यहोवा के साक्षी कौन लोग हैं?
यहोवा के साक्षियों के बारे में आप क्या जानते हैं? कुछ लोग कहते हैं कि ये क्रिस्चन मज़हब को फैलानेवाले लोग हैं, क्रिस्चन मज़हब से निकला एक नया फ़िरका है, एक ऐसा क्रिस्चन तबका जिस पर यहूदी मज़हब का गहरा असर है। कुछ लोग इन्हें कट्टर मज़हबी बताते हैं, तो कुछ कहते हैं कि ये खपती हैं क्योंकि तबई इलाज नहीं कराते। दरअसल, ये सारी बातें सरासर झूठ हैं। कुछ लोग साक्षियों के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं? ज़्यादा करके इसलिए कि लोगों को इनके बारे में ग़लत बताया गया है।
यहोवा के साक्षी, जैसा कि उनके नाम से ज़ाहिर है, यहोवा के गवाह हैं। यहोवा कौन है? यहोवा कादिर-ऐ-मुतलक ख़ुदा का नाम है। जो ख़ुदा ने बाइबलa के सफ़हों में ख़ुद अपने को दिया है। ये ज़ाती नाम है, ख़ुदा या ख़ुदावंद की तरह कोई ख़िताब नहीं है। इसलिए सदियों से आमतौर पर, जो कोई भी यहोवा के जलाल बारे में लोगों को गवाही देता है, उसे यहोवा का साक्षी कहा जा सकता है।—ख़रूज 3:13,15; यसायाह 43:10.
इसलिए जब बाइबल क़दीम ज़माने के वफ़ादार लोगों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त देती है जो हाबिल से शुरू होती है तो उन सबको ‘गवाहों का एक बड़ा बादल’ कहती है। (इब्रानियों 11:4; 12:1) उनमें से कुछ ख़ास लोगों के नाम हैं, नूह, इब्राहीम, इसहाक, याकूब, यूसुफ़, मूसा और दाऊद, इन्हें ख़ुदा के गवाह यानी यहोवा के साक्षी बताया गया है। और यीशु मसीह को भी यहोवा का ‘सच्चा और ईमानदार गवाह’ बताया गया है।—मुकाशफ़ा 3:14.
साक्षियों की ज़रूरत क्यों है
बाइबल बताती है कि इंसान को कामिल बनाकर फ़िरदौस में रखा गया था। ख़ालिक ने उसे हमेशा ज़िंदा रहने के काबिल बनाया था। उसके औलाद होनी थी, और उसे बाग़ेअदन के अपने घर की सरहदों को सारी ज़मीन पर बढ़ाना था। उस वक्त इंसान अपने ख़ुदा को अच्छी तरह जानता था, इसलिए उस वक्त ख़ुदा को किसी साक्षी की ज़रूरत नहीं थी।—पैदाइश 1:27,28.
ख़ुदा ने इंसान को ख़ुद मुख़्तियारी दी थी, लेकिन हमारे पहले वालिदैन ने एक ग़लत फ़ैसला किया। उन्होंने अपने को ख़ुदा से आज़ाद रखना चाहा। इसलिए जबकि ख़ुदा कामिल, मुनसिफ़, और पाक है उसके बरअक्स इंसान ज़मीन पर, गुनाहगार और नारास्त हो गया। फिर भी हमारा पाक ख़ुदा, गुनाह और नारास्ती को सिर्फ थोड़ी ही देर की इज़ाज़त और देगा। बाइबल बताती है कि ये आख़िरत का वक्त जल्द ख़त्म होने जा रहा है। ये सारी बातें इंसान को मालूम हों इसीलिए ख़ुदा ने आज तक अपने पाक कलाम—तौरेत, ज़बूर और इंजील—को हमारे वक्तों तक महफ़ूज़ रखा है।
जबकि ज़्यादातर इंसान ख़ुदा को नहीं जानते, उसने अपने वफ़ादार बंदों को ये हुक्म दिया है कि वो उसके बारे में गवाही दें। ऐसे वफ़ादार बंदों से ख़ुदा कहता है “तुम मेरे गवाह [साक्षी] हो।” (यसायाह 43:10) और वो काम जो उन्हें पूरा करना है उसके लिए ख़ुदा कहता है: “बादशाही की इस ख़ुशखबरी की मनादी तमाम दुनिया में होगी ताकि सब कौमों के लिए गवाही हो तब खात्मा होगा।”—मत्ती 24:14.
पहले से कहीं ज़्यादा आज, हर क़ौम, मुल्क और ज़ुबान के लोग सच्चाई से ख़ुदा के कलाम की तफ़तीश कर रहे हैं। ऐसा करने से उन्हें ये मालूम हुआ है कि ज़्यादातर मज़हबी रवायतें बुत-परस्ती से निकली हैं जो ख़ुदा को नाख़ुश करती हैं।
आप इस बात से वाकिफ़ होंगे, कि कुछ लोगों ने मज़हब को एक सौदा बना लिया है। जहाँ दूसरों ने उसे अपने सियासती फ़ायदों का, या ग़रीबों की आड़ लेकर ख़ुद दौलतमंद बनने का एक ज़रिया बना लिया है। ऐसे मज़हबी नफ़ाखोरों को जब ख़ुदा के बारे में सच्ची गवाही दी जाती है तो आपको क्या लगता है, वो कैसा रवैया इख़्तियार करेंगे? बेशक उन्हें साक्षियों से खतरा महसूस होता है। ये भी एक वजह है जिससे कुछ लोग यहोवा के साक्षियों की बदनामी करते हैं।
चाहे जो भी हो यहोवा के साक्षी बाइबल की तालीमों का सख्ती से पालन करते हैं। उन्होंने किसी नए मज़हब की शुरूआत नहीं की है। वो तो सादगी से उन्हीं बातों पर चलते हैं, जो तौरेत, ज़बूर और इंजील में लिखी हैं जो सच्चे मज़हब की बुनियाद हैं। तो वो किन बातों का यक़ीन करते हैं? वो जो सिखाते हैं उनकी कुछ बातें नीचे दी गयी हैं। आप इन्हें ग़ौर से पढ़कर देखिए कि इनमें सच्चाई है कि नहीं।
कोई तसलीस नहीं है
बाइबल तसलीस की तालीम नहीं देती है। इसके बजाय वो कहती है, कि सच्चा और अबदी ख़ुदा सिर्फ एक ही है। ‘यहोवा हमारा ख़ुदा एक ही यहोवा है।’ (इस्तिसना 6:4) वो सारे जहाँ का ख़ालिक है—अबदी है, कादिर-ऐ-मुतलक है, उसके बराबर कोई नहीं है। यीशु, कादिर-ऐ-मुतलक ख़ुदा नहीं है। यीशु ज़मीन पर एक कामिल इंसान के बतौर था, और उसने ना-कामिल इंसानों के लिए अपनी जान कुर्बान की। ख़ुदा ने मेहरबान होकर यीशु की ज़िंदगी को फ़िदिये की शक्ल में कबूल किया, इसलिए यीशु की कुर्बानी पर ईमान लाने से ही ईमानदार को नजात मिल सकती है। यही ख़ुदा की मर्ज़ी है।—लूका 22:42; रोमियों 5:12.
इंसानी जान ग़ैर-फ़ानी नहीं है
जब लोग मरते हैं तो उन्हें क्या होता है? ख़ुदा का कलाम कहता है: “ज़िंदा जानते हैं कि वो मरेंगे पर मुरदे कुछ भी नहीं जानते।” (वाऐज़ 9:5) इंसान में ग़ैर-फ़ानी रूह नहीं होती। जो लोग सोचते हैं कि वो मरे हुओं की रूह से बातें कर रहे हैं दरअसल वो लोग शैतान के फ़रिश्तों यानी बदरूहों से बात कर रहे होते हैं। उसी तरह जो लोग अपने मरे हुओं के लिए दुआ करवाते हैं उससे फ़ायदा सिर्फ पादरियों, पंडितों या मौलवियों को ही होता है, क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए पैसा मिलता है।
जी उठना
इंसान की सच्ची उम्मीद जी उठने में है, जब मरे हुओं को फ़िरदौसी ज़मीन पर दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। जिन्होंने ख़ुदा की ख़िदमत की थी उन्हें अपनी वफ़ादारी की बरकतें मिलेंगी। जो लोग ख़ुदा को बगैर जाने ही मर गए उन्हें तब फ़िर से मौका मिलेगा। इसलिए “रास्तबाज़ों और नारास्तों दोनों का जी उठना होगा।” (ऐमाल 24:15) सिर्फ़ वो ज़िंदा नहीं किए जाएँगे जिन्हें ख़ुदा इस लायक नहीं समझता।
कोई जहन्नुम नहीं
एक मुहब्बती ख़ुदा कभी ऐसी जगह बना ही नहीं सकता जहाँ वो मरे हुओं को हमेशा के लिए तड़पाता रहे। इंसान को जलाने या अज़ाब देने के बारे में ख़ुदा ख़ुद यूँ कहता है: “जिसका मैं ने हुक्म नहीं दिया और मेरे दिल में इसका ख्याल भी ना आया था।”—यरमियाह 7:31.
क़िस्मत नाम की कोई चीज़ नहीं
ख़ुदा इंसान के माथों पर कुछ लिख नहीं देता है। किस्मत नाम की ऐसी कोई चीज़ नहीं जो हमारे पैदा होने से पहले ही हमारे मुस्तकबिल का फ़ैसला कर दे। हम जो कुछ भी करने का फ़ैसला करते हैं उसके लिए हम ही ज़िम्मेवार हैं। “हम में से हर एक ख़ुदा को अपना हिसाब देगा।”—रोमियों 14:12.
कोई पादरी फ़िरका नहीं
सारे मकसुस-शुदा इंसान ख़ुदा की नज़रों में बराबर हैं। सच्ची इबादत करनेवाले आपस में सब भाई-बहन हैं। ख़ुदा ने कोई ऊँचा पादरी फ़िरका नहीं ठहराया है। यीशु ने कहा था: “जो कोई अपने आप को बड़ा बनाएगा वो छोटा किया जाएगा और जो अपने आप को छोटा बनाएगा वो बड़ा किया जाएगा।” (लूका 18:14) ख़ुदा उन सबका इंसाफ़ करके सज़ा देगा जो मज़हब का सहारा लेकर ख़ुद को दूसरों से ऊँचा दिखाने की कोशिश करते हैं।—मत्ती 23:4-12.
कोई बुत-परस्ती नहीं
“ख़ुदा रूह है और ज़रूर है के उसके परस्तार रूह और सच्चाई से परस्तिश करें।” (यूहन्ना 4:24) सच्चे परस्तार बुतों का इस्तेमाल नहीं करते।
सियासत से दूर
यीशु ने कहा था कि उसके चेले इस “दुनिया” का कोई हिस्सा नहीं। (यूहन्ना 17:16) इसलिए यहोवा के साक्षी किसी शहर या मुल्क की सियासत में हिस्सा नहीं लेते। लेकिन वो मुल्क के कानूनों की तामील करते हैं।—रोमियों 13:1,5-7.
ऊँचे इख़लाकी उसूल
सच्ची इबादत करनेवालों की पहचान कैसे करनी चाहिए, यीशु ने ये बताया: “मेरा हुक्म ये है कि जैसे मैं ने तुम से मुहब्बत रखी तुम भी एक दूसरे से मुहब्बत रखो।” (यूहन्ना 15:12,13) बाइबल का एक दूसरा बाब कहता है: “रूह का फ़ल मौहब्बत, ख़ुशी, इतमीनान, तहम्मुल, मेहरबानी, नेकी, ईमानदारी, हिल्म, परहेज़गारी है।” (गलतियों 5:22,23) जो लोग इन फ़लों को अपने अंदर पैदा करते हैं, वो झूठ नहीं बोलते, चोरी नहीं करते, जुआ नहीं खेलते, ड्रग्स नहीं लेते, और किसी भी तरह के जिस्म के गंदे काम नहीं करते। (इफिसियों 4:25-28) वो ख़ुदा से बेहद मुहब्बत करते हैं, इसलिए वो ऐसे कामों से दूर रहते हैं जिनसे ख़ुदा नफ़रत करता है। इन्हीं उसूलों के मुताबिक यहोवा के साक्षी अपनी ज़िंदगी बसर करते हैं।
इस दुनिया का ख़ात्मा नज़दीक आ रहा है
गुज़रे वक्तों में, और हमारे आज के वक्तों में क्या फ़र्क है? पेशनगोई के पूरा होने से पता चलता है कि हम सब इस दुनिया के आखिरी दिनों में जी रहे हैं। (दानिय्येल 2:44) आज का मुद्दा ये है कि हम जो कर रहे हैं क्या उससे ख़ुदा ख़ुश होता है? ख़ुदा एक ही है और सच्चा मज़हब भी सिर्फ एक ही होना चाहिए और ऐसे मज़हब को तौरेत, ज़बूर और इंजील की किताबों के ख़िलाफ़ कोई काम नहीं करना चाहिए। इसलिए इस कलाम को जाँचना हमारे लिए बेहद ज़रूरी है।
यही सबकुछ यहोवा के साक्षी करते हैं। आपका मज़हब चाहे जो भी हो आपको भी यही करना चाहिए। इस मामले में कोई और आपके लिए फ़ैसला नहीं कर सकता। याद रखिए, “हम में से हर एक ख़ुदा को अपना हिसाब देगा।”—रोमियों 14:12.
कोई शख़्स पैदाइशी ही यहोवा का साक्षी नहीं होता। ये हर एक साक्षी का ख़ुदका फ़ैसला होता है। वो जब ख़ुदा की पाक किताब की ईमानदारी से तफ़तीश करता है, सच्चाई को पहचान जाता है, तो वो इस बुनियाद पर अपनी ज़िंदगी उस ख़ुदा के हाथों में सौंप देता है जिसका नाम यहोवा है। अगर आप भी इसी क़िस्म की तफ़तीश करना चाहते हैं तो मेहरबानी से नीचे दिए गए किसी एक पते पर हमें लिखिए।
[फुटनोट]
a इस्लाम के मुताबिक, बाइबल तीन किताबों से मिलकर बनी है। और ये तौरेत, ज़बूर और इंजील हैं। क़ुरान की करीब 64 आयतें साफ़-साफ़ बताती हैं कि ये तीनों किताबें ख़ुदा का कलाम हैं और इन्हें पढ़ना और उसके कवानिनों पर चलना ज़रूरी है। कुछ लोग तौरेत, ज़बूर और इंजील की किताबों पर शक करते हैं। वो कहते हैं कि इसमें लिखी हुई बातों को बदल दिया गया है। ऐसा कहना दरअसल ना सिर्फ क़ुरान के लफ्ज़ों को नज़रअंदाज़ करना होगा बल्कि ये भी दावा करना होगा कि ख़ुदा अपने कलाम को महफ़ूज़ नहीं रख सकता है।
अगर बताया न गया हो, तो बाइबल के सभी हवाले उर्दू रिवाइज़ड वर्शन से हैं।