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अध्याय ११५

बहस शुरू होती है

इसी शाम, यीशु ने अपने प्रेरितों के पाँव धोने के ज़रिये दीन सेवा में एक ख़ूबसूरत सबक़ सिखाया। उसके बाद, उसने अपने आनेवाली मृत्यु का स्मारक को पेश किया। अब, ख़ास तौर से अभी-अभी हुई घटनाओं को देखते हुए, एक आश्‍चर्यजनक घटना घटित होती है। उनके प्रेरित एक उत्तेजक बहस में शामिल हो जाते हैं कि उन में से कौन सर्वश्रेष्ठ प्रतीत होता है! प्रत्यक्ष रूप से, यह पहले से चल रहे झगड़े का एक हिस्सा है।

याद कीजिए, पहाड़ पर यीशु के रूपांतर के बाद, प्रेरितों ने बहस की थी कि उन में कौन सर्वश्रेष्ठ है। इसके अलावा, याकूब और यूहन्‍ना ने राज्य में मुख्य पद की विनती की थी, जिसके परिणामस्वरूप प्रेरितों के बीच वाद-विवाद बढ़ गया था। अब, उन्हें उनके साथ अपनी आख़री रात में भी लड़ते देखकर यीशु कितने उदास हुए होंगे! वे क्या करते हैं?

उनके बरताव के लिए उनको डाँटने के बजाय, एक बार फिर यीशु सहनशीलता से उन से तर्क करते हैं: “अन्यजातियों के राजा उन पर प्रभुता करते हैं, और जो उन पर अधिकार रखते हैं, वे उपकारक कहलाते हैं। परन्तु तुम ऐसे न होना। . . . क्योंकि बड़ा कौन है, वह जो भोजन पर बैठा है या वह जो सेवा करता है? क्या वह नहीं जो भोजन पर बैठा है?” तब उन्हें अपने मिसाल की याद दिलाते हुए, वह कहता है: “पर मैं तुम्हारे बीच में सेवक के नाईं हूँ।”

उनके अपूर्णता के बावजूद, प्रेरित लगातार उनके साथ रहे हैं। इसलिए वह कहता है: “जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ राज्य के लिए एक वाचा किया है, मैं भी तुम्हारे साथ वाचा करता है।” (NW) यीशु और उनके वफादार अनुयायियों के बीच यह निजी वाचा, उन्हें उसके शाही प्रभुत्व में जोड़ती है। आख़िरकार सिर्फ़ १,४४,००० की सीमित संख्या राज्य के लिए इस वाचा में ली जाती है।

यद्यपि प्रेरितों को मसीह के साथ राज्य शासन में हिस्सा लेने का यह अद्‌भुत प्रत्याशा प्रस्तुत की गयी है, वे इस समय आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर हैं। “तुम सब आज ही रात को मेरे विषय में ठोकर खाओगे,” यीशु कहते हैं। तथापि, पतरस को बताते हुए कि उसने उस के लिए प्रार्थना की है, यीशु उकसाते हैं: “जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।”

“हे बालकों,” यीशु व्याख्या करते हैं, “मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूँ। फिर तुम मुझे ढूँढ़ोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, ‘मैं जहाँ जाता हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते,’ वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूँ। मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूँ, कि एक दूसरे से प्रेम रखो; जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।”

“प्रभु, तू कहाँ जाता है?” पतरस पूछता है।

“जहाँ मैं जाता हूँ, वहाँ तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता,” यीशु जवाब देते हैं, “परन्तु इसके बाद मेरे पीछे आएगा।”

“हे प्रभु, अभी मैं तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता?” पतरस जानना चाहता है। “मैं तो तेरे लिए अपना प्राण दूँगा।”

“क्या तू मेरे लिए अपना प्राण देगा?” यीशु पूछते हैं। “मैं तूझ से सच कहता हूँ, कि आज ही, इसी रात को, मुर्ग दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मेरा इनक़ार करेगा।”—NW.

“यदि मुझे तेरे साथ मरना भी हो,” पतरस विरोध करता है, “तौभी मैं तेरा इनक़ार कभी न करूँगा।” (NW) और जब सभी प्रेरित ऐसा ही कहने में मिल जाते हैं, पतरस शेख़ी मारता है: “यदि सब तेरे विषय में ठोकर खाँए तो खाएँ, परन्तु मैं कभी भी ठोकर न खाऊँगा।”

उस समय का ज़िक्र करते हुए, जब उसने प्रेरितों को गलील में बटुआ और झोली के बिना प्रचार कार्य के दौरे के लिए भेजा था, यीशु पूछते हैं: “क्या तुम को किसी वस्तु की घटी हुई?”

“नहीं!” वे जवाब देते हैं।

“परन्तु अब जिसके पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी,” वह कहता है, “और जिसके पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेचकर एक मोल ले। क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि यह जो लिखा है, ‘वह अपराधियों के साथ गिना गया,’ उसका मुझ में पूरा होना अवश्‍य है। क्योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।”

यीशु उस समय की ओर संकेत करते हैं जब उसे कुकर्मी, या अपराधियों के साथ स्तंभ पर चढ़ाया जाएगा। वह यह भी सूचित कर रहा है कि उसके अनुयायियों को भी कड़ा उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा। “हे प्रभु, देख, यहाँ दो तलवारे हैं,” वे कहते हैं।

“ये बहुत हैं,” वह जवाब देता है। जैसा हम आगे देखेंगे, उनके पास तलवार के होने से यीशु को एक और अत्यावश्‍यक सबक़ सिखाने का मौक़ा मिलता है। मत्ती २६:३१-३५; मरकुस १४:२७-३१; लूका २२:२४-३८; यूहन्‍ना १३:३१-३८; प्रकाशितवाक्य १४:१-३.

▪ प्रेरितों की बहस क्यों इतनी आश्‍चर्यजनक है?

▪ यीशु किस तरह इस बहस को निपटाते हैं?

▪ उस वाचा से क्या पूरा होता है जिसे यीशु अपने शिष्यों के साथ करते हैं?

▪ यीशु कौनसी नई आज्ञा देते हैं, और यह कितना महत्त्वपूर्ण है?

▪ पतरस कितना अतिविश्‍वास दिखाता है, और यीशु क्या कहते हैं?

▪ बटुए और झोली ले जाने के विषय में यीशु के आदेश पहले से क्यों अलग है?

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