शामक” बन जाता है।
बाइबल क्या कहती है?
एक युवा ने पूछा: “क्या हस्तमैथुन एक अक्षम्य पाप है?” बाइबल में हस्तमैथुन का कोई उल्लेख नहीं है।a बाइबल समय में यह अभ्यास यूनानी-भाषी संसार में सामान्य था, और इस अभ्यास का वर्णन करने के लिए अनेक यूनानी शब्द प्रयोग किए जाते थे। लेकिन इनमें से एक शब्द भी बाइबल में प्रयोग नहीं किया गया है।
क्योंकि बाइबल में स्पष्ट रूप से हस्तमैथुन की निन्दा नहीं की गयी है, क्या इसका यह अर्थ है कि यह हानिकर नहीं? बिलकुल नहीं! जबकि इसे व्यभिचार जैसे घोर पापों के वर्ग में नहीं डाला गया है, फिर भी हस्तमैथुन निश्चित ही एक गंदी आदत है। (इफिसियों ४:१९) अतः परमेश्वर के वचन के सिद्धान्त सूचित करते हैं कि इस गंदी आदत का कड़ा विरोध करना ‘आपके लाभ’ के लिए है।—यशायाह ४८:१७.
“काम वासना” भड़काना
बाइबल आग्रह करती है, ‘इसलिए काम वासना के सम्बन्ध में अपनी देह के अंगों को मार डालो।’ (कुलुस्सियों ३:५, NW) “काम वासना” स्वाभाविक लैंगिक भावनाओं को नहीं बल्कि ऐसी वासना को सूचित करती है जो नियंत्रण से बाहर है। अतः ऐसी “काम वासना” एक व्यक्ति को रोमियों १:२६, २७ में पौलुस द्वारा वर्णित घिनौने कामों के जैसे काम करने की ओर ले जा सकती है।
लेकिन क्या हस्तमैथुन इन कामनाओं को नहीं ‘मार डालता’? जी नहीं, इसके विपरीत, जैसे एक युवा ने स्वीकार किया: “जब आप हस्तमैथुन करते हैं, तब आप मानसिक रूप से दुष्कामनाओं पर विचार करते हैं, और यह उनके लिए आपकी चाह को बढ़ा देता है।” अकसर काम-सुख को बढ़ाने के लिए एक अनैतिक कल्पना का प्रयोग किया जाता है। (मत्ती ५:२७, २८) इसलिए, सही परिस्थितियाँ होने पर एक व्यक्ति आसानी से अनैतिकता में पड़ सकता है। यह एक युवा के साथ हुआ, जो स्वीकार करता है: “एक समय, मैं सोचता था कि हस्तमैथुन किसी नारी के साथ सम्बन्ध रखे बिना मेरी कुंठा को दूर कर सकता है। लेकिन मैंने वही करने की अति तीव्र कामना विकसित कर ली।” उसने व्यभिचार किया। इसमें अचम्भे की बात नहीं कि एक राष्ट्र में अध्ययन ने दिखाया कि अधिकांश किशोर जो हस्तमैथुन करते थे व्यभिचार भी कर रहे थे। उनकी संख्या कुँवारों की संख्या से ५० प्रतिशत अधिक थी!
मानसिक और भावात्मक रूप से दूषक
हस्तमैथुन ऐसी कुछ प्रवृत्तियाँ भी बैठा देता है जो मानसिक रूप से हानिकर हैं। (२ कुरिन्थियों ११:३ से तुलना कीजिए।) हस्तमैथुन करते समय, व्यक्ति अपनी ही शारीरिक अनुभूतियों में डूबा—पूरी तरह से आत्म-केंद्रित—होता है। सॆक्स प्रेम से अलग हो जाता है और तनाव दूर करने का एक सहज तरीक़ा-भर बन जाता है। लेकिन परमेश्वर का उद्देश्य था कि लैंगिक कामनाओं को यौन सम्बन्ध—एक पुरुष और उसकी पत्नी के बीच प्रेम की अभिव्यक्ति—से संतुष्ट किया जाए।—नीतिवचन ५:१५-१९.
हस्तमैथुनी में शायद यह प्रवृत्ति भी आ जाए कि वह विपरीत लिंग को बस सॆक्स की वस्तु—काम संतुष्टि का खिलौना—समझने लगे। अतः हस्तमैथुन से सीखी ग़लत प्रवृत्तियाँ व्यक्ति की “आत्मा,” या प्रबल मानसिक झुकाव को दूषित कर सकती हैं। कुछ किस्सों में, हस्तमैथुन से उत्पन्न हुई समस्याएँ विवाह के बाद भी बनी रहती हैं! सकारण, परमेश्वर का वचन आग्रह करता है: “हे प्यारो, . . . आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें।”—२ कुरिन्थियों ७:१.
दोष भावनाओं के प्रति संतुलित दृष्टिकोण
लेकिन, अनेक युवा जो सामान्य रूप से इस बुरी आदत को छोड़ने में सफल होते हैं, कभी-कभार इसे फिर से कर बैठते हैं। ख़ुशी की बात है कि परमेश्वर बहुत दयालु है। “क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करनेवाला है,” भजनहार ने कहा। (भजन ८६:५) जब एक मसीही हस्तमैथुन कर बैठता है, उसका हृदय अकसर आत्म-निन्दा करता है। फिर भी, बाइबल कहती है कि “परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।” (१ यूहन्ना ३:२०) परमेश्वर मात्र हमारे पाप ही नहीं देखता। उसके ज्ञान की महानता उसे क्षमा के हमारे सच्चे निवेदन को सहानुभूति के साथ सुनने में समर्थ करती है। जैसे एक युवती ने लिखा: “मैंने कुछ हद तक दोषी महसूस किया है, लेकिन यह जानना कि यहोवा कितना प्रेममय परमेश्वर है और कि वह मेरा हृदय पढ़कर मेरे सभी प्रयास और अभिप्राय जान सकता है, मुझे तब अत्यधिक हताश होने से रोकता है जब मैं कभी चूक जाती हूँ।” यदि आप हस्तमैथुन करने की इच्छा से लड़ते हैं, तो यह अति संभव नहीं कि आप व्यभिचार जैसा गंभीर पाप करेंगे।
प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के सितम्बर १, १९५९ के अंक ने कहा: “हम कई बार किसी ऐसी बुरी आदत को लेकर अपने आपको ठोकर खाते और गिरते हुए पा [सकते हैं] जो हमारी पिछली जीवन-शैली को इतना गहरा डसे हुए है जितना कि हमें बोध भी नहीं था। . . . हताश मत होइए। यह निष्कर्ष मत निकालिए कि आपने अक्षम्य पाप कर दिया है। शैतान चाहेगा कि आप इसी तरह तर्क करें। यह सच्चाई कि आप शोकित और अपने आपसे परेशान महसूस करते हैं स्वयं इसका प्रमाण है कि आप बहुत दूर नहीं गए हैं। नम्रतापूर्वक और निष्कपटतापूर्वक परमेश्वर की ओर मुड़ने से कभी मत थकिए, और उसकी क्षमा और शोधन और मदद माँगिए। मुसीबत में होने पर जैसे एक बच्चा अपने पिता के पास जाता है वैसे ही उसके पास जाइए, चाहे एक कमज़ोरी के बारे में कितनी ही बार क्यों न जाना पड़े, और यहोवा अपनी अपात्र कृपा के कारण अनुग्रह करके आपको मदद देगा और, यदि आप निष्कपट हैं तो वह आपको एक शुद्ध अंतःकरण की अनुभूति देगा।”
वह “शुद्ध अंतःकरण” कैसे पाया जा सकता है?
[फुटनोट]
a परमेश्वर ने ओनान को ‘भूमि पर अपना वीर्य गिराकर नाश करने’ के लिए मार डाला। लेकिन, इसमें हस्तमैथुन नहीं, रोधित मैथुन सम्मिलित था। इसके अलावा, ओनान मार डाला गया क्योंकि वह स्वार्थ के कारण देवर-धर्म विवाह करने से चूक गया जिससे उसके मृत भाई का वंश आगे चलता। (उत्पत्ति ३८:१-१०) लैव्यव्यवस्था १५:१६-१८ में उल्लिखित ‘वीर्य स्खलन’ के बारे में क्या? प्रत्यक्षतः यह हस्तमैथुन को नहीं, बल्कि रात्रि-स्राव को साथ ही वैवाहिक यौन सम्बन्ध को सूचित करता है।
चर्चा के लिए प्रश्न
◻ हस्तमैथुन क्या है, और इसके बारे में कुछ सामान्य ग़लत धारणाएँ क्या हैं?
◻ अकसर युवा अति तीव्र कामेच्छा क्यों महसूस करते हैं? क्या आप सोचते हैं कि यह ग़लत है?
◻ कौन-सी बातें हस्तमैथुन करने की कामना को इंधन दे सकती हैं?
◻ क्या हस्तमैथुन एक युवा को कोई हानि पहुँचाता है?
◻ आपके विचार से हस्तमैथुन कितना गंभीर पाप है? यहोवा उस युवा को कैसे देखता है जो इसके विरुद्ध लड़ रहा है, जबकि उसे इस पर जय पाने में शायद कठिनाइयाँ हो रही हैं?
[पेज 200 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
कुछ लोगों को हस्तमैथुन करने की ललक तब उठती है जब वे दबाव या तनाव में, एकाकी या हताश होते हैं
[पेज 202 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
‘हस्तमैथुन की मेरी सारी समस्या की जड़ घूम फिरकर यह थी कि मैं अपने मन में क्या डालता था’
[पेज 204 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“जब मैं [हस्तमैथुन] कर बैठता, मुझे लगता मानो मैं यहोवा परमेश्वर को निराश कर रहा हूँ”
[पेज 198 पर तसवीर]
जबकि हस्तमैथुन तीव्र दोष भावनाएँ उत्पन्न कर सकता है, परमेश्वर की क्षमा के लिए सच्ची प्रार्थनाएँ और इस अभ्यास का विरोध करने के लिए परिश्रम व्यक्ति को एक अच्छा अंतःकरण दे सकता है
[पेज 203 पर तसवीर]
उद्दीपक फ़िल्में, पुस्तकें, और टीवी कार्यक्रम प्रायः हस्तमैथुन के लिए ‘मानसिक इंधन’ होते हैं