कलीसिया के लिए भाषण तैयार करना
परमेश्वर की सेवा स्कूल का कार्यक्रम, पूरी कलीसिया को फायदा पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा, कलीसिया की दूसरी सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में भी बेहतरीन जानकारी दी जाती है। इसलिए अगर आपको इनमें से किसी भी कार्यक्रम में कोई भाग पेश करने के लिए कहा गया है, तो यह एक भारी ज़िम्मेदारी है। प्रेरित पौलुस ने मसीही अध्यक्ष, तीमुथियुस को उकसाया था कि वह अपने उपदेश देने के तरीके पर लगातार ध्यान देता रहे। (1 तीमु. 4:15, 16) मसीही सभाओं, सम्मेलनों और अधिवेशनों में आकर उन हिदायतों को सुनने के लिए भाई-बहन अपना कीमती वक्त लगाते हैं, यहाँ तक कि कुछ को काफी संघर्ष करना पड़ता है। वे हाज़िर होने के लिए इतनी मेहनत इसलिए करते हैं, क्योंकि इन सभाओं में उन्हें परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को और भी मज़बूत बनाने की शिक्षा मिलती है। ऐसी शिक्षा देने की ज़िम्मेदारी वाकई बड़े सम्मान की बात है! लेकिन आप इस ज़िम्मेदारी को कैसे अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं?
बाइबल झलकियाँ
स्कूल का यह भाग हफ्ते की बाइबल पढ़ाई पर आधारित होता है। इसमें इस बात पर ज़ोर दिया जाना चाहिए कि बाइबल पढ़ाई के हिस्से से आज हम क्या सीख सकते हैं। जैसा नहेमायाह 8:8 (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) में लिखा है कि याजक एज्रा और उसके साथ लेवियों ने लोगों के सामने परमेश्वर का वचन पढ़कर सुनाया, उसका अर्थ बताया, उसकी व्याख्या की, और ‘उसका अभिप्राय: क्या है, इसे खोलकर समझाया।’ बाइबल पढ़ाई की झलकियाँ बताते वक्त आपको भी वही करने का मौका मिलता है।
इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए आपको कैसे तैयारी करनी चाहिए? आपको बाइबल के जिस हिस्से की झलकियाँ बतानी हैं, उसे एक हफ्ते या उससे भी पहले पढ़ने की कोशिश कीजिए। उसके बाद सोचिए कि आपकी कलीसिया की ज़रूरतें क्या हैं। उन ज़रूरतों को समझने के बारे में परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए। इसके अलावा, यह भी प्रार्थना कीजिए कि बाइबल के इस भाग से कौन-सी सलाह, कौन-से उदाहरण या सिद्धांत बताए जा सकते हैं।
खोजबीन करना ज़रूरी है। आपको जो भाषा आती है, क्या उस भाषा में वॉच टावर पब्लिकेशन्स इंडैक्स या सीडी-रॉम पर वॉचटावर लाइब्रेरी उपलब्ध है? अगर नहीं, तो आप हर साल दिसंबर 15 की प्रहरीदुर्ग में दी गयी विषय-सूची का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आप चुनी हुई आयतों पर संस्था के साहित्य में खोजबीन करेंगे, तो आपको बहुत-सी फायदेमंद जानकारी मिलेगी जैसे कि उन आयतों को कब और किन हालात में लिखा गया था, उन आयतों में दी गयी भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं, उनसे हम यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं, इस बारे में लेख दिए हैं, या सिद्धांतों की चर्चा की गयी है। बहुत सारे मुद्दे बताने की कोशिश मत कीजिए। इसके बजाय, अच्छा होगा अगर कुछ आयतें चुनकर सिर्फ उन्हीं पर ध्यान दिलाएँ और उन्हें अच्छी तरह समझाएँ।
अपना यह भाग पेश करने में आपको सुननेवालों से यह सवाल पूछना पड़ सकता है कि हफ्ते की बाइबल पढ़ाई से उन्हें क्या फायदा हुआ है। उन्होंने ऐसी कौन-सी बात सीखी जिसे निजी बाइबल अध्ययन में, पारिवारिक अध्ययन में, अपने प्रचार काम में या अपने जीवन में लागू करने से उन्हें फायदा होगा? यहोवा ने लोगों और जातियों के साथ जिस तरह से व्यवहार किया, उससे यहोवा के कौन-से गुण देखने को मिलते हैं? सभा में मौजूद लोगों ने इससे क्या सीखा जिससे उनका विश्वास मज़बूत हुआ और उनके दिल में यहोवा के लिए श्रद्धा और बढ़ी? आयतों की बारीकियों या उनके कठिन मुद्दों को समझाने में ज़्यादा वक्त मत गवाँइए। बल्कि चुने हुए मुद्दों का मतलब समझाइए और उन्हें ज़िंदगी में कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर ज़ोर दीजिए।
हिदायत भाषण
यह भाषण प्रहरीदुर्ग या सजग होइए! के किसी लेख से या फिर किसी किताब के भाग से दिया जाएगा। अकसर यह जानकारी इतनी होती है कि इसे तय किए गए समय में आसानी से पेश किया जा सकता है। आपको यह भाषण किस ढंग से पेश करना चाहिए? एक शिक्षक की तरह! सिर्फ जानकारी को शुरू से लेकर आखिर तक बता देना काफी नहीं। हर अध्यक्ष को “सिखाने में निपुण” होना चाहिए।—1 तीमु. 3:2.
इस भाषण की तैयारी करने में, सबसे पहले आपको जिस भाग से भाषण देना है, उसका अध्ययन कीजिए। उसमें बतायी गयी आयतें, बाइबल से पढ़िए। उस पर मनन कीजिए। यह सबकुछ, भाषण के दिन से काफी पहले करने की कोशिश कीजिए। याद रखिए कि जिस किताब या लेख से आप भाषण देने जा रहें हैं, उसे पहले से पढ़कर आने के लिए भाई-बहनों को उकसाया जाता है। आपके भाषण का मकसद सिर्फ उस जानकारी के बारे में फिर से बताना या उसका सारांश देना नहीं है, बल्कि यह दिखाना है कि उस जानकारी पर कैसे अमल किया जाना चाहिए। इसलिए जानकारी में से ज़रूरी बातों को चुनकर इस ढंग से पेश कीजिए ताकि कलीसिया को वाकई फायदा हो।
जिस तरह हर बच्चे का स्वभाव अलग होता है, उसी तरह हर कलीसिया की एक अलग पहचान होती है। जो पिता अपने बच्चे को अच्छी तरह सिखाता है, वह अच्छे-बुरे के नियमों के बारे में सिर्फ उपदेश ही नहीं देता बल्कि उसके साथ तर्क करके उसे समझाता है। पिता हमेशा इस बात का ध्यान रखता है कि बच्चे का स्वभाव कैसा है और वह किन मुश्किलों का सामना कर रहा है। उसी तरह, कलीसिया में सिखानेवाला यह समझने की कोशिश करता है कि जिन भाई-बहनों से वह बात कर रहा है, उन्हें किन-किन मामलों पर सलाह की ज़रूरत है। लेकिन उसे समझदारी से काम लेना होगा ताकि वह भाषण में ऐसे उदाहरण ना दे जिनसे किसी भाई या बहन को शर्मिंदा होना पड़े। इसके बजाय वह उन आशीषों की तरफ ध्यान दिलाएगा जो उन्हें यहोवा के मार्गों पर चलने से मिल रही हैं और वह बाइबल से सलाह देगा जिससे कि कलीसिया के भाई-बहन अपनी समस्याओं का सामना करने में कामयाब हो सकें।
अच्छी शिक्षा, सुननेवालों के दिल में उतर जाती है। आपके भाषण का भी ऐसा असर हो, इसके लिए सिर्फ सच्चाइयाँ बयान करना काफी नहीं, बल्कि आपको यह भी बताना चाहिए कि यह जानकारी, सुननेवालों के लिए क्या मायने रखती है। इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने सुननेवालों के लिए सच्ची परवाह दिखाएँ। आध्यात्मिक चरवाहों को चाहिए कि वे अपने झुंड की ज़रूरतों को जानें। अगर उनमें हर भाई-बहन के लिए प्यार होगा और वे उनकी मौजूदा समस्याओं को ध्यान में रखेंगे, तो वे समझ के साथ, दया और हमदर्दी दिखा सकेंगे और उनका हौसला बढ़ा पाएँगे।
हर काबिल शिक्षक को पता होता है कि उसके भाषण का मकसद क्या है। जानकारी को इस ढंग से पेश किया जाना चाहिए ताकि सुननेवाले मुख्य मुद्दों को आसानी से समझ सकें और उन्हें याद रख सकें। साथ ही, उन्हें यह याद रह जाए कि भाषण की किन व्यवहारिक बातों को उन्हें अपने जीवन में लागू करना है।
सेवा सभा
अगर आपका भाषण हमारी राज्य सेवकाई के किसी लेख से है, तो यह आपके लिए एक अलग चुनौती हो सकती है। आप अकसर पाएँगे कि आप दी गयी जानकारी में से अहम मुद्दे नहीं चुन सकते, बल्कि आपको पूरी-की-पूरी जानकारी पेश करनी होगी। लेख में जिन आयतों के आधार पर सलाह दी गयी है, उन्हें समझने और सही नतीजे पर पहुँचने में सुननेवालों की मदद कीजिए। (तीतु. 1:9) सेवा सभा में हर भाग के लिए समय तय होता है, इसलिए ज़्यादातर भागों में कोई और जानकारी बताने का वक्त नहीं होता।
कभी-कभी आपको ऐसे विषय पर भी भाषण देने के लिए कहा जा सकता है जो हमारी राज्य सेवकाई में से किसी लेख से न हो। शायद किसी प्रहरीदुर्ग का हवाला दिया गया हो या फिर इस भाग के बारे में आपको कुछ नोट्स् दिए गए हों। एक शिक्षक के तौर पर अब आपको यह तय करना है कि दिए गए भाग को कलीसिया की ज़रूरतों के मुताबिक कैसे पेश किया जाए। आपको शायद अपनी बात कहने के लिए एक छोटी-सी और सही मिसाल या कोई अनुभव पेश करने की ज़रूरत पड़ सकती है। याद रखिए कि आपका मकसद सिर्फ किसी विषय पर बात करना ही नहीं बल्कि भाषण को इस तरीके से पेश करना है जिससे कलीसिया को परमेश्वर के वचन में बताए काम को पूरा करने में मदद मिले और खुशी भी।—प्रेरि. 20:20, 21.
जब आप अपना भाग तैयार करते हैं, तो अपनी कलीसिया के भाई-बहनों के अलग-अलग हालात पर गौर कीजिए। वे परमेश्वर की सेवा में जो कुछ कर रहे हैं, उसके लिए उनकी तारीफ कीजिए। खुद से पूछिए कि दिए गए भाग की सलाह पर अमल करने से, वे कैसे प्रचार में ज़्यादा कामयाब हो सकते हैं और अपनी खुशी बढ़ा सकते हैं?
क्या आपके भाग में कोई प्रदर्शन या इंटरव्यू है? अगर हाँ, तो इसकी काफी पहले से अच्छी तैयारी की जानी चाहिए। प्रदर्शन या इंटरव्यू का इंतज़ाम करने के लिए किसी दूसरे से कहना आसान है, लेकिन अगर आप खुद इसे करें, तो अच्छे नतीजे निकलेंगे। इसलिए अगर मुमकिन हो, तो सभा के दिन से पहले, प्रदर्शन या इंटरव्यू की रिहर्सल कीजिए। ध्यान दीजिए कि आपके कार्यक्रम का यह हिस्सा इस तरीके से पेश किया जाना चाहिए जिससे कि आपके भाषण में दी गयी शिक्षा और भी असरदार हो।
सम्मेलन और अधिवेशन
जो भाई अपने अंदर बढ़िया आध्यात्मिक गुण पैदा करते हैं और कलीसिया में भाषण देने और सिखाने की काबिलीयत बढ़ाते हैं, उन्हें कुछ समय बाद सम्मेलनों या अधिवेशनों में भाग सौंपे जा सकते हैं। परमेश्वर से शिक्षा पाने के ये वाकई खास मौके होते हैं। हो सकता है, आपको मैन्यूस्क्रिप्ट, आउटलाइन या बाइबल से लिए गए नाटक, जिसमें हमारे ज़माने के लिए सबक है, की हिदायतों या दूसरी सूचनाओं को पढ़ने के लिए कहा जाए। अगर आपको इस तरह के भाग पेश करने का सुअवसर मिलता है, तो दी गयी जानकारी को बहुत ध्यान से पढ़िए। और ऐसा तब तक कीजिए जब तक आप इसकी पूरी अहमियत अच्छी तरह समझ ना लें।
मैन्यूस्क्रिप्ट भाषण देनेवालों को लिखी हुई जानकारी शब्द-ब-शब्द पढ़कर सुनानी होती है। इसमें वे न तो अपने शब्द इस्तेमाल करते हैं, ना ही भाषण की रचना में फेरबदल करते हैं। वे मैन्यूस्क्रिप्ट का अध्ययन करते हैं ताकि इसमें दिए गए खास मुद्दों को अच्छी तरह पहचान सकें और देख सकें कि उन मुद्दों को कैसे समझाया गया है। वे ऊँची आवाज़ में पढ़ते हुए भाषण का तब तक अभ्यास करते हैं, जब तक वे सही अर्थ देने के लिए ठीक शब्दों पर ज़ोर देना न सीख लें, और उनकी आवाज़ और भाषण देने के तरीके में जोश, उत्साह, उमंग, गंभीरता और पक्का विश्वास नज़र आने लगे। वे इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि वे इतनी ऊँची आवाज़ में बोले ताकि भारी तादाद में बैठे सभी लोग आसानी से सुन सकें।
जिन भाइयों को आउटलाइन से भाषण देने को मिलता है, उनकी यह ज़िम्मेदारी है कि वे आउटलाइन में दी गयी जानकारी से ही अपना भाषण पेश करें। उन्हें ना तो सीधे आउटलाइन से पढ़ना चाहिए, ना ही मैन्यूस्क्रिप्ट की तरह भाषण का एक-एक शब्द लिख लेना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें अपने नोट्स् को बार-बार देखे बिना जानकारी पेश करनी है और दिल से बात करनी है। यह ज़रूरी है कि आउटलाइन के हर मुख्य मुद्दों को उसके लिए दिए गए समय में ही पूरा करें। ऐसा करने से वे मुख्य मुद्दों को साफ-साफ समझा पाएँगे। भाषण देनेवालों को चाहिए कि वे मुख्य मुद्दों के नीचे दिए गए विचारों और आयतों का अच्छा इस्तेमाल करे। उन्हें आउटलाइन में दिए मुद्दे काटकर अपनी पसंद के कुछ मुद्दे नहीं जोड़ देने चाहिए। बेशक, पेश की जानेवाली सारी जानकारी परमेश्वर के वचन से होती है और मसीही प्राचीनों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे ‘वचन का प्रचार’ करें। (2 तीमु. 4:1, 2) इसलिए वक्ता को आउटलाइन में दी गयी आयतों पर खास ध्यान देना चाहिए, यानी तर्क करने के लिए उनका इस्तेमाल करना चाहिए और बताना चाहिए कि उन पर कैसे अमल करें।
आखिरी मिनट तक टालमटोल मत कीजिए
क्या आप एक ऐसी कलीसिया में हैं, जहाँ आपको भाषण देने के मौके बार-बार मिलते हैं? अगर हाँ, तो आप अपने सभी भाषणों की अच्छी तैयारी कैसे कर सकते हैं? अपने भाषणों की तैयारी करने के लिए आखिरी मिनट तक इंतज़ार मत कीजिए।
जो भाषण कलीसिया को सचमुच फायदा पहुँचाते हैं, उन पर बहुत सोच-विचार किया गया होता है। इसलिए जब भी आपको भाषण सौंपा जाता है, उसकी जानकारी को फौरन पढ़ने की आदत डालिए। इस तरह पढ़ लेने से कुछ दूसरे काम करते वक्त भी आप अपने भाषण के बारे में सोच पाएँगे। भाषण देने के कुछ दिन या हफ्ते पहले, आपको शायद कुछ ऐसी बातें सुनने को मिलें जिनकी मदद से आप अपनी जानकारी को बेहतरीन तरीके से पेश कर पाएँगे। इस दरमियान कुछ ऐसी घटनाएँ घट सकती हैं, जिनका उदाहरण देकर यह बताया जा सकता है कि भाषण की जानकारी हमारे वक्त के लिए कितनी ज़रूरी है। हालाँकि भाषण मिलते ही उसे पढ़ने और उस पर सोच-विचार करने में वक्त लगता है, मगर यह बेकार नहीं जाता। क्योंकि जब आप आउटलाइन से तैयारी करने बैठेंगे, तो आप पाएँगे कि पहले से इस विषय पर सोचने से आपको काफी फायदा हुआ है। इस तरीके से अपने भाषण की तैयारी करने से आपकी परेशानी काफी कम होगी और आप जानकारी को इस ढंग से पेश कर पाएँगे जिससे कलीसिया के भाई-बहन काफी कुछ सीख सकेंगे और यह उनके दिल को छू जाएगा।
अपने लोगों को सिखाने के लिए यहोवा ने जो इंतज़ाम किया है, उसमें उसने आपको शिक्षा देने का वरदान दिया है और ज़िम्मेदारी सौंपी है। उस वरदान की आप जितनी ज़्यादा कदर करेंगे, उतना ही आप यहोवा को आदर दिखाएँगे और आपके ज़रिए यहोवा से प्रेम करनेवालों को बहुत-सी आशीषें भी मिलेंगी।—यशा. 54:13; रोमि. 12:6-8.