अपना विद्यार्थी-भाग तैयार करना
स्कूल में मिलनेवाला हर विद्यार्थी-भाग आपको कदम-ब-कदम तरक्की करने का मौका देता है। इसलिए मन लगाकर अपने भाग की तैयारी कीजिए। अगर आप ऐसा करेंगे तो कुछ समय बाद ना सिर्फ आपको बल्कि दूसरों को भी आपकी उन्नति नज़र आने लगेगी। (1 तीमु. 4:15) स्कूल में आपको अपना हुनर बढ़ाने के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
क्या पूरी कलीसिया के सामने बात करने का खयाल आते ही आपके हाथ-पैर काँपने लगते हैं? ऐसा महसूस करना स्वाभाविक है, फिर चाहे आपको स्कूल में दाखिल हुए काफी वक्त क्यों ना हो गया हो। लेकिन कुछ कदम उठाने से आप अपनी घबराहट को कम कर सकते हैं। घर पर ज़ोर-ज़ोर से पढ़ने का अभ्यास कीजिए। कलीसिया की सभाओं में ज़्यादा-से-ज़्यादा जवाब देने की कोशिश कीजिए और अगर आप एक प्रचारक हैं, तो प्रचार में लगातार हिस्सा लीजिए। इससे लोगों के सामने बोलने का आपको तजुर्बा हासिल होगा। इसके अलावा, जब कभी आपको विद्यार्थी-भाग सौंपा जाता है, तो काफी समय पहले से ही तैयारी कीजिए और ऊँची आवाज़ में बोलकर उसे पेश करने का अभ्यास कीजिए। याद रखिए कि सभा में बैठे लोग आपके दोस्त ही हैं। कोई भी भाग पेश करने के लिए स्टेज पर जाने से पहले, यहोवा से प्रार्थना कीजिए। जो सेवक उससे पवित्र आत्मा की बिनती करते हैं, उन्हें वह खुशी-खुशी अपनी आत्मा देता है।—लूका 11:13; फिलि. 4:6, 7.
आपका भाषण कितना अच्छा होगा, इस बारे में बड़ी-बड़ी उम्मीदें मत लगाइए। एक अच्छा वक्ता और काबिल शिक्षक बनने में वक्त लगता है। (मीका 6:8) अगर आप सेवा स्कूल में नए विद्यार्थी हैं, तो यह उम्मीद मत कीजिए कि अभी से आपकी पेशकश बहुत बढ़िया होगी। इसके बजाय, एक समय पर सलाह पर्चे में दिए एक ही गुण को अपने अंदर बढ़ाने की कोशिश कीजिए। हर गुण के बारे में इस किताब के जिस अध्याय में चर्चा की गयी है, उसका अध्ययन कीजिए। अध्याय के आखिर में जो अभ्यास दिया गया है, उसे भी करने की कोशिश कीजिए। तब आप कलीसिया में अपना भाग पेश करने से पहले काफी हद तक उस गुण को बढ़ा चुके होंगे। इससे उन्नति ज़रूर होगी।
पढ़ने का भाग कैसे तैयार करें
स्कूल में पढ़कर सुनाने की तैयारी करते वक्त सिर्फ दिए गए हिस्से के हर शब्द को सही-सही पढ़ लेना काफी नहीं है। इसके बजाय, जो लिखा है उसे अच्छी तरह समझने की कोशिश कीजिए। इसलिए जैसे ही आपको पढ़ाई का भाग सौंपा जाता है, तो इसकी जानकारी को समझने के लिए इसे पूरा पढ़िए। हर वाक्य और हर पैराग्राफ में क्या विचार दिए गए हैं, उन्हें समझने की कोशिश कीजिए। तब आप पढ़ते वक्त विचारों को सही-सही और पूरी भावनाओं के साथ ज़ाहिर कर पाएँगे। अगर हो सके, तो कठिन शब्दों का सही उच्चारण जानने के लिए व्याकरण की कोई किताब देखिए या किसी ऐसे व्यक्ति से पूछिए जो अच्छी हिंदी जानता हो। आपको पढ़ने के लिए जो भाग सौंपा जाता है, उससे अच्छी तरह वाकिफ होइए। अगर यह भाग छोटे बच्चों को सौंपा जाता है, तो माता-पिता को उनकी मदद करने की ज़रूरत पड़ सकती है।
क्या आपको बाइबल का कोई हिस्सा या प्रहरीदुर्ग के किसी लेख के पैराग्राफ पढ़ने का भाग सौंपा गया है? हो सके, तो एक ऐसे व्यक्ति की मदद लें जो हिंदी अच्छी तरह पढ़ता हो। उससे कहिए कि आपको वह भाग ज़ोर से पढ़कर सुनाए। जब वह पढ़ रहा हो तो ध्यान दीजिए कि वह शब्दों का उच्चारण कैसे करता है, कई शब्दों को मिलाकर किस तरीके से पढ़ता है, किन शब्दों पर ज़ोर देता है और आवाज़ में उतार-चढ़ाव कैसे लाता है। फिर आप भी पढ़ते वक्त वैसा ही कीजिए।
जब आप अपने विद्यार्थी-भाग की तैयारी करने बैठते हैं, तो आपको भाषण के जिस गुण पर काम करने के लिए कहा गया है, इस किताब में उस अध्याय का अध्ययन करना मत भूलिए। अगर हो सके तो अपने भाग को बार-बार ज़ोर से पढ़कर अभ्यास करने के बाद, दोबारा उस अध्याय की खास बातों पर नज़र डालें। उसमें दी गयी सारी सलाह पर अमल करने की भरसक कोशिश कीजिए।
इस तरह की ट्रेनिंग से आपको प्रचार में काफी मदद मिलेगी। आपको प्रचार में दूसरों को पढ़कर सुनाने के कई मौके मिलेंगे। परमेश्वर के वचन में लोगों की ज़िंदगी बदलने की ताकत है, इसलिए इसे सही ढंग से पढ़कर सुनाना बेहद ज़रूरी है। (इब्रा. 4:12) यह उम्मीद मत कीजिए कि एक या दो बार स्कूल में भाग पेश करते ही आप अच्छी तरह पढ़ने में महारत हासिल कर लेंगे। गौर कीजिए कि प्रेरित पौलुस ने, सालों का तजुर्बा रखनेवाले एक मसीही प्राचीन को लिखा: ‘पढ़ने की तरफ ध्यान लगाए रह।’—1 तीमु. 4:13, हिन्दुस्तानी बाइबल।
जब आपके भाग में एक विषय और सैटिंग होती है
अगर आपको स्कूल में कोई ऐसा विद्यार्थी-भाग पेश करना है जिसमें एक सैटिंग भी है, तो आपको इसकी तैयारी कैसे करनी चाहिए?
इसके लिए तीन अहम बातों पर ध्यान देने की ज़रूरत है: (1) आपको दिया गया विषय, (2) आपकी सैटिंग और वह व्यक्ति जिससे आप बात करेंगे और (3) सलाह पर्चे के जिस मुद्दे पर आपको काम करने के लिए कहा गया है।
आपको जो विषय दिया गया है, उसके बारे में आपको जानकारी इकट्ठी करनी होगी। लेकिन इससे पहले, आपकी सैटिंग क्या होगी और आप किस व्यक्ति से बात करेंगे, आपको इस बारे में गहराई से सोचना होगा। क्योंकि इन्हीं बातों के आधार पर आप फैसला कर सकेंगे कि किस तरह की जानकारी इकट्ठी करनी है और किस तरीके से उसे पेश करना है। आप क्या सैटिंग रखेंगे? क्या आप किसी जान-पहचानवाले को सुसमाचार सुनाने का तरीका दिखाएँगे? या क्या आप यह दिखाएँगे कि प्रचार में जब हम लोगों से पहली बार मिलते हैं, तब क्या-क्या हो सकता है और उस हालात में गवाही कैसे दी जा सकती है? जिस व्यक्ति से आप बात करनेवाले हैं, वह आपसे उम्र में बड़ा है या छोटा? जिस विषय पर आप उसके साथ चर्चा करने की सोच रहे हैं, उसके बारे में वह क्या सोचता है? उस विषय के बारे में उसे पहले से कितनी जानकारी होगी? उससे बात करते वक्त आप क्या हासिल करने की उम्मीद करते हैं? इन सारे सवालों के जवाब से आप तय कर पाएँगे कि आपको किस तरह की जानकारी इकट्ठी करनी है।
आपको अपने विषय पर जानकारी कहाँ से मिल सकती है? इस किताब के पेज 33 से 38 पर “खोजबीन कैसे करें,” इसके बारे में चर्चा की गयी है। उसे पढ़िए और फिर खोजबीन के लिए जो साहित्य आपके पास है, उसका इस्तेमाल कीजिए। अकसर आप पाएँगे कि आपको ज़रूरत से ज़्यादा जानकारी मिल जाती है। आपके विषय के बारे में कितनी जानकारी उपलब्ध है, यह जानने के लिए ज़्यादा-से-ज़्यादा साहित्य पढ़िए। लेकिन ऐसा करते वक्त, अपनी सैटिंग और जिसके साथ आप बात करने जा रहे हैं, उसे ध्यान में रखिए। जो मुद्दे आपके काम आ सकते हैं, उन पर निशान लगाइए।
अपनी पेशकश तैयार करने से पहले और छोटी-मोटी जानकारी का चुनाव करने से पहले, वक्त निकालकर, सलाह पर्चे के जिस मुद्दे पर आपको काम करने के लिए कहा गया है, उसके बारे में ज़रूर पढ़िए। उस सलाह पर अमल करना, आपके भाग पेश करने की एक खास वजह है।
अगर आप अपनी जानकारी को तय किए गए समय में पेश करेंगे तो आप एक अच्छी समाप्ति भी दे पाएँगे, क्योंकि समय पूरा होने पर आपको एक सिगनल दिया जाएगा और आप भाषण की समाप्ति नहीं दे पाएँगे। हाँ, जहाँ तक प्रचार की बात है, वहाँ हमेशा समय का ध्यान रखने की ज़रूरत नहीं होती। इसलिए अपने भाग की तैयारी करते वक्त इस बात का ध्यान रखिए कि आपको कितने समय के अंदर इसे पूरा करना है। मगर हमेशा आपका ज़ोर, असरदार तरीके से सिखाने पर होना चाहिए।
सैटिंग के बारे में ज़रूरी हिदायत। सैटिंग के बारे में पेज 82 पर दिए सुझावों पर गौर कीजिए। फिर उनमें से ऐसी सैटिंग चुनिए जो प्रचार में कारगर साबित होगी और जिससे आप अपनी जानकारी को ऐसे पेश कर सकेंगे जो असल ज़िंदगी में काम आए। अगर आप काफी समय से इस स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं, तो समझिए कि यह प्रचार के लिए नए-नए हुनर बढ़ाने का एक अच्छा मौका है।
अगर आपको, सेवा स्कूल का ओवरसियर सैटिंग देता है, तो उस चुनौती को स्वीकार कीजिए। ज़्यादातर सैटिंग, दूसरों को गवाही देने के बारे में हैं। सैटिंग में बताए हालात में अगर आपको गवाही देने का तजुर्बा नहीं है, तो उन प्रचारकों से सुझाव माँगिए जिन्हें इसका तजुर्बा है। अगर मुमकिन हो तो, स्कूल में जो सैटिंग इस्तेमाल करेंगे, उसी से मिलती-जुलती सैटिंग में किसी से अपने विषय के बारे में पहले ही चर्चा कर लें। ऐसा करने से, आप स्कूल में मिलनेवाली ट्रेनिंग का एक अहम लक्ष्य हासिल कर पाएँगे।
जब अपना भाग एक भाषण के रूप में देना हो
अगर आप एक भाई हैं, तो आपको कलीसिया के सामने एक छोटा-सा भाषण देने के लिए कहा जा सकता है। ऐसे भाषणों की तैयारी में भी वही हिदायतें लागू होती हैं, जो प्रदर्शन के रूप में दिए जानेवाले विद्यार्थी-भागों के लिए हैं, जिनके बारे में पहले चर्चा की गयी है। खास फर्क बस यह है कि एक के बजाय सारी सभा आपके सुननेवाले होते हैं और भाग पेश करने का तरीका भी बदल जाता है।
अच्छा होगा अगर आप भाषण की तैयारी इस तरह करें जिससे सभी सुननेवालों को फायदा पहुँचे। वहाँ मौजूद ज़्यादातर लोग बाइबल की बुनियादी सच्चाइयाँ जानते हैं। हो सकता है आप जिस विषय पर भाषण देने जा रहे हैं, उसके बारे में उन्हें पहले से अच्छी जानकारी हो। इसलिए भाषण की तैयारी करते वक्त ध्यान में रखिए कि उन्हें पहले से कितनी जानकारी है। उसके ज़रिए उन्हें कुछ-न-कुछ फायदा पहुँचाने की कोशिश कीजिए। खुद से पूछिए: ‘इस विषय के ज़रिए, मैं अपने और सुननेवालों के दिल में यहोवा के लिए कदरदानी कैसे बढ़ा सकता हूँ, उन्हें यहोवा के करीब कैसे ला सकता हूँ? मेरे भाषण में ऐसा कौन-सा मुद्दा है जो परमेश्वर की मरज़ी जानने में हमारी मदद करता है? यह जानकारी हमें इस दुनिया में रहते हुए भी, जो शरीर की लालसाएँ पूरी करने में डूबी हुई है, सही फैसले करने में कैसे मदद दे सकती है?’ (इफि. 2:3) इन सवालों के सही जवाब दे पाने के लिए आपको खोजबीन करने की ज़रूरत होगी। जब आप भाषण में बाइबल का इस्तेमाल करते हैं, तो उसकी आयतें सिर्फ पढ़कर सुना देना काफी नहीं है। आयतों के बारे में दलीलें देकर समझाइए और बताइए कि इनकी मदद से हम किस तरह सही नतीजों पर पहुँच सकते हैं। (प्रेरि. 17:2, 3) अपने भाषण में बहुत ज़्यादा जानकारी ठूँसने की कोशिश मत कीजिए। इस तरीके से जानकारी पेश कीजिए कि सुननेवालों के लिए याद रखना आसान हो।
भाषण की तैयारी करते समय आपको इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि आप अपना भाषण किस ढंग से पेश करेंगे। इसकी अहमियत को कभी कम मत समझिए। ऊँची आवाज़ में भाषण पेश करने का अभ्यास कीजिए। भाषण के अलग-अलग गुणों के बारे में अच्छी तरह अध्ययन करने और उनके बारे में दी गयी सलाह पर अमल करने से आप भाषण देने की कला बढ़ा सकेंगे। आप चाहे नए हों या तजुर्बेकार, अपने भाषणों की हमेशा अच्छी तैयारी कीजिए ताकि आप पूरे यकीन के साथ बोल सकें और अपनी जानकारी के मुताबिक सही भावनाएँ इज़हार कर सकें। जब कभी आप स्कूल में भाग पेश करते हैं, तो यह बात हमेशा याद रखिए कि परमेश्वर से आपको बोलने का जो वरदान मिला है उसका मकसद है, यहोवा की महिमा करना।—भज. 150:6.